टेस्ट मैच से पहले अभ्यास की कमी पर बोले रमेश पवार, खिलाड़ियों की मानसिक मजबूती अधिक ज़रूरी
कप्तान मिताली राज ने कहा- टीम के ऊपर कोई दबाव नहीं, लड़कियों को इंग्लैंड दौरे पर बेहतर अनुभव मिलेगा
Ramesh Powar: 'Opportunity for Mithali and I to take team to the next level'
The pair reunite after a public spat in November 2018भारतीय महिला क्रिकेट टीम सात मैच के लंबे इंग्लैंड दौरे के साथ अपने व्यस्त सीज़न की शुरुआत करेगी। यह दौरा 16 जून से एकमात्र टेस्ट के साथ शुरू होगा, जो कि पिछले सात सालों में उनका पहला टेस्ट मैच है। इंग्लैंड के लिए टीम के रवाना होने से पहले टेस्ट और वनडे कप्तान मिताली राज और नवनियुक्त कोच रमेश पवार ने टीम की तैयारियों, प्रमुख खिलाड़ियों के वर्कलोड मैनेजमेंट आदि के बारे में पत्रकारों से विस्तार रूप से बात की। प्रेस कॉन्फ़्रेंस की प्रमुख बातों का अंश यहां दिया गया है।
प्र. 18 सदस्यीय टेस्ट टीम में से दस खिलाड़ियों ने इससे पहले कोई टेस्ट नहीं खेला है। भारत इस साल दो टेस्ट खेलेगा। क्या घरेलू मैदानों से दूर सबसे लंबे प्रारूप में पहली बार खेल रहे खिलाड़ियों को किसी प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है?
मिताली: टेस्ट मैचों का आयोजन करना अच्छी बात है, फिर चाहे वह घर पर हो या बाहर। अगर इस तरीके की क्रिकेट लगतार खेली जाएगी तो इससे खिलाड़ियों को काफी मदद मिलेगी। कभी-कभी बिना किसी दबाव के मैदान पर उतरना अच्छा होता है। आप बस मैदान पर जाएं और इस खेल का आनंद लें। 2014 में जिन खिलाड़ियों ने टेस्ट खेला था, वे अपना अनुभव पहली बार टेस्ट खेल रहे खिलाड़ियों के साथ साझा कर सकते हैं। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया दोनों दौरों पर टेस्ट मैच होना मौजूदा टीम के खिलाड़ियों को बहुत कुछ दे सकता है। अगर आने वाले सालों में इसे आगे बढ़ाया जाता है तो यह खेल के लिए बहुत अच्छा होगा।
पवार: मुझे लगता है कि मुख्य कोच के रूप में यह एक शानदार शुरुआत होगी। जाहिर है कि मैं पूरी दुनिया में और ज्यादा टेस्ट मैच का आयोजन देखना चाहता हूं। हमें इसे अलग तरह से देखना होगा। यह सिर्फ एक शुरुआत है। इस प्रारूप को एक योजना के तहत आगे बढ़ाना होगा। हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि हम महिला खिलाड़ियों पर काफी ज्यादा दबाव ना बनाएं। यह उनके लिए एक नया प्रारूप है, जो पिछले दस वर्षों में नहीं खेला गया है। ऐसा हो सकता है कि वे इस फॉर्मेट में बेहतरीन प्रदर्शन कर के हम सब को चौंका दें।
प्र. भारतीय महिला टीम ने पिछले साल टी-20 विश्व कप के बाद से मार्च में दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ घर में केवल एक पूरी श्रृंखला खेली है। मुंबई में वे क्वारेंटीन हैं और साउथैंप्टन में भी उन्हें क्वारंटीन रहना पड़ेगा। यह टीम की तैयारियों को कैसे प्रभावित करेगा?
पवार: अभी पूरी दुनिया एक मुश्किल दौर से गुजर रही है। हम इसके सकारात्मक पहलू को देखने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आप इसे देखें तो महिला क्रिकेटरों को मौके मिल रहे हैं। उन्हें टेस्ट, वनडे और टी20 तीनों फॉर्मेट एक साथ खेलने का मौका मिल रहा है। यह 45 दिनों का एक बढ़िया लंबा दौरा है। हम एक टीम के रूप में इस तरह के दौरे के लिए बीसीसीआई के आभारी हैं। हां, यह जरूर है कि क्वारंटीन रहना आसान नहीं है। हम फिजिकल प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे लेकिन यह जरूर है कि खुद को मानसिक रूप से तैयार किया जा सकता है। अपने पिछले असाइनमेंट में हमने इस संदर्भ में कोशिश की थी और इसका हमें लाभ भी हुआ है। मैंने मुंबई पुरुष टीम के साथ भी ऐसा प्रयोग किया था और वह सफल रहा था। मैदान पर इसके सकारात्मक परिणाम भी आए थे।
प्र. इंग्लैंड की विपरीत परिस्थितियों में टीम कैसे तालमेल बिठाएगी?
