आईपीएल नीलामी में रिकॉर्ड मूल्य पर बिकने वाले शाहरुख़ ख़ान ने बताई ख़ुद के फ़िनिशर बनने की कहानी
'फ़िनिशर की भूमिका के लिए शरीर से अधिक दिमाग़ से मज़बूत होना ज़रूरी'
शाहरुख़ ने सुनाई ख़ुद के फ़िनिशर बनने की कहानी
'फ़िनिशर की भूमिका के लिए शरीर से अधिक दिमाग से मज़बूत होना ज़रूरी'तमिलनाडु के 26 साल के विस्फ़ोटक बल्लेबाज़ शाहरूख़ ख़ान को आईपीएल 2022 की बड़ी नीलामी में पंजाब किंग्स ने रिकॉर्ड नौ करोड़ रूपये में ख़रीदा। वह आवेश ख़ान (10 करोड़ रूपये, 2022) और कृष्णप्पा गौतम (9.25 करोड़ रूपये, 2021) के बाद इतना अधिक रकम पाने वाले सिर्फ़ तीसरे अनकैप्ड खिलाड़ी बने हैं। उन्हें हाल ही में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ सीमित ओवर की सीरीज़ के लिए टीम इंडिया में भी चुना गया था। तब ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो हिंदी ने उनसे विस्तार से आईपीएल नीलामी, टीम इंडिया में चयन, भविष्य के उनके लक्ष्य आदि के बारे में बात की थी। पढ़िए साक्षात्कार का एक हिस्सा-
टीम इंडिया में शामिल होने पर आपके और आपके परिवार की पहली प्रतिक्रिया क्या थी?
यह निश्चित रूप से मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात है। भारत में कोई भी खिलाड़ी क्रिकेट खेलना शुरु करता है, तो वह इंडिया के लिए खेलना चाहता है। मुझे यह मौक़ा मिला है, तो मेरे लिए यह बहुत ख़ुशी की बात है। जब मुझे टीम इंडिया के लिए कॉल आया तो सब लोग घर पर ही थे और डिनर कर रहे थे। मैंने वहीं पर सबको बताया और सब ख़ुश हो गए।
अगर आपको मौक़ा मिलता है, तो आप कौन सा लक्ष्य लेकर मैदान में उतरेंगे? क्या कोई दबाव भी होगा?
भारत के लिए खेलना बहुत बड़ी बात है और अगर आपको खेलने का मौक़ा मिलता है, तो आप पर दबाव रहता ही रहता है। टीम में बहुत बड़े-बड़े खिलाड़ी हैं और उनमें से अधिकतर को मैं टीवी पर ही देखा हूं। लेकिन मेरी कोशिश रहेगी कि मैं खुले दिमाग से मैदान में जाऊं और अपने खेल को इन्जॉय करूं, जैसे मैं तमिलनाडु के लिए करता हूं। अगर मैं बहुत सारी चीज़ें सोचूंगा तो मेरे ऊपर दबाव बढ़ेगा और मैं नॉर्मल बल्लेबाज़ी नहीं कर पाऊंगा। मेरा प्लान हमेशा यही रहता है कि अंदर जाकर बिंदास खेलो, रिज़ल्ट पर ज़्यादा ध्यान ना दो, बस प्रोसेस पर ध्यान दो। मेरे खेलने का तरीक़ा यही है और मैं टीम इंडिया में भी यही करूंगा।
सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी फ़ाइनल के बारे में बताइए? आप उस मैच में क्या सोचकर आए थे?
जब पारी शुरु हुई थी, तो मुझे लगा ही नहीं था कि मुझे बल्लेबाज़ी का मौक़ा मिलेगा। मैं ड्रेसिंग रूम में ही था और डग आउट में आया नहीं था। 150 रनों के क़रीब का लक्ष्य था और हमारे पास शीर्ष तीन में ऐसे बल्लेबाज़ थे, जो फ़ॉर्म में थे। विकेट भी अच्छा था, हालांकि खेल चलते-चलते थोड़ा धीमा भी हो गया था लेकिन फिर भी मुझे लगा था कि वे लोग यह मैच आसानी से ख़त्म कर देंगे। लेकिन जैसे-जैसे विकेट गिरते गए, रन रेट बढ़ता गया, तो मुझे लगा कि यह मेरे लिए स्टेज़ सेट हो रहा है। अब मुझे ही जाना है और गेम को ख़त्म करना है।
जब मैं बल्लेबाज़ी के लिए अंदर गया तो टीम को जीतने के लिए 60 के क़रीब रन चाहिए थे और विकेट भी धीमा हो गया था। लेकिन मुझे विश्वास था कि अगर मैं 20वें ओवर तक मैच को लेकर जाऊं तो हमारे जीतने का मौक़ा बन सकता है। मुझे विश्वास था कि अगर अंतिम गेंद पर छह रन भी बनाना हुआ तो मैं कर लूंगा। हां मौक़ा 50-50 का होता लेकिन यह 90-10 से तो बेहतर था। पहले तो चांस ही नहीं था, पहले तो 90% तक ऐसा लग रहा था कि मैच उन लोग (कर्नाटका) ही जीत रहे हैं। तो अगर मैं गेम को आख़िरी गेंद तक ले जाऊंगा और 50% भी चांस रहेगा तो हम जीत सकते हैं। अंत में यही हुआ, हमें अंतिम गेंद पर पांच रन चाहिए थे और वह छक्का लग गया।
इसके बाद जो आपने मैदान का चक्कर लगाकर अपना सेलिब्रेशन मनाया, वह काफ़ी यूनिक और अलग था। क्या उसके लिए भी आपने कुछ प्लान किया था?
नहीं, ऐसा कुछ नहीं था, कुछ सोचकर मैं अंदर नहीं गया था। बस यह नेचुरल था। जैसे ही गेंद बल्ले पर लगा तो पता चल गया था कि यह छक्का जाने वाला है। उसके बाद जो हुआ वह भी सब आपके सामने है।
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शाहरुख़ ख़ान और राहुल त्रिपाठी के लिए फ़्रेंचाइज़ियों के बीच मचेगी होड़ीफ़िनिशर की भूमिका के लिए आपकी तैयारी क्या होती है?
मुझे यह फ़िनिशर का रोल तीन साल पहले (2018 में) तमिलनाडु के लिए दिया गया था, क्योंकि उस समय टीम में सिर्फ़ एक ही जगह नंबर छह की खाली थी। उसके बाद मैं फ़िनिशर ही बन गया।
इस भूमिका के लिए आपको स्पष्ट होना बहुत ज़रूरी है। इस भूमिका में आपके पास गेंदें कम होती है और रन बनाने का मौक़ा भी कम होता है, रिस्क फ़ैक्टर काफ़ी अधिक होता है। यह सिर्फ़ दिमाग का खेल है। मैंने अपने खेलने की तकनीक में कोई अधिक बदलाव नहीं किया है लेकिन मैं दिमाग से काफ़ी स्पष्ट हूं अपनी भूमिका के लिए और खेल को लेकर मेरी समझ भी बढ़ी है, इस भूमिका को मिलने के बाद।
मैं अब ध्यान देता हूं कि अगर कोई गेंदबाज़ किसी लेंथ पर गेंदबाज़ी कर रहा है तो उसे कहां टारगेट कर सकते हैं। मैंने छोटी-छोटी चीज़ों पर ध्यान देना शुरु किया, जिससे रन स्कोर करना भी मेरे लिए बहुत ज़ल्दी होता गया।
सब लोग बोलते हैं कि तकनीक पर ध्यान दो, वाइड यॉर्कर पर अपनी गेम सुधारो आदि-आदि। लेकिन मैं सोचता हूं कि अगर आप मैच खेलते रहो तो यह सब ख़ुद-ब-ख़ुद आ ही जाता है। मैच की परिस्थितियों के अनुसार आपके पास शॉट आते जाएंगे, लेकिन आपको मानसिक रूप से इसके लिए तैयार रहना होता है। मैं अब अगर घर पर भी खाली बैठा रहता हूं तो फ़ियरलेस क्रिकेट के बारे में ही सोचता हूं। मैं सोचता हूं कि पहली ही गेंद से क्यों आक्रमण नहीं किया जा सकता, क्यों 10 गेंद का आपको समय चाहिए। अगर आपको लगता है कि आप पहले ही गेंद पर बोलर को छक्का मार सकते हैं, तो मार दो। मैं बस इसी माइंडसेट के साथ उतरता हूं।
Shahrukh Khan: Not just a finisher, I can see the team through as well
The PBKS batter on the conditions, his improvement over the years and gaining experience from the senior playersनेट्स में आप अपने आपको कैसे तैयार करते हैं?
नेट्स में तैयारी तो बहुत अधिक होती है। जो आप नेट में खेलते हो, वही मैच में भी लागू करते हो। मैं नेट सेशन को बहुत गंभीरता से लेता हूं और उसे मैच की तरह ही लेता हूं। मैं नेट में सिंगल लेने पर भी फ़ोकस करता हूं, ताकि मैच की परिस्थितियों के अनुसार स्ट्राइक रोटेशन भी चलता रहे।
अपने ट्रेनिंग शेड्यूल के बारे में कुछ बताइए?
मैच से पहले मैं अपने दिमाग को सबसे पहले स्थिर करता हूं और मैच की हर परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए अपने आप को मैच से एक दिन पहले तैयार करता हूं कि अगर 60 रन पर पांच विकेट है, तो क्या करना है? अगर 200 रन पर चार विकेट है, तो क्या करना है मुझे वहां जाकर। मैं नेट्स में अपने आप को हर परिस्थितियों के लिए तैयार करता हूं ताकि अगले दिन मैच के समय मैं नॉर्मल रहूं।
क्या अगर आपको कहा जाए कि आपको टिककर खेलना है, विकेट नहीं देनी है, लंबे शॉट नहीं खेलना है तो आप कर लेंगे?
हां, अगर मैच की परिस्थितियां मुझे ऐसा करने के लिए कहेंगी, तो बिल्कुल मैं उसके लिए भी तैयार हूं। मैं हमेशा टीम को ऊपर रखता हूं। अगर आप टीम को ऊपर रखते हैं तो आपके ऊपर दबाव भी कम रहेगा।
Shahrukh Khan - 'If you put the team first, the pressure reduces'
The newest member of the Punjab Kings on his role as a finisher, his preparations before a game, and moreजिम में क्या कुछ अलग करते हैं लंबे हिट की तैयारी के लिए?
मेरी शारीरिक बनावट पहले से ही गठीली (मसक्यूलर) है। हां, मैं जिम करता हूं लेकिन उससे अधिक मैं रनिंग पर बहुत ध्यान देता हूं। मुझे लगता है कि रनिंग आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाती है। जिम मैं बस इतना करता हूं, जितना क्रिकेट के लिए पर्याप्त है, मैं बहुत अधिक जिम नहीं करता।
आपके आदर्श कौन हैं?
मैं एमएस धोनी का बहुत बड़ा फ़ैन हूं और बचपन से हूं। धोनी भले ही रिटायर हो गए हैं, लेकिन खेल पर उनका प्रभाव अब भी है।
जब से धोनी ने संन्यास लिया है, तब से टीम इंडिया में फ़िनिशर का रोल भी खाली है? कई लोगों ने कोशिश की, लेकिन कुछ निरंतरता की वज़ह से, कुछ फ़िटनेस की वज़ह से उस जगह को नहीं भर पाए हैं? आपको क्या लगता है कि आप उस जगह को भर पाएंगे?
यह तो बहुत दूर की बात है। मैं इतनी दूर की सोचता भी नहीं हूं। अभी तो मुझे डेब्यू करना है और स्टेप बाय स्टेप ही आगे बढ़ना है। मुझे तो अभी पहला बॉल खेलना है, पहला मैच खेलना है। जहां तक अपनी जगह पक्की करने की बात है, तो यह बहुत लंबी प्रक्रिया है। मैं इतना दूर का सोचता नहीं हूं, जो आज है उस पर ही ध्यान देता हूं।
लेकिन आपका कुछ तो लक्ष्य होगा?
नहीं, मुझे इतना दूर तक सोचने की आदत नहीं है, मैं तो जो है अभी हाथ में उसके लिए तैयारी करता हूं।
आईपीएल नीलामी से आपकी क्या आशाएं हैं, क्या कोई पसंदीदा टीम है?
मैं झूठ नहीं बोलूंगा कि मैं नीलामी के बारे में नहीं सोच रहा, मैं ज़रूर सोच रहा हूं लेकिन इतना भी नहीं सोच रहा कि उससे मेरा आज प्रभावित हो। मुझे जिस टीम में मौक़ा मिलेगा, वहां बेहतर करने की कोशिश करूंगा। जिस तरह मुझे पिछले साल पंजाब की तरफ़ से मौक़ा मिला खेलने का, वैसे ही अगर किसी भी टीम से मौक़ा मिलेगा तो मैं किसी भी टीम से खेलने को तैयार हूं। जो भी टीम मिलेगी, ख़ुश हूं मैं।
Shahrukh Khan - 'Whichever team I get picked for, I will do my best for them'
The Tamil Nadu batter on being selected for India, being in a bubble with his idols, and the upcoming IPL auctionकुछ उम्मीद किए हैं कि आप कितना ऊपर तक जा सकते हैं नीलामी में?
यह तो नीलामी पर निर्भर करता है। आपका किस सेट में नाम आता है, आपसे पहले कौन से खिलाड़ी आ चुके हैं, किस टीम को क्या ज़रूरत है और उनके पास कितने पैसे बचे हैं? मैं यह सब ना सोचकर अपने दिमाग को फ़्रेश रखने की कोशिश कर रहा हूं और क्रिकेट पर ही बस फ़ोकस कर रहा हूं।
लाल गेंद की क्रिकेट में आप अपने आपको कहां देखते हैं, क्या आप सिर्फ़ सीमित ओवर की क्रिकेट खेलना चाहते हैं?
नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। 2014 में विजय हज़ारे में डेब्यू करने के बाद मुझे लंबे समय तक (2018 तक) रणजी ट्रॉफ़ी में खेलने का मौक़ा नहीं मिला। लेकिन मैं अंडर-23 में लगातार लाल गेंद की ही क्रिकेट खेल रहा था। मैंने उसके हर सीज़न में लगभग 600 रन बनाए। उसके बाद मुझे चार साल बाद रणजी ट्रॉफ़ी खेलने का मौक़ा मिला। मैंने अपने रणजी डेब्यू मैच में भी नाबाद 90s का स्कोर बनाया। मैंने लाल गेंद की क्रिकेट और रणजी ट्रॉफ़ी में भी अपना प्रभाव छोड़ा है। हालांकि मैंने अभी बहुत कम मैच रणजी के खेले हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मेरा ध्यान लाल गेंद की क्रिकेट पर नहीं है। मैं तीनों फ़ॉर्मेट में खेलना चाहता हूं।
आपने क्रिकेट खेलना कब शुरु किया, अपने बचपन के बारे में बताइए?
मेरे पापा क्लब क्रिकेट खेलते थे और जब मैं चार-पांच साल का था, तब से वह मुझे ग्राउंड पर ले जाते थे और मैं वहां टेनिस बॉल या प्लास्टिक बॉल से क्रिकेट खेलता था। इस तरह धीरे-धीरे मेरा क्रिकेट में रूचि जगना शुरू हुआ। लेकिन अंडर-16 खेलने के बाद ही मैं क्रिकेट को लेकर गंभीर हुआ और लगा कि मैं इसमें अपना करियर बना सकता हूं। इससे पहले अंडर-13 और अंडर-14 भी खेला था और उसको इन्जॉय भी कर रहा था, लेकिन गंभीरता अंडर-16 के बाद ही आई। इसके बाद मैं अंडर-19 भी खेला।
अंडर-19 विश्व कप के संभावितों में मैं था, लेकिन जब अंतिम टीम में चयन नहीं हुआ तो मुझे बहुत निराशा भी हुई थी। उस समय मैंने अंडर-19 क्रिकेट में रन तो बनाए थे, लेकिन वह सब लाल गेंद की क्रिकेट में बनाए थे। अंडर-19 घरेलू वनडे मैचों में मेरा प्रदर्शन उतना ख़ास नहीं रहा था। इससे मुझे बहुत निराशा हुई, लेकिन मानसिक रूप से मैं इसके बाद बहुत मजबूत भी बना।
आज जो मैं भी हूं, वह जीवन में लगे इन धक्कों (सेटबैक्स) की वज़ह से ही हूं। अंडर-19 के बाद मुझे सीनियर लेवल पर भी रणजी ट्रॉफ़ी टीम में आने के लिए चार साल का वक़्त लगा। यह भी मेरे लिए झटके जैसा था, लेकिन इससे भी मैं मानसिक रूप से काफ़ी मजबूत हुआ।
Shahrukh Khan - 'The four-year wait to make it to the Ranji team really made me mentally strong'
The Tamil Nadu batter on making his debut for India, when he got serious about his game, and his red-ball prospectsआपने बताया कि आप अंडर-19 के दिनों में गेंदबाज़ी भी करते थे और विकेट भी निकालते थे? भारतीय टीम को भी इस समय एक ऐसे बल्लेबाज़ की ज़रूरत है, जो कुछ ओवर गेंदबाज़ी भी कर ले? तो आपका गेंदबाज़ी पर कितना ध्यान है?
मैं नेट पर तो लगातार गेंदबाज़ी करता हूं। दरअसल मैं तमिलनाडु के लिए खेलता हूं, जहां पर पहले से ही ढेर सारे स्पिनर भरे पड़े हैं, ऐसे में मुझे गेंदबाज़ी का मौक़ा नहीं मिलता। लेकिन मैं हमेशा नेट में गेंदबाज़ी करता हूं ताकि मैच में मौक़ा मिलने पर भी हमेशा तैयार रह सकूं। मैं चाहता हूं कि आईपीएल में मुझे गेंदबाज़ी का मौक़ा मिले। मैं हमेशा से गेंदबाज़ी के लिए तैयार रहता हूं और इंतज़ार कर रहा हूं कि जब किसी मैच में गेंद मेरे हाथ में हो।
दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं (@dayasagar95)
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