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CSK के प्री-सीज़न कैंप में क्या-क्या होता है?

धोनी की क्या रहती है भूमिका, बता रहे हैं कोच फ़्लेमिंग

धोनी और फ़्लेमिंग लंबे समय से साथ कर रहे हैं काम  BCCI/IPL

चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) ऐसी टीम है जिसकी चर्चा हमेशा होती रहती है। इस टीम ने इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में सबसे अधिक फ़ाइनल खेले हैं और लीग की सबसे सफ़ल टीमों में से एक है। CSK की कुछ चीज़ें ऐसी हैं जो काफ़ी पारंपरिक हैं और सालों से फ़्रैंचाइज़ी एक चीज़ को दोहराती आ रही है। हर टीम IPL शुरू होने से पहले प्री-सीज़न का आयोज़न करती है, जिससे टूर्नामेंट के लिए टीम को अच्छे से तैयार किया जा सके।

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CSK के प्री-सीज़न में क्या होता है यह जानने के लिए क्रिकेट फैंस हमेशा उत्सुक रहते हैं। चेन्नई का चेपॉक स्टेडियम तो CSK की ट्रेनिंग देखने के लिए ही फ़ुल हो जाता है। टीम के मुख्य कोच स्टीफ़न फ़्लेमिंग ने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के साथ बातचीत में प्री-सीज़न के बारे में अहम जानकारी दी है।

फ़्लेमिंग के मुताबिक प्री-सीज़न में वह आराम करते हैं और अधिक हस्तक्षेप नहीं करते हैं। उन्होंने कहा, "धोनी इसमें काफ़ी अहम भूमिका निभाते हैं और उन्हें कुछ चीज़ों की ज़रूरत होती है। वह जल्दी जाते हैं और खिलाड़ी भी उनका अनुपालन करते हैं।"

फ़्लेमिंग ने बताया कि खिलाड़ियों की उम्र और बहुत अधिक व्यस्तता के चलते उनके प्री-सीज़न पिछले कुछ सालों में लंबे हुए हैं। जो खिलाड़ी उपलब्ध होते हैं वह शुरुआत से इसका हिस्सा होते हैं और विदेशी खिलाड़ी अपनी सुविधा के हिसाब से इसका हिस्सा बनते हैं।

उन्होंने कहा, "हमारे घरेलू भारतीय खिलाड़ियों को दो मुख्य लाभ मिलते हैं। पहला यह कि उन्हें धोनी के साथ समय बिताने का मौक़ा मिलता है और दूसरा यह कि उनके पास वापस सिस्टम में आने का मौक़ा होता है। फ़िलहाल सबसे बड़ी समस्या हमें ये हो रही है कि घरेलू खिलाड़ियों का वर्कलोड काफ़ी अधिक है।"

घरेलू खिलाड़ियों पर CSK फ़्रैंचाइज़ी अपने फ़िज़ियो और ट्रेनर के साथ काम करती है ताकि उन्हें सीज़न शुरू होने से पहले खेलने के लिए तैयार कर ले जाए।

CSK के साथ होता है एक फ़ोरेंसिक साइकोलॉजिस्ट

फ़्लेमिंग ने ख़ुलासा किया है कि उनके साथ ऑस्ट्रेलिया के रीड नामक एक फ़ोरेंसिक साइकोलॉजिस्ट भी यात्रा करते हैं। रीड टीम के साथ बहुत बड़े रोल में नहीं हैं, लेकिन उनका इस्तेमाल एक उपकरण के रूप में किया जाता है। रीड का काम मुख्यतः खिलाड़ियों पर मैदान और उसके बाहर पड़ने वाले प्रेशर को कम करने का होता है।

फ़्लेमिंग ने बताया, "अगर चीज़ें सही नहीं जा रही होती हैं तो सोशल-मीडिया काफ़ी मुश्किलें खड़ी करता है। वह खिलाड़ियों को प्रेशर, तनाव और प्रदर्शन झेलने के लिए कुछ चीज़ें बताते हैं। खिलाड़ियों को निराशा, गुस्सा या सोशल मीडिया की परेशानी से पार पाने के लिए चीज़ें दी जाती हैं। आप एक मैच गंवाते हैं और आपको बहुत सारी चीज़ों का सामना करना पड़ता है।"

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सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में सीनियर राइटर हैं।