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दुर्घटना के बाद सफल वापसी : रॉबिन मिंज़ की दृढ़ता और प्रतिबद्धता की कहानी

झारखंड के इस विकेटकीपर बल्लेबाज़ ने रणजी ट्रॉफ़ी में डेब्यू किया और अब IPL नीलामी की तरफ़ देख रहे हैं

पिछले IPL में एक बाइक एक्सीडेंट के कारण मिन्ज़ नहीं खेल पाए थे लेकिन इस बार फिर से वह IPL में हिस्सा लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं  Francis Xavier Minz

क्या आपने यह हेडलाइन कहीं पढ़ी या सुनी थी कि 'IPL में खेलेगा भारत का पहला आदिवासी खिलाड़ी?'

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2024 की IPL नीलामी में गुजरात टाइटंस (GT) ने जब झारखंड के बाएं हाथ के विकेटकीपर बल्लेबाज़ रॉबिन मिंज़ के लिए 3.6 करोड़ रूपये की बोली लगाई तो इस तरह की हेडलाइन देशभर में सुर्ख़ियां बटोरती रहीं थी। हालांकि IPL सीज़न की शुरुआत से ठीक पहले मिंज़ बाइक से दुर्घटनाग्रस्त हो गए और उन्हें पूरे IPL सीज़न से बाहर होना पड़ा। उनके कंधे और पैर में चोट आई थी, जिससे यह तय हो गया था कि वह काफ़ी दिनों तक क्रिकेट से दूर रहेंगे।

GT के लिए मिंज़ को रिलीज़ करना भी कहीं से आसान नहीं था क्योंकि उनके पास विकल्प ज़्यादा नहीं थे। भले ही GT ने मिंज़ को रिलीज़ कर दिया था लेकिन फ़्रैचाइज़ी को मिंज़ के स्वास्थ्य की फ़िक़्र थी। दुर्घटना के बाद GT के मेंटॉर आशीष नेहरा, मिंज़ को कॉल करते रहते थे और उनका हाल-चाल लेते रहते थे।

मिंज़ बताते हैं, "जब मेरा एक्सीडेंट हुआ तो मेरे मन में सबसे पहली बात आई कि ये क्या हो गया? अब मैं क्रिकेट कैसे खेलूंगा, IPL का क्या होगा? IPL ही तो वह पहली सीढ़ी थी, जिसके ज़रिए मुझे आगे जाना था लेकिन ऐसा लगा कि सब कुछ एक ही घटना में ख़त्म हो गया। लेकिन दुर्घटना के बाद मेरे परिवार, कोच (आसिफ़ और एसपी गौतम), कई दोस्त और आशीष नेहरा सर ने मेरी काफ़ी मदद की। नेहरा सर ने मुझे कई बार कॉल किया और वह लगातार मुझे यह विश्वास दिलाते रहे कि मैं वापसी कर लूंगा।"

"इसके बाद IPL के दौरान ही मुझे GT से कॉल आता है कि मुझे टीम के साथ ही रहना है और फ़ीजियो (रोहित सलावकर) के साथ रिहैब करना है। मैं वहां गया। जब-जब GT का होम मैच होता था, मैं वहां जाता था। रोहित सर ने और पूरी टीम ने मेरी काफ़ी मदद की। भले ही मैं IPL नहीं खेल रहा था लेकिन टीम के साथ रहने से मुझे काफ़ी अच्छा लगा।"

GT ने मिंज़ की काफ़ी मदद की। मानसिक रूप से भी उन्हें भरोसा दिलाने का प्रयास किया कि वह वापसी कर लेंगे और ऐसा नहीं कि यह मौक़ा चले जाने के बाद भी उन्हें क्रिकेट के मैदान पर वापसी करने के और मौक़े नहीं मिलेगें।

हालांकि IPL का मौक़ा गंवाना मिंज़ के लिए एक टीस की तरह थी और इससे उबरना मिंज़ के लिए आसान नहीं था। मिंज़ मानसिक रूप से लगातार बैकफ़ुट पर जा रहे थे। एक लड़का जो तरह-तरह की कठिनाइयों को पार करते हुए IPL की चमचमाती हुई दुनिया में अपनी एक अलग चमक बिखरने का सपना देख रहा था, वह सपना टूटता हुआ नज़र आ रहा था। उनका परिवार भी सदमे में था, मिंज़ ख़ुद सदमे में थे।

जब उसके एक्सीडेंट की ख़बर हम तक पहुंची तो घबराना आम बात है लेकिन हमें इतना पता था कि उसकी हालत बहुत ज़्यादा गंभीर नहीं है। हालांकि एक बात मुझे अच्छे से पता थी कि रॉबिन के लिए यह बहुत बड़ा झटका है। आप इसे हमारे समाज की सीख कह लीजिए या कुछ और लेकिन हम पैसे के बारे में उतना ज़्यादा नहीं सोचते। मेरे लिए या रॉबिन के लिए सबसे बड़ा झटका यह था कि उससे कुछ दिनों के लिए क्रिकेट का मैदान छिन जाएगा। IPL में मिलने वाले पैसों से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण उसका वहां खेलना था।फ़्रांसिस जेवियर मिन्ज़, रॉबिन के पिता

एक समय था जब क्रिकेट किट ख़रीदने के लिए मिंज़ के परिवार को हज़ार बार सोचना पड़ता था। यह परिवार अपनी परिस्थितियों से लड़ता है, गिरता है, उठता है और लगातार आगे बढ़ने की कोशिश करता है। आख़िरकार उसे एक मंच मिल ही जाता है, लेकिन टूर्नामेंट शुरू होने से ठीक पहले हुई इस दुर्घटना ने पूरे परिवार को एक बड़ा झटका दिया था।

ऐसा लगा कि मिंज़ को शायद वापसी करने में अब काफ़ी समय लग जाए। लेकिन जंगल और पहाड़ (झारखंड) ने जिन्हें आगे बढ़ने की शिक्षा दी हो, वे कहां पीछे छूटते हैं।

GT में रिहैब के लिए जाने से पहले जब मिंज़ पूरी तरह से ठीक भी नहीं हुए थे तो अचानक से एक दिन उनके कोच आसिफ़ हक़ ने देखा कि मिंज़ ग्राउंड की तरफ़ आ रहे हैं। आसिफ़ बताते हैं, "एक दिन मैं अपने ऐकेडमी (सॉनेट क्लब) में था, मुझे दिखा कि रॉबिन आया है। मैं चौंक गया कि वह यहां क्या कर रहा है, इसे तो आराम करना था। मैंने उससे पूछा कि तुम यहां क्या कर रहे हो ? उसका जवाब था, 'भैया मुझे पता है कि मैं अभी खेल नहीं पाऊँगा लेकिन मुझे ग्राउंड पर बैठने दीजिए। मैं यहां थोड़ा समय बिताना चाहता हूं।' "

मिंज़ के पिता ज़ेवियर फ़्रांसिस मिंज़ कहते हैं, "जब उसके एक्सीडेंट की ख़बर हम तक पहुंची तो घबराना आम बात है लेकिन हमें इतना पता था कि उसकी हालत बहुत ज़्यादा गंभीर नहीं है। हालांकि एक बात मुझे अच्छे से पता थी कि रॉबिन के लिए यह बहुत बड़ा झटका है। आप इसे हमारे समाज की सीख कह लीजिए या कुछ और लेकिन हम पैसे के बारे में उतना ज़्यादा नहीं सोचते। मेरे लिए या रॉबिन के लिए सबसे बड़ा झटका यह था कि उससे कुछ दिनों के लिए क्रिकेट का मैदान छिन जाएगा। IPL में मिलने वाले पैसों से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण उसका वहां खेलना था।"

मिन्ज़ के पिता पिछले साल एयरपोर्ट पर महेंद्र सिंह धोनी के साथ मिले थे  Francis Xavier Minz

"जब से उसने खेलना शुरू किया है, मैंने उसे क्रिकेट से दूर होते कभी नहीं देखा। उसका सपना पूरा होने वाला था। वह GT से कैंप कर के घर वापस आया था। ऐसा लगा था कि हम कुछ दिन में उसे IPL में खेलते हुए देखेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।"

क्या होगा अगर मिंज़ को IPLमें इस सीज़न मौक़ा नहीं मिला ? इस सवाल के जवाब में मिंज़ के पिता कहते हैं, " क्रिकेट उसकी ज़िंदगी है लेकिन ऐसा नहीं है कि IPL में मौक़ा नहीं मिलने से उसकी पूरी लाइफ़ ख़त्म हो जाएगी। मैंने और हमारे पूरे परिवार ने उसे कठिन परिस्थितियों से लड़ना सिखाया है। वह फिर से मेहनत करेगा, फिर अच्छा खेलेगा और अगली बार फिर कोशिश करेगा। उसके बाद जो होगा, देखा जाएगा।"

समय कटता गया और मिंज़ धीरे-धीरे ठीक होते गए। इसके बाद समय वह आया जब मैदान पर मिंज़ को अपनी लय और आत्मविश्वास दोनों को तलाशना था। इसके लिए वह वहीं (सोनेट क्रिकेट क्लब) पहुंचे, जहां से मिंज़ के क्रिकेटर बनने की कहानी शुरू हुई थी। सॉनेट क्लब में ही मिंज़ के क्रिकेटिंग करियर की शुरुआत हुई थी। यहीं उन्हें 'झारखंड के क्रिस गेल' का नाम मिला था। चोट से ठीक होने के दौरान मिंज़ ने यहां ख़ूब समय बिताया। जैसे-जैसे मिंज़ की चोट ठीक होती गई, क्रिकेट के मैदान पर उनकी मेहनत भी उसी गति से दोगुनी-तिगुनी होती गई।

उनकी डाइट पर ध्यान दिया गया, तकनीक पर ध्यान दिया गया और दिनचर्या में भी काफ़ी सकारात्मक बदलाव हुए। इस दुर्घटना के बाद जब पहली बार सीके नायडू टूर्नामेंट में मिंज़ ने वापसी की तो उन्होंने बता दिया कि उनकी भूख अब पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ चुकी है। 2024-25 सीज़न के झारखंड के पहले मैच में उन्होंने हरियाणा के ख़िलाफ़ 80 गेंदों में 78 रनों की पारी खेली। उनकी उस पारी में 10 चौके और तीन छक्के शामिल थे।

एक्सीडेंट के बाद मिन्ज़ को मैदान पर वापसी के लिए सबसे ज़्यादा मानसिक सहारा उनके माता-पिता ने दिया  Francis Xavier Minz

मिंज़ ने सीके नायडू ट्रॉफ़ी में पिछले साल भी कुछ ग़ज़ब की पारियां खेली थी, जिसमें ओडिशा के ख़िलाफ़ एक दोहरा शतक भी शामिल था। जब ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए इशान किशन को भारत ए की टीम में शामिल किया तो मिंज़ को झारखंड को रणजी टीम में पहली बार मौक़ा मिला। उन्होंने पहले दो मैच में भले ही उतना बड़ा स्कोर नहीं बनाया, लेकिन उनके खेल में एक बात साफ़ थी कि मिंज़ अपने गेम को बैक करते हुए उसी अंदाज़ में बल्लेबाज़ी करना चाह रहे थे, जिसके लिए वह जाने जाते हैं।

झारखंड और सौराष्ट्र के बीच खेले गए रणजी मैच में एक समय पर झारखंड की टीम काफ़ी ज़्यादा मुश्किल में नज़र आ रही थी। दूसरी पारी में झारखंड की टीम ने 138 के स्कोर पर पांच विकेट गंवा दिए थे और उनके पास सिर्फ़ 58 रनों की बढ़त थी। ऐसे में झारखंड को एक मज़बूत साझेदारी की तलाश थी, जो उन्हें एक अच्छी बढ़त तक लेकर जा सके। मिन्ज़ ने इस परिस्थिति में आकर 48 गेंदों में 39 रनों की एक छोटी लेकिन बहुत ही महत्वपूर्ण पारी खेली, और अनुकुल रॉय के साथ 84 रनों की साझेदारी की, जिससे झारखंड वह मैच बचाने में क़ामयाब रहा।

