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RR कप्तानी पर पराग: मौक़ा मिलने पर पूरी तरह तैयार हूं

'मैंने भारत की तरफ़ से खेलते हुए ज़्यादा कुछ ग़लत नहीं किया था और जल्द वापसी कर सकता हूं'

पगाग ने आठ मैचों में RR की कप्तानी की है  BCCI

चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) द्वारा संजू सैमसन को ट्रेड करने के बाद राजस्थान रायल्स (RR) को नए सीज़न में एक नए कप्तान की ज़रूरत है। IPL 2025 के कुछ मैचों में सैमसन की अनुपस्थिति में RR की कप्तानी करने वाले रियान पराग इसके स्वाभाविक दावेदार बनकर उभरे हैं। हालांकि पराग का कहना है कि वह कप्तानी के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं सोच रहे, लेकिन अगर उन्हें RR की कप्तानी दी जाती है, तो वह इसे दोनों हाथ खड़ा करके स्वीकार करने को तैयार हैं।

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सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी (SMAT) में असम की कप्तानी कर रहे पराग ने कहा, "अभी RR में कप्तानी के बारे में बात नहीं हुई है। मनोज (बदाले) सर (टीम मालिक) ने हमें बताया है कि इसके बारे में निर्णय नीलामी के बाद ही होगा। मैं भी अभी इस बारे में नहीं सोच रहा हूं। अगर अभी से उस पर दिमाग़ लगाऊंगा, तो माइंडसेट ख़राब हो जाएगा और दिमाग़ का एक अच्छा ख़ासा स्पेस वही चीज़ ले लेगा - कप्तानी, कप्तानी, कप्तानी।

"अगर टीम और प्रबंधन को लगता है कि मैं कप्तानी की भूमिका में सही फ़िट हूं, तो मैं दोनों हाथ खड़ा करके तैयार हूं। वहीं अगर उनको लगता है कि एक खिलाड़ी के रूप में ही मैं टीम में अपना योगदान ज़्यादा बेहतर कर सकता हूं, तो मैं उसके लिए भी तैयार हूं। मेरा मुख्य लक्ष्य 500-600 रन और 10-15 विकेट का सीज़न करके टीम के लिए ट्रॉफ़ी जीतना है।"

IPL 2025 के दौरान पराग ने आठ मैचों में टीम की कप्तानी की थी, जिसमें उनकी टीम सिर्फ़ दो मैच ही जीत पाई थी। हालांकि पराग के मुताबिक उन्होंने इस दौरान ज़्यादा कुछ ग़लत नहीं किया। उनका मानना है कि कप्तानी करने से वह एक व्यक्ति और खिलाड़ी के रूप में बेहतर ही हुए हैं।

उन्होंने कहा, "पिछले साल मैंने सात-आठ IPL मैचों में कप्तानी की और मुझे नहीं पता कि बाहर के लोगों की क्या राय है, लेकिन जब मैं ड्रेसिंग रूम में जाता था और कोच-डेटा एनालिस्ट के साथ अपने निर्णयों का विश्लेषण करता था तो लगभग 80 से 85% निर्णय मेरे सही रहते थे। इससे बहुत सीख मिलती है और जब आप बड़े स्टेज़ पर जाते हो तो आपके पास दबाव नहीं होता कि कप्तानी कैसे करनी या टीम और फ़ील्ड को कैसे मैनेज करना है। कुल मिलाकर मैं हमेशा कप्तानी का लुत्फ़ उठाता हूं और एक इंसान के रूप में इससे मैं बहुत इवॉल्व (बेहतर) हुआ हूं।"

2019 में अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में IPL डेब्यू करने वाले पराग ने अपने IPL करियर का बहुत बड़ा हिस्सा सैमसन की कप्तानी में बिताया है, जो 2021 में RR के कप्तान बने थे। सैमसन की कप्तानी में ही बेहतर प्रदर्शन करके वह एक खिलाड़ी के रूप में वह और विकसित हुए और भारतीय टीम तक पहुंचे। पराग, सैमसन के ट्रेड होने से थोड़े दुःखी तो हैं, लेकिन इस बारे में ज़्यादा बात नहीं करना चाहते।

