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भारत के साहसी कप्तान के प्रवाह का इंग्लैंड के पास कोई रोक नहीं

हरमनप्रीत के नेतृत्व में भारतीय टीम एक अलग ही रंग में नज़र आ रही है

अपनी शतकीय पारी के दौरान कवर प्वाइंट के ऊपर से सिक्सर लगाते हुए हरमनप्रीत  Getty Images

दूसरे वनडे में हरमनप्रीत कौर 46 गेंदों का सामना कर चुकी थी और बढ़िया लय में नज़र आ रही थी। अचानक से वह लॉरेन बेल की एक गेंद पर पुल लगाने तैयार हुईं लेकिन गेंद की ऊंचाई घुटने से भी कम की रह गई थी। हरमनप्रीत ने उछाल को समझते हुए अंतिम समय पर पुल लगा ही दिया और कनेक्शन भी बढ़िया था। लेकिन उनके चेहरे से यह साफ़ झलक रहा था कि उन्हें पहले टी20 मैच के सेरा ग्लेन की वह गेंद याद आ गई जिस पर इसी तरीक़े का शॉट लगाने के चक्कर में वह बोल्ड हो गई थीं।

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अपने 143 रनों की पारी में हरमनप्रीत ने मैदान के चारों दिशाओं में कुछ कमाल के शॉट्स लगाए, जिसमें कई बेहतरीन पुल, स्लॉग स्वीप, कट जैसे शॉट थे। उनकी इस पारी की बदौलत ही भारत 333 का पहाड़ जैसा स्कोर खड़ा करने में सफल रहा, जो अंतत: उन्हें 88 रनों की जीत दिलाने में क़ामयाब रही।

इस साल दूसरी बार भारत की टीम 300 का स्कोर पार करने में सफल रही है। इसस पहले उन्होंने वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ विश्व कप में 317 का स्कोर बनाया था। वनडे इतिहास में भारतीय टीम सिर्फ़ चार ही बार 300 से ज़्यादा का स्कोर बनाने में सक्षम हो पाई है और उसमें दो उन्होंने इसी साल बनाए हैं।

यास्तिका भाटिया के आउट होने के बाद हरमनप्रीत बल्लेबाज़ी करने आईं और उनके आने के कुछ ही देर बाद स्मृति मांधना भी पवेलियन लौट गई। उस वक़्त भारत का स्कोर तीन विकेट के नुक़सान पर 99 रन था। उस समय एक बार के लिए ऐसा लगा कि भारत के बल्लेबाज़ एक बार फिर से टीम को निराश कर सकते हैं।

हालांकि इसमें भी कोई दो मत नहीं है कि हरमनप्रीत अब पहले की तुलना में टीम को ज़्यादा बेहतर तरीक़े से संभाल रही हैं। ख़ास कर के जब से मिताली राज के जाने के बाद उन्हें सभी फ़ॉर्मेट का कप्तान बनाया गया, वह पूर्ण अधिकार के साथ टीम को आगे लेकर जा रही हैं। कई बार ऐसा प्रतीत भी हुआ है कि टीम की सभी खिलाड़ी भी एक साहसी नेतृत्वकर्ता के साथ क़दम से क़दम मिला कर चलाने का पूरा प्रयास कर रहीं हैं।

हरमनप्रीत का पचासा 64 गेदों में आया और उसके बाद के 50 रन उन्होंने 36 गेंदों में बनाएं। शतक पूरा करने के बाद उन्होंने सिर्फ़ 11 गेंदों में 43 रन बटोरे।  Getty Images

तीसरे विकेट के पतन के बाद हरलीन देओल क्रीज़ पर आई और वहीं से भारत ने फिर से एकबार संभलने का प्रयास करते हुए, बड़े स्कोर की नींव रखना शुरू कर दिया। पहले सात ओवर में दोनों बल्लेबाज़ों ने संभल कर बल्लेबाज़ी करते हुए सिर्फ़ 24 रन बटोरे। हालांकि इस दौरान रन रेट भी 4.75 का हो गया लेकिन दोनों बल्लेबाज़ों ने कुछ वक़्त के लिए इस चीज़ से अपना ध्यान हटा कर क्रीज़ पर टिकने का मन बना लिया था।

