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विहारी, गिल, अय्यर दो मध्य क्रम स्लॉट के लिए दौड़ में

पुजारा और रहाणे की अनुपस्थिति ने दो स्लॉट खोले हैं। किसे खेलना चाहिए, किसे नहीं और क्यों?

57 में से 44 बार प्रथम श्रेणी क्रिकेट में ओपनर के तौर पर खेले हैं शुभमन, लेकिन अब वह मध्‍य क्रम के दावेदार हैं  BCCI

10 से अधिक वर्षों में पहली बार भारत चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे के बिना कोई टेस्ट खेल रहा है। पिछली बार जब ऐसा हुआ था तब विराट कोहली ने अपना पहला टेस्ट शतक नहीं लगाया था, अब उनके 27 शतक है और अपना 100वां टेस्ट खेलने जा रहे हैं। यह कुछ-कुछ वैसा ही है जब 2012 में राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण एक साथ रिटायर हो गए थे, पिछले 16 सालों में भारतीय टीम ने केवल एक ही टेस्ट इन दोनों के बिना खेला था।

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जबकि पुजारा और रहाणे ने अभी संन्यास नहीं लिया है, लेकिन उनके द्वारा खाली किए गए नंबर तीन और पांच पर सबसे पहला अधिकार युवाओं का है। रवींद्र जाडेजा वापस आ गए हैं, जबकि जसप्रीत बुमराह के अनुसार नेट्स पर रविचंद्रन अश्विन आराम से खेलते दिखे, भारत का निचला क्रम सेट है। जाडेजा, ऋषभ पंत और अश्विन नंबर छह से आठ तक के स्थानों पर खेलेंगे, दो ओपनर भी सेट हैं रोहित शर्मा और मयंक अग्रवाल।

हालांकि यह नंबर तीन और पांच के लिए तीन दावेदारों के बीच एक कठिन विकल्प छोड़ता है। यहां उन पर एक नज़र।

हनुमा विहारी

अगर बात तीसरे स्थान की करें, तो यदि आप साउथ अफ़्रीका में चयन के अनुसार जाते हैं तो इस नंबर पर बदलाव तब हुआ था जब कोहली पीठ की ऐंठन के कारण दूसरे टेस्ट में नहीं खेले थे। विहारी लंबे समय से क़रीब-क़रीब ऐसे खिलाड़ी रहे हैं, जो टीम में शामिल होने के लिए काफ़ी अच्छे रहे हैं, लेकिन शीर्ष पांच में नहीं। इसलिए उन्होंने टेस्ट केवल उन्हीं परिस्थितियों में खेला है जिनमें अतिरिक्त बल्लेबाज़ की ज़रूरत होती है, जो लगभग हमेशा घर से बाहर खेले जाते हैं। तो उस संदर्भ में उनका टेस्ट औसत 34.2 है।

हनुमा के ख़िलाफ़ एक तर्क यह हो सकता है कि वह एक डिफ़ेंस को प्राथमिकता देने वाले बल्लेबाज़ हैं, जो 11 टेस्ट में 42.66 के स्ट्राइक रेट और 99 प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 48.74 के स्ट्राइक रेट से पता चलता है। गेंदबाज़ी के अनुकूल परिस्थितियों, फ़िट और अच्छी गेंदबाज़ी आक्रमण के दौर में मुख्य रूप से रक्षात्मक बल्लेबाज़ों के लिए टिकना बहुत कठिन होता जा रहा है। क्योंकि आसान स्पेल जिस पर हनुमा भरोसा करते हैं, वह शायद ही इन दिनों कभी आता है।

पुजारा इस मायने में एक अपवाद थे। वे इन कठिन परिस्थितियों में रक्षात्मक बल्लेबाज़ी को चरम पर ले गए और सफल हुए। इसके लिए काफ़ी मानसिक ऊर्जा और ज़िद लगी होगी। अगर टीम प्रबंधन विहारी में ऐसा कुछ देखता है, तो वे तीन नंबर पर बल्लेबाज़ी करने के लिए कह सकते हैं।

श्रेयस अय्यर

यह तर्क दिया जा सकता है कि अय्यर इस स्थान के वास्तविक पदाधिकारी थे जब कोहली ने साउथ अफ़्रीका में पीठ में ऐंठन महसूस की, हालांकि श्रेयस पेट ख़राब होने के कारण वह मैच नहीं खेल पाए। टीम प्रबंधन को यह कहने का मौक़ा नहीं मिला कि विहारी के खेलने का कारण अय्यर की बीमारी थी या वे विहारी को साउथ अफ़्रीका में एक बेहतर विकल्प मानते थे।

हालांकि, साउथ अफ़्रीका जाने से पहले, अय्यर ने चर्चा में आने के लिए अपनी छाप छोड़ी थी। टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करते हुए अय्यर ने एक शतक के साथ भारत को एक कठिन स्थिति से बचाया और दूसरी पारी में अर्धशतक बनाया। क़रीब चार साल में यह उनका दूसरा प्रथम श्रेणी मैच था। उस सीरीज़ में उन्होंने स्पिनरों पर हावी होने की क्षमता दिखाई, जो एक घरेलू सीरीज़ के लिए उपयोगी हो सकती है। उनका प्रथम श्रेणी रिकॉर्ड इसका समर्थन करता है: 56 मैचों में 52.1 का औसत और 80.22 का स्ट्राइक रेट।

शुभम गिल

अगर हम अवलंबी पहले बदलाव की बात कर रहे हैं, तो यह तर्क दिया जा सकता है कि गिल उसका मूल स्वरूप हैं। न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ घरेलू सीरीज़ के लिए चयन पर ध्यान दें तो विहारी को ए टीम के साथ साउथ अफ़्रीका भेजा गया था और गिल को मध्य क्रम में बल्लेबाज़ी करने की उम्मीद थी, जो कई लोगों का मानना ​​​​है कि उनका आदर्श स्थान है। हालांकि कानपुर टेस्ट की पूर्व संध्या पर केएल राहुल चोटिल हो गए। जिससे भारत के पास गिल के साथ ओपनिंग करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।

साउथ अफ़्रीका दौरे से पहले गिल की पिंडली की चोट फिर से उभर आई, जिससे गिल को मध्य क्रम में स्थानांतरित करने की योजना को स्थगित कर दिया गया। वह अब फ़िट हैं और दो स्लॉट खाली हैं। उन्हें 33 प्रथम श्रेणी मैचों में 56.56 के औसत और 69.8 के स्ट्राइक रेट के साथ तीनों बल्लेबाज़ों में सबसे पूर्ण माना जाता है। गिल ने 57 में से 44 प्रथम श्रेणी पारियां सलामी बल्लेबाज़ के रूप में खेली हैं, लेकिन इंडिया ए की उनकी 13 पारियों में से आठ पारियां और वहां बनाए गए रनों का एक हिस्सा क्रम में नीचे उतरकर आया है। तब टीम राहुल द्रविड़ के निर्देशन में खेली थी और अब द्रविड़ सीनियर टीम के कोच भी हैं।

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सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में असिस्‍टेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।