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CSK vs LSG रिपोर्ट कार्ड : धोनी के दो छक्के और मोईन अली की फिरकी साबित हुई निर्णायक

मोईन के चार विकेट न होते तो मैच का नतीज़ा लखनऊ की तरफ़ झुक ही गया था

मोईन अली को गेंद थमाना सीएसके के लिए संजीवनी साबित हुआ  BCCI

चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) ने सोमवार शाम को लखनऊ सुपर जायंट्स के साथ हुए सुपर मुक़ाबले में सीएसके चेपॉक पर 200 से अधिक के स्कोर बनाकर कभी न हारने के अपने रिकॉर्ड को क़ायम रखने में क़ामयाब हो गई। हालांकि यह रिकॉर्ड क़ायम नहीं रह पाता अगर मोईन अली के चार विकेट और अंतिम ओवर में महेंद्र सिंह धोनी के दो छक्के नहीं होते। हम दोनों टीमों के विभिन्न क्षेत्रों में किए प्रदर्शन पर नज़र दौड़ाते हैं और उन अहम पहलुओं को टटोलने का प्रयास करते हैं कि मैच का पासा कहां पलट सकता था।

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बल्लेबाज़ी

सीएसके (A+) - बल्लेबाज़ी में सीएसके ने धमाकेदार शुरुआत की। ऋतुराज गायकवाड़ ने सबसे पहले आक्रमण का मोर्चा संभाला और पावरप्ले में ही टीम का स्कोर 70 के पार पहुंचा दिया। गायकवाड़ जब आउट हुए तब सलामी साझेदारी 110 रनों की हो गई थी। हालांकि इसके बाद मध्य ओवरों में सीएसके की रफ़्तार धीमी पड़ गई और रवि बिश्नोई ने तीन विकेटों से सीएसके को बैकफ़ुट पर धकेल दिया, लेकिन शिवम दुबे शुरू में छोटी गेंदों पर संघर्ष करते नज़र आए लेकिन इसके बाद उन्होंने कुछ बड़े शॉट्स खेलकर सीएसके की बल्लेबाज़ी को वापस पटरी पर ला दिया। डेथ में अंबाती रायुडू की छोटी मगर उपयोगी पारी और अंतिम ओवर में महेंद्र सिंह धोनी के दो छक्कों की बदौलत सीएसके ने स्कोर बोर्ड पर बड़ा स्कोर टांग दिया।

एलएसजी (A) - एक बड़े स्कोर का पीछा करने उतरी लखनऊ को केएल राहुल और काइल मेयर्स ने वैसी ही शुरुआत दिलाई जिसकी उम्मीद थी। दोनों बल्लेबाज़ों के सामने सीएसके के तमाम गेंदबाज़ बेबस दिखे। हालांकि इसके बाद सीएसके के स्पिनर्स के सामने विकेटों की झड़ी लग गई। मध्य ओवरों में सीएसके ने लखनऊ पर काबू पाया। हालांकि अंत में निकोलस पूरन ने सीएसके के जबड़े से मैच छीनने की कोशिश ज़रूर की लेकिन वह नाकाम रह गए।

गेंदबाज़ी

सीएसके (B) - सीएसके के लिए गेंदबाज़ी की शुरुआत उनकी बल्लेबाज़ी के अनुरूप नहीं रही। लखनऊ की सलामी जोड़ी के सामने चेन्नई के तमाम गेंदबाज़ बेबस दिखाई दिए। गेंदबाज़ों पर बने दबाव की बानगी यह थी कि तुषार देशपांडे ने मेयर्स के सामने अपने पहले ओवर में कुल 11 गेंदें डाली। दीपक चाहर भी लाइन और लेंथ से भटके हुए दिखाई दिए। वह सीएसके के सबसे महंगे गेंदबाज़ भी साबित हुए। पावरप्ले के बाद कप्तान धोनी स्पिनर्स को आक्रमण पर लेकर आए और मोईन अली (छठा ओवर) और सैंटनर ने सीएसके की मैच में वापसी करा दी। मोईन के चार विकेटों ने मैच पर दबदबा बना दिया। एक बार दबाव बनाने के बाद सीएसके भले ही लखनऊ पर पूरी तरह से दबाव कायम नहीं रख पाई लेकिन फिर भी स्कोर इतना बड़ा था कि जीत लखनऊ से दूर रह गई।

