Features

निचले क्रम में भारत की कमजोर बल्लेबाज़ी आने वाली सीरीज़ में भारतीय टीम को बैकफुट पर धकेल सकती है

पुछल्ले बल्लेबाज़ों के कमजोरी का निदान निकट भविष्य में भी नज़र नहीं आता है

2018 में भारत साउथेम्प्टन में, श्रृंखला को बराबर करने के लिए 245 रनों का पीछा करते हुए 5 विकेट पर 150 रन बना चुका था लेकिन 34 रन पर अपने आखिरी पांच विकेट गंवा दिए।  Getty Images

साउथेैंप्टन 2018पर्थ 2018 क्राइस्टचर्च 2020 एडिलेड 2020 साउथेैंप्टन 2021.

Loading ...

ऊपर दिए गए जगह और साल, विदेशी दौरों पर भारत के पिछले सात में से पांच पराजय की कहानी लिखते हैं। इन पांच टेस्ट मैचों को देखा जाए तो उनमें से प्रत्येक मैच में छह विकेट गिरने के बाद भारत की पहली पारी का स्कोर विपक्षी टीम की तुलना में या तो बेहतर या तकरीबन बराबर था। लेकिन इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के निचले क्रम ने उन पारियों में अपने स्कोर में क्रमशः 160, 75, 82, 80 और 87 रन जोड़े, जबकि भारत के अंतिम चार विकेट ने सिर्फ 84, 32, 45, 38 और 35 रनों का योगदान दिया।

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि भारत की निचले क्रम की बल्लेबाज़ी स्पष्ट रूप से काफी कमजोर है। 2018 की शुरुआत के बाद से भारत के निचले क्रम के बल्लेबाज़ों (नंबर 8 और उसके नीचे) का औसत 13.39 रहा है, जो टेस्ट क्रिकेट में केवल दक्षिण अफ़्रीका, श्रीलंका, ज़िम्बाब्वे और अफ़गानिस्तान से बेहतर है। यदि आप इसे केवल नंबर 9 से 11 तक सीमित रखते हैं तो भारतीय बल्लेबाज़ी इस मामले में पूरी दुनिया में सबसे खराब स्थिति में है।

 Getty Images

निचले क्रम में खराब बल्लेबाज़ी या कम रन बनाने का मुद्दा भारतीय टीम को तब परेशान नहीं करती है, जब वो घरेलू मैदान पर खेलती है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने इस साल की शुरुआत में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ अपनी घरेलू श्रृंखला के दौरान इस बात का पुख्ता सबूत दिया था। घरेलू श्रृंखला में तो भारतीय टीम बड़े आराम से बोलिंग ऑलराउंडर्स को टीम में जगह दे सकती है, जिससे निचले क्रम की बल्लेबाज़ी में थोड़ी गहराई आए। लेकिन जब आप एशिया के बाहर खेलने जाते हैं तो यह ट्रिक बिल्कुल भी कारगर साबित नहीं होता है। विदेशी पिचों पर बिना किसी शक के भारतीय टीम तेज़ गेंदबाज़ों को टीम में रखेगी और यह सबको पता है कि भारत के तेज गेंदबाज़, बल्लेबाज़ी के मामले में कितने कमजोर हैं।

श्रीलंका के ख़िलाफ़ खेले जा रहे दूसरे वनडे में जब निचले क्रम में भुवनेश्वर कुमार और दीपक चाहर बढ़िया बल्लेबाज़ी कर रहे थे, तब शायद इंग्लैंड में बैठी भारतीय टीम सुकुन से जरूर मुस्करा रही होगी और हम इसका कारण बखूबी जानते हैं।

हालांकि प्रथम श्रेणी क्रिकेट में चाहर की गेंदबाज़ी का औसत 35.10 है। इस लिहाज़ से तो चाहर को टेस्ट मैच में शामिल करना काफी मुश्किल होगा। हां, यह एक अलग बात होगी कि अगर भुवनेश्वर कुमार पूरी तरह से फ़िट होकर टीम में शामिल हो जाते हैं तो निश्चित रूप से वो टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हो सकते हैं। हालांकि भुवनेश्वर की चोट और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनकी कम उपस्थिति ने उन्हें एक वनडे स्पेशलिस्ट का इमेज दे दिया है। उन्होंने आखिरी बार जनवरी 2018 में प्रथम श्रेणी मैच खेला था।

