बटलर को पता है कि उन्हें अपने खेल को कैसे बढ़ाना है : संगकारा
'उनको इस सीज़न की शुरुआत में ही सलामी बल्लेबाज़ी की स्पष्ट भूमिका दे दी गई थी'

तीन शानदार शतक और 151 के स्ट्राइक रेट से 588 रन बनाने के साथ जॉस बटलर इस सीज़न में सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़ हैं। राजस्थान रॉयल्स के क्रिकेट निदेशक कुमार संगकारा ने उनकी प्रशंसा में कई कसीदे पढ़े हैं और कहा है कि वह गेम के सबसे अच्छे रीडर में से एक हैं।
जॉस बटलर के लिए आईपीएल की सफलता कोई नई नहीं है, लेकिन इस साल वह अलग ही रंग में नज़र आ रहे हैं? उनके आगे-पीछे कोई नहीं है। आप क्या सोचते हैं, ऐसा कैसे संभव हुआ?
उनको इस सीज़न की शुरुआत में ही सलामी बल्लेबाज़ की एक स्पष्ट भूमिका दे दी गई थी। पिछले साल की तरह वह नंबर तीन, नंबर चार या किसी अन्य भूमिका के लिए संशय में नहीं थे।
हमें महसूस हुआ कि वह पिछले कुछ सालों में विश्व के सर्वश्रेष्ठ टी20 सलामी बल्लेबाज़ों में से एक हैं। हमने पिछले सात महीनों में उनका कुछ सालों का डाटा लेकर इसका विश्लेषण किया। हमारी एक एनालिटिकल टीम इस पर अलग से काम करती है, जो डाटा का विश्लेषण कर बताती है कि कौन सा खिलाड़ी किस जगह पर अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकता है। इससे हम खिलाड़ी को उसकी भूमिका देते हैं और खिलाड़ी को भी उस आधार पर अपना खेल विकसित करने में मदद मिलती है।
अगर उनकी तकनीक देखें, तो पावरप्ले में उनको पिच पर टिकने और फिर खुल के अपना शॉट खेलने में मदद मिलती है। वह दो से तीन ओवर में अपनी लय पा जाते हैं और फिर मैदान पर जो करते हैं, वह आपको पता ही है।
लेकिन उनकी शुरुआत तो धीमी होती है?
जॉस को पता है कि अगर वह पिच पर टिके रहें तो उनकी पारी बेहतर से बेहतर होती जाएगी। इसलिए जब नई गेंद स्विंग या सीम होती है, तो वह जल्दबाज़ी में नहीं आते हैं, बल्कि सही समय का इंतज़ार करते हैं। अगर वह 14वें या 15वें ओवर तक टिके हुए हैं, तो वह निश्चित रुप से शतक बनाएंगे। पिछले सीज़न में सनराइज़र्स हैदराबाद के ख़िलाफ़ उन्होंने ऐसा किया था।
पहली 35 गेंदों पर उनके नाम सिर्फ़ 35 रन थे, लेकिन 56 गेंदों में उनके नाम शतक भी था। उनके पास खेल की बहुत ही अच्छी समझ है। उनको पता होता है कि खेल की परिस्थितियां और पिच क्या कह रही हैं और कैसे उन्हें अपने खेल को आगे बढ़ाना है।
उनका गेमप्लान क्या होता है?
वह जैसा महसूस करते हैं, वैसा ही मैदान पर करते हैं। उनका गेम प्लान इतना ही सिंपल है। इस सीज़न मुंबई इंडियंस के ख़िलाफ़ पहले मैच में बुमराह ने बहुत ही बढ़िया ओवर किया। इसके बाग डेनियल सैम्स और बेसिल थंपी गेंदबाज़ी पर आए। हमें ड्रेसिंग रुम के अंदर से लग रहा था कि उन्हें थंपी पर निशाना साधना चाहिए और ऐसा ही हुआ। थंपी के ओवर में उन्होंने 26 रन बनाए। जब भी लगता है कि धागा खोलने का समय आ गया है, वह धागा खोल ही देते हैं।
उनकी शुरुआत बहुत सामान्य होती है, लेकिन समय बढ़ने के साथ-साथ उनको अपना मोमेंटम मिलता जाता है। उन्हें पता है कि कब स्विच ऑफ़ और ऑन करना है। इसलिए वह इस सीज़न में इतना सफल हुए हैं।
इस सीज़न में उन पर कोई भी गेंदबाज़ भारी पड़ता नहीं दिख रहा है, इसका क्या कारण है?
