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प्रैक्टिस सेशन के दौरान मैं एक बार में 150 से भी ज्यादा बाउंसर गेंदें खेलती थी - शफ़ाली वर्मा

एक व्यस्त क्रिकेट सीज़न से पहले शफ़ाली हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।

Shafali Verma: 'Looking back, there was a lot of struggle, but I'm happy with where I am today'

Shafali Verma: 'Looking back, there was a lot of struggle, but I'm happy with where I am today'

The 17-year-old from Rohtak talks about her early struggles, facing the Haryana Ranji Trophy bowlers, and finding motivation to win the next World Cup

शफ़ाली वर्मा से जब पूछा गया कि क्या उनके फैंस सेल्फी लेने के लिए रोहतक स्थित उनके घर पर आते हैं तो शर्माते हुए उन्होंने जवाब दिया - 'कभी-कभी'। यह जवाब एक युवा खिलाड़ी को मिली नई प्रसिद्धि के साथ, उनकी बढ़ती सहजता का संकेत देता है।

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अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने के बाद से, 21 महीनों में, 17 वर्षीय वर्मा ने किसी भी अन्य महिला क्रिकेटर की तुलना में टी-20 क्रिकेट में ज्यादा छक्के मारे हैं। यही नहीं, शफ़ाली ने भारत को अपने पहले टी20 विश्व कप फाइनल में पहुंचाने में उनकी अहम भूमिका थी और वो खुद दो बार हिला टी20 बल्लेबाज़ी की रैंकिंग में शीर्ष पर रही हैं।

उनकी आक्रामक शैली वाली क्रिकेट के कारण उन्हें इंग्लैंड में 100 बॉल क्रिकेट 'द हंड्रेड' और ऑस्ट्रेलिया में महिला बिग बैश लीग (डब्ल्यूबीबीएल) में खेलने का मौका मिला है। उन्हें आगामी इंग्लैंड दौरे के लिए टी20 के साथ-साथ भारत की वनडे और टेस्ट टीम में भी शामिल किया गया है।

वर्तमान में पूरे विश्व की नंबर-1 टी-20 बल्लेबाज वर्मा कहती हैं, ''मेरा लक्ष्य हर श्रृंखला से सबक लेना है और एक क्रिकेटर के रूप में सुधार करते रहना है। टी 20 विश्व कप के बाद मैंने अपनी तकनीक, फिटनेस और बड़े शॉट्स लगाने के लिए किस गेंद का चयन करना है, इस पर काम किया है। मैंने दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ श्रृंखला में बेहतर प्रदर्शन किया था। मैं अपने क्षेत्ररक्षण में कुछ सुधार करने का पूरा प्रयास कर रही हूं। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान मैने अपने फिटनेस पर भी लगातार काम किया है।"

मार्च में दक्षिण अफ्रीका के खि़लाफ़ खेली गई श्रृंखला में वर्मा ने 23, 47 और 60 का स्कोर बनाया था जो उस टी-20 श्रृंखला के कुछ मुख्य आकर्षणों में से एक था। टी20 विश्व कप के बाद महिला टीम द्वारा खेली गए इस श्रृंखला में भारत को हार का सामना करना पड़ा था। जहां टी-20 में उन्हें 2-1 और वनडे श्रृंखला में 4-1 से पराजय मिली थी।

अभ्यास के दौरान हंसती शफ़ाली वर्मा  Mike Owen / Getty Images

वर्मा उस सीरीज़ में बाउंसर के खि़लाफ़ पहले की तुलना में कहीं अधिक सहज दिख रही थी। वह कहती हैं कि यह सिर्फ और सिर्फ प्रैक्टिस के कारण सफल हो पाया था। "यदि आप किसी चीज़ में बेहतर होने की कोशिश करते हैं तो ऐसा नहीं है कि सिर्फ एक बार कोशिश करने के बाद आपको संतुष्टि मिल जाए और यह कारगर भी नहीं है। मैंने एक योजना बनाई कि एक बार में 150 गेंदें (बाउंसर) खेली जाए, फिर थोड़ा आराम किया जाए और उसके बाद फिर से बाउंसर गेंदों का सामना किया जाए। मेरा पूरा प्रयास था कि मैं बाउंसर गेंदों का ज्यादा से ज्यादा सामना करूं।"

इस साल की शुरुआत में जब हरियाणा की पुरुष टीम ने सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफी अभियान से पहले कैंप लगाया तो वर्मा के पास अपने खेल को सुधारने का अच्छा मौका था।

"मुझे लगता है कि मुझे हरियाणा की रणजी टीम से भी बहुत फायदा हुआ।" वह दक्षिण अफ्रीका श्रृंखला से पहले की तैयारी के बारे में कहती है। "मैं बैकफुट पर पहले ठीक से शॉट नहीं लगा पा रही थी लेकिन रणजी गेंदबाजों का सामना करना, जो लगभग 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बोलिंग करते हैं, उनकी गेंदों को खेलने से तकनीक में सुधार हुआ और आत्मविश्वास भी काफी बढ़ा।"

"मैंने हर्षल पटेल के साथ बातचीत की, जो हाल ही में आईपीएल में खेल रहे थे। इसके साथ-साथ मैंने मोहित (शर्मा) भैया, राहुल तेवतिया से बाउंसर से निपटने के लिए काफी बातचीत की। उन्होंने मुझे अपने अनुभव के बारे में बताया। इसके साथ ही उनके कोच ने भी मेरी बल्लेबाज़ी पर अपनी प्रतिक्रिया दी। मैं इस अवसर के लिए हरियाणा क्रिकेट संघ की बहुत आभारी हूं।"

वर्मा के कोच अश्विनी कुमार, जो हरियाणा के पूर्व प्रथम श्रेणी खिलाड़ी हैं, उन्होंने रोहतक के श्री राम नारायण क्रिकेट क्लब में शफ़ाली को बल्लेबाज़ी प्रैक्टिस करवाने के लिए एक अतिरिक्त नेट और एक बोलिंग मशीन लगवाया ताकि कोविड महामारी के दौरान किसी भी तरीके की दिक्कत ना हो।

दीप्ति शर्मा, पूनम यादव और शफ़ाली वर्मा अपने बीसीसीआई अवार्ड के साथ  Vipin Pawar / BCCI

वर्मा कहती हैं, "मेरे सभी साथी, कोच और सहयोगी स्टाफ ने हमेशा मुझे अपनी स्वाभाविक शैली में बल्लेबाज़ी करने के लिए प्रोत्साहित किया है। जब भी मैं कोई शॉट अच्छी तरह से नहीं खेल पाती तो स्मृति (उनकी ओपनिंग पार्टनर) गलती बताती और सुझाव देती थी कि मैं गेंद को बेहतर तरीके से कैसे खेल सकती हूं। हम एक दूसरे की बैटिंग के बारे में काफी चर्चा करते हैं।" इन दोनों बल्लेबाज़ों ने दक्षिण अफ्रीका के खि़लाफ़ टी20 श्रृंखला में भारत की एकमात्र जीत में नौ ओवर के भीतर 96 रन की साझेदारी की थी।

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेली गई श्रृंखला, भारतीय महिला टीम के पूर्व मुख्य कोच डब्ल्यूवी रमन का कोच के रूप में आखिरी मैच था। उनकी जगह रमेश पवार को लाया गया है, जो 2018 में कोच की भूमिका निभा चुके हैं। एक बार फिर से उन्हें टीम की कमान संभालने के लिए बुलाया गया है।

पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में खेली गया टी20 विश्व कप वर्मा का पहला बड़ा टूर्नामेंट था। उस दौरान वो मीडिया में लगातार चर्चा का विषय बनी हुई थी। इस दौरान कोच रमन और टीम मैनेजमेंट ने यह फैसला लिया था कि शफ़ाली को अपने स्वाभाविक गेम को आगे बढ़ाने की पूरी छूट दी जाए।