श्रीलंका में हार्दिक पंड्या भारतीय टीम में शामिल हैं और वो तकरीबन हर मैच में भारतीय टीम का हिस्सा रहे हैं। हार्दिक आमतौर पर टेस्ट टीम में एक उपयोगी विकल्प साबित हो सकते हैं, जो विदेशी पिचों पर नंबर 7 पर बल्लेबाज़ी करने में सक्षम हैं। हार्दिक की मौजूदगी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि नंबर 7 पर भारत को चौथे सीमर का ऑप्शन भी मिल जाता ह। हालांकि वह पीठ की चोट से उबरने के बाद केवल सफेद गेंद क्रिकेट में गेंदबाज़ी कर रहे हैं और लाल गेंद की गेंदबाज़ी के कार्यभार को संभालने में उन्हें शायद वक्त लगेगा।

अंत में यह चर्चा हमें शार्दुल ठाकुर के विकल्प की तरफ ध्यान खींचने के लिए मजबूर कर देता है। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनका औसत केवल 16.58 का है, लेकिन ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि उनका बल्लेबाज़ी क्रम काफी नीचे है। भारतीय टीम के लिए खेले गए 16 पारियों में शार्दुल केवल चार बार इकाई अंकों के स्कोर को पार कर पाए हैं। हालांकि गाबा में उनकी 67 रनों की पारी यह बताने के लिए काफी है कि उनमें बल्लेबाज़ी करने की अच्छी खासी क्षमता है और नंबर 8 पर वो बखूबी बढ़िया बल्लेबाज़ी का मुजाहिरा कर सकते हैं। एक सच यह भी है कि ठाकुर को उस मैच में खेलने का मौका इसलिए मिला क्योंकि भारतीय टीम के ज्यादातर गेंदबाज़ घायल और अनुपलब्ध थे। उन्होंने उस मैच की दूसरी पारी में बढ़िया गेंदबाज़ी भी की थी। विशुद्ध रूप से तेज़ गेंदबाज़ी के मामले में इंग्लैंड में भारतीय की टीम के पास 6 विकल्प हैं, जिसमें शार्दुल का भी नाम शामिल है। भारत की थ्री-मैन सीम अटैक में उन्हें जगह मिलना मुश्किल है। अगर उन्हें भारतीय टीम में मौका मिलता भी है, तो भारत को चार तेज़ गेंदबाज़ों के साथ मैदान पर उतरेगा।

इसलिए नॉटिंघम में पहले टेस्ट से पहले भारत के सामने एक प्रमुख समस्या उनके सामने खड़ी होगी, जो कि पिछले कई सालों की कहानी है। भारत ने अपने पिछले चार टेस्ट मैचों में पांच गेंदबाज़ों को चुना है। इसका साफ मतलब है कि तीन तेज़ गेंदबाज, आर अश्विन और रवींद्र जडेजा पांच गेंदबाज़ होंगे जो उन्हें नंबर 8 तक बल्लेबाज़ी की गहराई देते हैं। लेकिन यह 3-2 का संयोजन हमेशा इंग्लिश परिस्थितियों में आदर्श नहीं हो सकता है।

डब्ल्यूटीसी फ़ाइनल एक हरी पिच पर खेला गया था और लगभग पूरी तरह से आसमान में बादल छाए हुए थे। न्यूज़ीलैंड के पास चार विशुद्ध तेज गेंदबाज़ी का विकल्प था और साथ ही कॉलिन डी ग्रैंडहोम की सटीक लाइन-लेंथ वाली मध्यम गति की गेंदबाज़ी भी थी। न्यूज़ीलैंड इस तरह के आक्रमण को चुन सकता था क्योंकि डी ग्रैंडहोम और काइल जेमीसन अलग-अलग तरह के ऑलराउंडर हैं और बल्ले से भीबउपयोगी योगदान दे सकते हैं। यहां तक ​​​​कि ट्रेंट बोल्ट भी बल्ले के साथ कुछ देर तक पिच में समय बिताने में सक्षम हैं। एक नंबर 11 के बल्लेबाज़ के तौर पर उनका औसत, उन बल्लेबाज़ो से पूरे विश्व में सबसे अधिक है, जिन्होंने टेस्ट में कम से कम 30 पारियों में बल्लेबाज़ी की है।