पवारः यह तय है कि वहां की परिस्थितियों में गेंद मूव करेगी। मुझे लगता है कि इंग्लैंड के हर हिस्से में स्थितियां अलग-अलग होंगी, इसलिए हम कोशिश करेंगे कि उसके साथ जल्द से जल्द तालमेल बिठाए। बल्लेबाज़ जाहिर तौर पर शरीर के करीब खेलेंगे। उन्हें अधिक धैर्य दिखाना होगा। जब सूरज निकलेगा तो वे अपनी बल्लेबाजी का आनंद ले सकेंगे, वहीं जब सूरज ढल जाएगा या फिर बादलों में छिप जाएगा, तो उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी। गेंदबाज़ो को भी अगर काफी मदद मिली तो उन्हें अपनी स्विंग पर नियंत्रण रखना होगा। बहुत सी चीजें हैं। हम वहां जाएंगे और आंकलन करेंगे। हम पहले से एक खास प्लान के साथ नहीं जा सकते हैं क्योंकि कभी-कभी आपको सपाट ट्रैक भी मिल सकते हैं।
प्र. गेंदबाज़ी आक्रमण में 38 वर्षीय झूलन गोस्वामी का कार्यभार प्रबंधन कितना महत्वपूर्ण है?
मिताली: यह बेहद महत्वपूर्ण है कि उन्हें खेलने का मौका मिले, लेकिन साथ ही सबसे वरिष्ठ होने के नाते उन्हें कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान भी रखना होगा। झूलन के बारे में जहां तक मुझे पता है कि वह हर मैच खेलना चाहती हैं। एक कप्तान के रूप में भी मैं उन्हें मैदान पर रखना चाहूंगी ताकि टीम के युवा तेज गेंदबाजों को उनके आसपास रहने पर काफी मदद मिले।
Shafali Verma: 'Looking back, there was a lot of struggle, but I'm happy with where I am today'
The 17-year-old from Rohtak talks about her early struggles, facing the Haryana Ranji Trophy bowlers, and finding motivation to win the next World Cupप्र. 17 साल की बल्लेबाज़ शफ़ाली वर्मा पर आपके क्या विचार हैं?
पवार: लंबे प्रारूप में सफल होने के लिए शफ़ाली को अभ्यास सत्र के दौरान शॉट कंट्रोल पर काम करना होगा। जब मैंने विजय हजारे ट्रॉफी के दौरान मुंबई के लिए कोचिंग दी थी, तब पृथ्वी शॉ पर इस तरीके से काम किया गया था ताकि वह सही मौके का इंतज़ार कर सकें और गेम को समझ सके। डेढ़ महीने के बाद जब वह लौटेगी तो आप एक अलग शफ़ाली वर्मा को देख सकते हैं।
Mithali: 'Wanted to make players realise their role in women's cricket history'
The India captain on the Test kit presentation ceremony undertaken ahead of the tour of Englandप्र. लड़कियों के लिए टेस्ट जर्सी का क्या महत्व है?
मितालीः यह उनके लिए बहुत विशेष मौका है। टेस्ट क्रिकेट, क्रिकेट का सबसे पुराना और कठिन फॉर्मेट होता है और सफेद जर्सी को पहनने का अपने आप में एक आकर्षण होता है। इसलिए, जब एक समारोह जैसे माहौल में उन्हें टेस्ट की सपेद जर्सी दी गई, तो वे बहुत खुश दिखीं। मैं यह भी कहूंगी, कि 1990 के दशक में मैंने जब डेब्यू किया था, तो ऐसा कोई समारोह नहीं होता था। लेकिन यह अच्छा है कि लड़कियां टेस्ट क्रिकेट को लेकर काफी एक्साइटेड हैं। यह दिखाता है कि उनके लिए टेस्ट क्रिकेट का क्या महत्व है और यह सिर्फ खिलाड़ियों के लिए ही नहीं बल्कि टीम के लिए, पूर्व खिलाड़ियों के लिए और महिला क्रिकेट के इतिहास के लिए भी बहुत विशेष है, जिनके योगदान के बिना इस टीम का निर्माण संभव नहीं था।
पवार: ऐसा मैं पहले मुंबई टीम के साथ भी कर चुका हूं और मुझे लगा कि यह ऐसा कुछ है, जो भारतीय महिला टीम के साथ अभी नहीं होता है। जब आप सफेद जर्सी में भारत और बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व करते हो, तो यह बहुत ही विशेष बात होती है और इस विशेष अवसर के लिए ऐसे विशेष समारोह होने चाहिए। इससे टीम को अपना मनोबल बढ़ाने और लक्ष्य तय करने में भी मदद मिलती है।
गौरतलब है कि जेमिमा रोड्रिगेज और दीप्ति शर्मा जैसी खिलाड़ियों ने टेस्ट जर्सी मिलने के बाद सोशल मीडिया पर भी अपनी खुशी जाहिर की थी।
ऑन्नेशा घोष ईएसपीएन क्रिकइंफ़ो में सब एडिटर हैं। अनुवाद ईएसपीएन क्रिकइंफ़ो हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।
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