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डीन एल्गर जैसे बल्लेबाज़ को कैसे आउट किया जाए?

एल्गर के पास पिछली गेंद को भूलाने की एक अद्भुत क्षमता है और यही उनकी सफलता का एक बड़ा कारण है

मेज़बान टीम ने वापसी ज़रूर की है लेकिन भारत के पास होगा इतिहास रचने का मौक़ा - संजय मांजरेकर

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केपटाउन में खेले जाने वाले तीसरे और आख़िरी टेस्ट का प्रीव्यू संजय मांजरेकर के साथ

जोहैनसबर्ग टेस्ट में मोहम्मद सिराज ने डीन एल्गर को अपने एक ओवर में ख़ूब परेशान किया। इस ओवर में एल्गर कई बार बीट भी हुए, एक गेंद उनके शरीर पर भी लगी, लेकिन एल्गर टस से मस नहीं हुए।

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एल्गर न सिर्फ़ टिके रहे, बल्कि उन गेंदों को बेहतर ढंग से खेला। अगर साउथ अफ़्रीका को यह टेस्ट ड्रॉ कराना था, तो एल्गर को अंत तक क्रीज़ पर जमे रहना बहुत ही ज़रूरी था। इसके लिए एल्गर को कई ऐसी गेंदों का भी सामना करना पड़ा, जो उनके शरीर पर आ कर लग रही थी। उन्होंने बहादुरी से ऐसा किया और लगातार किया। लेकिन सबसे अच्छी बात यह रही कि वह हर गेंद के बाद उसे भूलते रहे कि उन्हें शरीर पर चोट भी लगी है और ख़ुद को आगे आने वाली गेंदों के लिए तैयार किया।

हालांकि यह भूलना इतना आसान नहीं होता। एल्गर को इस पारी के दौरान शरीरिक और मानसिक दोनों तरह से चोटें लगीं। इससे पहले 2018 में जब टीम इंडिया जोहैनसबर्ग आई थी, तब भी एल्गर ने कुछ ऐसी ही संघर्षपूर्ण पारी खेली थी, हालांकि तब वह अपनी टीम को हार से नहीं बचा सके थे।

एल्गर एक बाएं हाथ के बल्लेबाज़ हैं। लगातार दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को गेंदबाज़ी करते रहने के कारण कई बार गेंदबाज़ों को खब्बू बल्लेबाज़ों को गेंदबाज़ी करने में दिक़्क़त होती है। वे उनके सामने उतने प्रभावी नहीं दिखते, जितना कि दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के सामने घातक दिखते हैं।

भारतीय गेंदबाज़ों ने एल्गर के लिए कई तरह की रणनीति बनाई। पहली रणनीति के अनुसार एल्गर के लिए ओवर द स्टंप आते हुए एंगल से शरीर के बाहर की तरफ़ गेंदबाज़ी की जाए। एल्गर ऐसी गेंदों पर ना सिर्फ़ बीट हुए बल्कि कई बार बाहरी किनारा भी लगते हुए बचा। पहले टेस्ट की पहली पारी के दौरान एल्गर बुमराह की ऐसी बाहर निकलती गेंद पर ही किनारा दे बैठे थे। उस अवसर पर उनका पैर हिला ही नहीं था और गेंद भी इतनी बाहर नहीं निकली थी कि बाहरी किनारे को छोड़ कर जाए। दूसरे टेस्ट में भी भारतीय गेंदबाज़ों ने उसी लाइन पर गेंदबाज़ी करने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुए।

कोई आश्चर्य कर सकता है कि कैसे एल्गर इतनी गेंदों पर बीट हुए, लेकिन उनका बाहरी किनारा नहीं लगा? दरअसल, दूसरे टेस्ट के दौरान एल्गर ने गेंद को शरीर को एकदम नज़दीक से खेलने की कोशिश की, इस दौरान उनका बल्ला भी ज़्यादा बाहर नहीं निकलता था। एल्गर इस तकनीक से खेलने के लिए इतना दृढ़ थे कि उन्होंने मुश्किल से इस पारी के दौरान कोई भी ड्राइव फ़्रटफ़ुट पर आकर कवर की दिशा में खेला।

एल्गर गेंद को शरीर से नज़दीक खेलने की कोशिश कर रहे हैं, जिसका उन्हें फ़ायदा भी हो रहा है  AFP via Getty Images

भारतीय गेंदबाज़ कोशिश कर सकते थे कि गेंद को उनसे दूर ना रहकर उनके पास चौथे स्टंप की लाइन में रखा जाए या फिर अंदर की ओर लाने की कभी-कभी कोशिश की जाए। ऐसा करने से बाहरी किनारा मिलने की संभावना बहुत अधिक थी। मोहम्मद शमी ऐसा कर सकते थे, उनकी यह नैसर्गिक लाइन है।

एल्गर के ख़िलाफ़ एक दूसरी योजना यह हो सकती थी कि राउंद द स्टंप आते हुए गेंद को एंगल से अंदर की ओर लाया जाए, इसके साथ-साथ ओवर में एक या दो बॉउंसर भी लगाए जाए। हमने देखा है कि शरीर की तरफ़ आती हुई बॉउंसर से एल्गर थोड़ा सा असहज हो जाते हैं। हालांकि कई बार वह उसे झुककर जाने भी देते हैं, इसलिए यह गारंटी नहीं है कि आपको इस गेंद पर सफलता मिलेगी ही, हां आप उन्हें परेशान ज़रूर कर सकते हैं। एक बॉउंसर पड़ने के बाद अगली गेंद पर अक्सर बल्लेबाज़ फ़्रटफ़ुट पर नहीं आता है और एल्गर के ख़िलाफ़ इसका फ़ायदा लिया जा सकता है।

ये दोनों योजनाएं भले ही केपटाउन में काम करें या ना करें लेकिन एक चीज़ तो निश्चित है कि एल्गर केपटाउन में शून्य से अपनी नई पारी की शुरुआत करेंगे। कई बार ऐसी चीज़ें भी आपके हक़ में जाती हैं और नए बल्लेबाज़ को किसी भी परिस्थिति में आउट करना कहीं आसान होता है।

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Aakash Chopra पूर्व क्रिकेटर और वर्तमान में क्रिकेट विश्लेषक हैं, अनुवाद ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो हिंदी के दया सागर ने किया है