निडर कार्तिकेय ने दिखाई सभी प्रारूप में सफल होने की भूख
IPL में प्रभावित करने के बाद उन्होंने अब लगातार तीसरे रणजी ट्रॉफ़ी सीज़न में 30 से अधिक विकेट हासिल किए हैं

मध्य प्रदेश के बाएं हाथ के स्पिनर कुमार कार्तिकेय के शीर्ष पर पहुंचने की कहानी ऐसी है जिस पर विश्वास करना इतना मुश्किल है कि अगर इसे किसी फ़िल्म में लिखा जाए, तो इसे आसानी से कल्पना का काम कहा जा सकता है। सिवाय इसके कि कार्तिकेय ने उन पर बनने वाली फ़िल्म के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।
दस साल पहले अपने निर्वासन के बाद से कार्तिकेय ने ख़ुद के सामने जो चुनौतियां पेश की हैं जिसमें दिल्ली में एक साल भी शामिल है जब वह दोपहर का भोजन नहीं कर सकते थे। इसने उन्हें इतना गंभीर स्वभाव वाला व्यक्ति बना दिया है कि मैदान पर उनके सामने आने वाले कार्य उनकी तुलना में फीके पड़ गए हैं। जीवन की इन चुनौतियों पर विजय पाने के बाद उन्हें बेहद उत्साह और सभी प्रारूपों में सफल होने की लगभग कभी न मिटने वाली भूख का पुरस्कार मिला है।
यह प्रेरणा और कड़ी मेहनत ही है कि बायें हाथ से उंगलियों से और कलाईयों से स्पिन कराने वाले कार्तिकेय ने लगातार तीसरे रणजी ट्रॉफ़ी सीज़न में 30 से अधिक विकेट हासिल किए हैं और इस बार यह और भी बेहतर हैं क्योंकि नॉकआउट अभी शुरू नहीं हुए, जिसमें उन्होंने 19.02 की औसत और 46.64 के स्ट्राइक रेट से 34 विकेट लिए हैं, जिसमें एक पारी में पांच विकेट और एक मैच में 10 विकेट शामिल हैं।
यदि उनकी लेग स्पिन और गुगली ने उनको पिछले दो IPL में मुंबई इंडियंस के लिए विकेट दिलाए तो प्रथम श्रेणी क्रिकेट में वह हमेशा बायें हाथ से उंगलियों से गेंद करते हैं। इस रणजी सीज़न के सेकेंड लास्ट लीग मैच में मध्य प्रदेश ने बड़ौदा के ख़िलाफ़ 454 रन बनाए और बड़ौदा को 132 रन पर ढेर करके फ़ॉलोऑन खिलाया। तीसरे दिन बड़ौदा ने दूसरे विकेट के लिए 136 रन जोड़कर थोड़ी चुनौती दी। मध्य प्रदेश को जीत की ज़रूरत थी क्योंकि ड्रॉ से वे नॉकआउट में नहीं पहुंच सकते थे। कार्तिकेय एक ओवर के लिए मैदान से बाहर गए और चंद्रकांत पंडित से पूछा कि क्या वह लेग स्पिन कर सकते हैं।
कार्तिकेय ने पंडित के साथ उस बातचीत के बारे में ESPNcricinfo को बताया, "उन्होंने मुझे इज़ाज़त दी और बताया कि क्या फ़ील्ड रखनी है। मैं वापस गया और लेग स्पिन की और तीन ओवर में दो विकेट लिए, जिसमें एक गुगली और एक लेग स्पिन पर मिला था। इससे पहले मैंने कभी इस स्तर पर लाल गेंद के मैचों में लेग स्पिन गेंदबाज़ी नहीं की थी।"
चाहे वह गेंद को इस तरफ़ घुमाना चाहते थे या उस तरफ़, कार्तिकेय का लक्ष्य पुराने तरीके से विकेट लेना था : सावधानीपूर्वक योजना के साथ तैयारी करना, लाइन और लेंथ पर ध्यान देना और जब चीज़ें ठीक नहीं होती हैं तो प्रति दिन नेट्स में एक हज़ार गेंदें करना।
उन्होंने कहा, "मेरा विचार बल्लेबाज़ को देखते हुए लाइन और लेंथ पर फ़ोकस करना था। अगर मेरी लाइन और लेंथ अच्छी है तो मेरा प्लान साफ़ है कि बल्लेबाज़ ग़लती करेगा। मुझे लगता है कि तब बल्लेबाज़ कहां और कैसे खेलना है के बारे में अधिक सोचते हैं। मुझे बस लाइन और लेंथ पर फ़ोकस करना होता है और फ़ील्ड लगाता हूं। मेरे कोच मेरे लिए सर्वश्रेष्ठ करते हैं।"
उन्होंने कहा, "अब मैं इस टीम के प्रमुख खिलाड़ियों में से एक हूं। मुझे लगता है कि मैंने कोच और टीम का विश्वास जीता है। मेरी जॉब यही है कि जैसा मैंने अब तक प्रदर्शन किया है उसको ही जारी रखूं और अधिक नहीं सोचूं कि पिछले साल क्या किया था या इस साल मैं क्या अलग कर रहा हूं। मेरा फ़ोकस अपनी गेंदबाज़ी से टीम को जीत दिलाना है चाहे मुझे एक विकेट मिले या दो या पांच।"
बड़े स्तर पर कुछ अलग करने की निडरता उन्होंने रणजी ट्रॉफ़ी में शुरू नहीं की है। उन्होंने दिल्ली में अपने कोच संजय भारद्वाज की सलाह पर 2022 की शुरुआत में लेग स्पिन करना शुरू किया था। वह तब किसी IPL टीम का हिस्सा नहीं थे और अरशद ख़ान को चोट लगी और कार्तिकेय को सीज़न के मध्य मुंबई इंडियंस ने लिया, लेकिन उन्हें रणजी ट्रॉफ़ी में उनकी फ़िंंगर स्पिन नहीं बल्कि लेग स्पिन और विविधताओं की वजह से लिया गया। उन्हें अभी भी पेशेवर मैच में लेग स्पिन करना बाक़ी था।
IPL डेब्यू से एक दिन पहले मुंबई इंडियंस के कप्तान रोहित शर्मा ने कार्तिकेय को इस स्तर पर लगातार लेग स्पिन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
कार्तिकेय ने उस चर्चा के बारे में बताया, "मैंने उन्हें बताया कि रणजी में मैं केवल बायें हाथ से स्पिन गेंदबाज़ी करता हूं। उन्होंने कहा, 'लेकिन तुम यहां पर चाइनामैन हो (IPL ट्रायल्स में)'। तब उन्होंने यही कहा, 'तू डाल, मैं तेरे साथ हूं। उन्होंने मुझे पूरा समर्थन दिया और कहा कि अगर मेरे पर रन भी जाते हैं तब भी वह मेरा बचाव करेंगे। मुझे लगा कि अगर कप्तान मेरा बचाव कर रहे हैं तो मुझे क्यों डरने की ज़रूरत है? उनकी इन दो लाइनों ने मेरे से सारी घबराहट कम कर दी। मैंने इसके बाद आत्मविश्वास के साथ गेंदबाज़ी़ की। मुझे इस छोटी सी चर्चा से बहुत अच्छा लगा।"
IPL में अपनी दूसरी ही गेंद पर उन्होंने संजू सैमसन को आउट किया और 4-0-19-1 के आंकड़े के साथ मुंबई इंडियंस की लगातार आठ मैचों की हार की कड़ी को तोड़ा।
"अब जब भी मैं गेंद करता हूं तो वह मुझसे एक ही चीज़ कहते हैं : 'तू बॉल डाल, बॉलर है तो मार खाएगा ही खाएगा, टी20 गेम ही मारने का है'।"
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हो सकता है कार्तिकेय में यह निडरता उनकी अव्यस्कता से ही आई जब वह 40 रूपये जेब में रखकर अपने घर उत्तर प्रदेश के सीतापुर से कोई भी ट्रेन पकड़कर क्रिकेट के करियर को आगे बढ़ाने निकल पड़े। वह दिल्ली पहुंचे और कई एकेडमी छानी लेकिन उनकी ख़ोज भारद्वाज एकेडमी जाकर ख़त्म हुई।
भले ही IPL में उन्हें ग्लोबल स्तर पर प्रसिद्धी मिली लेकिन उनकी पहली पहचान लाल गेंद ही थी। क्लब के दिनों में वह दिल्ली में कई लीग खेले, कार्तिकेय हमेशा लाल गेंद से ट्रेनिंग करते थे। इसके बाद जब मध्य प्रदेश ने उनको 20 ओवर और 50 ओवर की टीम में 2018-19 घरेलू सीज़न में चुना तो वह सफ़ेद गेंद से भी गेंदबाज़ी करने लगे। इसी साल उनका प्रथम श्रेणी डेब्यू भी हुआ लेकिन उन्हें असल पहचान 2022 की शुरुआत में कोविड-19 ब्रेक के बाद शुरू हुए रणजी सीज़न से मिली। तब उन्होंने मध्य प्रदेश को पहला ख़िताब जिताया जहां उन्होंने 32 विकेट लिए, जिसमें सेमीफ़ाइनल में आठ और फ़ाइनल में मुंबई के ख़िलाफ़ पांच विकेट शामिल थे। कार्तिकेय ने सेमीफ़ाइनल और फ़ाइनल की कुल चार पारियों में नई गेंद से गेंदबाज़ी की और बाद में पुरानी गेंद से भी, जिसमें उन्होंने यशस्वी जायसवाल, अभिमन्यु ईश्वरन और मनोज तिवारी जैसे बल्लेबाज़ों को आउट किया।
कार्तिकेय ने उस सफलता का श्रेय अपने पहले प्रथम श्रेणी सीज़न को दिया, विशेषकर अपने पहले मैच को जिसमें उन्होंने केरल के ख़िलाफ़ दूसरी पारी में 23 ओवरों में 94 रन लुटाए।
