के एल राहुल की लाजवाब पारी की कथा
ऑफ़ स्टंप के बाहर की गेंदों पर सटीक निर्णयन इस पारी की नींव थी
बहुत ख़ुशी है कि राहुल उस फ़ेहरिस्त में आ गए जिसमें मैं अकेला था : जाफ़र
सेंचूरियन टेस्ट के पहले दिन और राहुल की रिकॉर्ड पारी का लेखा जोखा वसीम जाफ़र के साथरविवार को अपने नौवें और दसवें ओवर में लुंगी एनगिडी ने दो दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को लगभग एक जैसी गेंदें फेंकी। यह गेंदें गुड लेंथ पर टप्पा खाकर अंदर आईं और अतिरिक्त उछाल के चलते बल्लेबाज़ को परेशानी में डालने के लिए पर्याप्त थीं।
दोनों बल्लेबाज़ों ने भी गेंदों का लगभग एक ही तरीक़े से मुक़ाबला किया। जहां चेतेश्वर पुजारा आगे बढ़कर डिफ़ेंड करने की कोशिश में अंदरूनी किनारे के ज़रिए शॉर्ट लेग पर कैच आउट हो गए वहीं के एल राहुल के ख़िलाफ़ गेंद किनारे से तो लगी लेकिन फिर उनके क़दमों पर जा गिरी। अगर गेंद हवा में भी गई होती तो वह सुरक्षित रहते क्योंकि उनके लिए शॉर्ट लेग पर कोई फ़ील्डर था ही नहीं।
एक सपाट पिच पर एनगिडी इकलौते तेज़ गेंदबाज़ थे, जिन्होंने अपने उछाल के चलते भारत को परेशान किया। उन्होंने लगातार गेंदों पर मयंक अग्रवाल और पुजारा के विकेट भी झटके थे। लेकिन राहुल के लिए फिर भी शॉर्ट लेग पर कोई नहीं था। शायद इसलिए क्योंकि उस वक़्त तक राहुल ने 122 गेंदों पर 47 बना लिए थे और अगले तीन गेंदों पर राहुल ने बताया क्यों साउथ अफ़्रीका के समक्ष वह इतने आश्वस्त नज़र आ रहे थे कि मेज़बान टीम ने उनके लिए शॉर्ट लेग रखना सही नहीं समझा।
एनगिडी ने हर गेंद को पांचवे स्टंप की लाइन पर क्रीज़ पर वाइड जाते हुए डाला और सीम के सहारे इन्हें पिच करने पर थोड़ा सा बाहर निकाला। राहुल हर गेंद पर आगे आए और ज़रूरत पड़ने पर ड्राइव लगाने के लिए तैयार रहे। उन्होंने आख़िर तक गेंद को परखा और फिर उन्हें सम्मान देते हुए जाने दिया।
दिन की खेल समाप्ति तक राहुल सीम गेंदबाज़ों के विरुद्ध 202 गेंदों में 76 को ऐसे ही छोड़ चुके थे। एक शास्त्रीय शैली, बल्ला पैड के पीछे, मार्नस लाबुशेन या स्टीव स्मिथ के नाटकीय प्रक्रिया से बिलकुल अलग। राहुल जैसे-जैसे परिस्थितियों और गेंदबाज़ी के आदि होते रहे, उनकी लीव प्रतिशत भी हर सत्र में घटती दिखाई दी। लंच से पहले 45.24, दूसरे सत्र के बाद 42.48 और फिर स्टंप्स तक 37.62। टेस्ट क्रिकेट की एक आदर्श पारी।
हां या ना : टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करना साहसी फ़ैसला ?
