हर मुश्किल को चुनौती समझकर आगे बढ़ रहे हैं गायकवाड़
तकनीक और मानसिकता पर काम करने का फल उन्हें अपने पांचवें प्रथम श्रेणी शतक के रूप में मिला

भारतीय सलामी बल्लेबाज़ ऋतुराज गायकवाड़ हर मुश्किल को चुनौती समझकर स्वीकार कर रहे हैं। सीमित ओवर क्रिकेट में धूम मचाने वाला यह बल्लेबाज़ अब लाल गेंद की क्रिकेट में अपना नाम बनाना चाहता है। इसकी शुरुआत उन्होंने बेंगलुरु में न्यूज़ीलैंड ए के विरुद्ध तीसरे अनौपचारिक टेस्ट में शतक बनाकर कर दी है।
शतकवीर बने गायकवाड़ ने बताया कि वह केवल क्रीज़ पर समय बिताना चाहते थे। पहले दिन के खेल के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, "मैं क्रीज़ पर समय बिताने पर ध्यान दे रहा था क्योंकि पहले दो मैचों में मुझे लगा कि मैं हड़बड़ी कर रहा हूं। मैं लंबे समय बाद बहुदिवसीय क्रिकेट खेल रहा हूं। मैं जानता था कि हमारे स्पिनरों की तुलना में उनके स्पिनर कमज़ोर हैं और रन आएंगे ही।"
पहले दिन के खेल में गायकवाड़ ने 127 गेंदों का सामना करते हुए 108 रन बनाए। तीसरे नंबर पर खेलते हुए उन्होंने अपनी पारी में 12 चौके और दो दमदार छक्के लगाए। वनडे और टी20 क्रिकेट में बतौर ओपनर अपना जलवा बिखेरने वाले खिलाड़ियों के लिए लाल गेंद की क्रिकेट में मध्य क्रम में खेलना आसान नहीं होता है। हालांकि गायकवाड़ को चुनौती से डर नहीं लगता।
उन्होंने कहा, "प्रथम श्रेणी क्रिकेट में, विशेषकर अपने राज्य की टीम के लिए, जब भी हम एक अतिरिक्त बल्लेबाज़ खिलाते हैं, मैं तीसरे नंबर पर खेलता हूं। जब हम एक अतिरिक्त गेंदबाज़ के साथ जाते हैं, मैं ओपन करता हूं। मेरी भूमिका हमेशा से लचीली रही है। मुझे तीसरे नंबर पर खेलने का अनुभव है और ज़्यादा कुछ बदला नहीं है।"
"मैं सिलेक्शन या अन्य चीज़ों पर ध्यान नहीं देता। मेरा काम है अपने काम पर ध्यान देना। घरेलू मैच हो या कोई और मैच, मेरा ध्यान हमेशा से टीम की ज़रूरत के अनुसार योगदान देने का रहा है। फिर चाहे वह रणजी ट्रॉफ़ी हो, आईपीएल, इंडिया ए या फिर अंतर्राष्ट्रीय टीम में। आपको टीम के हित को सर्वोपरि रखना होता है।"ऋतुराज गायकवाड़
शानदार शतक बनाने के बावजूद गायकवाड़ निराश नज़र आए। वह इसलिए क्योंकि एक समय पर बड़े स्कोर की ओर अग्रसर इंडिया ए का बल्लेबाज़ी क्रम उनके आउट होने के बाद लड़खड़ाया और स्टंप्स से पहले टीम ऑलआउट हो गई। अपनी पारी और विकेट के संदर्भ में उन्होंने कहा, "मेरे पास बड़ा स्कोर बनाने का अच्छा मौक़ा था।
न केवल अपने लिए बल्कि मेरे क्रीज़ पर टिका रहना टीम के लिए भी फ़ायदेमंद होता। अगर मैं क्रीज़ पर खड़ा रहता तो स्थिति कुछ और ही होती। यह पिच तेज़ गेंदबाज़ों और स्पिनरों के लिए मददगार है और हमें लगा कि पहले बल्लेबाज़ी करते हुए बड़ा स्कोर खड़ा करना अहम होगा। एक समय पर हम उसी दिशा में आगे बढ़ रहे थे लेकिन पहले मैं और फिर उपेंद्र (यादव) आउट हो गए। मेरे लिए निजी तौर पर और टीम के लिए निराशाजनक बात रही। मुझे लगता है कि हमने 50-60 रन कम बनाए।"
