टेस्ट में कौन विकेटकीपर: राहुल, भरत या जुरेल?
क्या बेहतर बल्लेबाज़ को प्राथमिकता दी जाएगी या फिर बेहतर कीपर को?

साउथ अफ़्रीका दौरे पर भारत को टेस्ट सीरीज़ में बल्लेबाज़ी में गहराई चाहिए थी और घरेलू मैचों की तरह वे अपने ऑलराउंड स्पिन विकल्पों पर निर्भर नहीं रह सकते थे। इसलिए उन्होंने विकेटकीपर की जगह के लिए जुआ खेला। अब जब भारत अधिक परिचित घरेलू परिस्थितियों में वापस आ गया है, तो उनकी ज़रूरतें थोड़ी अलग हैं। क्या इसका मतलब यह है कि केएल राहुल की जगह ख़तरे में है? तो जवाब है हां, अच्छी तरह से।
सबसे ख़राब स्थिति की के बारे में सोचें। मैच में इंग्लैंड 'बैज़बॉल क्रिकेट' खेल रहा है। जॉनी बेयरस्टो के दिमाग़ में बस यही है कि वह आगे निकल-निकलकर खेलेंगे। ऐसे में एक गेंद पर वह बीट हो जाते हैं। आप ऐसी परिस्थितियों में विकेट के पीछे किसे देखना चाहेंगे- एक विशेषज्ञ कीपर या फिर एक पार्ट टाइमर?
भारत के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज़ दीप दासगुप्ता ने कहा, "देखिए, मुझे नहीं लगता कि राहुल को पार्ट टाइमर कहना सही है। वह भारत के लिए पूरा विश्व कप एक विकेटकीपर के तौर पर खेले। उनके लिए चुनौती यह है कि उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में ऐसा नहीं किया है। रणजी ट्रॉफ़ी जहां पर आपको 90 ओवर या हो सकता है कि उससे अधिक समय विकेटकीपिंग करनी होती है। इसलिए विकेटकीपरों के लिए इसका लगातार अभ्यास ज़रूरी है और यह आपको केवल अधिक मैच खेलने से ही प्राप्त होता है। इसे लंबे समय तक करना ही मायने रखता है।"
राहुल ने अपने 92 प्रथम श्रेणी मैचों में केवल तीन बार विकेटकीपिंग की है और इनमें से कोई भी मैच भारत में नहीं खेला गया।
दासगुप्ता ने कहा, "स्पिन ट्रैक पर अश्विन और जाडेजा के सामने मुझे नहीं लगता है कि राहुल ने पहले कभी इसका सामना किया होगा। मैं यह कहना नहीं चाहता कि साउथ अफ़्रीका की परिस्थितियों में कीपिंग करना उनके लिए आसान था, लेकिन यह भारत में अलग है। भारत में विकेटकीपर ओवर में चार या पांच गेंद में खेल में रहता है और यहां पर 90 ओवर एक दिन में हैं। आपको अंत तक वही एकाग्रता दिखानी होती है, जैसा आपने शुरुआत में किया और यह केवल अभ्यास से ही आ सकता है।"
भारत के एक अन्य पूर्व विकेटकीपर सबा करीम का कहना है कि राहुल को पता है कि विकेटकीपिंग में किन स्किल्स की मांग होती है, लेकिन अभी फ़िलहाल उनको विदेशों में ही उपयोग करने में समझदारी है। "विदेशों में ज़्यादातर समय आप तेज़ गेंदबाज़ों के साथ गेंदबाज़ी करते हैं और इससे दिमाग़ व शरीर पर कम दबाव पड़ता है। लेकिन मुझे लगता है कि घरेलू श्रृंखला के लिए भारत को एक नियमित कीपर के पास वापस जाना होगा।"
यह हमें केएस भरत के पास लाता है, जो टेस्ट टीम में हमेशा ऋषभ पंत के स्टैड-बाय रहे और जब पंत चोटिल हो गए तब भरत ने उनकी जगह ली। भरत 91 प्रथम श्रेणी मैचों में नियमित विकेटकीपर रहे हैं, जिनमें से 82 मैच भारत में हुए हैं। इसमें उन्होंने 287 कैच और 33 स्टंपिंग की है। भारत इन विकेटकीपिंग आंकड़ों को भरत की प्रथम श्रेणी रनों की संख्या से अधिक महत्वपूर्ण मान सकता है, जो फिलहाल बहुत अधिक नहीं हैं।
करीम ने कहा, "मैंने केएस भरत को देखा है। जो टेस्ट उन्होंने खेले हैं, वे मैंने देखे हैं। उनके कीपिंग कौशल में लगातार सुधार हुआ है। मुझे लगता है कि जिस तरह की पिच भारत तैयार करता है, वहां पर कीपिंग करना आसान नहीं है। उम्मीद है कि अगर वह कुछ रन भी बनाते हैं तो उन्हें अधिक आत्मविश्वास भी मिलेगा। एक ऑलराउंडर के तौर पर एक कौशल दूसरे की मदद करता है।"