मैच के बाद जब उनसे पूछा गया कि चोट के बाद एक बार फिर से क्रिकेट के मैदान में वापसी करके आपको कैसा लग रहा है तो उन्होंने कहा, "पिछले एक साल में काफ़ी कुछ बदल गया है। मैंने सोचा भी नहीं था कि मुझे जीवन में कभी इतने लोग जानेंगे। मेरे एक्सीडेंट के बाद न जाने कितने मैसेज आए, सब मेरा ढांढस बांधने का प्रयास कर रहे थे। उस घटना के बाद मैं थोड़ा उदास ज़रूर हुआ था लेकिन मैंने भी अब सोच लिया है कि मैं वापसी करके रहूंगा।"

अपने कोच आसिफ़ के साथ मिन्ज़  Asif Haque

चंडीगढ़ के ख़िलाफ़ जब झारखंड का मैच चल रहा था तो जमशेदपुर के कीनन स्टेडियम के बाहर झारखंड की टीम बस के पास कई फ़ैंस आए थे। ज़्यादातर फै़ंस रॉबिन मिंज़ की तरफ़ जाते हुए उनके साथ सेल्फ़ी लेने का प्रयास कर रहे थे। उसी बीच एक फ़ैन सेल्फ़ी लेते हुए पूछता है - "भैया इस बार फिर से IPL में जाएंगे ना?" इस सवाल को सुनते ही मिंज़ का चेहरा अचानक से बदल गया। ऐसा लगा मानों वह किसी और ही सोच में चले गए। उदासी और पछतावे का एक मिश्रण उनके चेहरे पर साफ़ दिख रहा था।

मेगा ऑक्शन में मिंज़ ने अपना बेस प्राइस 30 लाख रूपए रखा है। जब इस घटना के अगले दिन उनसे पूछा गया कि इस बार के IPL नीलामी के बारे में वह क्या सोच रहे हैं तो उन्होंने कहा, " कुछ नहीं सोच रहा हूं भैया… सोच कर क्या ही होगा। मुझे बस क्रिकेट खेलना है, यही मेरी ज़िंदगी है। आगे-पीछे का सोच कर क्या करेंगे, जो होना है, वह होगा ही, लेकिन मैं अच्छा क्रिकेट खेलूँगा। यह तय है कि अब पहले से ज़्यादा रन बनाना है और पहले से ज़्यादा छक्का मारना है।"

इस दुर्घटना के बाद रॉबिन के व्यक्तित्व में कई बदलाव हुए हैं। इस झटके ने मिंज़ को एक बड़ी सबक भी दी है।

उनके कोच आसिफ़ कहते हैं, "एक्सीडेंट के बाद मिंज़ ख़ुद से काफ़ी निराश था। वह पूरी घटना के लिए ख़ुद को ज़िम्मेदार ठहराने लगा था। हालांकि जैसे-जैसे हमने और परिवार ने उससे बात की, उसमें वापसी का विचार और भी मज़बूत होता गया। सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण बात यह थी कि अगर कोई उसे मेहनत करते देखता था, तो वह चौंक जाता था क्योंकि वह एक अलग ही स्तर पर था। मैं पिछले 8-9 सालों से उसके संपर्क में हूं, लेकिन उसके इस रूप को मैंने भी नहीं देखा था। वह ज़िद पकड़ कर बैठ गया था कि उसे क्रिकेट के मैदान पर एक बार फिर से ज़बरदस्त वापसी करनी है।"

रणजी डेब्यू के बाद जब मिंज़ से पूछा गया कि वह अब ख़ुद से क्या कहना चाहेंगे? तो मिंज़ ने ज़ोर से ठहाका लगाते हुए कहा, "I am back….. No, no .. Minz is back."

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राजन राज ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं