कोहली: बतौर युवा खिलाड़ी मुझ पर सबसे अधिक प्रभाव बाउचर का पड़ा
कोहली ने बताया कि कैसे IPL 2008 के दौरान बाउचर ने उनके शॉर्ट बॉल और अन्य कमज़ोरियों पर काम किया था

जब एक युवा विराट कोहली 2008 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) में आए, उस समय ड्रेसिंग रूम में राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले जैसे भारतीय दिग्गज मौजूद थे, लेकिन उन पर सबसे ज़्यादा असर साउथ अफ़्रीका के मार्क बाउचर का पड़ा।
RCB के पॉडकास्ट Bold and Beyond पर बात करते हुए कोहली ने कहा कि बाउचर ने उनसे जो बातें कीं, वे उन्हें हैरान कर गईं। बिना कहे ही बाउचर ने उनकी कमज़ोरियों के बारे में बताया और उनके साथ उस पर काम किया।
कोहली ने कहा, "शुरुआत में जिन खिलाड़ियों के साथ मैंने खेला, उनमें मार्क बाउचर का मुझ पर सबसे अधिक असर पड़ा। वे एकमात्र खिलाड़ी थे, जिनके अंदर यह सोच थी कि 'मैं कुछ युवा भारतीय खिलाड़ियों की मदद करूंगा'।
"उन्होंने मुझे खेलते देखा और पहचान कि मेरी कमजोरियां क्या हो सकती हैं। उन्होंने कहा, अगर मुझे अगले स्तर तक जाना है तो मुझे क्या करना होगा और ये सब उन्होंने बिना मेरे कहे ही कहा। उन्होंने कहा, 'मैंने तुम्हें खेलते देखा है और हमें कुछ चीज़ों पर काम करना होगा।' फिर वे मुझे नेट्स में ले गए और मेरे शॉर्ट बॉल पर काम करना शुरू किया। उन्होंने कहा, 'अगर तुम पुल नहीं कर सकते तो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कोई तुम्हें मौका नहीं देगा'।
"वह मुझ पर टेनिस बॉल इतनी तेज़ी से फेंक रहे थे कि मैं एक बार सोच में ही पड़ गया कि अगर ऐसा रहा तो शायद मैं अगले लेवल को कभी नहीं छू पाऊंगा। लेकिन उन्होंने मुझे लगातार मेहनत कराई और मैं बेहतर होने लगा। मुझे याद है कि एक मैच चेन्नई या कोलकाता में था, उन्होंने मुझसे कहा, 'अगर मैं चार साल बाद भारत में कॉमेंट्री करने आऊं और तुम्हें टीम इंडिया में न देखूं, तो तुम खुद के साथ अन्याय करोगे'।
"उन्होंने जो बातें मुझसे कीं, उसने मुझे बहुत झकझोर दिया और तभी मैंने सोचा कि अब मुझे ख़ुद को बेहतर बनाना शुरू करना होगा।"
"मैं बिल्कुल सो नहीं पाया। मैं सुबह पांच बजे तक जाग रहा था, छत को घूरता रहा। मैंने सोचा, बस अब सब ख़त्म हो गया। मुझे एक साल बाद बुलाया गया और मैंने सब ख़राब कर दिया"कोहली, 2009 चैंपियंस ट्रॉफ़ी में पाकिस्तान मैच के बाद
उसी साल बाद में कोहली ने श्रीलंका में अपना ODI डेब्यू किया। वे उस समय टीम में आए जब सचिन तेंदुलकर चोट के कारण बाहर थे। लेकिन जैसे ही तेंदुलकर लौटे, कोहली की जगह टीम में नहीं बन पाई।
कोहली को पता था कि वे तकनीकी रूप से सबसे सक्षम बल्लेबाज़ नहीं हैं, लेकिन उनके अंदर सुधार की इच्छा और मैदान में लड़ने की भावना ने उनका खेल ऊपर उठाया। अगला बड़ा मौक़ा तब आया, जब युवराज सिंह 2009 चैंपियंस ट्रॉफ़ी से पहले चोटिल हो गए और कोहली को भारत के शुरुआती मैच (पाकिस्तान के ख़िलाफ़) से ठीक पहले बुलाया गया।
