बड़ी शतकीय पारियां और करूण नायर की सलाह : यश राठौड़ की सफलता का मंत्र
राठौड़ इस साल विदर्भ की तरफ़ से सर्वाधिक 728 रन बनाने वाले बल्लेबाज़ हैं और उनकी टीम सेमीफ़ाइनल में पहुंची है

2019 के आख़िर में यश राठौड़ भारत के अंडर-19 विश्व कप टीम में जगह बनाने के बहुत क़रीब थे। लेकिन उन्हें जगह नहीं मिली और उसके तुरंत बाद कोरोना आ गया। इससे राठौड़ अपने करियर में लगभग दो साल पीछे चले गए और निराशा ने जगह बना ली।
2021 में राठौड़ को विदर्भ की टीम में जगह मिली, तब से वह निराशा से उबरकर अपने सपने को जी रहे हैं। यह उनका सिर्फ़ दूसरा फ़ुल रणजी सीज़न है, लेकिन वह इस साल विदर्भ की तरफ़ से सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़ हैं। उन्होंने इस सीज़न 52 की औसत से 728 रन जिसमें चार शतक शामिल है। उन्होंने छह बार 50 के आंकड़े को पार किया है, जिसमें से उन्होंने चार को शतक में बदला है।
इन चार में से तीन शतक लगातार मैचों में आए हैं। इनमें से भी दो शतक तब आए हैं, जब विदर्भ 4 पर 3 और 64 पर 3 के स्कोर के साथ संघर्ष कर रहा था।
राठौड़ ने ESPNcricinfo से बात करते हुए बताया, "मैंने इस सीज़न की शुरुआत में ही तय किया था कि मैं अपनी अच्छी शुरुआतों को बड़े स्कोर में बदलूंगा। उन्होंने पिछले सप्ताह तमिलनाडु के ख़िलाफ़ सेमीफ़ाइनल में भी 112 रन बनाए और अपनी टीम को 61/3 के स्कोर से उबारा।
राठौड़ कहते हैं, "मुझे पता था कि अगर मुझे अगले लेवल पर पहुंचना है तो मुझे अर्धशतक नहीं शतक बनाने होंगे। यही सबसे अधिक मायने रखता है। मैं इस सीज़न में इसी सोच के साथ आया था कि अगर मैं पचास बनाता हूं तो उसे बड़े 100 में बदलना है।"
राठौड़ ने पिछले साल रणजी ट्रॉफ़ी के दौरान 49 की औसत से 490 रन बनाए थे। इस दौरान उन्होंने 71, 81 और 93 के स्कोर किए थे और उन्हें दु:ख था कि वह इसे बड़े स्कोर में तब्दील क्यों नहीं कर पाए। राहत भरी शब्दों में राठौड़ कहते हैं, "मुझे अच्छा लग रहा है क्योंकि इस सीज़न मेरे नाम अधिक शतक हैं।"
कोरोना के बाद जब क्रिकेट शुरू हुआ तो राठौड़ के लिए यात्रा बहुत चुनौतीपूर्ण थी। 2020-21 की सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी के दो मैचों में उन्होंने 36 और 6 का स्कोर किया और इसके बाद उन्हें कभी भी T20 टीम में मौक़ा नहीं मिला।
फ़रवरी 2021 में उन्होंने आंध्रा के ख़िलाफ़ विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी मैच में 117 का स्कोर खड़ा किया, लेकिन चूंकि उनकी टीम नॉकआउट के लिए क्वालिफ़ाई नहीं कर पाई तो उन्हें 10 महीने बाद दिसंबर में अगला प्रतिस्पर्धी मैच खेलने का मौक़ा मिला।
2021-22 में जब रणजी ट्रॉफ़ी फिर से शुरू हुआ, तब राठौड़ विदर्भ की शुरुआती एकादश में नहीं थे। तीन मैचों में 12वां खिलाड़ी बनने के बाद उन्हें चौथे मैच में जगह मिलने वाली थी। लेकिन इस दौरान उन्हें कंधे में चोट लग गई और उनका प्रथम श्रेणी डेब्यू होते-होते रह गया।
जनवरी, 2023 में अंततः उनका प्रथम श्रेणी डेब्यू हुआ, लेकिन तीन पारियों में सिर्फ़ 55 रन बनाने के बाद वह टीम से बाहर हो गए। लेकिन सीनियर खिलाड़ियों फ़ैज़ फ़ज़ल और गणेश सतीश के संन्यास लेने के बाद राठौड़ को फिर से टीम में जगह मिली, तब से उन्होंने इसे अपना बना लिया है।
राठौड़ कहते हैं, "आपको हर मौक़े पर चुनौती मिलती है, इसलिए आपको हर दिन, हर सत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ देना रहता है। आपको हर समय उसी ही इंटेसिटी के साथ खेलना होता है, ताकि मैच आपसे दूर ना चला जाए।"
राठौड़ को अपने साथी सीनियर खिलाड़ी करूण नायर से भी बहुत कुछ सीखने को मिला है। वह कहते हैं, "मैंने उनसे माइंडसेट के बारे में पूछा कि वह गेम में किस तरह का अप्रोच रखते हैं और अलग-अलग परिस्थितियों में कैसे रिऐक्ट करते हैं। मैंने उनसे सीखने की कोशिश की कि कैसे वह एकदम फ़्री होकर, बिना कोई जोखिम लिए आसानी से बल्लेबाज़ी कर लेते हैं। मैंने उनसे यह भी जाना कि सीमिंग या स्विंगिंग परिस्थितियों में वह क्या एडजस्टमेंट करते हैं।"
इस सीज़न राठौड़ ने यह भी साबित किया है कि वह सिर्फ़ रक्षात्मक नहीं बल्कि आक्रामक क्रिकेट भी खेल सकते हैं। पिछले सप्ताह ही तमिलनाडु के ख़िलाफ़ क्वार्टर फ़ाइनल मैच में जब नंबर 11 का बल्लेबाज़ उनके साथ था, तो उन्होंने स्कूप और रिवर्स स्कूप जैसे रचनात्मक और पंच और पुल जैसे आक्रामक शॉट भी खेले।
उन्होंने इस साल के विजय हज़ारे ट्राफ़ी के दौरान 95 के स्ट्राइक रेट से दो शतकों की मदद से 406 रन बनाए और उनकी टीम फ़ाइनल में पहुंची। फ़िलहाल उनकी नज़र रणजी सेमीफ़ाइनल पर है, जहां उनके सामने मुंबई की मज़बूत टीम होगी।
हिमांशु अग्रवाल ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं
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