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ध्रुव जुरेल और उनकी स्क्वेयर ऑफ़ द विकेट खेलने की कला

क्या उन्हें पंत की उपस्थिति में भी एक बल्लेबाज़ के तौर पर मौक़ा मिलेगा?

हां या ना : ध्रुव जुरेल भारतीय टेस्ट टीम में बतौर विशेषज्ञ बल्लेबाज़ भी खेल सकते हैं

हां या ना : ध्रुव जुरेल भारतीय टेस्ट टीम में बतौर विशेषज्ञ बल्लेबाज़ भी खेल सकते हैं

अहमदाबाद में भारत और वेस्टइंडीज़ के बीच खेले जा रहे पहले टेस्ट के दूसरे दिन से जुड़े कुछ अहम सवाल और उनके जवाब, आकाश चोपड़ा के साथ

शुक्रवार दोपहर अहमदाबाद में 36 रन से 60 के स्कोर तक पहुंचने में भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज़ ध्रुव जुरेल ने वेस्टइंडीज़ के तेज़ गेंदबाज़ों पर तीन चौके लगाए। ये तीनों चौके बैकफ़ुट से ऑफ़ साइड में स्क्वेयर के पीछे के हिस्से में मारे गए और इन तीनों चौकों को मारने का तरीका भी अलग-अलग था।

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पहला चौका जेडेन सील्स की गेंद पर आया, जो शॉर्ट थी लेकिन उसमें उतना रूम नहीं था। यह गेंद कंधे से थोड़ी कम ऊंचाई तक उछली। जुरेल गेंद के उछाल के साथ पहले ऊपर उठे, फिर हल्का पीछे झुके ताकि जगह बना सकें और अपनी ठोड़ी के ठीक नीचे खुले बैट से गेंद को मिलाया और सील्स की रफ़्तार का इस्तेमाल करते हुए उसे गली के बाहर पहुंचा दिया।

दूसरे और तीसरे चौके जस्टिन ग्रीव्स की गेंदों पर आए। इस बार गेंद में थोड़ा रूम ज़रूर था, लेकिन उसमें सील्स जैसी रफ़्तार नहीं थी। ऐसे में जुरेल ने ख़ुद ताक़त बनाई और दोनों बार कलाई के इस्तेमाल से शॉट खेले। पहले परंपरागत बैक-कट खेला, जिसमें कलाई से टॉपस्पिन दी और गेंद को नीचे रखा। अगली गेंद ज़्यादा नहीं उछली तो जुरेल ने स्लाइस खेला। प्वाइंट फ़ील्डर पीछे भेजा जा चुका था, लेकिन फिर भी कोई फ़ायदा नहीं हुआ।

ये शॉट्स किसी टेस्ट बल्लेबाज़ के लिए ख़ास मुश्किल नहीं थे, ख़ासकर बेहतरीन बल्लेबाज़ी की परिस्थितियों में और ग्रीव्स जैसे गेंदबाज़ की सीमित रफ़्तार के ख़िलाफ़। लेकिन ये देखने में बेहद ख़ूबसूरत लगे। हमने जुरेल को पहले भी रन बनाते देखा है, टेस्ट क्रिकेट में भी देखा है, लेकिन उनकी इस ख़ूबसूरती, स्क्वेयर के पीछे के शॉट्स मारने की कला को देखने का मौक़ा पहले नहीं मिला था।

वह पहली पारी जिसने सबका ध्यान उनकी ओर खींचा था, वह रांची में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 90 रन था। यह एक मुश्किल पिच पर आई थी, जहां गेंद नीची रह रही थी और स्क्वेयर के पीछे रन बनाना लगभग नामुमकिन सा था।

लेकिन वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ इस पारी में जुरेल ने स्क्वेयर के पीछे के खेल का अपना पूरा दायरा दिखाया। उनकी फ़ुटवर्क की फ़ुर्ती देखी जा सकती थी, जब उन्होंने रॉस्टन चेज़ की हल्की शॉर्ट गेंद को पुल कर छक्का मारा।

