रोहित शर्मा के नए आक्रामक बल्लेबाज़ी के अंदाज़ ने वनडे और भारत के खेल को बदल दिया
भारतीय कप्तान और मैनेजमेंट ने तेज़ शुरुआत का रवैया अपनाया और अब उन्हें इसका फ़ायदा मिल रहा है

पिछले विश्व कप से लेकर इस विश्व कप के बीच में जितने कम वनडे मैच खेले गए इसको लेकर कोई बात नहीं करता है। इस दौरान काफ़ी कम मैच खेले गए और दुनिया के बेस्ट खिलाड़ियों को वनडे में देखने का इतना कम मौक़ा मिला कि हम उनके बदलावों को भी नहीं समझ सके। भारत का पूर्णकालिक वनडे कप्तान बनने के बाद से रोहित शर्मा के खेल में आए बदलाव को भी हम नोटिस नहीं कर सके।
हालांकि विश्व कप में हर कोई इस बात को नोटिस कर रहा है। ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ कठिन परिस्थितियों में शून्य के स्कोर पर आउट होने के बाद रोहित ने अगले दो मैचों को लगभग पावरप्ले में ही समाप्त कर दिया था।
अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ उन्होंने पहले 10 ओवरों में 43 गेंदों में 76 और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 30 गेंदों में 45 रन बनाए थे। ये ऐसी पारियां नहीं थीं जिनमें वो उस दिन अच्छा महसूस कर रहे थे और बल्ला चला रहे थे।
वनडे में रोहित आक्रामक स्वभाव के साथ पिछले कुछ समय से लगातार बल्लेबाज़ी कर रहे हैं। 2022 की शुरुआत से अब तक 35 बल्लेबाज़ों ने पहले पावरप्ले के अंदर ही 300 या उससे अधिक रन बनाए हैं। इनमें से केवल दो ही रोहित की स्ट्राइक-रेट (111) से ऊपर गए हैं। हालांकि इन दो में शामिल ट्रैविस हेड और फ़िल सॉल्ट में से किसी ने भी रोहित जितने रन नहीं बनाए हैं। इनमें से कोई कप्तानी भी नहीं कर रहा है।
क्रिकेट में क्रांति कप्तान के द्वारा प्लान की जाती है और युवा इसे अमल में लाते हैं। आमतौर पर बल्लेबाज़ कप्तान ख़तरे वाला काम नहीं करते हैं। केवल दो कप्तानों ने ही ठीक समय के लिए आक्रामक रुख़ अपनाया है और वो थे 2015 में ब्रैंडन मक्कलम और 2009 में क्रिस गेल।
2015 में मक्कलम ने पहले 10 ओवरों में 163 की स्ट्राइक-रेट से तो वहीं गेल ने 2009 में 117 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए थे। इन खिलाड़ियों का स्वभाव ही ऐसा रहा है, लेकिन रोहित का तरीका अलग है। रोहित का करियर उस समय बदला जब उन्होंने पहले 20 गेंदों में आउट नहीं होने का प्लान बनाया और फिर धीरे-धीरे अपनी पारी को आक्रामक रुख़ देते थे। अब उन्होंने अपनी बल्लेबाज़ी का पूरा तरीका ही बदल दिया है।
इसकी शुरुआत टी-20 इंटरनेशनल से हुई थी जहां रोहित के कप्तान बनने के समय भारत का तरीका बहुत आक्रामक नहीं था। संभवतः उनके अंडर नए मैनेजमेंट को बदलाव पसंद आया। रोहित ख़ुद में बदलाव लाना चाहते थे, लेकिन साथ ही उन्होंने दूसरों को भी संदेश दिया कि अपने विकेट को बहुत अधिक बचाने की कोशिश ना की जाए। अगर रोहित ने भी अपना विकेट बचाकर खेलने की कोशिश की होती तो शायद उनकी बल्लेबाज़ी में भी बदलाव नहीं आ पाता।
भले ही भारत ने 2022 टी-20 विश्व कप नहीं जीता, लेकिन रोहित ने अपनी बल्लेबाज़ी उसी तरह जारी रखी। 2019 में बल्लेबाज़ी पावरप्ले में भारत ने 4.44 के रन रेट से रन बनाए थे, लेकिन 2022 में उन्होंने 4.83 और 2023 में 6.27 के रन-रेट से रन बनाए। 2019 विश्व कप से पहले भारत ने 2012 से केवल एक साल में ही पांच से अधिक रन प्रति ओवर बनाए थे। इस साल की शुरुआत में भारत में न्यूजीलैंड और श्रीलंका के ख़िलाफ़ नई गेंद पर खूब प्रहार किए गए थे।
उस समय लगभग आठ ओवर तक गेंद स्विंग होती थी, लेकिन विश्व कप में मुश्किल से आठ गेंद तक भी गेंद को स्विंग नहीं मिल रही है। संभवतः स्विंग की कमी से रोहित को आसानी हुई है, लेकिन उन्होंने अपने स्वभाव में बदलाव इससे काफ़ी पहले ले आया था। स्कोर का पीछा करते समय शुरुआत में ही गेंदबाज़ी टीम पर दबाव डालना हमेशा फ़ायदेमंद होता है। शायद रोहित को अपने मिडिल ऑर्डर पर अधिक भरोसा भी है और वो नहीं चाहते हैं कि उनका हाल कुछ वैसा हो जैसा कि 2019 विश्व कप के सेमीफ़ाइनल में हुआ था।
आप चाहते हैं कि आपको अधिक से अधिक गेंद खेलने का मौक़ा मिले, लेकिन आप उनका उतना ही फ़ायदा भी उठाना चाहते हैं। अगर ऐसा करते हुए आप आउट भी हो जाते हैं तो आपके मिडिल ऑर्डर के पास वही चीज़ करने का मौका होगा। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि रोहित सबसे सामने एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं ताकि दूसरों से भी वैसे ही स्वभाव की उम्मीद की जा सके।
सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं, अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के एडिटोरियल फ्रीलांसर नीरज पाण्डेय ने किया है
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