''मैंने उन (रमन) के साथ दो साल काम किया। जिस तरह से मैं बल्लेबाज़ी करती हूं, वह मुझे मेरी शैली को बरकरार रखने के लिए हमेशा सपोर्ट करते थे। वो कहते थे कि 'बॉल देखो और अपना गेम खेलो', उन्होंने मुझे मेरे पदार्पण के बाद से काफी प्रेरित किया। मैं जैसा भी प्रदर्शन करूं, वह मुझे प्रोत्साहित करते थे। मैं उन्हें हमेशा याद करूंगी और उन्हें धन्यवाद भी देना चाहती हूं।" - शफ़ाली ने कहा।

अंतिम समय तक गेंद पर नज़र रखती शफ़ाली  Daniel Pockett / Getty Images

शफ़ाली पहली बार इंग्लैंड दौरे पर जा रही हैं। इस सीज़न भारतीय महिला टीम का शेड्यूल काफी व्यस्त है। ऐसे में शफ़ाली के लिए यह एक काफी अच्छा सीज़न साबित हो सकता है। जहां उन्हें अलग-अलग चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

"मैं फिट रहना चाहती हूं। यह मेरा प्राथमिक लक्ष्य है क्योंकि अगर मैं फिट हूं तो मैं अपने लिए एक लंबा करियर बना सकती हूं। मैं गीली सिंथेटिक गेंदों के साथ प्रशिक्षण ले रही हूं ताकि स्किड करने वाली गेंदों का सामना कर सकूं। मैं आईपीएल देख रही थी। उस दौरान कुछ खिलाड़ियों को देखकर और उनके शॉट चयन को देखकर बहुत कुछ सीखने को मिला।"

वर्मा टेस्ट खेलने को लेकर उत्साहित हैं। भारत ने आखिरी बार 2014 में मैसूर में टेस्ट मैच खेला था। तब शफ़ाली दस साल की थीं। उन्होंने कभी भी, किसी भी स्तर पर टेस्ट मैच नहीं खेला है। हालांकि उन्हें स्टीवन स्मिथ की बल्लेबाज़ी काफी अच्छी लगती है।

ऑस्ट्रेलिया में खेली जाने वाली द्विपक्षीय सीरीज़ के बाद इस साल शफ़ाली डब्ल्यूबीबीएल में सिडनी सिक्सर्स की टीम की तरफ से खेलेंगी। इस दौरान उन्हें अलिसा हीली जैसे बल्लेबाज़ों से काफी कुछ सीखने को मिलेगा। वर्मा कहती हैं "हीली एक बढ़िया बल्लेबाज़ हैं। मैंने टी20 विश्व कप में उनकी बल्लेबाज़ी देखी थी। अगर मुझे उनके साथ ओपनिंग करने या किसी अन्य स्थिति में बल्लेबाज़ी करने का मौका मिलता है तो मुझे उनके अनुभव से काफी कुछ सीखने का मौका मिलेगा।"

सेंट्रल-कॉन्ट्रैक्ट टियर में भी शफ़ाली को प्रमोशन मिला है। अब उन्हें सालाना 20 लाख रुपये अतिरिक्त मिलेंगे। वह एक मामूली आय वाले परिवार में पली-बढ़ी हैं। उनके पिता संजीव, एक छोटी सी आभूषण की दुकान चलाते हैं।

"मुझे लगता है कि हर कोई जो मेरी यात्रा का हिस्सा रहा है, यह देखकर खुश होता है कि मुझे जीवन में एक लक्ष्य मिल गया है। जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं तो मुझे मेरा बचपन दिखता है जब मैं साइकिल से 15 किलोमीटर दूर स्कूल जाती थी। मैं यह याद कर के खुद को प्रेरित करने की कोशिश करती थी कि अगर मैं कड़ी मेहनत करती हूं तो मुझे खेलने का मौका मिल सकता है। मेरी यात्रा में काफी संघर्ष रहा है लेकिन अभी जो समय चल रहा है, यह देख कर काफी खुशी हो रही है। पापा हमेशा कहते हैं, अगर मैं मेहनती रहूं तो हमेशा सीखते रहूंगी और लगातार अपनी गलतियों पर काम कर के भारतीय टीम के लिए हर तरह से योगदान दे सकती हूं।"

Shafali VermaIndia

ऑन्नेशा घोष ESPNCricinfo की सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNCricinfo के सब-एडिटर राजन राज ने किया है।