एलएसजी (C) - सीएसके की धुआंधार शुरुआत के बाद लखनऊ के गेंदबाज़ी में तमाम परिवर्तन विफल हो रहे थे। आलम यह था कि बिश्नोई को जब दसवें ओवर में गेंद थमाई गई तो वह इस मुक़ाबले में अपनी टीम की तरफ़ से गेंदबाज़ी करने वाले सातवें गेंदबाज़ थे। हालांकि सीएसके के मोईन की तरह ही बिश्नोई ने अपनी फिरकी से मैच का पासा पलटने की कोशिश ज़रूर की। हालांकि इसके बाद भी लखनऊ की गेंदबाज़ी सीएसके को बड़ा स्कोर बनाने से नहीं रोक पाई।

क्षेत्ररक्षण

सीएसके (B) - शुरुआत में सीएसके की फ़ील्डिंग उतनी असरदार नहीं दिखी। मेयर्स जब एक छोर से आक्रमण कर रहे थे तब 30 गज़ के दायरे के भीतर के फ़ील्डर केएल राहुल को स्ट्राइक पर बनाए रखने में असफल साबित हुए। गायकवाड़ के ओवरथ्रो को भी राजवर्धन हंगारगेकर बैक अप प्रदान नहीं कर पाए। हालांकि लखनऊ के पहले तीन विकेट बाउंड्री लाइन पर कैच के ज़रिए झटके गए और सीएसके को मैच में वापसी कराने में इन कैचों ने भी अहम योगदान निभाया। 17वें ओवर में भी थर्ड मैन पर कृष्णाप्पा गौतम का कैच टपकाया गया।

लखनऊ (A) - फ़ील्डिंग के क्षेत्र में लखनऊ का प्रदर्शन काफ़ी सराहनीय रहा। उन्होंने कैच के चांसेस मिस नहीं लिए। बिश्नोई को उनकी पहली गेंद पर गायकवाड़ का विकेट नहीं मिला होता अगर शॉर्ट थर्ड मैन पर मार्क वुड ने लाजवाब कैच नहीं लपका होता। डीप मिडविकेट पर क्रुणाल पंड्या का कॉन्वे का कैच बारंबार देखने लायक है।

रणनीति

सीएसके (A) - लखनऊ की तरह ही कप्तान धोनी ने भी स्पिनर्स को लाने में थोड़ी देर कर दी। हालांकि एक बार स्पिनर्स को आक्रमण पर लाने के बाद उन्होंने विपक्षी टीम पर आक्रमण जारी रखा। बल्लेबाज़ी में धोनी ने आज शिवम दुबे को तीसरे नंबर पर भेजा, जिससे उन्हें क्रीज़ पर अपना समय व्यतीत करने या यूं कहें कि संघर्ष करने का भरपूर अवसर मिला। दुबे ने एक छोटी पारी ज़रूर खेली लेकिन उनके चंद बड़े शॉट्स ने सीएसके को एक बड़े स्कोर तक ले जाने में अहम योगदान निभाया।

लखनऊ (B) - गेंदबाज़ी के लिए प्रतिकुल इस पिच पर अगर राहुल ने सबसे बड़ी गलती की तो वह यह थी कि वह अपने सबसे प्रमुख स्पिनर को दसवें ओवर में सातवें गेंदबाज़ के तौर पर लाए। मतलब उन्होंने बिश्नोई को अपने सबसे अंतिम विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया। बिश्नोई ने तीन विकेट ज़रूर लिए लेकिन सीएसके ने पहले ही इतना बेहतरीन स्टार्ट ले लिया था कि बिश्नोई की फिरकी भी सीएसके पर दबाव नहीं बना पाई।

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