वेस्टइंडीज़ और इंग्लैंड के बीच होने वाली टी20 सीरीज़ में होगा स्टॉप-क्लॉक ट्रायल
यह ट्रायल छह महीने तक चलेगा और इसका पालन नहीं करने पर टीमों पर लगेगी पेनल्टी

वेस्टइंडीज़ और इंग्लैंड के बीच बुधवार को होने वाले पहले टी20 मैच में पहली बार स्टॉप क्लॉक का इस्तेमाल देखने को मिलेगा। यह आईसीसी द्वारा पिछले महीने घोषित किए गए एक प्रयोग का हिस्सा है, जो छह महीने तक चलेगा। स्टॉप क्लॉक का उद्देश्य ओवरों के बीच लगने वाले समय को सीमित करना और खेल की गति को तेज़ करना होगा।
इस नए प्रयोग के तहत गेंदबाज़ी करने वाली टीम को पिछला ओवर पूरा होने के 60 सेकंड के भीतर अपने अगले ओवर की पहली गेंद फेंकने के लिए तैयार रहना होगा। दो चेतावनियों के बाद भी अगर गेंदबाज़ी टीम इस ग़लती को दोहराती है तो उनके ख़िलाफ़ पांच रन का जुर्माना लगाया जाएगा।
स्टॉप क्लॉक का उपयोग अभी केवल पुरुषों के वनडे और टी20आई में किया जाएगा। आईसीसी ने 2022 में फ़ैसला लिया था कि धीमी ओवर गति से गेंदबाज़ी करने पर टीमों को अंतिम के ओवरों में एक अतिरिक्त खिलाड़ी को सर्कल के अंदर रखना पड़ेगा। एक तौर पर यह उसी नियम का अगला कदम है।
खेल में तेज़ी लाने के उद्देश्य से इस तरह की स्टॉप वॉच वाली तकनीक नई नहीं है। प्रमुख टेनिस टूर्नामेंटों में एक खिलाड़ी को सर्विस करने के लिए तैयार होने के लिए 25 सेकंड का समय मिलता है। क्रिकेट में स्टॉप क्लॉक का विचार 2018 में एमसीसी की विश्व क्रिकेट समिति द्वारा प्रस्तावित किया गया था, जिसमें ओवरों के बीच 'डेड-टाइम' को कम करने के लिए इसे प्रस्तावित किया गया था। उस समिति में रिकी पोंटिंग, सौरव गांगुली और कुमार संगकारा भी शामिल थे।
इस नियम के अनुसार तीसरा अंपायर ओवर पूरा होने पर स्टॉप वॉच को शुरू करेंगे। साथ ही उलटी गिनती मैदान पर बड़ी स्क्रीन पर प्रदर्शित की जाएगी। यदि बल्लेबाजों ने उपकरण बदलने, ड्रिंक करने या चोट लगने पर ब्रेक मांगा है और क्षेत्ररक्षण समय के 60 सेकंड खत्म हो गए हैं तो दंडित नहीं किया जाएगा।
वेस्टइंडीज़ और इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की टी20 सीरीज़ 13 दिसंबर से 22 दिसंबर तक चलेगी, जिसमें दोनों टीमें ब्रिजटाउन में सीरीज का पहला मैच खेलेंगी। इसके बाद तरौबा और सेंट जॉर्ज में दो मुक़ाबले हैं।
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