सेंचूरियन टेस्ट के पहले दिन से जुड़े अहम सवालों पर वसीम जाफ़र का फ़ैसलायह आंकड़े अपने आप में बहुत कुछ नहीं कहते। इससे पूर्व एशिया के बाहर जितने भी सीरीज़ में राहुल खेले हैं, उनका तेज़ गेंदबाज़ी के ख़िलाफ़ सर्वाधिक लीव प्रतिशत - साउथ अफ़्रीका 2017-18 में 44.55 और अगले वर्ष ऑस्ट्रेलिया में 37.93 - ऐसे दौरों पर आए जिनमें वह असफल रहे। लेकिन संदर्भ समझना ज़रूरी है। अधिक उछाल भरी पिच पर आपको ज़्यादा गेंदें छोड़नी पड़ती हैं और सेंचूरियन में अपने सैंकड़े में उन्होंने दिखाया कि आप जितने क्रीज़ पर जमते हैं, आपके लीव प्रतिशत घटता जाता है। आसान पिच पर कम लीव करते हुए आप अधिक रन भी बनाते हैं। मिसाल के तौर पर राहुल का पहला ऑस्ट्रेलिया दौरा जहां का लीव प्रतिशत (19.80) एशिया के बाहर उनका सबसे कम है। राहुल ने यहां दो मैच सपाट पिच पर खेले और दूसरे में शतक भी जड़ा था।
कभी-कभी इस आंकड़े से यह भी पता चलता है कि गेंदबाज़ों ने आपको कितना खेलने पर मजबूर किया। सेंचूरियन में साउथ अफ़्रीका के तेज़ गेंदबाज़ों ने शुरुआती खेल में यह ग़लती ज़रूर की - राहुल और उनके जोड़ीदार मयंक को एनगिडी और कगिसो रबाडा ने कई गेंदें इतनी बाहर डाली कि दोनों सलामी बल्लेबाज़ों को छेड़खानी करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी और डेब्यू पर मार्को यानसन इसकी भरपाई की कोशिश में सीधे पैड पर गेंदबाज़ी करने लगे।
लेकिन राहुल की पारी में ख़ासियत यह थी कि लीव करते हुए उनकी प्रक्रिया कितनी सरल और सटीक थी। क्रीज़ पर उनका संरेखण और साथ ही उनके शरीर की स्थिरता के चलते हर बार उनके लिए हर गेंद पर सही निर्णय लेने में आसानी हुई। ऑफ़ स्टंप के बाहर की गेंद को ज़िम्मेदारी के साथ खेलना इस साल इंग्लैंड दौरे पर भी दिखा था जहां उन्होंने लॉर्ड्स में शतक जड़ते हुए 39.37 की औसत से 315 रन बनाए थे। टेस्ट टीम में दो साल बाद वापसी करते हुए उनके रन और औसत के आंकड़े सिर्फ़ रोहित शर्मा के ही पीछे थे।
खेल के बाद मयंक का कहना था, "मैंने उनके खेल को क़रीब से देखा है और उन्हें हमेशा अपने ऑफ़ स्टंप का ज्ञान रहता है। वह गेंद की लाइन में आसानी से आ रहे हैं और अच्छे अनुशासन के साथ बल्लेबाज़ी कर रहे हैं। वह सेट होने पर लंबी पारी खेलने की दृढ़ता के साथ बल्लेबाज़ी करते हैं।"
अपने इस कमबैक से पहले राहुल 2019 में वेस्टइंडीज़ दौरे पर ऑफ़ स्टंप के बाहर कई ग़लतियां कर रहे थे। वह खेलने और लीव करने के बीच संदिग्ध दिखते थे और उनका शरीर खुल जाता था। इंग्लैंड और अब सेंचूरियन में वह साइड-ऑन रहते हुए ऑफ़ स्टंप की गेंदों को यथोचित ढंग से डिफ़ेंड या लीव करने के लिए तैयार लग रहे हैं। और अगर गेंदबाज़ ओवरपिच करे तो वह ड्राइव करने के लिए भी तैयार रहते हैं। एनगिडी की अगली गेंद भी कुछ ऐसी थी और उन्होंने उसे कवर के बीच सहलाते हुए चार रन अर्जित किए।
एनगिडी की आख़िरी गेंद भी फ़ुल थी लेकिन सीधे स्टंप्स पर। इस बार राहुल ने आगे के पैड को स्थिर रखते हुए बल्ले से मिड-ऑन की ओर डिफ़ेंड किया। जैसे यह सीरीज़ बढ़ेगा वैसे ही साउथ अफ़्रीका के तेज़ गेंदबाज़ निश्चित तौर पर राहुल के कवच-रूपी बल्लेबाज़ी को भेदने के नए उपाय खोज लेंगे। फ़िलहाल आप बस राहुल की ऑफ़ स्टंप के बाहर निर्णयन, उनकी कलात्मक बल्लेबाज़ी और इस पारी के कारण एक ऐतिहासिक दौरे पर भारत की मज़बूत स्थिति का भरपूर मज़ा लीजिए।
कार्तिक कृष्णस्वामी ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं, हिंदी अनुवाद ESPNcricinfo के सीनियर असिस्टेंट एडिटर और स्थानीय भाषाओं के प्रमुख देबायन सेन ने किया है।
Read in App
Elevate your reading experience on ESPNcricinfo App.