पावरप्ले से डेथ-ओवर्स का विशेषज्ञ बनने तक संदीप शर्मा के करियर का बदलाव
ट्रेंट बोल्ट के होने के कारण संदीप को राजस्थान रॉयल्स में मिली है एक नई भूमिका

अपनी आंखें बंद करने के बाद आपको संदीप शर्मा के बारे में क्या दिखता है? स्विंग गेंदबाज़, हवा में धीमी गति से गेंद फ़ेंकने वाले गेंदबाज़? या फ़िर डेथ ओवर्स में एक उंगली को हवा की ओर करके जश्न मनाता कोई गेंदबाज़ जिसने नो-बॉल के चक्कर में आख़िरी गेंद दोबारा फ़ेंकी और अपनी टीम के लिए मैच गंवा दिया?
इन सभी बातों को अगर आप याद कर चुके हैं तो ये भी याद रखिए कि राजस्थान रॉयल्स ने पिछले साल उन्हें तभी अपने साथ जोड़ा था जब वह नीलामी में नहीं बिके थे। इस टीम के पास ट्रेंट बोल्ट के रूप में संभवतः नई गेंद से सबसे अच्छी गेंदबाज़ी करने वाला एक गेंदबाज़ है जो पहले ओवर में ही विकेट लेने का आदी है।
बोल्ट के होने के कारण उस टीम में ऐसे गेंदबाज़ के लिए क्या जगह बनेगी जो पावरप्ले का सबसे सफल गेंदबाज़ रहा है और जिसका इस्तेमाल पावरप्ले से बाहर केवल एक ही ओवर के लिए किया जाता रहा है। राजस्थान ने उनका इस्तेमाल डेथ ओवर्स के लिए करने का निर्णय लिया जो उन्होंने बहुत कम किया हुआ है।
करियर में इतना आगे जाने के बाद ख़ुद को दोबारा नए सिरे से तैयार करना आसान काम नहीं होता है, लेकिन उन्होंने ख़ुद को प्रभावी करने के लिए मेहनत की है। संदीप की धारणा यह है कि अगर वह अपनी फ़ील्ड के हिसाब से गेंदबाज़ी करते हैं तो फ़िर उन्हें उस गेंद को सटीक रूप से फेंकना होगा। संदीप की सबसे कारगर गेंद यॉर्कर रही है। इसके अलावा वह धीमी गति की बाउंसर और नकल बॉल भी डालते हैं।
यह सोचना मुश्किल है कि भुवनेश्वर नहीं होते तो संदीप को भारत के लिए दो टी20आई ही खेलने का मौक़ा मिलता, लेकिन अब तो भुवनेश्वर की भी जगह टीम में नहीं है। संदीप पावरप्ले में अपना रोल बोल्ट को देने और ख़ुद दूसरा रोल निभाने में भी संतुष्ट हैं। लखनऊ सुपर जॉयंट्स के ख़िलाफ़ संदीप को 15वें ओवर में पहली बार गेंदबाज़ी करने का मौक़ा मिला था और उन्हें तीन ओवर लगातार मैच के सबसे मुश्किल समय में डालना था।
निकोलस पूरन, मार्कस स्टॉयनिस और केएल राहुल के होने के बावजूद संदीप ने 3-0-22-1 के आंकड़े के साथ राजस्थान को मैच जिताया।
संदीप ने कहा, "मुझे कभी भी नई गेंद के साथ स्पेल की शुरुआत इतने वाइड लाइन के साथ नहीं करनी पड़ी, लेकिन आज मुझे ऐसा करना पड़ा। मैनेजमेंट ने साफ़ तौर पर मुझे बता दिया है कि मैं अधिकतर गेंदबाज़ी कहां करने वाला हूं और इसीलिए नेट्स पर मैं यॉर्कर और धीमी गति की बाउंसर का ही अभ्यास करता हूं।"
राजस्थान के कप्तान संजू सैमसन ने प्लेयर ऑफ़ द मैच का अवार्ड जीता, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि उनका प्रभाव 52 गेंदों में आया था और संदीप ने केवल 18 गेंदों में ही अपना प्रभाव दिखा दिया था। सैमसन ने तो यह तक कह दिया कि संदीप को प्लेयर ऑफ़ द मैच होना चाहिए था।
सैमसन ने कहा, "मुझे लगता है कि ट्रॉफ़ी उसके पास जानी चाहिए थी। अगर उन्होंने वो तीन ओवर्स नहीं फेंके होते तो मैं यहां प्लेयर ऑफ़ द मैच ट्रॉफ़ी के साथ खड़ा नहीं होता। मैंने उन्हें यहां बुलाने का सोचा था, लेकिन फ़िर लगा कि ज़्यादा हो जाएगा।"
सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo के सीनियर राइटर हैं
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