हरलीन को क्रीज़ पर समय बिताना पसंद है और उसके बाद ही वह बड़े शॉट्स लगाती हैं। इस पारी में उन्होंने कुछ ऐसा ही करने का प्रयास किया। पहले 36 गेंदों पर उन्होंने सिर्फ़ 18 ही रन बनाए थे लेकिन उसके बाद केट क्रॉस के ख़िलाफ़ आगे निकल कर बड़ा शॉट लगाते हुए, उन्होंने अपनी पारी का गियर बदल लिया। 66 गेंदों में हरलीन ने अपना पचासा पूरा किया और उसके बाद वह और भी आक्रामक हो गईं। हालांकि टीम के रन रेट को बढ़ाने के प्रयास में वह बेल की गेंद पर डीप मिडविकेट की दिशा में कैच दे बैठी। उस समय भारत का स्कोर 40 ओवर में 212 रन था।

हरलीन के साथ साझेदारी के बाद, हमें वह लय मिली जो हम चाहते थे और मैंने उसके बाद खु़द को बैक किया। हमें पता था कि अगर हम 300 रन भी बना लेते हैं तो इंग्लैंड की टीम इसका पीछा कर सकती है। इसलिए हम आख़िरी पांच-छह ओवरों में ज़्यादा से ज़्यादा रनों की तलाश में थे। जो कोई भी मेरे साथ बल्लेबाज़ी करने आ रहा था, मैं उन्हें बस यही कह रही थी कि कि अगर उन्हें बाउंड्री मिल जाए तो ठीक है, नहीं तो स्ट्राइक रोटेट करते रहें।हरमनप्रीत कौर

वहींं हरमनप्रीत का पचासा 64 गेदों में आया और उसके बाद के 50 रन उन्होंने 36 गेंदों में बनाएं। शतक पूरा करने के बाद तो हरमनप्रीत एक अलग ही मूड में बल्लेबाज़ी करने लगीं और सिर्फ़ 11 गेंदों में 43 रन बटोरे। भारतीय टीम ने अंतिम तीन ओवर में 62 रन लूटे।

हरमनप्रीत ने मैच के बाद कहा, "मैं सिर्फ़ विकेट पर कुछ समय बिताना चाहती थी क्योंकि आज के विकेट पर पहली पारी में बल्लेबाज़ी करना आसान नहीं था। मैं गेंद को देखते हुए उसी के अनुसार अपने शॉट्स खेलनी चाहती थी। मैंने अपनी पारी के शुरुआती दौर में बहुत अधिक शॉट नहीं लगाए। विकेट को पढ़ना और वहां टिके रहना महत्वपूर्ण था क्योंकि मुझे पता है कि अगर मैं शुरुआत में अधिक गेंद खेल लेती हूं तो अंत में आसानी से रन बना सकती हूं।"

हरमनप्रीत और हरलीन के बीच चौथे विकेट के लिए हुए 113 रन की साझेदारी ने ही भारत को इंग्लैंड के ख़िलाफ़ अंतिम दस ओवरों में 121 रन बनाने में सक्षम बनाया। हरमनप्रीत ने कहा, "हरलीन के साथ साझेदारी के बाद, हमें वह लय मिली जो हम चाहते थे और मैंने उसके बाद खु़द को बैक किया। हमें पता था कि अगर हम 300 रन भी बना लेते हैं तो इंग्लैंड की टीम इसका पीछा कर सकती है। इसलिए हम आख़िरी पांच-छह ओवरों में ज़्यादा से ज़्यादा रनों की तलाश में थे। जो कोई भी मेरे साथ बल्लेबाज़ी करने आ रहा था, मैं उन्हें बस यही कह रही थी कि कि अगर उन्हें बाउंड्री मिल जाए तो ठीक है, नहीं तो स्ट्राइक रोटेट करते रहें। "

इस सब के अंत में हरमनप्रीत ने यह सुनिश्चित किया कि वह और उनकी पूरी टीम अनुभवी तेज़ गेंदबाज़ झूलन गोस्वामी को एक उपयुक्त विदाई देने के उद्देश्य से तीसरे वनडे में लॉर्ड्स के मैदान पर उतरेगी।

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एस सुदर्शनन ESPNcricinfo के सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।