भरत ने इस महीने की शुरुआत में अहमदाबाद में दो दिवसीय मैच में इंग्लैंड लायंस के ख़िलाफ़ अर्धशतक बनाया और उसके बाद अनौपचारिक टेस्ट में नाबाद 116 रन बनाए। यदि भारत उन्हें स्पिन और उछाल में विविधता से निपटने के लिए स्टंप के पीछे अपने सर्वश्रेष्ठ विकल्प के रूप में देखता है, तो इसके कारण टीम को अपने दो सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ो में से कम से कम एक बल्लेबाज़ को बाहर बिठाना पड़ सकता है। इसमें से एक वह बल्लेबाज़ है, जिसने कुछ ही सप्ताह पहले साउथ अफ़्रीका की विषम परिस्थितियों में शतक बनाया था, जो उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों में से एक भी था। यह 10 महीने बाद टेस्ट क्रिकेट में उनकी वापसी भी थी। दूसरा वह खिलाड़ी है, जो स्पिन खेलने में फ़िलहाल भारत का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ है।
दासगुप्ता ने कहा, "श्रेयस अय्यर बाहर बैठ सकते हैं। यह फ़ैसला मुश्किल होगा लेकिन केएल राहुल प्लेयिंग इलेवन में अपनी जगह गंवाने वाले नहीं हैं।" राहुल को कीपर के रूप में चुनने का प्रलोभन इस तथ्य से उपजा है कि भारत उन्हें और अय्यर दोनों को एकादश में शामिल कर सकता है। इसका मतलब है कि नंबर 6 तक ठोस बल्लेबाज़ी और नंबर 7 और 8 पर ऑलराउंडर।
एक विकेटकीपर का मतलब सिर्फ़ उनके द्वारा लिए गए कैच, उनके द्वारा की गई स्टंपिंग और उनके द्वारा बनाए गए रनों का कुल योग नहीं है। वे गेंदबाज़ के लिए जानकारी के अमूल्य स्रोत हैं।
भारत के पूर्व स्पिनर और मुख्य चयनकर्ता सुनील जोशी कहते हैं, "एक कीपर, कप्तान को बता सकता है कि विरोधी टीम का बल्लेबाज़ किस तरह से बल्ला पकड़ रहा है। मैं कहना चाहूंगा कि कीपर टीम का एक आधार है। एक स्पिनर के लिए, हमें यह जानकर ज़बरदस्त आत्मविश्वास मिलता है कि स्टंप के पीछे एक सुरक्षित हाथ है।"
"कर्नाटका में अविनाश वैद्य और [सोमशेखर] शिरागुप्पी के साथ मेरी हमेशा अच्छी साझेदारी रही क्योंकि मुझे पता था कि वे मुझे बताएंगे कि बल्लेबाज़ क्या करने की कोशिश कर रहा है। यदि वह गेंद तक पहुंचे बिना गेंद को फ़्लिक करना चाह रहा है, तो यह मेरे और उन दोनों कीपरों के बीच संवाद का भी हिस्सा था। कीपर आपको एक संकेत देंगे कि स्पिनर कहां बेहतर हो सकते हैं। यदि आप मुझसे पूछें कि जब एमएस [धोनी] विकेटकीपिंग कर रहे थे तो कुल-चा [कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल] सफल क्यों थे। क्योंकि वे एमएस की बात सुन रहे थे कि उन्हें कहां गेंदबाज़ी करने की ज़रूरत थी। यही एक विशेषज्ञ कीपर का मूल्य है।"
जोशी ने ध्रुव जुरेल पर भी अपनी राय रखी, जिन्हें वह घरेलू क्रिकेट में कोचिंग दे चुके हैं। 22 वर्षीय जुरेल ने केवल 15 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं लेकिन वह इंग्लैंड के ख़िलाफ़ चुनी गई टीम का हिस्सा हैं।
"सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात, वह बहुत विनम्र हैं। वह खेल के प्रति बहुत ईमानदार हैं। अपनी कार्य नीति के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता है। जब भी वह भारत ए दौरे से वापस आते हैं तो बातचीत करते हैं। सर, क्या आपने मेरी बैटिंग देखी? क्या आपने मेरी कीपिंग देखी? आपको क्या लगता है मैं क्या सुधार कर सकता हूं?"
