सरफ़राज़ ने शतक का श्रेय अपने 'प्यारे अब्बू' को दिया
"इसलिए मेरी आँखों में आँसू थे, पिता के बिना मैं कुछ भी नहीं हूं। उन्होंने कभी मेरा साथ नहीं छोड़ा"

गर्मजोशी से भरी मुस्कान, ढेर सारे रन और मस्ती के पीछे सरफ़राज़ ख़ान का एक भावनात्मक पक्ष भी है। जब भी सरफ़राज़ अपने क्रिकेट के बारे में बात करते हैं तो उनका भावानात्मक पक्ष हमेशा सामने निकल कर आता है। उनसे आप कोई भी बात कीजिए। वह अपने अब्बू के ज़िक्र के बिना अपनी बातचीत को आगे नहीं बढ़ाएंगे। गुरुवार को सरफ़राज़ ने इस रणजी सत्र का अपना चौथा शतक और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कुल आठवां शतक जमाया।
शतक बनाने के बाद सरफ़ारज़ से सबसे पहले राष्ट्रीय चयनकर्ता सुनील जोशी ने काफ़ी देर तक बातचीत की। इसके बाद हरविंदर सिंह ने भी उनसे बातचीत की। कुछ मिनट बाद जब वह टीम की बैठक के लिए ड्रेसिंग रूम की सीढ़ियां चढ़ रहे थे, तो उन्होंने सीमा रेखा के पास प्रतीक्षा कर रहे पत्रकारों को वादा किया कि वह उनसे बात करने के लिए फिर से आएंगे।
सरफ़राज़ बात करने के दौरान अपनी बल्लेबाज़ी की तरह ही चंचल, स्पष्टवादी और सहज थे। यह वर्तमान पीढ़ी के कई क्रिकेटरों के साथ भी हो सकता है क्योंकि वे हमेशा 'प्रक्रिया' पर ध्यान केंद्रित करते हैं, न कि 'परिणाम' पर। सरफ़राज़ परिणामों से प्रेरित हैं। बड़े रन बनाने की चाहत से प्रेरित होकर वह हर बार बल्लेबाज़ी करने के लिए निकलते हैं। शायद यही कारण है कि उनके आठ शतकों में से छह बार उन्होंने 150 से अधिक अधिक रन बनाए हैं।
सरफ़राज़ के आंसू अपने अब्बू के प्रति कृतज्ञता और सम्मान की भावना से निकले थे।
उन्होंने अपने चेहरे से आंसू पोंछते हुए कहा, "आप सभी जानते हैं कि अगर मेरे पिता नहीं होते तो मैं यहां नहीं होता। जब हमारे पास कुछ नहीं था, मैं अपने पिता के साथ ट्रेनों में यात्रा करता था। जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो मैंने रणजी ट्रॉफ़ी में मुंबई के लिए शतक बनाने का सपना देखा था।"
"इसलिए मैं अपने शतक के बाद भावुक हो गया और मेरी आंखों में आंसू आ गए, क्योंकि मेरे पिता ने बहुत मेहनत की है। इसका सारा श्रेय उन्हें ही जाता है।"
सरफ़राज़ ने कहा कि मेरा यह शतक दिवंगत पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला को भी समर्पित था। जैसे ही सरफ़राज़ ने शतक बनाया, उन्होंने अपनी थाई पर हाथ मारा और अपनी तर्जनी उंगली से आकाश की ओर इशारा किया (मूसेवाला के सिग्नेचर मूव)।
"मेरी मानसिकता है कि शतक बनाने के लिए, मुझे कम से कम 200 गेंदें खेलनी होंगी। मेरी यह मानसिकता बिल्कुल भी नहीं है कि मैं लगातार सिक्सर मार कर शतक बनाऊं। एक बार जब मैंने पिच को पढ़ लिया तो मैं अपनी योजना के अनुसार रन बनाने लगा। मुझे पता है कि कुछ देर पिच पर बिताने के बाद मैं रन बना सकता हूं क्योंकि मेरे पास सभी शॉट हैं।"
सरफ़राज़ ने उम्मीद जताई कि रणजी फ़ाइनल के तीसरे दिन यानि कि शुक्रवार को उनकी टीम "अनुशासन" के साथ अपने खेल को आगे बढ़ाएगी।
उन्होंने कहा, 'यह मैच अभी ख़त्म नहीं हुआ है, अभी लंबा सफ़र तय करना है। मुझे विश्वास है कि हम बढ़त ले सकते हैं। हालांकि चौथी पारी में मध्य प्रदेश बल्लेबाज़ी करेगी और यह आसान नहीं होगा।"
लगातार दो सीज़न में 900 से अधिक रन बनाने के बाद सरफ़राज़ अब राष्ट्रीय चयनकर्ताओं के रडार में हैं। हालांकि वह दृढ़ता से वर्तमान पर अपना ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। उन्होंने कहा, "जहां तक टीम इंडिया के चयन की बात है तो मैं कड़ी मेहनत कर रहा हूं। मेरा फ़ोकस सिर्फ़ रन बनाने पर है। हर व्यक्ति के सपने होते हैं। अगर मेरे भाग्य में लिखा होगा तो ऐसा होगा।"
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