भारतीय टीम न्यूज़ीलैंड के पेस अटैक का जवाब देने में नाकाम रही। अश्विन ने दो पारियों में अपने 25 ओवरों में केवल 45 रन दिए और 4 विकेट लिए। जाडेजा उस मैच में कुछ हद तक हाशिए पर चले गए।

भारत अपने गेंदबाज़ी क्रम में दूसरे स्पिनर को शामिल करे या नहीं करे, यह काफी समय से ज्वलंत मुद्दा रहा है। हालांकि अगर भारत तेज़ गेंदबाज़ी के विकल्प के साथ जाता है, तो एक ऐसे गेंदबाज़ को टीम में देखा जा सकता है जो निचले क्रम में बल्लेबाज़ी भी करे। अगर भारतीय टीम के तेज़ गेंदबाज़ों को देखें तो कहीं ना कहीं उन पर अपने काम का ज्यादा दबाव होता है। उदाहरण के लिए 2018 में इंग्लैंड में भारत की आखिरी टेस्ट श्रृंखला के दौरान दोनों टीमों ने अपने गेंदबाज़ी कार्यभार को कैसे वितरित किया था।

श्रृंखला में भारत के पांचवें सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले गेंदबाज़ जडेजा ने पांच टेस्ट मैचों में से सिर्फ एक मैच खेला था। इंग्लैंड के पांचवें सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले गेंदबाज सैम करन ने उस सीरीज़ में चार टेस्ट खेले थे।

 Getty Images

इंग्लैंड वाले सेक्शन में "अन्य(Others)" ऑप्शन भारत गेंदबाज़ के द्वारा किए गए ओवरों से ज्यादा है। श्रृंखला में भारत के पांचवें सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले गेंदबाज जडेजा ने पांच टेस्ट मैचों में से सिर्फ एक मैच खेला। इंग्लैंड के पांचवें सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले गेंदबाज सैम कुरेन ने चार टेस्ट खेले।

इस श्रृंखला के आकड़ों माध्यम से इंग्लैंड की गेंदबाज़ी की गहराई का एक स्पष्ट उदाहरण मिलता है, जो कुरन, बेन स्टोक्स, मोइन अली और क्रिस वोक्स की पसंद के हरफनमौला कौशल से संभव हो पाया है। आप अधिक गेंदबाजों के साथ खेल सकते हैं लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी तथ्य यह है कि गेंदबाज़ों को बल्लेबाज़ी भी करनी होगी। वे गेंदबाज़ एक-दूसरे के कार्यभार को कम कर सकते हैं। पांच टेस्ट की श्रृंखला में, यह एक बड़ा अंतर ला सकता है।

गहरे गेंदबाज़ी का आक्रमण होने से टीमों को खेल के विशिष्ट चरणों के लिए विशिष्ट गेंदबाजों को आरक्षित करने या किसी विशेष फेज में गेंदबाज़ी करने के लिए मौका देता है,। न्यूजीलैंड ने 2020 की शुरुआत में भारत के खिलाफ अपनी घरेलू श्रृंखला में इतना अच्छा प्रदर्शन किया था। इसका सबसे बड़ा कारण था कि उनकी टीम की गेंदबाज़ी की गहराई काफी ज्यादा थी, जो अलग-अलग फेज या प्लान के साथ गेंदबाज़ी करने में सक्षम थे।

वर्तमान इंग्लैंड दौरे पर, भारत उस तरह की गेंदबाजी की गहराई के साथ तब तक नहीं खेल सकता जब तक वे अपनी बल्लेबाज़ी की गहराई का त्याग नहीं करते। तो इस समस्या का निदान क्या है?

