रणजी ट्रॉफ़ी : शतक के साथ ही 'पुराने' श्रेयस गोपाल की वापसी
आईपीएल के दौरान श्रेयस ने लंबा समय ब्रायन लारा के साथ बिताया था

लंबे समय से श्रेयस गोपाल कर्नाटका के बल्लेबाज़ी क्रम को लंबा और गेंदबाज़ी क्रम को मज़बूत कर रहे हैं। गुरुवार को उत्तराखंड के ख़िलाफ़ क्वार्टर फ़ाइनल मैच में उन्होंने 2017-18 के बाद पहला शतक लगाया। यह प्रथम श्रेणी मैचों में उनका पांचवां शतक है और इससे उनकी टीम को दूसरे दिन स्टंप्स तक 358 रन की विशाल बढ़त मिल चुकी है। अब कर्नाटका के लिए जीत और सेमीफ़ाइनल का टिकट महज़ एक औपचारिकता है।
दिन के खेल के बाद श्रेयस ने कहा, "हां, मैं थोड़ा सा नर्वस ज़रूर था। राजस्थान और केरला के ख़िलाफ़ मैच में मैं अच्छी शुरुआत के बाद क्रमशः 90 रन और 40 रन बनाने के बाद आउट हुआ। इस मैच से पहले मुझे कुछ युवा क्रिकेटर अभ्यास के दौरान मिले थे, जिन्होंने मुझसे कहा था कि ऐसे मौक़ों पर आप थोड़ा सा और ज़ोर दीजिए और माइलस्टोन को पार कर दीजिए।"
श्रेयस के लिए यह शतक बहुत सही समय पर आया है। वह इस सीज़न गेंद से कुछ ख़ास सफल नहीं हो पाए हैं। ऐसे में 74 प्रथम श्रेणी मैच खेल चुके 29 वर्षीय श्रेयस पर अपने आपको साबित करने का दबाव भी था। इस दौरान श्रेयस चोटों से भी जूझे, उनका फ़ॉर्म भी ख़राब हुआ और आत्मविश्वास भी नीचे गया। वह कर्नाटका और आईपीएल टीमों के एकादश से बाहर हुए, इस बार आईपीएल की नीलामी में उन्हें किसी भी टीम ने ख़रीदा भी नहीं। ध्यान देने वाली बात ये है कि इससे पहले उन्होंने लगातार दो बार रणजी ख़िताब जीता था और आईपीएल में उनके नाम हैट्रिक भी था।
उन्होंने कहा, "जब चीज़ें आपके पक्ष में नहीं जाती हैं तो आपको बुरा लगता है। यह बहुत स्वाभाविक है, जब आप अच्छा नहीं करते हो तो आपको निराशा होती है। सभी अपने-अपने तरीक़े से इसका सामना करते हैं। निराशा से लड़ना कठिन था, लेकिन मैंने इस लड़ाई में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। मेरे पास ऐसे दो-तीन लोग हैं, जिनसे मैं अपनी दिल की बातें कहता हूं।"
अपनी बल्लेबाज़ी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैं हमेशा अपनी बल्लेबाज़ी से अंतर पैदा करना चाहता हूं। मैं 100, 150 और 200 बनाना चाहता हूं। गेंदबाज़ी में मैं मैच में 10 विकेट लेना चाहता हूं। इसी तरह से आप बने रह सकते हैं। आपको लगातार मेहनत करना होता है।"
पिछले साल आईपीएल में श्रेयस, सनराइज़र्स हैदराबाद के सदस्य थे, जहां उन्हें ब्रायन लारा से बहुत कुछ सीखने को मिला। इस अनुभव के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैं पिछले सात-आठ महीने से लगातार ब्रायन लारा के संपर्क में हूं। खेल के बारे में दिए गए उनके छोटे-छोटे इनपुट दूसरे कोचों से बहुत अलग थे। मैं उनसे हमेशा पूछता था कि वह 400-500 की लंबी-लंबी पारियां कैसे खेल लेते थे? मैं उनका दिमाग़ पढ़ने की कोशिश करता था। जहां 100 बनाने के बाद मैं आधा थक जाता हूं, वह 400 के बाद एक और शतक बनाने की सोचते थे।"
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर दया सागर ने किया है।
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