तब मैं बाथरूम में भी जाकर रोया हूं कि क्यों नहीं रन बन रहे। तब मैं सोचता था कि आख़िर मैं क्या करूं? क्या थोड़ा एक्स्ट्रा प्रैक्टिस कर लूं या बिल्कुल भी प्रैक्टिस ना करूं या फिर छुट्टियों पर चला जाऊं? ये सब कुछ मैंने आज़मा लिया है। अब मैं यह सब ज़्यादा नहीं सोचता। अब मेरे लिए फ़्रेम ऑफ़ माइंड सबसे ज़्यादा ज़रूरी है और मैं इस फ़्रेम ऑफ़ माइंड में रहता हूं कि कैसे मैं अपने खेल और ज़िंदगी का लुत्फ़ उठाऊं, बाक़ी रन तो बनते रहेंगे।रियान पराग

उन्होंने कहा, "मेरे करियर में संजू भैया (सैमसन) की बहुत बड़ी भूमिका रही है। उनके जाने के बारे में मैं इसलिए सोचना नहीं चाहता क्योंकि अगर सोचूंगा तो मुझे बुरा लगेगा। मैं उनके बहुत क़रीब था और जब मैं नया-नया टीम में आया था, तो उन्होंने मुझे कभी ऐसा एहसास नहीं होने दिया कि मैं 17-18 साल का असम से आया हुआ लड़का हूं। शायद ऐसा इसलिए भी था क्योंकि उनका भी बैकग्राउंड वैसा ही था और वह भी एक 16-18 साल के युवा खिलाड़ी के रूप में केरल से आए थे, जहां से उतने क्रिकेटर नहीं निकलते।

"उन्होंने मुझे बहुत सिखाया है और बहुत प्यार दिया है। पिछले कुछ सालों में जब भी जॉस भाई (बटलर) प्ले ऑफ़ से पहले इंग्लैंड वापस चले जाते थे, वह (सैमसन) मुझे अपना उपकप्तान बनाते थे, मुझसे कहते थे टीम मीटिंग में आओ, टीम मीटिंग में लीड लो कि क्या बात करना है, क्या टीम को करना है। तो उनसे बहुत कुछ सीखने-समझने को मिला है।"

पराग इस बात से भी चिंतित नहीं हैं कि उनकी टीम बिना किसी कप्तान के इस साल की नीलामी में जा रही है, जो 16 दिसंबर को अबू धाबी में होगा। उनका कहना है कि उनकी टीम अहम मसलों पर सामूहिक निर्णय लेती है, जिसमें टीम मालिकों के अलावा कोचिंग स्टाफ़ और लीडरशिप ग्रुप शामिल है, जिसका वह ख़ुद हिस्सा हैं।

उन्होंने कहा, "RR में कोई भी बड़ा निर्णय होता है, तो उसमें हम सब की भी हिस्सेदारी होती है। कोई भी बड़ा निर्णय होता है, तो वह हम सबको भी पूछकर होता है। जैसे अभी जड्डू भाई (रवींद्र जाडेजा) आए हैं, तो वह भी निश्चित रूप से हमारे लीडरशिप ग्रुप का हिस्सा होंगे। कुल चार या पांच लोग इस लीडरशिप ग्रुप का हिस्सा हैं। अगर टीम में किसी प्लेयर को ट्रेड करना है, नीलामी में हमें किसी खिलाड़ी के पीछे जाना है, तो इस लीडरशिप ग्रुप और कोचिंग स्टाफ़ से भी बात होती है, तब ही जाकर टीम मालिक निर्णय लेते हैं। तो मुझे नहीं लगता कि नीलामी से पहले हमें कप्तान की ज़रूरत है कि वह हमारे लिए जाकर वहां पैडल उठाए।"