उन्होंने कहा, "मेरे डेब्यू ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। यह टर्निंग वाला और धीमा विकेट था। लाल गेंद क्रिकेट में मैंने प्रति ओवर छह रन दिए। मैंने आठ-नौ ओवरों में 48 रन दिए। एक प्वाइंट पर मुझे लगा कि मैं इस स्तर के लिए नहीं बना था। इसने मेरे अंदर संदेह पैदा किया। जब भी इससे पहले मैं गेंदबाज़ी करता था तो दबदबा बनाता था और यह मेरे लिए पहला मैच था जो मेरे अनुसार नहीं गया। तब मेरे दिमाग़ में काफ़ी संदेह था।"
कार्तिकेय को दो मैच बाद अपनी राह मिली। वह तब गेंदबाज़ी करने आए जब गेंद अभी भी नई थी और उन्होंने हिमाचल प्रदेश के शीर्ष तीन को आउट करके पहली पारी में 28 रन पर 6 विकेट लिए और फिर बाद में शीर्ष तीन में से दो बल्लेबाज़ों को आउट करके नौ विकेट के साथ मैच समाप्त किया।
कार्तिकेय ने कहा, "तीसरे मैच में जब मैं गेंदबाज़ी कर रहा था तो मेरे में कुछ आत्मविश्वास आया। जब पहली पारी में मुझे पांच विकेट मिले तो मुझे लगा कि पहला मैच एक ख़राब मैच था। मैंने वहां से सुधार करना शुरू किया और अब यह बेहतर है।"
कार्तिकेय केवल रणजी ट्रॉफ़ी में ही इस साल सफल नहीं हुए हैं। 50 ओवर के घरेलू टूर्नामेंट में उन्होंने पहली बार 14 विकेट लिए और टी20 सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी में उन्होंने 5.58 की इकॉनमी से पांच मैचों में आठ विकेट लिए। उन्होंने उन सालों में दिल्ली में ही लाल गेंद से ट्रेनिंग शुरू की थी और जब वह छोटे प्रारूप में आए तो गेंद उनके हाथों से अच्छे से निकली।
कार्तिकेय ने सफ़ेद गेंद से गेंदबाज़ी पर कहा, "मुझे वहां अधिक कुछ नहीं करना पड़ा। सफ़ेद गेंद मेरे हाथ से अच्छे से निकल रही थी। मैं इसे अच्छे से ग्रिप कर सकता हूं। लाल गेंद से इसकी सीम और ग्रिप अधिक बेहतर है और यह बायें हाथ की स्पिन और लेग स्पिन दोनों के लिए मेरे हाथों में अधिक जंचती है।"
उनकी सफलता और निरंतरता में चाहे वह कोई भी प्रारूप हो, उन्होंने कहा कि यह पंडित की कोचिंग की वजह से है जो 2020 में मध्य प्रदेश से जुड़े थे और टीम को ऊंंचाईयों तक ले गए।
उन्होंने कहा, "मेरे पिछले प्रदर्शन चाहे 2022 में रणजी कैंपेन हो या टी20 या विजय हज़ारे तीनों में एक चीज़ समान है, चंद्रकांत पंडित सर। वह मेरे से कहते थे कि अधिक कुछ मत सोचो और प्लान के मुताबिक गेंदबाज़ी करो। मैं इस पर बने रहा और सफलता भी मिलने लगी। जब से वह मध्य प्रदेश आए हैं मैंने विकेट लिए हैं और मेरी गेंदबाज़ी दूसरे स्तर पर पहुंच गई है, इससे पहले मेरे पास इतने विकेट नहीं थे। उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई है।"
"यह केवल उनकी वजह से है, उनके क्षेत्ररक्षण प्लान, कैसे वह चीज़ों को मुझे समझाते हैं, उनके पास 20 साल का अनुभव है जिससे मैंने बहुत कुछ सीखा है। वह अलग ढंग से सिखाते हैं, कई बार वह मुझे डांटते हैं, कई बार अधिक प्यार करते हैं और यह इसी वजह से है क्योंकि उनको हमसे बहुत उम्मीदे हैं। उनकी डांट भी कई बार मेरे काम आती है। मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ उनका मार्गदर्शन है।"
पंडित ने अपने खेल करियर के बाद एक सफल कोच के रूप में अपनी कहानी ख़ुद लिखी। अब सुर्खियां इस बात पर हैं कि कार्तिकेय के क़दम उन्हें कहां ले जाते हैं।
विशाल दीक्षित ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदीी में सीनियर सब एडिटर निखिल शमा ने किया है।
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