मनोज तिवारी : युवा खिलाड़ियों ने IPL वाला माइंडसेट अपना लिया है
पूर्व भारतीय खिलाड़ी ने BCCI से रणजी ट्रॉफ़ी की प्रासंगिकता बढ़ाने का आग्रह किया है

केंद्रीय अनुबंधित और लक्षित खिलाड़ियों के लिए घरेलू क्रिकेट खेलना अनिवार्य करने के BCCI के फ़ैसले पर पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनोज तिवारी ने कहा है कि वह ख़ुद भी पिछले कुछ वर्षों से इस संबंध में अपनी चिंता ज़ाहिर करते रहे हैं।
तिवारी ने इस महीने की शुरुआत में अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए X पर पोस्ट किया था कि रणजी ट्रॉफ़ी अगले सीज़न से कैलेंडर से हटा दिया जाना चाहिए। उन्होंने अपनी इस पोस्ट में कई बिंदुओं पर प्रकाश डाला था, जिसमें ख़राब अंपायरिंग, ठंड में उत्तर और पूर्वी भारत में मैचों का कार्यक्रम और 'ए' टूर का कार्यक्रम शामिल था।
ए टूर के कार्यक्रम के चलते कई टीमों को अपने प्रमुख खिलाड़ियों के बिना खेलने पर मजबूर होना पड़ा था। ख़ुद बंगाल भी टूर्नामेंट के दौरान मुकेश कुमार, आकाश दीप और अभिमन्यु ईश्वरन के बिना खेली थी।
तिवारी की इस पोस्ट के चलते उनके ऊपर 20 फ़ीसदी मैच कटौती का जुर्माना भी लगाया गया था। संन्यास के बाद तिवारी ने अपने सम्मान समारोह में कहा, "अगर मैंने सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं किया होता तो BCCI की ओर से ऐसा दिशानिर्देश ही नहीं आता। मेरे पोस्ट के चलते BCCI सचिव ऐसा फ़ैसला करने पर मजबूर हुए। टूर्नामेंट के इस स्टेज़ पर उनके इस फ़ैसले से यह प्रतीत होता है कि वह IPL में सफल हो चुके हाई प्रोफ़ाइल खिलाड़ियों सहित अन्य खिलाड़ियों द्वारा रणजी ट्रॉफ़ी को अधिक तरजीह ना देने को लेकर चिंतित हैं।"
इस महीने की शुरुआत में BCCI सचिव जय शाह ने अपने एक मेल में खिलाड़ियों द्वारा घरेलू क्रिकेट के ऊपर IPL को तरजीह दिए जाने को लेकर चिंता व्यक्त की थी। शाह ने ई-मेल में लिखा था, "कुछ खिलाड़ियों ने घरेलू क्रिकेट की बजाय IPL को अधिक तरजीह देना शुरु कर दिया है। यह एक ऐसा क़दम है जिसकी अपेक्षा नहीं थी। घरेलू क्रिकेट ही भारतीय क्रिकेट की आधारशिला है।"
इस ई-मेल के ज़रिए इशान किशन और दीपक चाहर जैसे खिलाड़ी केंद्र में थे जिन्होंने फ़िट होने के बावजूद ख़ुद को रणजी ट्रॉफ़ी के लिए उपलब्ध नहीं बताया। किशन ने साउथ अफ़्रीका दौरे पर मानसिक स्वास्थ्य का हवाला देकर अपना नाम वापस लेने के बाद से किसी भी तरह की क्रिकेट नहीं खेली है जबकि दीपक चाहर नवंबर में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ घरेलू श्रृंखला में भारतीय टीम का हिस्सा थे लेकिन इसके बाद उन्होंने भी कोई क्रिकेट नहीं खेला है।
तिवारी ने कहा, "मैंने गौर किया है कि युवा खिलाड़ियों ने IPL केंद्रित माइंडसेट अपना लिया है। जो IPL नहीं खेलते, वे ख़ाली समय में दुबई या किसी अन्य जगह समय व्यतीत करने चले जाते हैं। यह ट्रेंड रणजी ट्रॉफ़ी की प्रासंगिकता को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। हां, IPL हम सबके लिए एक बड़ा मंच है लेकिन मैं BCCI अध्यक्ष और सचिव से रणजी ट्रॉफ़ी की प्रासंगिकता को बढ़ाने का आग्रह करता हूं।"
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