वह स्पिन और तेज़ गेंदबाज़ी दोनों के ख़िलाफ़ बहुत बेहतरीन हैं। कई महान बल्लेबाज़ भी दोनों में से सिर्फ़ एक को बेहतर ढंग से खेल पाते हैं। लेकिन जॉस के साथ ऐसा नहीं है। उनके पास दोनों के ख़िलाफ़ आक्रामक शॉट हैं। वह स्वीप करते हैं, पैडल स्वीप करते हैं और रिवर्स भी मारते हैं। उनका हाथ बहुत तेज़ चलता है और उनके शॉट में ताक़त भी होती है। वह शारीरिक रुप से भी बहुत मज़बूत हैं। बैकफ़ुट से भी वह पंच मारते हैं, तो गेंद का चौका जाना अनिवार्य है। अगर आपके आप ऐसे शॉट, ऐसी ताक़त है तो आपको निश्चित रुप से आत्मविश्वास मिलेगा और यह उनके खेल में दिखता भी है।
जब मैं खेलता था, तो छक्का मारने के लिए कई बार सोचना पड़ता था, दिमाग़ बहुत सी चीज़ें कैलकुलेट करती है। मैं रिवर्स स्वीप भी नैसर्गिक रुप से नहीं मार पाता था। मेरे रन बनाने के एक निश्चित तरीक़े थे, लेकिन जॉस अपवाद हैं। वह मैदान के हर छोर पर शॉट लगाते हैं। वह तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ पैडल करते हैं, उन पर चहलक़दमी कर सामने से मारते हैं और क्रीज़ के भीतर जाकर एक्स्ट्रा कवर के ऊपर से भी प्रहार करते हैं। जब वह शॉट खेलते हैं, तो उनकी कोई कमज़ोरी नहीं दिखती है। हां, धीमी और पकड़ती हुई पिचों पर उन्हें थोड़ी परेशानी आती है, लेकिन अगर वह उनके ख़िलाफ़ संघर्ष करते हैं, तो वहां भी उनको रन मिलने लगते हैं।
वह लंबी पारियां खेलने में विश्वास रखते हैं। सिर्फ़ पावरप्ले में बल्लेबाज़ी कर वह संतुष्ट नहीं हो सकते। वह अपने खेल को 12वें, 14वें, 15वें ओवर तक ले जाते हैं, जिससे टीम को एक बड़ा स्कोर खड़ा करने में मदद मिलती है।
स्पिन के ख़िलाफ़ उनकी क्या रणनीति रहती है?
अगर आप जोखिम नहीं लेंगे, तो आपको ईनाम भी नहीं मिलेगा। जॉस इसको बेहतर ढंग से समझते हैं। वह कुछ स्पिनरों के ख़िलाफ़ क़दमों का प्रयोग करते हैं, लेकिन जिनके ख़िलाफ़ वह संघर्ष करते हैं, उन्हें सम्मान भी देते हैं। वह बैकफ़ुट पर जाकर स्पिनरों को कवर के ऊपर से मारते हैं। केकेआर के ख़िलाफ़ पहले मैच में उन्होंने वरुण चक्रवर्ती की गेंद को बैकफ़ुट से ही पंच कर दिया और गेंद उनके ऊपर से साइट-स्क्रीन को पार कर गई। जब स्पिनर फ़ुल गेंद करते हैं, तो वह आगे निकलकर उन्हें मारने लगते हैं। टी20 मैचों में स्पिन गेंदबाज़ों के पास वैसे भी ज़्यादा कुछ नहीं रहता और जब आपके सामने जॉस हो तो आप और दबाव में आ जाते हैं।
सिर्फ़ राशिद ख़ान और कुछ हद तक सुनील नारायण ही उनके ख़िलाफ़ अच्छी गेंदबाज़ी कर सके हैं। हालांकि उन्होंने भी जॉस को सिर्फ़ रन बनाने से रोका है, आउट वे भी नहीं कर सके हैं।
एक क्रिकेट निदेशक के रुप में क्या आप उन्हें उनकी तैयारियों के लिए मुक्त छोड़ देते हैं?
जॉस ऐसे व्यक्ति हैं जो अपनी तकनीक और बल्लेबाज़ी शैली के बारे में बहुत सोचते हैं। वह हमेशा सीखने के लिए भी तैयार रहते हैं। वह अपनी बल्लेबाज़ी के बारे में गंभीरता से बात करते हैं। अभ्यास करने का उनका अपना एक तरीक़ा है, जहां पर वह बहुत कठिन मेहनत करते हैं। मेरा काम बस उन्हें परिणाम दिखाना और यह बताना है कि ऐसा क्यों हो रहा है।
क्या आपको लगता है कि विपक्षी टीमें बटलर के फ़ॉर्म के कारण सिर्फ़ उनके बारे में ही सोच रही हैं, जिससे आपके अन्य बल्लेबाज़ों को फ़ायदा हो रहा है?
विरोधी टीमें नई गेंद से एक निश्चित पैटर्न के साथ जॉस को आउट करने की कोशिश कर रही हैं, जिसके बारे में जॉस को भी पता है। वे उनके ख़िलाफ़ यॉर्कर और धीमी गेंदों का प्रयोग कर रही हैं। इसके अलावा उनके पैडल शॉट को रोकने के लिए पावरप्ले में ही उनके ख़िलाफ़ लेग साइड में दो क्षेत्ररक्षक रखे जाते हैं, लेकिन जॉस को पता रहता है कि उनके ख़िलाफ़ क्या आने वाला है और वह उसकी तैयारी कर के रखते हैं। जब आप छक्का मारने जाते हैं, तब आप वैसे ही फ़ील्ड की कोई परवाह नहीं करते हैं। आपको तो उस वक़्त किसी क्षेत्ररक्षक को नहीं बल्कि मैदान को ही पार करना होता है।
जब वह स्ट्राइक पर रहते हैं तो विरोधी टीमें अपने सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ों को बार-बार गेंदबाज़ी पर लाती हैं। हां, इससे अन्य बल्लेबाज़ों को थोड़ा आसान हो जाता है। इससे टीम पर सकारात्मक प्रभाव ही पड़ता है। इसके अलावा जॉस भी अपनी बल्लेबाज़ी से अन्य बल्लेबाज़ों के लिए उचित माहौल तैयार कर देते हैं।
इस सीज़न की उनकी कौन सी पारी को आप सर्वश्रेष्ठ या सबसे महत्वपूर्ण आंकते हैं?
बेंगलुरु के ख़िलाफ़ पारी में पहले उन्होंने संघर्ष किया और फिर धीरे-धीरे अपना मोमेंटम पकड़ा। इससे मेरा भी यह विश्वास बढ़ा कि अगर वह कठिन समय को निकाल लेते हैं, तो वह अपनी पारी को और भी तेज़ी से बढ़ाते हैं। इस तरह की पारी उनके असली चरित्र को दिखाती है, जो किसी शतक से भी बड़ी है। वह ऐसी पारियों को बहुत ही चतुराई से आगे बढ़ाते हैं।
पैट कमिंस, सुनील नारायण, वरुण चक्रवर्ती और उमेश यादव जैसे गेंदबाज़ों के सामने उन्होंने कोलकाता के ख़िलाफ़ जो शतक लगाया, उस पर आप क्या कहेंगे?
तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ उनकी योग्यता को हम सब जानते हैं। वह उन्हें सीधे बल्ले से खेलते हैं और बाउंड्री प्राप्त करते हैं, लेकिन उस दिन उन्होंने चक्रवर्ती पर बैकफ़ुट पर पंच करके छक्का लगाया, जो मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण था। इसके बाद चक्रवर्ती का हौव्वा उड़ गया और कोलकाता के अन्य गेंदबाज़ों में भी जॉस का डर बैठ गया। इसके बाद सिर्फ़ जॉस ने ही नहीं हमारे सभी बल्लेबाज़ों ने रन बनाए। उनके इस शॉट ने ना सिर्फ़ उन्हें बल्कि पूरी टीम को आत्मविश्वास दिया।
क्रिकेट कितनी भी तेज़ हो गई हो, लेकिन टी20 में शतक लगाना अभी भी आसान नहीं है। अगर कोई बल्लेबाज़ 50 या 60 का स्कोर करता है तो उसे लगता है कि उसने अपना काम कर दिया है, लेकिन जॉस के साथ ऐसा नहीं है। अगर वह शुरुआत करते हैं, तो आपको वह पारी के अंत तक ले जाएंगे और फिर तो शतक बनना अनिवार्य ही है।
ऐंड्रयू फ़िडेल फ़र्नांडो ESPNcricinfo के श्रीलंका संवाददाता हैं
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