ध्रुव जुरेल ने अपनी 125 रनों की पारी में 15 चौके और तीन छक्के लगाए  Associated Press

सब कुछ इतना सधा और शांत दिख रहा था कि ऐसा लगा ही नहीं कि यह खिलाड़ी अपने करियर का सिर्फ़ छठा टेस्ट खेल रहा है और ज़्यादातर मौक़े भी उसे तभी मिले जब भारत के नियमित विकेटकीपर बल्लेबाज़ ऋषभ पंत चोटिल थे। ऐसा भी कभी नहीं लगा कि उन्होंने पहले कभी नंबर 5 पर बल्लेबाज़ी नहीं की।

लेकिन जुरेल हमेशा से ऐसा करते आए हैं। क्रीज़ पर उनका आत्मविश्वास से चलना, कॉम्पैक्ट तकनीक, बल्लेबाज़ी के दौरान हाथ कभी भी शरीर से ज़्यादा दूर न जाना और हल्के पैर, जो बहुत ज्यादा हिलते नहीं और हमेशा सही जगह पर होते हैं।

यह सब जितना आसान दिखता है, उतना है नहीं। इसके पीछे उनका मानसिक तैयारी का सख़्त रूटीन है। मैच से पहले वे सभी संभावित परिस्थितियों की कल्पना करते हैं, गेंदबाज कौन होंगे, वे कौन-सी फ़ील्ड सेट कर सकते हैं, कौन से गैप्स को वे निशाना बना सकते हैं, कहां बिना जोख़िम लिए रन बना सकते हैं। ये सब, वह तब भी करते हैं, जब उन्हें पता हो कि वे नहीं खेलेंगे।

उन्होंने अहमदाबाद में दूसरे दिन के खेल के बाद कहा, "मैं बहुत विजुअलाइज करता हूं, चाहे खेल रहा हूं या नहीं। मैं सोचता हूं कि अगर मैं खेल रहा होता तो क्या करता। जब मैं मैच खेलता हूं तो कुछ नया नहीं लगता। बस ऐसा लगता है कि जैसे मैंने इन सब चीज़ों को पहले ही जी लिया है और मुझे एहसास है कि क्या होगा। हर चीज़ मैं विजुअलाइज़ करता हूं- क्रीज़ पर आना, स्टांस लेना, लेग गार्ड लेना, सबकुछ। इसलिए मुझे कभी अलग नहीं लगता। मैं हमेशा तैयार रहता हूं, चाहे खेलूं या न खेलूं। मैं ख़ुद को तैयार रखने की मेहनत करता हूं।"

अब तक जुरेल को मौक़े पंत की अनुपस्थिति में ही मिले हैं, लेकिन हर बार विकेटकीपिंग और बल्लेबाज़ी में उनका आत्मविश्वास यह मौक़ा दे रहा है कि भारतीय टीम प्रबंधन उन्हें पंत की उपलब्धता से परे भी खिलाने पर विचार करे, जिसमें एक विकेटकीपिंग करे और दूसरा स्पेशलिस्ट बल्लेबाज़ की तरह खेले।

इस चर्चा की आवाज अब तेज हो रही ह, लेकिन जुरेल इस पर कुछ भी कहना नहीं चाहते।

उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि आप वही कंट्रोल कर सकते हो, जो आपके हाथ में है। यह मेरा फ़ैसला नहीं है कि मुझे बल्लेबाज़ के तौर पर खिलाया जाए या कीपर के तौर पर। जहां भी मुझे मैच खेलने का मौक़ा मिले, चाहे इंटरनेशनल हो या घरेलू, मेरा काम बस रन बनाना है।"

फ़िलहाल, यही काम वह अपनी पूरी क्षमता से कर रहे हैं।

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कार्तिक कृष्णास्वामी ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं