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उनादकट : सीखते रहो, ख़ुद को बेहतर करते रहो और स्वयं के प्रति ईमानदार रहो

"मैं सिर्फ़ अपनी वापसी से ख़ुश नहीं हूं बल्कि टीम की सफलता में अपना योगदान देना चाहता हूं"

बांग्लादेश के ख़िलाफ़ सीरीज़ जीत के बाद ट्रॉफ़ी के साथ उनादकट  Associated Press



इस सप्ताह जयदेव उनादकट ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 12 साल पूरे किए। उन्होंने ख़ुद ट्वीट कर इस बारे में जानकारी दी। पिछले मंगलवार उन्होने आंध्रा के ख़िलाफ़ अपना 100वां प्रथम श्रेणी मैच खेला। यह मैच अब भी जारी है।

दिसंबर 2022 में उनादकट ने 12 साल बाद टेस्ट क्रिकेट में वापसी की और उसे अपना 'दूसरा टेस्ट डेब्यू' कहा। कुल मिलाकर यह उनादकट के लिए बेहतरीन समय जा रहा है। ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के न्यूज़ एडिटर नागराज गोलापुड़ी ने उनादकट से बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसके कुछ अंश :

टेस्ट डेब्यू करने के 12 साल और 2 दिन बाद आपको पहला विकेट मिला। इसके क्या मायने हैं?

जब मैंने सेंचुरियन में अपना पहला टेस्ट और मीरपुर में दूसरा टेस्ट खेला था, तो दोनों में बहुत अंतर था। दोनों लगभग अलग-अलग ज़माने में खेले गए। तब से मैं भी बहुत बदल चुका हूं। दोनों दो अलग-अलग 'जयदेव' हैं।

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मैं अब टेस्ट सेट-अप का हिस्सा बनने के लिए और भी अधिक उत्साहित हूं। 2010 में मैं अपने करियर के शुरुआती दौर में था। मैं युवा था, कच्चा था। स्किल तब बी थी लेकिन तब मैं उतना क्रिकेट के बारे में नहीं जानता-समझता था, जितना अब समझता हूं। उम्र के इस पड़ाव में मैं सेट-अप का हिस्सा बनने के लिए और आतुर हूं। यह सिर्फ़ इकलौता मौक़ा नहीं था। मेरी यात्रा फिर से शुरू हुई है।

जब आपका चयन हुआ तो चयनकर्ताओं ने क्या कहा?

चेतन [शर्मा] भाई ने मुझे फ़ोन किया और कहा कि आपको रणजी मैच के लिए नहीं जाना है और टेस्ट दल में शामिल होना है। यह बस एक छोटा सा कॉल था कि मैं ढाका के लिए तैयार हो जाऊं।

मैं उस पल के लिए आभारी हूं। मैं कुछ देर के लिए उस मोड में चला गया, जहां सब कुछ धुंधला हो जाता है और आप बस उस पल का आनंद लेते हैं। हम एक कार में थे। मेरे साथ रिनी [पत्नी], मेरी बहन और मेरे बहनोई भी थे। हम सब ख़ूब चिल्लाए। वहां चीखें थीं, ख़ुशी थी और बस आनंद था, जिसने इस मौक़े को और भी ख़ास बना दिया।

क्या मीरपुर टेस्ट आपके दूसरे टेस्ट डेब्यू जैसा था?

हां, बिल्कुल। जब मैं भारतीय ड्रेसिंग रूम में घुसा तो मैं 2010 में पहुंच गया। मुझे लगा कि मैं यहीं का हूं। हां, उस समय टीम में कई बड़े और महान खिलाड़ी थे और अब ऐसा नहीं है। मैंने एक युवा क्रिकेटर के रूप में सचिन [तेंदुलकर] भाई, [वीरेंद्र] सहवाग, लच्छी [वीवीएस लक्ष्मण] भाई, राहुल [द्रविड़] भाई को टीवी पर खेलते और सपोर्ट करते हुए देखा था और उस समय वह टीम के सदस्य थे। उस समय तो मैं स्तब्ध था। लेकिन अब मुझे लगता है कि मैं इसी ड्रेसिंग रूम का हूं और मुझे टीम के लिए कुछ विशेष करना है।

द्रविड़ ने क्या कहा?

सभी ने मुझे बधाई दी। सबने कहा कि मैं यह मौक़ा डिज़र्व करता हूं। हालांकि लोग यही चीज़ बार-बार बोल रहे थे लेकिन जब भी मैं ऐसा सुन रहा था, मुझे गर्व का एहसास हो रहा था। जिस दिन टेस्ट शुरू होना था, राहुल भाई ने मुझसे सुबह में कहा, "जेडी, आप एकादश का हिस्सा हो। आप इस वापसी को डिज़र्व करते हो। आप इस पर गर्व करो और अपने समय का लुत्फ़ उठाओ।" यह सिर्फ़ 30 सेकंड की बातचीत थी। हालांकि यह छोटी बातचीत भी मेरे लिए बहुत विशेष है।

अपने पहले टेस्ट में उनादकट, स्टेन का शिकार हुए थे  AFP



अपने पहले टेस्ट विकेट के बारे में बताइए

मैं अपने दूसरे विकेट के बारे में बात करना चाहूंगा, जब मैंने मुश्फ़िकुर (रहीम) का आउट किया। मैं पहले ओवर द विकेट गेंदबाज़ी कर रहा था और फिर राउंड द विकेट से गेंदबाज़ी के लिए आया। ऐसा मैं घरेलू क्रिकेट में लगातार करता आया हूं - एंगल का प्रयोग करना और बल्लेबाज़ को सेट करना। ऐसा करने पर बल्लेबाज़ दो माइंड में आ जाता है और उसे निर्णय लेना कठिन हो जाता है कि कौन सी गेंद को छोड़े और किसे खेला जाए। उसे पता नहीं चलता कि गेंद किस दिशा में जाएगी। बाएं हाथ का गेंदबाज़ होने का यह फ़ायदा भी है कि आप क्रीज़ की चौड़ाई का इस्तेमाल कर सकते हो।

मुश्फ़िकुर का विकेट जिस गेंद पर मिला, उसे मैंने क्रीज़ के बिल्कुल बाहर से डाला था। मैंने उसे बाहर निकालने की कोशिश की थी और ऐसा हुआ भी। गेंद ने बाहरी किनारा लिया और वह आउट थे। घरेलू क्रिकेट में मैं लगातार बल्लेबाज़ों को सेटअप करके आउट कर रहा था। मैं उसे टेस्ट क्रिकेट में दोहरा पाया, इसकी मुझे ख़ुशी है। इससे मुझे विश्वास हुआ कि मेरे पास ऐसे स्किल्स हैं, जिससे मैं उच्च स्तर के क्रिकेट में बल्लेबाज़ों को परेशान कर सकूं।

उनादकट ने मुश्फ़िकुर रहीम को जिस तरीक़े से सेट करके आउट किया, उससे वह बहुत ख़ुश हैं  AP



आपने दिल्ली के ख़िलाफ़ रणजी मैच में पहले ओवर में हैट्रिक ली, जो कि इससे पहले टूर्नामेट के इतिहास में कभी नहीं हुआ था। इसके बाद आपने इसी पारी में 39 रन देकर आठ विकेट लिए जो कि आपके करियर की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी है। कितना स्पेशल था ये?

बिल्कुल, ये मेरे लिए बहुत विशेष था। मुझे पता था कि एक टर्निंग पिच पर अगर आपको अपना प्रभाव डालना है तो आपको नई गेंद से ही कुछ करना होगा। पहला विकेट एलबीडब्ल्यू था, जो गेंद दाएं हाथ के बल्लेबाज़ के लिए अंदर की ओर आई। मुझे नहीं पता था कि यह रणजी ट्रॉफ़ी में पहली, पहले ओवर की हैट्रिक है। दिन के खेल के बाद मुझे मेरी पत्नी ने इस बारे में बताया।

चयनकर्ताओं ने आपको ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ पहले दो टेस्ट के लिए चुना है। आपके लिए इसके क्या मायने हैं?

उन्होंने मुझ पर अब विश्वास दिखाया है। मैं सिर्फ़ अपनी वापसी से ख़ुश नहीं हूं बल्कि टीम की सफलता में अपना योगदान देना चाहता हूं। मुझमें भूख बढ़ी है। जब ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ टीम में मेरा चयन हुआ तब मैं रणजी मैच खेल हैदराबाद लौटा था और अगले मैच के लिए क्या तैयारी करनी है, उस बारे में सोच रहा था। हां, बुमराह टीम में नहीं है इसलिए मुझे मौक़ा मिला है लेकिन मैं अपनी तरफ़ से योगदान देने की पूरी कोशिश करूंगा।

2019-20 में अपनी टीम को रणजी ट्रॉफ़ी फ़ाइनल में पहुंचाकर बहुत ख़ुश थे उनादकट  Hemant Brar/ESPNcricinfo



आपके पास गति नहीं है लेकिन फिर भी आपकी गेंदें बल्लेबाज़ों से बात करती हैं। आपकी सबसे बड़ी ख़ूबी यही है और चयनकर्ता भी आपकी इस बात से सबसे अधिक प्रभावित हैं

मुझे लगता है कि एटिट्यूड सबसे अधिक मैटर करता है। मैंने अपनी गेंदबाज़ी, अपने स्किल के बारे में बहुत सारी आलोचनाएं सुनी हैं, लेकिन वास्तव में मैं अपनी चीज़ों को बहुत सीधा और सरल रखता हूं। मेरी प्रतिद्वंदिता किसी और से नहीं ख़ुद से है। आप समय के साथ-साथ एक क्रिकेटर, एक एथलीट और एक इंसान के रूप में बेहतर होने लगते हैं। यह सिर्फ़ गेंदबाज़ी नहीं, बल्कि फ़िटनेस और बल्लेबाज़ी के लिए भी है।

हाल ही में मैंने अपना एक पुराना वीडियो देखा, जब मैंने 2010 में डेब्यू किया था। अभी वीडियो देखने से लगता है कि मैं बल्ला भी अच्छी तरह से पकड़ना नहीं जानता था। अब मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैं निचले क्रम का एक उपयोगी बल्लेबाज़ हूं।

कई बार मुझे चोट लगी और मैं लंबे समय तक बाहर रहा, वापसी भी मुश्किल रही। कई बार ऐसे मौक़े आए जब मैंने ख़ुद पर संदेह किया कि मैं 100 प्रथम श्रेणी मैच खेल पाऊंगा या नहीं। सभी खिलाड़ियों के साथ एक समय ऐसा आता है जब वह ख़ुद पर संदेह करने लगता है। लेकिन अगर आपका एटिट्यूड सही है तो आप अंतर पैदा कर सकते हैं।

मेरे करियर का यही मंत्र रहा है - सीखते रहो, ख़ुद को बेहतर करते रहो और स्वयं के प्रति ईमानदार रहो।

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नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo में न्यूज़ एडिटर हैं