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डरबन टेस्ट के आंकड़े : साउथ अफ़्रीका के लिए ऐतिहासिक फिरकी का जादू

बांग्लादेश के लिए पहले टेस्ट में बने कई अनचाहे कीर्तिमान

केशव महाराज ने मात्र 60 गेंदों में सात विकेट निकाले  Getty Images

53 - दूसरी पारी में बांग्लादेश का बनाया स्कोर उसका टेस्ट में दूसरा सबसे कम योग है और डरबन में किसी भी टीम के द्वारा बनाया सबसे कम स्कोर है। बांग्लादेश ने 2018 में नॉर्थ साउंड में वेस्टइंडीज़ के विरुद्ध केवल 43 रन बनाए थे जबकि इससे पहले डरबन में न्यूनतम स्कोर था भारत द्वारा 1996 में बनाया गया 66 ऑल आउट।

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10 - साउथ अफ़्रीका के लिए दूसरी पारी में सारे विकेट केशव महाराज और साइमन हार्मर ने लिए। ऐसा साउथ अफ़्रीका के इतिहास में केवल तीसरी बार हुआ कि पारी के सब विकेट स्पिनरों ने ही झटके। इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 1948 में और 1950 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध ऐसा पहले हो चुका है। मज़े की बात है कि ऐसा हर बार डरबन में ही हुआ है।

2 - बांग्लादेश की दूसरी पारी के दौरान केवल दो गेंदबाज़ों ने बिना किसी अंतराल के दोनों छोरों से गेंदबाज़ी की। ऐसा साउथ अफ़्रीका के लिए और बांग्लादेश के ख़िलाफ़ पहली बार हुआ है। टेस्ट इतिहास में यह केवल 28 बार ही हुआ है और पिछली बार ऐसा 2019 में हुआ था जब लॉर्ड्स में खेलते हुए आयरलैंड की दूसरी पारी में सिर्फ़ क्रिस वोक्स और स्टुअर्ट ब्रॉड ने गेंदबाज़ी की थी।

2 - यह साउथ अफ़्रीका के साथ दूसरी बार हुआ कि दो स्पिन गेंदबाज़ों ने आक्रमण की शुरुआत की। 1997 में फ़ैसलाबाद में पाकिस्तान के विरुद्ध चौथी पारी में पैट सिमकॉक्स और पॉल ऐडम्स ने गेंदबाज़ी का आग़ाज़ किया था। 146 का पीछा करते हुए पाकिस्तान की पारी 92 पर सिमट गई थी लेकिन घातक गेंदबाज़ी शॉन पॉलक ने पहले परिवर्तन गेंदबाज़ के तौर पर किया था।

0 - साउथ अफ़्रीका के तेज़ गेंदबाज़ों ने दूसरी पारी में एक भी गेंद नहीं डाली। ऐसा 100 सालों से अधिक में पहली बार हुआ है कि एक सम्पूर्ण पारी में किसी तेज़ गेंदबाज़ ने साउथ अफ़्रीका के लिए गेंदबाज़ी नहीं की।

7/32 - महाराज के दूसरी पारी के विश्लेषण साउथ अफ़्रीका के लिए घर पर पिछले 65 सालों में किसी भी स्पिनर के लिए सर्वश्रेष्ठ फ़िगर हैं। इससे बेहतर विश्लेषण के लिए हमें 1957 में जाना होगा जब ह्यू टेफ़ील्ड ने 113 रन देकर नौ विकेट लिए थे। इस मैच में दोनों टीमों के स्पिनरों ने कुल 20 विकेट लिए जो दिसंबर 1957 के बाद साउथ अफ़्रीका में खेले गए किसी भी टेस्ट में अधिकतम हैं। साथ ही मेज़बान टीम के स्पिनरों द्वारा लिए गए 14 विकेट दिसंबर 1964 में इंग्लैंड द्वारा डरबन में लिए गए 15 विकेट के बाद साउथ अफ़्रीका में एक टीम द्वारा सर्वाधिक हैं।

60 - महाराज ने सात विकेट लेने में केवल 60 गेंदें लगाई जो 2002 के बाद से दूसरे सबसे कम गेंदें हैं। ब्रॉड ने 2015 ऐशेज़ में इंग्लैंड को पटखनी देते हुए 8/15 के फ़िगर केवल 42 गेंदों पर पूरे कर लिए थे। महाराज ने अपनी पांचवीं विकेट 35 गेंदों में ले ली थी और यह भी जानकारी मौजूद होने वाले मैचों में दूसरी सबसे कम योग है। टेफ़ील्ड ने 1950 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध पांचवीं विकेट 33वी गेंद में ली थी।

114 - बांग्लादेश की दूसरी पारी बस 114 गेंदों तक चली। पिछले 50 सालों में केवल पांच ऐसे अवसर थे जब एक टीम इतने या इससे कम गेंदों में ऑल आउट हो गई। इसमें बांग्लादेश की नॉर्थ साउंड की पारी शामिल है जो केवल 112 गेंदों तक चली थी।

6.1 - बांग्लादेश की पहली पारी 695 गेंद चली थी और इसका मतलब है दोनों पारियों में 6.1 गुना अंतर था। यह टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में एक ही टीम के दो पारियों के बीच पांचवां सबसे बड़ा फ़ासला है। जब पाकिस्तान ने हनीफ़ मोहम्मद के तिहरे शतक के ज़रिए 1958 में बारबेडोस टेस्ट बचाया था तब टीम ने 42.2 और अगली पारी में 319 ओवर खेले थे, जिनमें 7.54 गुना अंतर है।

5.30 - बांग्लादेश की दूसरी पारी में औसतन हर विकेट के लिए बने रन टेस्ट इतिहास में ऐसे 122 पारियां जहां 10 विकेट स्पिन के ख़िलाफ़ गिरे हैं, सबसे कम आंकड़ा है। ऐसे ही 11.4 गेंदें प्रति विकेट भी इन 122 पारियों में किसी गेंदबाज़ी क्रम का सर्वश्रेष्ठ है।

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