30 महीनों में महाराष्ट्र के इस 27 वर्षीय बल्लेबाज़ का यह केवल तीसरा प्रथम श्रेणी मैच है। उन्होंने बताया कि इस सीरीज़ के पहले दो मैचों में वह मानसिक और तकनीकी रूप से 100 प्रतिशत नहीं महसूस कर रहे थे। हालांकि इस मैच में उन्होंने मानसिक तौर पर मज़बूत रहने और सटीक तकनीक के साथ खेलने पर अपना ध्यान केंद्रीत किया और उसका फल उन्हें एक अच्छे स्कोर के रूप में मिला।
उन्होंने कहा, "टी20 क्रिकेट में आपका बल्ला हर गेंद के पीछे जाता है। आप हर गेंद के लिए तैयार रहते हैं और हर शॉट खेलना चाहते हैं। हालांकि यहां ऐसा नहीं होता। लाल गेंद की क्रिकेट में आपको सबसे पहले अपनी सांसों को नियंत्रण में रखना होता है, हर गेंद और हर सेशन को खेलने का प्रयास करना होता है।"
इसके अलावा तकनीकी रूप से गायकवाड़ चीज़ों को सरल रखने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा, "आपको गेंद को आंखों के नीचे खेलना होता है, अपने कंधों को सही दिशा में रखना पड़ता है। इसके अलावा जब गेंद आपकी दाहिनी आंख से बाहर होती है तो आपको उसे छोड़ना होता है।"
यह तो हुई तकनीक की बात। तकनीक के साथ-साथ सही मानसिकता का होना बहुत आवश्यक है। लंबे समय से टी20, वनडे और सभी प्रकार की क्रिकेट खेलने के बाद मन में कई विचार आते हैं और दिमाग़ सभी दिशाओं में भटकने लगता है। इसके अलावा सभी तरफ़ से लोगों के सुझावों का भंडार आपकी ओर आता रहता है। हालांकि गायकवाड़ जानते हैं कि उन्हें किन चीज़ों को महत्व देना है और कहां अपना ध्यान लगाना है। वह जानते हैं कि भविष्य में तीनों प्रारूपों में लगातार खेलना चुनौतीपूर्ण होगा और वह इसके लिए ख़ुद को पूरी तरह तैयार रख रहे हैं।
यह 24 प्रथम श्रेणी मैचों में गायकवाड़ का पांचवां शतक था। यह आम बात है कि अब उनकी निगाहें भारतीय वनडे और टेस्ट टीम में अपनी जगह बनाने पर होगी, है ना? जी नहीं, वह केवल वर्तमान पर अपनी नज़रें जमाए हुए हैं। उन्होंने कहा, "मैं सिलेक्शन या अन्य चीज़ों पर ध्यान नहीं देता। मेरा काम है अपने काम पर ध्यान देना। घरेलू मैच हो या कोई और मैच, मेरा ध्यान हमेशा से टीम की ज़रूरत के अनुसार योगदान देने का रहा है। फिर चाहे वह रणजी ट्रॉफ़ी हो, आईपीएल, इंडिया ए या फिर अंतर्राष्ट्रीय टीम में। आपको टीम के हित को सर्वोपरि रखना होता है।"
गायकवाड़ पूर्ण सीज़न के रूप में रणजी ट्रॉफ़ी की वापसी से उत्साहित हैं। वह उम्मीद करते हैं कि यह नया घरेलू सीज़न उनके लिए अच्छी चुनौती साबित होगा और हमेशा की तरह वह इस चुनौती में संपूर्ण सफलता के साथ आगे बढ़ना चाहेंगे।
अफ़्ज़ल जिवानी(@ jiwani_afzal) ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं | @jiwani_afzal
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