पृथ्वी शॉ और इशान किशन - अलग-अलग तरीके के शानदार खिलाड़ी
दोनों की एक दूसरे से विपरीत लेकिन आक्रामक शैली ने दिखाया कि भारतीय सीमित ओवर क्रिकेट का भविष्य बहुत उज्जवल है।

"वे कुछ अच्छी गेंदें फेंक रहे थे जिन्हें मैंने बाउंड्री में बदल दिया," मैच के बाद प्रज़ेंटेशन समारोह में पृथ्वी शॉ ने कहा। इस मैच में भारत ने श्रीलंका के ख़िलाफ़ 80 गेंदें रहते सात विकेटों से जीत दर्ज की।
शॉ ने 263 रनों के लक्ष्य का पीछा करना ऐसे शुरू किया था जैसे उसे 50 ओवर में नहीं बल्कि 20 ओवर में हासिल करना हो। इशान किशन ने भी डेब्यू पर 42 गेंदों में 59 रन बनाए। 95 गेंदों में 86 नाबाद रन बनाने वाले कप्तान धवन भारतीय पारी के शीर्ष स्कोरर रहें। लेकिन फिर भी प्लेयर-ऑफ़-द-मैच का पुरस्कार 24 गेंदों में 43 रन बनाने वाले शॉ को मिला।
डेब्यू पर टेस्ट में शतक जड़ने वाले मुंबई के इस दाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज़ को धवन ने अपना साथ देने के लिए चुना था। शॉ और किशन कोहली और रोहित शर्मा जैसे बड़े खिलाड़ी हो सकते हैं, यह तो समय बताएगा। लेकिन इस मैच में जैसी उनसे अपेक्षा की गई थी, उस पर वे खरे उतरे और रोमांच के साथ दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।
भारत ने 36.4 ओवर में ही लक्ष्य का पीछा कर लिया, जबकि शॉ और किशन दोनों आधा लक्ष्य पार होने से पहले ही आउट हो गए थे। फिर भी उन्होंने अपने खेल से इस मैच में अद्भुत छाप छोड़ा। शॉ तो बिना कोशिश किए ही बॉउंड्री बटोर रहे थे। दूसरी ओर, किशन बहुत स्पष्ट रूप से बॉउंड्री खोजने की कोशिश कर रहे थे और अधिकतर बार वह सफल भी रहें।
जब शॉ अपना बल्ला चलाना शुरू करते हैं, तो रन बनाना आसान हो जाता है। दुश्मांता चमीरा की धीमी गेंद पर उनकी एक ड्राइव लांग-ऑफ़ बाउंड्री तक पहुंच गई। शॉ ने अपनी पहली 22 गेंदों में नौ चौके लगाए और यह 23 गेंदों में दस भी हो सकते थे लेकिन एक बॉउंसर ने उन्हें चकमा दे दिया।
यह शानदार था। पांच ओवर के भीतर ही शॉ ने भारत का स्कोर बिना किसी नुकसान के 57 रन पर पहुंचा दिया। यह किसी टी20 में भी शानदार शुरुआत मानी जाएगी। जब आपकी टीम 350 से अधिक के लक्ष्य का पीछा कर रही हो तो आप उस तरह की शुरुआत चाहते हैं। लेकिन 263 रन के लक्ष्य का पीछा इस तरह करना हास्यास्पद है।
शॉ के बाद किशन ने भी यह दौर जारी रखा। उन्होंने अपने पहले दो गेंदों पर 6 और 4 के स्कोर किए। वह वनडे इतिहास में ऐसा करने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं। यह भारत की पारंपरिक शुरुआत से अलग था। ऐसा नहीं है कि भारतीय सलामी बल्लेबाज़ विस्फ़ोटक बल्लेबाज़ी नहीं करते, लेकिन शुरुआत में वह थोड़ा समय लेते हैं। किशन के विकेट के बाद की खामोशी भी बहुत संक्षिप्त थी, जब तीसरा विकेट गिरने के बाद एक और डेब्यू कर रहे खिलाड़ी सूर्यकुमार यादव क्रीज़ पर आए। उनके आने से रन गति फिर से बढ़ गई।
एक ज़ोरदार जीत के साथ अपने कप्तानी करियर की शुरुआत करने वाले धवन ने कहा, ""मैं उन्हें थोड़ा धैर्य रखकर खेलने के लिए कह रहा था। ये युवा लड़के जिस तरह से आईपीएल में खेलते हैं, उन्हें काफी एक्सपोज़र मिलता है और उन्होंने पहले 15 ओवर में ही खेल को खत्म कर दिया। मैंने अपने शतक के बारे में सोचा लेकिन ज़्यादा रन नहीं बचे थे। जब सूर्या बल्लेबाज़ी करने आए तो मैंने सोचा कि मुझे अपने कौशल में सुधार करने की जरूरत है!"
इसी साल जब टी20 विश्व कप है, वनडे मैचों में यह आक्रामक दृष्टिकोण अपनाना बुरा विचार नहीं है।
सौरभ सोमानी ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं
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