कोहली ने बताया, "यह मेरा पहला भारत-पाकिस्तान मैच था। मैंने लगभग 16 रन बनाए। मैंने शाहिद अफ़रीदी को सीधा छक्का मारने की कोशिश की और लॉन्ग ऑन पर कैच आउट हो गया और हम वह मैच हार गए। यह मैच का अहम मोड़ था और मेरी धड़कन पूरी पारी के दौरान बहुत तेज़ चल रही थी। मैं चार दिनों में जो कुछ हुआ उसे समझ ही नहीं पाया।
कोहली ने बताया, "यह बड़ी हार थी और मैं बिल्कुल सो नहीं पाया था। मैं सुबह पांच बजे तक जाग रहा था और छत को घूर रहा था। मैंने सोचा, 'बस अब सब ख़त्म हो गया। मुझे एक साल बाद मौक़ा मिला और मैंने इसे ख़राब कर दिया। मुझे नहीं पता अब क्या होगा।' मेरे साथ कई बार ऐसा हुआ, जब मैंने ख़ुद पर बहुत संदेह किया, मुझे दोबारा ख़ुद को संभालना पड़ा और धीरे-धीरे फिर से ख़ुद को खड़ा करना पड़ा।"
2024 T20 वर्ल्ड कप पर: 'मैं बिल्कुल आत्मविश्वास के बिना क्रीज़ पर जा रहा था'
जब कोहली ने अपनी हिटिंग इंस्टिंक्ट पर भरोसा करते हुए दुनिया के सबसे बेहतरीन एंकर बनने की ओर सफ़र तय किया, तो यह एक पूरा चक्र पूरा होने जैसा था। कुछ साल पहले उन्होंने T20 क्रिकेट की रफ्तार के साथ ख़ुद को ढालने के लिए हिचक छोड़ने का फैसला किया।
उन्होंने कहा, "पिछले कुछ सीज़न में मैंने जानबूझकर अपने खेल को विकसित करने की कोशिश की और मैंने उसका असर देखा। मुझे यह सोच छोड़नी पड़ी कि लोग मुझे कैसे खेलते देखना चाहते हैं। मुझे बस जाकर गेंद को हिट करना था। आप इस पूरी यात्रा से गुजरते हो, जहां आप किसी और की उम्मीदों में घिर जाते हो। एक वक़्त आता है, जब लगता है ये सब आपको पीछे खींच रहा है। तब आपको, ख़ुद को फिर से धक्का देना होता है और उस जगह पर पहुंचना होता है जहां आप ख़ुद से कहते हो- बस गेंद को हिट करो। यही एक चीज़ है, जो खिलाड़ी के लिए हमेशा रहती है।
"मैंने कुछ बदलाव करने की कोशिश की, जिनसे मैं बहुत ख़ुश हूं, क्योंकि मुझे अपने कंफ़र्ट से बाहर आकर कुछ अलग, कुछ नया करना पड़ा। मुझे पता था कि मैं कुछ बार सस्ते में आउट हो जाऊंगा, लेकिन यह ठीक है। मैं हर मैच में 70, 80, 90 की उम्मीद नहीं कर सकता। एक असरदार 35-40 रन भी जो टीम की मदद करे, वही मेरे लिए काफी है।"
कोहली ने 2024 T20 वर्ल्ड कप में इसी सोच के साथ भाग लिया, लेकिन फ़ाइनल से पहले उन्होंने नौ पारियों में सिर्फ 75 रन बनाए थे। फ़ाइनल में साउथ अफ़्रीका के खिलाफ, जब भारत पांचवें ओवर में 34 पर तीन विकेट गंवा चुका था, तब कोहली ने फिर से अपने नैसर्गिक खेल की ओर वापसी की। उन्होंने 59 गेंदों में 76 रन बनाए और भारत ने 176 रन बनाकर बमुश्किल इसका बचाव किया।
कोहली ने बताया, "मैं पूरे टूर्नामेंट में रन नहीं बना पा रहा था और मैं आभारी हूं कि मुझे फिर से उस दबाव वाले हालात में डाला गया। मैं आत्मविश्वास के बिना क्रीज़ पर गया था और फिर जैसे ही मुझे तीन गेंदें मिलीं, तीन चौके लग गए और मैं सोचने लगा कि यह क्या खेल है? एक दिन ऐसा लगता है कि आप एक रन भी नहीं बना सकते और फिर अचानक आप करियर के सबसे बड़े मैचों में से एक में पहुंचते हो और सब कुछ होने लगता है।
"और फिर टीम को आपकी ज़रूरत होती है और आप अच्छा प्रदर्शन करते हो। फिर आप सोचते हो, कैसे? तब आपको समझ आता है कि यह उस मेहनत का फल है।"
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