पराग हाल ही में भारत ए टीम के साथ थे  PTI

पराग का ख़ुद का बल्लेबाज़ी फ़ॉर्म इस घरेलू सीज़न कुछ ख़ास नहीं रहा है। रणजी ट्रॉफ़ी के तीन मैच की पांच पारियों में बिना अर्धशतक के उनके नाम सिर्फ़ 20 की औसत से 100 रन दर्ज हुए। वहीं वर्तमान चल रही SMAT में उनके स्कोर 5, 15, 14, 0 और 5 के रहे हैं। इस दौरान उन्होंने भारत ए के लिए साउथ अफ़्रीका ए और ऑस्ट्रेलिया ए के ख़िलाफ़ भी पांच 50 ओवर के मैच खेले, जहां ऑस्ट्रेलिया ए के ख़िलाफ़ तो उन्होंने तीनों पारियों में अर्धशतक लगाते हुए सीरीज़ में सर्वाधिक 187 रन बनाए, लेकिन साउथ अफ़्रीका ए के ख़िलाफ़ इस फ़ॉर्म को बरकरार नहीं रख पाए और सिर्फ़ 17 व 8 का स्कोर किया। हालांकि पराग इसको लेकर कुछ ख़ास चिंतित नहीं नज़र आ रहे हैं।

उन्होंने कहा, "IPL और घरेलू क्रिकेट खेलते-खेलते मैं अब ऐसे फ़ेज़ (ख़राब फ़ॉर्म) से बहुत बार गुजर चुका हूं। यहां रन नहीं बन रहे, इसका मतलब यह नहीं। है कि IPL में भी रन नहीं बनेंगे। ऐसा तीन-चार बार हुआ है कि मैं घरेलू सीज़न में संघर्ष किया हूं, लेकिन IPL में जाकर मेरा प्रदर्शन अच्छा हो गया है। दो बार ऐसा भी हुआ है कि मैंने SMAT के सात मैचों में 45 या 50 की औसत से रन बनाए हैं, लेकिन उसी सीज़न 14 IPL मैचों में मेरे 70 रन भी नहीं बने।

"तब मैं बाथरूम में भी जाकर रोया हूं कि क्यों नहीं रन बन रहे। तब मैं सोचता था कि आख़िर मैं क्या करूं? क्या थोड़ा एक्स्ट्रा प्रैक्टिस कर लूं या बिल्कुल भी प्रैक्टिस ना करूं या फिर छुट्टियों पर चला जाऊं? ये सब कुछ मैंने आज़मा लिया है। अब मैं यह सब ज़्यादा नहीं सोचता। अब मेरे लिए फ़्रेम ऑफ़ माइंड सबसे ज़्यादा ज़रूरी है और मैं इस फ़्रेम ऑफ़ माइंड में रहता हूं कि कैसे मैं अपने खेल और ज़िंदगी का लुत्फ़ उठाऊं, बाक़ी रन तो बनते रहेंगे।

"इसलिए मैं यह नहीं कहूंगा कि यह फ़ॉर्म मेरे लिए चिंता का विषय है। मुझे फ़िलहाल अपनी बल्लेबाज़ी में कोई तकनीकी दिक्कत भी नज़र नहीं आ रही है। अगर कोई दिक्कत होगी, तो मेरे डैड (पिता जी) मुझे बता देंगे, वह मेरा हर मैच देखते हैं। बस यह है कि मैं कंधे की चोट से वापस आ रहा हूं तो थोड़ा संभलकर खेलना पड़ रहा है। मुझे लगता है कि इसी चोट के कारण ही फ़िलहाल मैं भारतीय टीम में भी नहीं हूं। वरना मुझे लगता है कि मैं सफ़ेद गेंद की क्रिकेट में दोनों फ़ॉर्मैट में खेल सकता हूं। जैसे ही मेरा कंधा पूरी तरह से सही हो जाएगा, आप मुझे रंगीन भारतीय नीली जर्सी में फिर से देख सकोगे, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि जब भी मुझे भारतीय टीम में मौक़ा मिला है, मैंने कुछ ग़लत या ख़राब किया है।"

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दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं.