एंडरसन ने साबित कर दिया कि उनमें विकटों की भूख अभी बाकी है
कप्तानों के चहेते इस 39 वर्षीय तेज़ गेंदबाज़ का करियर अभी भी जवां है

अपने 100वें जन्मदिन से कुछ साल पहले, कॉमेडियन जॉर्ज बर्न्स ने वेगास के एक होटल में परफॉर्म करने के लिए पांच साल का करार किया। एक पत्रकार ने पूछा कि क्या वो इस करार को पूरा कर पाएंगे? तो बर्न्स ने उत्तर दिया कि "यह एक बढ़िया बिजनेस डील है और यह पूरा हो जाना चाहिए।"
जेम्स एंडरसन भी शायद क्रिकेट की दुनिया के जॉर्ज बर्न्स हैं। एलेक स्टुअर्ट से लेकर सैम करन के समय तक, एंडरसन इंग्लैंड के लिए एक ऐसे खिलाड़ी रहे हैं, जिस पर टीम हमेशा भरोसा कर सकती है। उन्होंने कई बार मुश्किल समय में इंग्लैंड की टीम के लिए काफी अहम योगदान दिया है। अपने 40वें वर्ष में जब अन्य सीम गेंदबाज़ लंबे समय से कॉमेंट्री बॉक्स में स्थानांतरित हो गए हैं, एंडरसन हमेशा की तरह विकेटों की तलाश में हैं और सटीक गेंदबाज़ी के मामले में अभी भी अव्वल खिलाड़ियों में से एक हैं।
दूसरे दिन जब एंडरसन ने भारत के दो अहम विकेट लेकर विपक्षी टीम को बैकफ़ुट पर भेज दिया, उसी समय इंग्लैंड के लिए मैदान के बाहर से कुछ अच्छी खबर नहीं आ रही थी। जोफ़्रा आर्चर कोहनी की चोट के कारण इस साल क्रिकेट नहीं खेल पाएंगे। ऐसा माना जा रहा था कि आर्चर अब टेस्ट क्रिकेट में इंग्लैंड की तेज गेंदबाज़ी के आक्रमण को संभालेंगे लेकिन साल भर के लिए उनके टीम से बाहर होने की खबर खेलप्रेमियों के लिए किसी झटके से कम नहीं थी। जोफ़्रा का इस तरह से टीम से बाहर हो जाना उनके आने वाले टेस्ट करियर पर भी कई सवाल खड़े करता है। 26 वर्षीय तेज़ गेंदबाज़ आर्चर बिना किसी शक के एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं और उनके कई सपने अभी अधूरे हैं। आने वाले दिनों में उनसे कई नए कीर्तिमानों की उम्मीदें हमेशा से गढ़ी जा रही है।
हालांकि ज़रूरत पड़ने पर जोफ्रा का संघर्ष हमें एंडरसन के करियर की याद दिला सकता है। इस बात में कई मतभेद हैं कि क्या एंडरसन इस युग के सर्वश्रेष्ठ सीम गेंदबाज़ हैं? इस बात में कोई मतभेद नहीं है कि वो क्रिकेट की दुनिया के सबसे टिकाऊ गेंदबाज़ हैं। इस खेल में इतने दिनों तक खुद को टिकाए रखना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
एंडरसन ने जब साल 2000 में अपने लिस्ट ए करियर की शुरूआत की थी तब टी-20 क्रिकेट का इजाद नहीं हुआ था और तब मृत सागर सिर्फ, बीमार सागर था ( जॉर्ज बर्न्स के एक चुटकले के अनुसार ) और सैम करन तब काफी बाल्यावस्था में थे। अब तो एंडरसन ने अकेले ही टेस्ट क्रिकेट में लगभग 35 हजार गेंदें फेंक दी हैं जो कि इतिहास के किसी भी अन्य तेज़ गेंदबाज़ से लगभग 5 हजार गेंदें ज़्यादा है। विराट कोहली को आउट करते ही उन्होंने सबसे ज़्यादा विकेट लेने के मामले में अनिल कुंबले (619 विकेट) की बराबरी कर ली है। अब एंडरसन विकटों के मामले में केवल शेन वॉर्न और मुथैया मुरलीधरन से पीछे हैं।
समय के साथ इंग्लैंड की टीम में कई ऐसे गेंदबाज़ आए जो एंडरसन को पछाड़ कर गेंदबाज़ी आक्रमण का नेतृत्व कर सकते थे। इस लिस्ट में स्टीवन फ़िन, क्रिस वोक्स और क्रिस ट्रेमलेट जैसे नाम शामिल हैं। ट्रेमलेट ने तो एंडरसन के साथ 2010-11 की ऐशेज़ सीरीज़ में गेंदबाज़ी की थी और उस समय इंग्लैंड विजयी भी रही थी। हालांकि ट्रेमलेट अब 39 साल के हो चुके हैं और उनको संन्यास लिए हुए तक़रीबन 6 साल हो चुके हैं। अब तो ऐसा भी लगने लगा है कि टेस्ट क्रिकेट में एंडरसन फिन और वोक्स से गेंदबाज़ी क्रम को लीड करने के मामले में काफी आगे निकल चुके हैं।
एंडरसन ने जब भारतीय कप्तान कोहली का विकेट लिया तो उनके सेलिब्रेशन से यह साफ झलक रहा था कि उन्होंने कोई बड़ा विकेट लिया है। वहीं पुजारा का विकेट लेने पर उन्होंने ज्यादा जश्न नहीं मनाया। हालांकि पुजारा जिस गेंद पर आउट हुए, वो शायद दिन के सबसे बेहतरीन गेंदों में से एक थी। कोहली का विकेट लेने के बाद एंडरसन का जश्न मनाने का जो दृश्य था, वो कहीं ना कहीं हमें इमरान ताहिर की याद दिला रहा था। एक बार के लिए ऐसा लगा कि वो दौड़ कर जश्न मनाने के मामले में इमरान ताहिर को भी पीछे छोड़ देंगे। एंडरसन को काफी कम बार इस तरीके से सेलिब्रेट करते हुए देखा जाता है। बाद में उन्होंने कहा, "मैंने शायद कुछ मांसपेशियों का उपयोग किया है जिनका मैं अक्सर वहां उपयोग नहीं करता, है ना?"
टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाज़ी के लिए मानकों को देखा जाए तो कोहली जिस तरीके के शॉट पर आउट हुए, वो काफी कमजोर था। भले ही टेस्ट क्रिकेट में एंडरसन ने कोहली को 7 साल से आउट नहीं किया था लेकिन कोहली को पता था कि पिच के जैसे हालात हैं, उस हिसाब से एंडरसन और कोहली के बीच एक कठिन भिड़ंत होने वाली है। अंत में ये हुआ कि जिस गेंद को कोहली को छोड़ देना था, उसे भी वो प्रेशर में खेलने चले गए।
"उस सेलिब्रेशन में कुछ भावनाएं तो थी," एंडरसन ने बाद में कहा। "मुझे पता था कि यह टीम के लिए कितना महत्वपूर्ण था। यह काफी बड़ा विकेट था।" "मैं चाहता था कि कोहली उसी शॉट को खेले और गेंद बल्ले का बाहरी किनारा ले। उसके लिए मुझे गेंद को ठीक वहीं फेंकना था, जहां मैं चाहता था ... विपक्षी दल के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को ऐसे आउट करना अक्सर इतना आसान नहीं होता है। और कोहली को जल्दी आउट करना काफी असामान्य है। उस विकेट के बाद मैं भावुक हो गया था।"
एंडरसन के लंबी उम्र तक इस तरह से खेलने के पीछे शायद एक आनुवंशिक तत्व ज़रूर है। अपने करियर में मिली निराशाओं का उन्होंने अपनी तरीक़े से सामना किया है। उन्होंने खुलासा किया था कि वह 2019 में संन्यास लेने के काफी करीब आ गए थे, जब काफ (पिंडली) की चोट से उबरना उनके लिए मुश्किल साबित हो रहा था। इसके अलावा उन्हें एक फ्रैक्चर, कंधे में चोट और पसली टूटने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि एंडरसन ने आर्चर के लिए बहुत सहानुभूति व्यक्त की। वह जानते हैं कि आर्चर अब जिस मानसिक दर्द का सामना कर रहे होंगे, वो कितना मुश्किल है। और वह यह भी जानते हैं कि चोट से उबरने की प्रक्रिया कितनी कठिन साबित हो सकती है। हर किसी के पास खुद को इन कठिनाइयों से निकालने का साधन या मानसिक ऊर्जा नहीं होती है।
एंडरसन ने कहा, "जब से जोफ़्रा ने इंग्लैंड के लिए खेलना शुरू किया है, वो टीम का एक अहम हिस्सा बन चुके हैं। उनका इस तरह से टीम से जाना काफी बड़ा झटका है और इससे टीम को काफी हानि होगी। हालांकि मुझे लगता है कि यह चोट उन्हें काफी समय से परेशान कर रही है। उम्मीद है कि इसका जल्द ही निवारण हो जाएगा। वह इस टीम के लिए बहुत खास रहे हैं। हम जल्द से जल्द उन्हें टीम में वापस आते हुए देखना चाहते हैं।"
आर्चर के चोट की खबर इंग्लैंड टीम के लिए एक ऐसा लम्हा था जिसके लिए शायद वह काफी समय से प्रतीक्षा कर रहे थे। अगर ऐशेज़ सीरीज़ आगे बढ़ती है तो ठीक है वरना अभी तक के लिए यह एक 50-50 का कॉल है। फ़िलहाल तो ऐसा लग रहा कि ऐशेज़ में इंग्लैंड के तेज़ गेंदबाज़ी दल का नेतृत्व एंडरसन करेंगे। वास्तव में यह असंभव नहीं है कि एंडरसन ऐशेज़ में इंग्लैंड के लिए खेलने के लिए सक्षम रहेंगे लेकिन ऐशेज़ अगर हुआ ही नहीं तो जॉर्ज बर्न्स का मज़ाक एक बार फिर से सच होता हुआ नज़र आने लगेगा।
क्या इंग्लैंड की टीम अपने 39 साल के तेज़ गेंदबाज़ के साथ अपने बोलिंग आक्रमण से ऑस्ट्रेलिया के सामने चुनौती पेश कर पाएगी? हालांकि एक सच यह भी है कि ये वैसी परिस्थिति नहीं है जिसके बारे में हमने ज्यादा कुछ सोचा है। और ना ही इंग्लैंड ने ऐसा कुछ प्लान किया होगा। इसके बावजूद इतनी बार एंडरसन ने हमारी पूर्व धारणाओं को चुनौती दी है कि इस संभावना को पूरी तरह से खारिज करना मूर्खतापूर्ण लगता है।
एक तरह से देखा जाए तो एंडरसन के करियर की यही प्रवृत्ति रही है। जब अन्य खिलाड़ी लड़खड़ा जाते हैं तो एंडरसन एक ऐसे व्यक्ति रहे हैं, जिस पर इंग्लैंड के कप्तानों ने अक्सर भरोसा जताया है। ऐसे कप्तानों की एक लंबी सूची है जिसमें नासिर हुसैन से लेकर एंड्रयू स्ट्रॉस और जो रूट का नाम शामिल है। और एंडरसन अक्सर अपनी ज़िम्मेदारियों का आनंद लेते हैं।
इतने सालों और इतनी सारी सफलता के बाद भी एंडरसन ही वह शख्स है जिस पर इंग्लैंड की उम्मीदें अभी भी टिकी हुई हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि उनका करियर काफी बेजोड़ रहा है।
जॉर्ज डोबेल ESPNcricinfo सीनियर संवाददाता हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।
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