कैसे क्विंटन और रिंकू ने अपने प्रदर्शन से जीता दिल
कोलकाता के एकादश का हिस्सा बनने के लिए रिंकू को काफ़ी लंबा इंतज़ार करना पड़ा
हां या ना : कोलकाता को रिंकू सिंह के तौर पर फ़्यूचर फ़िनिशर मिल गया है
कोलकाता के ख़िलाफ़ लखनऊ की जीत से जुड़े कुछ अहम सवालों पर रवि शास्त्री का फ़ैसलाक्विंटन डिकॉक के पास एक पोकर चेहरा है। पोकर चेहरे को तटस्थ और भाव रहित बने रहने के लिए काफ़ी मशक्कत करनी पड़ती है। पोकर चेहरा बताता है कि व्यक्ति मैदान में लुत्फ़ उठा रहा है। डिकॉक लगभग वहां नहीं रहना चाहते। ऐसा प्रतीत हो जैसे उन्हें बाक़ी दुनिया से निपटना हो, उन्हें एक ऐसी चीज़ की क़ीमत चुकानी पड़ रही है जिसे वह सबसे अधिक प्रेम करते हैं और वह है क्रिकेट खेलना।
यही वजह है कि शतक तक पहुंचने पर उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं दिखा। वह सजदे की तरह ही मैदान पर घुटनों के बल झुके लेकिन ऐसा लगा जैसे वह यह निर्णय नहीं कर पा रहे हैं कि आख़िर उन्हें मैदान को चूमना है या अपना सिर झुकाना है। हालांकि वहां भी बीच में उनका हेल्मेट था। यह एक स्वतः किया गया कार्य था जो कि यह बताने के लिए काफ़ी था कि वह भावनाओं के प्रदर्शन के लिए अभ्यस्त नहीं हैं।
लखनऊ सुपर जायंट्स के सहायक कोच विजय दहिया ने हमें बताया कि आख़िर डिकॉक की इस तरह के सेलिब्रेसन के पीछे क्या वजह थी। डिकॉक पिछले दो तीन मैचों से लगातार दहिया से अपने प्रदर्शन को लेकर यह कह रहे थे कि जिस दिन उनकी बारी आएगी वह एक बड़ी पारी खेलेंगे।
मैच के बाद स्टार स्पोर्ट्स से बात करते हुए डिकॉक ने भी कहा, " यह वह हताशा थी जो बाहर आ गई। पिछले कुछ मैचों में मैं जिस तरह से आउट हो रहा था उसको लेकर मैं खु़श नहीं था। मैं अच्छा तो महसूस कर रहा था लेकिन यह मेरे प्रदर्शन में नहीं झलक रहा था। लिहाज़ा यह एक अच्छी अनुभूति थी क्योंकि आख़िरकार मैंने काम कर दिया था। बस थोड़ा सा अपनी भावनाओं को सामने ला रहा था, मैं इसे भीतर रखने की कोशिश कर रहा था लेकिन जब मैंने इसे जाने दिया तो यह बस हो गया।"
अपनी इस लंबी पारी में डिकॉक कुछ अलग ही अंदाज़ में दिखे। उन्होंने बल्लेबाज़ी के दौरान सुनील नारायण की गेंदों पर प्रहार करने से भी ख़ुद को नहीं रोका। जबकि आईपीएल में स्पिन के ख़िलाफ़ खुद उनका औसत रिकॉर्ड और 116.37 का स्ट्राइक रेट यह बताता है कि वह स्पिन गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ बड़ा शॉट खेलने से कतराते हैं। हालांकि बुधवार को डिकॉक अलग ही अवतार में थे। सुनील नारायण, जिनकी गेंदों पर बल्लेबाज़ जोखिम उठाने से बचते हैं, उनकी और कोलकाता के तमाम स्पिन गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ डिकॉक ने 28 गेंदों पर 51 रन जड़ डाले।
अंत में, हमने एक भाव रहित डिकॉक को वापस आता देखा। दूसरी तरफ़ एक व्यक्ति ऐसा और था जो नहीं चाहता था कि यह रात ख़त्म हो। भले ही कुछ क्षणों के लिए लेकिन उसने अपनी टीम को जीत की दहलीज़ पर लाकर खड़ा कर दिया था। इस सीज़न में इस खिलाड़ी को एक सब्सटीट्युट फ़ील्डर से एक बल्लेबाज़ के रूप में परिवर्तित होते देखा गया है, जिस पर सबकी नज़रें टिकी हुई हैं। साल दर साल रिंकू सिंह को टीवी पर गेंदों के पीछे दौड़ते देखा गया और उन्हें खेलने का मौक़ा नहीं मिला। यह सीज़न भी कुछ अलग नहीं था। उन्हें कोलकाता के आठवें मैच में खेलने का अवसर मिला जब कोलकाता सात मुक़बालों में से चार मैच हार चुकी थी।
तीसरे मैच की सुबह, रिंकू ने अपने हाथ पर "50" का डूडल बनाया और उसके नीचे एक दिल खींच दिया। शाम को उन्होंने 23 गेंदों में नाबाद 42 रन बनाकर राजस्थान रॉयल्स को मात दी। नाइट राइडर्स के ट्विटर हैंडल पर कोच ब्रेंडन मक्कलम का एक वीडियो है जिसमें रिंकू से बात करते समय नितीश राणा को दुभाषिया के रूप में इस्तेमाल किया गया है, लेकिन रिंकू ने वास्तव में शब्दों की आवश्यकता के बिना मक्कलम से संवाद किया है।
मक्कलम ने कोलकाता की वेबसाइट को बताया , "रिंकू के पहले मैच से पहले मैं खु़शक़िस्मत रहा कि मुझे उनके साथ वक़्त बिताने का कुछ मौक़ा मिला। वह प्रतियोगिता में अपनी छोप छोड़ने के लिए बेताब थे और उन्होंने अपने पहले ही मैच में कर भी दिखाया। वह एक बेहतरीन टीम मैन हैं और उतने ही अच्छे इंसान भी हैं। उनके बड़े भाई और नितीश राणा भी उनके साथ थे और मुझे लगता है कि इससे उन्हें बहुत आत्मविश्वास मिला। कुछ खिलाड़ी सिर्फ चीज़ों को अपने हिसाब से करने के लायक हैं और रिंकू उनमें से एक हैं।"
अंतिम विडंबना में, रिंकू ने अपनी शानदार बल्लेबाज़ी की बदौलत कोलकाता को एक ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया था जहां से उन्हे दो गेंदों में तीन रन बनाने थे। हालांकि इस सीज़न में अब तक शायद ही प्रभावित करने वाले एविन लुईस के शानदार प्रयास की वजह से रिंकू को पवेलियन लौटना पड़ा।
मक्कलम ने कोलकाता के कोच के रूप में अपने आख़िरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इंग्लैंड के साथ उनके टेस्ट कोच के रूप में जुड़ने से पहले कहा, "अच्छे लगों के साथ अच्छी चीज़ें होती हैं। रिंकू की एक अविश्वसनीय कहानी है। एक ऐसा शख्स जो अब पांच साल से आईपीएल से जुड़ा हुआ है। वह इतने लंबे समय से बाहर बैठा रहा, उसने इतनी मेहनत की है, वह हर दिन टीम को देता है। उसे अपने मौके के लिए इंतज़ार करना पड़ा है लेकिन उसने इस मौक़े को बखूबी भुनाया। वह सभी सही कारणों से खेल खेलते हैं। वह सभी कारण जो मुझे एक कोच के रूप में और क्रिकेट के एक प्रशंसक के रूप में पसंद हैं। वह एक ऐसा लड़का है जिसे आप वास्तव में अच्छा करते देखना चाहते हैं।"
सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में असिसटेंट ए़डिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में एडिटोरियल फ़्रीलांसर नवनीत झा ने किया है।
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