चार तेज गेंदबाज़ो के साथ खेलना एक विकल्प है, जिससे भारतीय टीम सीम करने वाली पिचों पर कार्यभार को बांटने में मदद कर सकती है। लेकिन भारत के लिए इस तरह के टीम कॉम्बिनेशन के साथ खेलना इतना आसान नहीं है। अपने सर्वश्रेष्ठ चार गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, इशांत शर्मा और मोहम्मद सिराज को चुनना सुलभ नहीं होगी क्योंकि चारों की बल्लेबाज़ी काफी कमजोर है। इसलिए ठाकुर को लगभग टीम में जगह देना ही होगा।

फिर स्पिनरों का क्या? भारत के लिए जाडेजा को छोड़ना और 4-1 की सीम-स्पिन आक्रमण के साथ खेलना बहुत मुश्किल होगा, क्योंकि इससे अश्विन या ठाकुर की बल्लेबाज़ी सातवें नंबर पर होगी। जाडेजा का पिछले पांच वर्षों में बल्ले से औसत 44.47 है, और अश्विन का औसत 23.58 रहा है।

4-1 के आक्रमण के लिए भारत को अश्विन को बाहर करने की आवश्यकता हो सकती है - एक ऐसा कदम जो बेहद बहादुर और बेहद रक्षात्मक दोनों होगा, यह देखते हुए कि वह अपने जीवन के गेंदबाजी के सबसे सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में है,ऑस्ट्रेलिया के दौरा के बाद से उन्होंने 17.95 की औसत से 48 विकेट चटकाए हैं। जिसमें उनके आठ में से चार टेस्ट घर से बाहर खेले हैं। इंग्लैंड के संभावित शीर्ष सात में से तीन - रोरी बर्न्स, स्टोक्स और कुरेन - बाएं हाथ से बल्लेबाजी करते हैं, ऐसे में भारत के लिए अश्विन को बाहर करना और भी मुश्किल हो जाएगा।

सबसे मुश्किल विकल्प यह है बना स्पिनर के मैदान में उतरे और नंबर 6 पर एक स्पेशलिस्ट बल्लेबाज़ को खिलाएं। ऐसा तब ही संभव है जब 2018 के जोहान्सबर्ग टेस्ट की तरह सीम-गेंदबाजी की चरम स्थिति होगी।

चाहे भारत 3-2, 3-1, 4-1 या 4-0 के बोलिंग अटैक के हिसाब से अपना आक्रमण चुने लेकिन भारत की लाइन-अप तीन पुराने स्कूल के टेलेंडर्स के साथ समाप्त हो जाएगी, जब तक कि उनके बल्लेबाज़ी कोच शमी और बुमराह के साथ किसी तरह का चमत्कार नहीं करते।

पहले टेस्ट के लिए इंग्लैंड की टीम का भारतीय टीम के साथ तुलना करें। उनके टीम में तीन गेंदबाज़ी करने वाले ऑलराउंडर हैं। जिसमें स्टोक्स, कुरन और ऑली रॉबिन्सन शामिल हैं। स्पिन ऑल राउंडर के तौर पर डॉम बेस हैं। इंग्लैंड किसी भी टीम कॉम्बिनेशन के साथ खेले लेकिन उनके पास हमेशा 4 तेज गेंदबाज़ टीम में होंगे और नंबर 9 तक बल्लेबाज़ी की गहराई होगी। पांच से अधिक टेस्ट के मामले में, संसाधनों की ऐसी गहराई 2018 की तरह ही अमूल्य साबित हो सकती है।

भारत के पास कुरन या स्टोक्स नहीं है। उन्हें एक बार फिर जरूरत के हिसाब से अपनी बल्लेबाज़ी या गेंदबाज़ी की गहराई या दोनों से समझौता करना होगा। यह एक सच्चाई है जिसके साथ उन्हें रहना होगा, जैसा कि उन्होंने पिछले तीन वर्षों से किया है।

कार्तिक कृष्णास्वामी ESPNcricinfo के सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।