आख़िर ऋषभ पंत ने वह शॉट क्यों खेला?
रबाडा के विरुद्ध उनकी चहलक़दमी उनके आत्मविश्वास की कमी का नतीजा हो सकती है

हर काम में जोखिम होता है। कुछ मौक़ों पर जोखिम उठाने से आपना फ़ायदा होता हैं तो कुछ मौक़ों पर नुक़सान। इस तथ्य पर आप दूसरी पारी में ऋषभ पंत के उस शॉट को नहीं आंक सकते जिस पर वह आउट हुए। कगिसो रबाडा के विरुद्ध क़दमों का उपयोग करना, गेंद के पास पहुंचे बिना उसे आड़े बल्ले से मिडऑफ़ या एक्स्ट्रा कवर की दिशा में भेजने का प्रयास करना और बाहरी किनारे से विकेटकीपर को आसान कैच थमाना।
आप जल्दबाज़ी में पंत का मूल्यांकन नहीं कर सकते हैं क्योंकि उन्होंने पहले भी ऐसे जोखिम उठाए हैं और सफल भी रहे हैं।
कुछ जोखिमों में सफलता की संभावना अधिक होती है तो कुछ में कम। इस धारणा पर आप पंत से यह प्रश्न अवश्य पूछ सकते हैं कि उन्होंने उस गेंदबाज़ के विरुद्ध वह शॉट लगाने का प्रयास आख़िर क्यों किया।
यह रबाडा के स्पेल का सातवां ओवर था। इस स्पेल में वह सही लेंथ पर गेंदबाज़ी करते हुए गेंद को दोनों तरफ़ हिला रहे थे और उन्हें असमतल उछाल भी मिल रहा था। और तो और वह चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे के रूप में दो अर्धशतकवीरों को आउट भी कर चुके थे। निश्चित रूप से पंत उस स्पेल में संभलकर खेलते हुए किसी अन्य गेंदबाज़ पर आक्रमण कर सकते थे, है ना ?
रबाडा के विरुद्ध उस शॉट से पहले ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के आंकड़ों के अनुसार पंत ने 32 गेंदों पर तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ चहलक़दमी की है और उन्होंने 50 रन बनाए हैं। इस दौरान वह चार बार आउट भी हुए हैं। बहुत छोटे इनाम के लिए यह बहुत अधिक जोखिम लेने जैसा नहीं है?
लेकिन क्या अहमदाबाद में सफलता की संभावनाएं पंत के पक्ष में थी जब उन्होंने दूसरी नई गेंद से गेंदबाज़ी कर रहे जेम्स एंडरसन के ख़िलाफ़ रिवर्स स्कूप लगाया था? एंडरसन के पिछले ओवर में भी उन्होंने क़दमों का इस्तेमाल किया था और बुधवार के प्रयास की तरह मिडऑफ़ की दिशा में चौका लगाया था।
इस मैच की तरह वह टेस्ट मैच भी बीच मंझधार में फंसा हुआ था जब पंत ने वह शॉट खेलें। दोनों शॉट सफल हुए और पंत के साहस की प्रशंसा की गई।
हालांकि यह ग़ौर करने योग्य है कि पंत अहमदाबाद में उस समय 75 के स्कोर पर बल्लेबाज़ी कर रहे थे। वॉनडरर्स में जब उन्होंने यह जोखिम उठाया तो वह दो गेंदों का सामना करने के बाद शून्य पर थे।
अहमदाबाद की उस पारी में पंत के साहस के साथ-साथ क्रीज़ पर समय बिताने और अपने डिफ़ेंस पर उनके विश्वास को भी सराहा गया। संभवतः बुधवार को उनकी बल्लेबाज़ी में इसी चीज़ की कमी रह गई। शायद इस बार क्रीज़ से बाहर निकलकर वह शॉट लगाना दर्शाता है कि पंत में आत्मविश्वास का अभाव था। इसके पीछे का कारण हो सकता है कि पंत को अब अपने डिफ़ेंस पर पहले जैसा भरोसा नहीं रहा।
इंग्लैंड के ख़िलाफ़ घर पर खेली गई उस सीरीज़ के बाद से पंत ने सात टेस्ट मैच खेले हैं और वह भी घर से बाहर। इन सात मैचों में उनकी औसत मात्र 19.23 की रही है। इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि इस दौरान दाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ों ने पंत के खेल में एक अस्पष्टीकृत कमज़ोरी को ढूंढ निकाला है : ओवर द विकेट जाना और उस बाहर जाते कोण से उन्हें परेशान करना।
अब तक के अपने टेस्ट करियर में जब भी पंत ने राउंड द विकेट से तेज़ गेंदबाज़ों का सामना किया है, उनकी औसत 50.28 की रही है। लेकिन जैसे ही वह ओवर द विकेट आते हैं, उनकी औसत गिरकर 20.06 की रह जाती है।
पिछले सात टेस्ट मैचों में पंत राउंड द विकेट से हो रही तेज़ गेंदबाज़ी पर एक बार भी आउट नहीं हुए हैं। हालांकि ओवर द विकेट से तेज़ गेंदबाज़ों ने 10 बार उनका शिकार किया है और उनकी औसत महज़ 11.50 की रही है।
तेज़ गेंदबाज़ यह बात जान चुके हैं। मई 2021 तक दाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ों ने पंत को 41% गेंदें ओवर द विकेट से डाली थी। जून से यह आंकड़ा बढ़कर 71 प्रतिशत हो गया है।
आपने अब तक अनुमान लगा लिया होगा कि रबाडा भी ओवर द विकेट से गेंदबाज़ी कर रहे थे। क्या पंत उस ओवर में संभलकर खेल सकते थे? शायद हां। क्या उन्हें ख़ुद पर आत्मविश्वास था? शायद नहीं।
यह संभव है कि न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध घरेलू टेस्ट सीरीज़ में आराम दिए जाने पर पंत ने इन कोण से हो रही परेशानी पर काम किया होगा। लेकिन तकनीकी मुद्दों को सुलझाना आसान नहीं है। यहां तक कि अगर आपको कोई समाधान मिल भी जाता है तो उसे आपकी स्मृति में बसने में समय लग सकता है।
पंत को जो आराम मिला वह बहुत छोटा था। कोरोना महामारी में सभी प्रारूप खेलने वाले खिलाड़ियों को आराम करने के बहुत कम अवसर मिलते हैं। और ऐसे में ख़राब फ़ॉर्म लंबे समय तक चल सकता है : अब पुजारा, रहाणे या कप्तान विराट कोहली को ही देख लीजिए।
तो क्या पंत का रबाडा के ख़िलाफ़ शॉट एक वाजिब विकल्प था जो सफल नहीं हुआ, या यह केवल एक ग़लत निर्णय था? हम निश्चित रूप से कुछ कह नहीं सकते। हालांकि हम इसे इकलौते प्रसंग के रूप में देख सकते हैं जिससे इसके संदर्भ को समझने में आसानी होगी।
कार्तिक कृष्णस्वामी ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।
Read in App
Elevate your reading experience on ESPNcricinfo App.