रणजी ट्रॉफ़ी में रोहित, गिल और पंत का नहीं चला बल्ला, सिद्धार्थ परफ़ेक्ट 10 से चूके
जाडेजा और खलील ने की कमाल की गेंदबाज़ी

छठे राउंड के पहले दिन के खेल का हाईलाइट्स
ख़ामोश रहा रोहित का बल्ला
रोहित शर्मा की रणजी ट्रॉफ़ी में लगभग 10 साल बाद वापसी उतनी यादगार नहीं रही, जितनी उन्होंने उम्मीद की थी। उनकी 19 गेंदों की पारी में सिर्फ़ 3 रन आए, और वह जम्मू-कश्मीर के उमर नज़ीर की उछाल लेती गेंद को लेग साइड में हल्की पुश-पुल करने की कोशिश में कैच आउट हो गए। मेलबर्न में पैट कमिंस के ख़िलाफ़ और मुंबई में मैट हेनरी के ख़िलाफ़ वह इसी तरह से आउट हुए थे।
मुंबई ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला किया था। लेकिन उनकी शुरुआत काफ़ी ख़राब रही। छह के स्कोर पर यशस्वी पवेलियन लौट गए और फिर ठीक छह रन बाद रोहित भी चलते बने। इसके बाद मुंबई का बल्लेबाज़ी क्रम ताश के पत्तों की तरह बिखरने लगा। श्रेयस अय्यर और अजिंक्य रहाणे भी क्रमश: 11 और 12 का स्कोर बना कर पवेलियन लौट गए। मुंबई की पूरी पारी सिर्फ़ 33.1 ओवर में सिमट गई और वे सिर्फ़ 120 रन ही बना पाएं। हालांकि इसके बाद मुंबई के गेंदबाज़ों ने अच्छी वापसी की और जम्मू कश्मीर के सात बल्लेबाज़ सिर्फ़ 174 के स्कोर पर पवेलियन लौट चुके हैं।
रोहित की घरेलू क्रिकेट में वापसी BCCI की नई गाइडलाइंस के तहत हुई है, जो इस महीने की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया में भारत की 3-1 की हार के बाद लागू की गई हैं। सिडनी टेस्ट से बाहर होने के बाद रोहित के टेस्ट करियर का भविष्य अधर में है, लेकिन उन्होंने दोहराया है कि उन्होंने संन्यास नहीं लिया है और वह अभी भी टेस्ट में टीम की कप्तानी करने की उम्मीद रखते हैं।
गेंदबाज़ों के स्विंग और सीम के आगे गिल और पंजाब की टीम बिखरी
बेंगलुरु में शुभमन गिल का प्रदर्शन काफ़ी निराशाजनक रहा। सिर्फ़ बल्ले के साथ ही नहीं, बल्कि कप्तानी में भी उन्हें निराश हासिल हुई। इस मैच में पंजाब की टीम अभिषेक शर्मा के बिना खेल रही थी और पंजाब की टीम को साफ़ खल रही थी। बेंगलुरू की स्विंग होती पिच पर गेंदबाज़ों के दबदबे के चलते महज 55 रन पर ऑलआउट हो गया। गिल ने सिर्फ़ 4 रन बनाए। दिन के खेल के अंत तक पंजाब खेल में इतनी पीछे हो गया था कि उन्हें इस मैच में एक भी अंक बचाने के लिए गिल की विशेष पारी की ज़रूरत होगी।
घरेलू क्रिकेट में वापसी करते हुए गिल एकबार फिर से आत्मविश्वास हासिल करने का प्रयास कर रहे थे। ख़ासकर ऑस्ट्रेलिया में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद उन्हें निश्चित रूप से थोड़ी आत्मविश्वास की ज़रूरत थे। ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ गिल ने तीन मैचों में सिर्फ़ 93 रन बनाए थे। 2021 वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फ़ाइनल के बाद एशिया के बाहर उनका प्रदर्शन विशेष रूप से चर्चा में है। इस दौरान 18 पारियों में उनका औसत केवल 17.64 रहा है।
पंत नाकाम; राजकोट की टर्निंग पिच पर जडेजा ने झटके पांच विकेट
राजकोट में ऋषभ पंत सिर्फ़ 10 गेंदों तक टिक पाए और धर्मेन्द्रसिंह जडेजा की गेंद पर आउट हो गए। पंत का आउट होना दिल्ली के टॉप ऑर्डर के स्पिन के ख़िलाफ़ बिखरने का हिस्सा था। रवींद्र जाडेजा ने पिच की अनुकूल परिस्थितियों का पूरा फ़ायदा उठाते हुए फर्स्ट-क्लास क्रिकेट में अपना 35वां पांच विकेट हॉल हासिल किया। उनके इस प्रदर्शन के कारण दिल्ली की टीम 188 रनों पर सिमट गई।
जवाब में सौराष्ट्र दिन का खेल समाप्त होने तक 25 रन से पीछे था लेकिन उसने पांच विकेट गंवा दिए थे, जिसमें चेतेश्वर पुजारा और जाडेजा का विकेट भी शामिल है। जाडेजा ने 38 रन बनाए और पुजारा केवल 6 रन ही बना सके। छत्तीसगढ़ के ख़िलाफ़ बनाए गए 234 रन को छोड़कर पुजारा का मौजूदा सीजन अब तक औसत ही रहा है, जहां उन्होंने अन्य पारियों में 16, 0, 2, 3 और 14 रन बनाए हैं।
परफेक्ट 10 से चूके सिद्धार्थ देसाई
अहमदाबाद में गुजरात के बाएं हाथ के स्पिनर सिद्धार्थ देसाई ने उत्तराखंड के ख़िलाफ़ पहले ही सत्र में नौ विकेट चटकाए। उनके पास इस सीजन में हरियाणा के अंशुल कांबोज के बाद परफे़क्ट 10 लेने वाले दूसरे गेंदबाज़ बनने का मौक़ा था। लेकिन यह मौक़ा तब ख़त्म हुआ जब विशाल जायसवाल ने अंतिम विकेट ले लिया।
देसाई ने 36 रन देकर 9 विकेट लिए। गुजरात की तरफ़ से प्रथम श्रेणी क्रिकेट में यह सर्वश्रेष्ठ आंकड़े हैं। इससे पहले 1960-61 में सौराष्ट्र के ख़िलाफ़ जसु पटेल 21 रन देकर आठ विकेट लिए थे। 2017-18 में केरल के ख़िलाफ़ अपने डेब्यू मैच में नौ विकेट लेने वाले देसाई, पियूष चावला के उत्तर प्रदेश लौटने के बाद से गुजरात के मुख्य स्पिनर बनकर उभरे हैं।
खलील ने लिया पहला पांच विकेट हॉल
प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू करने के आठ साल बाद खलील अहमद ने अपना पहला पांच विकेट हॉल लिया। इसमें विदर्भ के प्रमुख बल्लेबाज़ों के विकेट शामिल थे, जिसमें विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी में शानदार फ़ॉर्म में चल रहे करुण नायर का विकेट भी शामिल था। उन्होंने 15 ओवर में पांच मेडन ओवर करते हुए 37 रन देकर पांच विकेट लिए।
खलील का प्रदर्शन ऐसे समय पर आया है जब वह राष्ट्रीय टीम के चयनकर्ताओं की नज़र में हैं। ख़ासतौर पर जब चयनकर्ता बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ों की तलाश कर रहे हैं। भारत की टेस्ट गेंदबाज़ी में ज़हीर खान के जाने के बाद से इस तरह के गेंदबाज़ की कमी महसूस हुई है। यह खलील का केवल 17वां प्रथम श्रेणी मैच है। इस दौरान उन्होंने 21.66 की औसत से नौ विकेट लिए हैं।
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