धोनी के तरीक़ों को फ़ॉलो करते हुए रिंकू सिंह बेहतरीन फ़िनिशर बनने की राह पर
पहली पसंद के खिलाड़ियों को टी20 में आराम मिलने के बाद दूसरों को मिल रहा चमकने का मौक़ा

विशाखापटनम में भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए पहले टी20आई में रिंकू सिंह बाहें खोलते हुए जश्न मनाते हुए दिखे। आख़िरी गेंद पर एक रन चाहिए थे और रिंकू ने शॉन ऐबट की गेंद पर लांग ऑन पर छक्का मारा और भारत को टी20आई में रनों का पीछा करते हुए सबसे बड़ी जीत दिला दी।
स्टेडियम में मौजूद दर्शकों की ख़ुशी तब कम हुई जब नो बॉल का सायरन बज उठा, जिसका मतलब था कि वह छक्का गिना नहीं जाएगा। रिंकू को यह बात तब पता चली जब वह ड्रेसिंग रूम पहुंच चुके थे और उन्हें यह बात अर्शदीप सिंह ने बताई। लेकिन इससे वह परेशान नहीं हुए। 14 गेंद में नाबाद 22 रन बनाकर रिंकू अपनी टीम को जीत दिला चुके थे और एक बार फिर अपनी क़ाबिलियत का सबूत दे चुके थे।
फ़िनिशर के तौर पर रिंकू की ताक़त उनका सीधा सिर और शांत दिमाग़ है। मज़बूत बेस और कोई भी जल्दी मूवमेंट नहीं जिससे उन्हें पहले से ही सोचकर मारने की जगह हर बॉल को कहीं भी खेलने में मदद मिलती है। यह तिरुवनंतपुरम में हुए दूसरे टी20 में भी देखने को मिला। नेथन एलिस ने राउंड द विकेट आते हुए फुल टॉस डाली। इइस समय अधिकतर बल्लेबाज़ ताक़त के साथ मारने का प्रयास करते लेकिन रिंकू सीधे खड़े रहे और बल्ले का मुंह खोलकर कीपर और शॉर्ट थर्ड मैन के बीच से चौका निकाल लिया।
इससे पिछले ओवर में रिंकू ने ऐबट पर तीन चौके और दो छक्के लगाए। कुल मिलाकर रिंकू ने नौ गेंद में 344.44 के स्ट्राइक रेट से नाबाद 31 रन बनाए। फुल मेंबर देशों में केवल हार्दिक पंड्या (32*) ही हैं जिन्होंने नौ गेंद में उनसे अधिक रन बनाए। 18 ओवर में स्कोर तीन विकेट पर 190 रन था और भारत 220 रन तक देख रहा था लेकिन रिंकू की पारी के कारण भारत ने चार विकेट पर 235 रन बना डाले।
भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने भी रिंकू की खू़ब तारीफ़ की। उन्होंने कहा, "जब वह पहले मैच में बल्लेबाज़ी के लिए आया तो हमें 24 गेंद में 40 रन [31 में 55] रन चाहिए थे। जो मानसिक संतुलन उसने दिखाया वह शानदार था। और आज भी जब वह आख़िरी दो ओवर में बल्लेबाज़ी करने आया तो उसने यही किया। जिस तरह का वह फ़िनिश कर रहा है वह हमें किसी की याद दिलाता है।"
सूर्यकुमार के दिमाग़ में शायद एमएस धोनी थे, लेकिन शायद वह नए खिलाड़ी पर कोई दबाव नहीं डालना चाहते थे। इसलिए जब उनसे नाम पूछा गया तो उन्होंने हंसते हुए कहा, "हर कोई जानता है किसने यह भारत के लिए किया है।"
अगर वास्तव में सूर्यकुमार को रिंकू में धोनी याद आते हैं तो यह कोई संयोग नहीं है क्योंकि वह धोनी की सलाह मानते आए हैं। पहले टी20 के बाद रिंकू ने बीसीसीआई की वेबसाइट पर कहा था, "मैंने माही भाई से पूछा था कि जब वह आख़िरी ओवरों में बल्लेबाज़ी करते हैं तो क्या सोचते हैं। उन्होंने कहा था जितना आप शांत रहोगे और जितना सीधा मारने का प्रयास करोगे यह अच्छा रहेगा। तो अब मैं इसको फ़ॉलो करता हूं। मैं शांत रहने का प्रयास करता हूं और कोई रिएक्शन नहीं देने का प्रयास करता हूं और इससे मुझे मदद मिली।"
वनडे विश्व कप वर्ष होने के कारण इस सीरीज़ तक भारत का ध्यान 50 ओवर के क्रिकेट पर था। टी20आई में उन्होंने अपनी पहली पसंद के खिलाड़ियों को आराम दिया। जिससे नए खिलाड़ियों के लिए मौक़े बन गए। रिंकू उनमें से ही एक हैं और उन्होंने इस मौक़े का भरपूर फायदा उठाया है और वह भी टी20 क्रिकेट के सबसे मुश्किल स्थान पर खेलकर।
रिंकू ने अगस्तर में टी20आई डेब्यू किया था। अब तक वह केवल सात मैच खेले हैं और केवल चार बार ही बल्लेबाज़ी की है। लेकिन इन चार पारियों में उन्होंने एक बार ही आउट होते हुए 216.94 के स्ट्राइक रेट से 128 रन बना डाले। और पिछले टी20 विश्व कप तक जो बल्लेबाज़ भारत के लिए 5 से 7 नंबर तक खेले उनमें रिंकू का स्ट्राइक रेट आराम से सबसे शानदार है।
सभी ने देखा कि इस साल आईपीएल में उन्होंने क्या किया था और इस साल सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी में वह उत्तर प्रदेश के लिए रन बनाने के मामले में दूसरे नंबर थे, जहां उन्होंने सात पारियों में 170.66 के स्ट्राइक रेट से 256 रन बनाए।
अब जब हार्दिक एंकर के रोल में ढल गए हैं तो भारत जून में होने वाले टी20 विश्व कप में एक फ़िनिशर की तलाश कर रहा है और इस समय वह इस रेस में सबसे आगे हैं।
हेमंत बराड़ ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।
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