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कुलदीप यादव : हर किसी ने कहा तेज़ फेंको, लेकिन यह नहीं कि कैसे

कुलदीप ने विश्व कप के पहले मैच में 42 रन देकर दो विकेट लिए

विश्व कप के पहले मुकाबले में कुलदीप ने की थी धारदार गेंदबाजी  AFP/Getty Images

बाएं हाथ के रिस्ट स्पिनर कुलदीप यादव ने हालिया समय में मिल रही सफलता के पीछे का कारण अपनी गति में तेज़ी लाने और दाएं पैर पर कम भार देने को बताया है। पिछले कुछ सालों में वनडे क्रिकेट में कुलदीप काफ़ी तेज़ी से उभरे हैं और ख़ास तौर से 2023 अब तक उनके लिए बेमिसाल रहा है। इस साल अब तक कुलदीप ने 17 पारियों में 16.31 की औसत और 4.68 की इकॉनमी से 35 विकेट झटके हैं। भारत के किसी अन्य गेंदबाज़ ने उनसे अधिक विकेट नहीं लिए हैं और पूरे विश्व में केवल नेपाल के लेग-स्पिनर संदीप लमिछाने ने ही उनसे अधिक 43 विकेट हासिल किए हैं।

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ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ भारत के पहले विश्व कप मुक़ाबले में डेविड वार्नर और ग्लेन मैक्सवेल को आउट करने वाले कुलदीप ने कहा, "हर किसी ने मुझसे कहा कि मेरी गेंदों को गति की ज़रूरत है, लेकिन किसी ने नहीं बताया कि ये कैसे करना है। घुमाव वाली पिचों पर सबसे अहम चीज़ होती है कि गेंद किस गति से घूम रही है। धीमे घुमाव वाली पिचों पर गति में मिश्रण करना अहम होता है।"

"चेन्नई का विकेट धीमी घुमाव वाला नहीं था, लेकिन मुझे अपनी गेंदों की गति बढ़ानी पड़ी। उदाहरण के तौर पर मैक्सवेल को समय नहीं मिला और यदि आपने देखा हो कि स्मिथ किस तरह से बोल्ड हुए। घुमाव के साथ गेंद की गति भी अहम है।"

2021 में घुटने की सर्जरी कराने के बाद कुलदीप के करियर में टर्निंग प्वाइंट आया। रिहैब के दौरान भारतीय टीम के पूर्व फ़िज़ियो आशीष कौशिक ने उनसे दाएं पैर पर कम भार डालने को कहा था और संभवतः यह चीज़ उनके हित में गई है। ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ उन्होंने 42 रन देकर दो विकेट लिए और उनके दोनों विकेट अहम मौक़ों पर आए।

कुलदीप ने बताया, "जब मैं चोट से वापसी कर रहा था तो फ़िज़ियो आशीष कौशिक ने सलाह दी थी कि मेरे दाएं पैर पर भार कम होना चाहिए। रिहैब के बाद मैंने ट्रेनिंग और मैच में इस चीज़ पर काम किया और मुझे अंतर महसूस हुआ। हालांकि, यह रातों-रात नहीं हुआ। मुझे लय हासिल करने में छह महीने लगे।"

भारतीय टीम के गेंदबाज़ी कोच पारस म्हाम्ब्रे भी इस साल वनडे में कुलदीप की सफलता से काफी खुश हैं।

उन्होंने कहा, "कुलदीप को श्रेय मिलना चाहिए क्योंकि उन्होंने मेहनत की है। कई बार जब आप गेंदबाज़ से इस बारे में बात करते हैं तो आपको खुद एहसास होता है कि आपको किन चीज़ों में सुधार लाना है। उन्होंने निश्चित चीज़ों पर काम किया है, तकनीकी बदलाव किए हैं और आप उसे उनकी गेंदबाज़ी में देख सकते हैं। गति तेज़ हुई है, लेंथ और गेंद का टप्पा सही हुआ है और ये हमारे लिए काफ़ी अच्छा है।"

भले ही विश्व कप के पहले मैच में भारत ने रवींद्र जाडेजा, रवि अश्विन और कुलदीप की स्पिन तिकड़ी उतारी थी, लेकिन कुलदीप ने संकेत दिए हैं कि अन्य मैदानों पर इसमें बदलाव देखा जा सकता है।

उन्होंने कहा, "पूरे टूर्नामेंट को लेकर आश्वस्त नहीं हूं, लेकिन लगातार कई सालों से देखा है कि चेन्नई में आप तीन स्पिनर्स के साथ खेल सकते हैं। यदि दूसरी टीम के पास भी तीन अच्छे स्पिनर्स होते तो बल्लेबाज़ी में हमारे लिए भी कठिनाई हो सकती थी। मेरे ख़्याल से मैक्सवेल ने अच्छी गेंदबाज़ी की, लेकिन उन्हें दूसरे छोर से सहायता नहीं मिली।"

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