"और हर बार जब हमारी बातचीत होती है और वह भारत ए टूर्नामेंट या देवधर ट्रॉफ़ी या किसी एनसीए शिविर में वापस जाता है, तो वह और अधिक सवालों के साथ वापस आता है। वह और अधिक प्रतिबद्ध होकर वापस आता है और मुझे बहुत ख़ुशी महसूस हो रही है क्योंकि यहां एक ऐसा व्यक्ति है जो इतनी ज़िम्मेदारी लेता है। वह अपने खेल को समझना चाहता है। वह हर दिन, हर सत्र में सुधार करना चाहता है।"
2018 में इंग्लैंड और बाद में वेस्टइंडीज और साउथ अफ़्रीका 2023 में भारत ने अपने दूसरे कौशल के लिए एक विकेटकीपर चुना। क्या यह संभव है कि टीमों ने इस स्थिति को अलग ढंग से देखना शुरू कर दिया है? क्या संतुलन इस बिंदु पर बदल गया है कि एक कीपर की बल्लेबाज़ी क्षमता को उसके ग्लववर्क पर प्राथमिकता दी जाती है?
करीम ने कहा, "नहीं टेस्ट में ऐसा नहीं है। और ऐसा होना भी नहीं चाहिए क्योंकि यह पांच दिन तक खेला जाता है। तो आपको एक विशेषज्ञ की ज़रूरत है, लेकिन मुझे लगता है कि डिमांड अब बदल चुकी है क्योंकि आपको एक विशेषज्ञ कीपर बतौर ऑलराउंडर चाहिए।"
दासगुप्ता ने कहा, "ऐसा नहीं है कि पिछले विकेटकीपरों में बल्लेबाज़ी की क्षमता नहीं थी। रॉड मार्श, ऐलन नॉट, वे तो 70 के दशक के थे।" भरत को भारत का सबसे अच्छा कीपर माना जाता है, लेकिन पहले पंत, फिर इशान किशन और अंत में राहुल के लिए हर मौके़ पर उन्हें नज़रअंदाज़ किया गया।
जोशी, जो 2020 और 2022 के बीच चयन पैनल में थे कहते हैं, "केएस हमारी समिति के तहत ही आए थे और उन्होंने एक कीपर के रूप में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन एक बल्लेबाज़ के रूप में, हमें जो उम्मीद थी, वह नहीं कर पाए। ऐसा नहीं है कि उन्हें ऐसा करना था। हमने उन्हें उनकी बल्लेबाज़ी के लिए नहीं चुना, लेकिन हमें उम्मीद थी कि वह योगदान देंगे और उन्होंने ऐसा किया। मुझे अभी भी उनका पहला टेस्ट याद है, जब न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ कानपुर में ऋद्धिमान साहा की गर्दन में अकड़न हो गई थी, तब उन्होंने निचले और धीमे विकेट पर ज़बरदस्त कीपिंग की थी, लेकिन उसके बाद उन्होंने एक कीपर के तौर पर अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन एक बल्लेबाज़ के रूप में वह उस स्तर तक नहीं पहुंच सके।"
निःसंदेह, बहुत सारे सवाल हैं, जिसका सही उत्तर कुछ दिन बाद ही मिलेगा। तो चलिए मिसाल पर नज़र डालते हैं। भारत घरेलू मैदान पर साहा और विदेश में पंत के साथ गया क्योंकि उन्हें घरेलू मैदान पर सर्वश्रेष्ठ कीपर और विदेश में बेहतर बल्लेबाज़ पसंद है। गुरुवार को हैदराबाद में एक बार फिर ऐसा ही हो सकता है।
अलगप्पन मुथु ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।
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