युवा बल्लेबाज़ों से निराश नहीं द्रविड़, कहा वह सुधार करते रहेंगे और बेहतर बनते रहेंगे
कोच ने 45 दिनों तक लगातार बायो-बबल में उत्साह दिखाने के लिए अनुभवहीन खिलाड़ियों की प्रशंसा की

तीसरे मुक़ाबले में सात विकेट से मिली हार के बाद, भारत ने 2-1 से टी-20 सीरीज़ गंवाई। भारत के कोच राहुल द्रविड़ के अनुसार युवा बल्लेबाज़ों को कठिन पिचों पर थोड़ा समय बिताने की ज़रूरत थी। उन्होंने अनुभवहीन बल्लेबाज़ों से भरी भारतीय बैटिंग लाइन अप की ओर भी इशारा किया, जो क्रुणाल पंड्या और बाकी खिलाड़ियों के आइसोलेशन के बाद मैदान पर मजबूरन उतारा गया था क्योंकि भारत के पास ज़्यादा विकल्प मौजूद नहीं थे।
द्रविड़ ने मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "यह एक युवा टीम थी। हम सभी को गुणवत्तापूर्ण गेंदबाज़ी खेलने में संघर्ष करना पड़ा है, चाहे वह स्पिन हो या तेज़ गेंदबाज़ी। हमारे करियर की शुरुआत में, हम सभी ने इस तरह के संघर्षों का सामना किया है और हम सभी को इसके माध्यम से अपनी शैली और अंदाज़ में बदलाव लाने के लिए लड़ना पड़ा है। जब हमने अपने करियर की शुरुआत की, हम में से कोई भी परफेक्ट नहीं था, चाहे वह मेरी पीढ़ी हो या कोई भी पीढ़ी। परिपक्व होने के लिए अनुभव की जरूरत होती है।"
"आपको समय देने की ज़रूरत है, आपको अनुभवी खिलाड़ियों के साथ युवा खिलाड़ियों को खिलाना होगा ताकि उन्हें सीखने का पूरा मौका मिले। ज़ाहिर है, पिछले दो मैचों में हमारे पास वह मौका नहीं था। टीम में शिखर धवन के अलावा कोई भी अनुभवी बल्लेबाज़ मौजूद नहीं था। बाकी के सभी खिलाड़ी काफी युवा थे। ऐसा बार-बार नहीं होने वाला है।"
द्रविड़ ने वर्तमान पीढ़ी की चुनौतियों की तुलना खुद से करते हुए कहा, "शायद एक चीज़ जो थोड़ी अलग है, वह यह है कि जब मैं शुरुआत कर रहा था या बड़ा हो रहा था, तो घरेलू क्रिकेट की पिचें ज़्यादा स्पिन करती थी। ईमानदारी से कहूं तो कुछ युवा खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में खेलने के लिए थोड़े कम तैयार थे लेकिन मुझे नहीं लगता कि उनमें प्रतिभा की कमी है। हमें उन्हें थोड़ा और समय देना होगा ताकि हम भी उन्हें अच्छे से जान सकें। ऐसी पिचों पर अपने शॉट्स का चयन करने के लिए उन्हें थोड़ा और अनुभव चाहिए। उन्हें अलग-अलग विकल्पों के बार में सोचना होगा। श्रीलंकाई बल्लेबाज़ों के लिए भी इस पिच पर बल्लेबाज़ी करना आसान नहीं रहा है।"
दूसरे मैच से पहले क्रुणाल पंड्या के कोविड पॉज़िटिव होने के बाद भारतीय टीम के 9 खिलाड़ियों को आइसोलेट कर दिया गया था। उसके बाद भारतीय टीम के पास कहीं से भी एक संतुलित टीम लेकर मैदान पर उतरना तक़रीबन नामुमकीन था। अंत में भारत को 5 बल्लेबाज़ और 6 गेंदबाज़ों के साथ मैदान पर उतरना पड़ा। भुवनेश्वर कुमार जो अक्सर टी20 में भारत के लिए नंबर 9 पर बल्लेबाज़ी करते है, इन दोनों मैचों में उन्हें नंबर 6 पर बल्लेबाज़ी करनी पड़ी। दूसरे मैच में तो भारतीय टीम ने इस बल्लेबाज़ी क्रम के साथ 132 रन बनाए और श्रीलंका को जीत दर्ज करने के लिए आख़िरी ओवर तक मशक्कत करवाई लेकिन अंतिम टी20 में भारत 20 ओवरों में सिर्फ़ 81 रन बना सका।
केवल पांच बल्लेबाज़ों के साथ खेलने का मतलब था कि टीम किस तरह से एक पारी का निर्माण करेगी, यह एक बड़ा प्रश्न बनने वाला था और पिछले दो मैचों में पिच ने स्पिनरों को जिस तरीके से मदद की, वो बल्लेबाज़ी को और मुश्किल बना रही थी।
द्रविड़ ने कहा, "मुझे लगता है कि पिछले कुछ मैचों में हमारे पास बल्लेबाज़ों की कमी थी, जो एक संतुलित टीम बनाने के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण था। लेकिन जिस तरह से युवा खिलाड़ियों ने खेल दिखाया, वो काफी प्रशंसनीय और सकारात्मक था। विशेष रूप से दूसरे मैच में। मुझे लगता है कि उस मैच में हम जीत के काफी करीब थे। एक या दो अच्छे मौके मिल जाते तो हम मैच को जीत सकते थे।"
"हम ऐसे मैच खेलने के आदी हैं, जहां स्कोर 160, 180, कभी-कभी 200 होता है। लेकिन कभी-कभी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में आपको सीखना होता है कि कैसे 130-140 रन तक मैच में जीत का रास्ता निकालना है और किस तरह से इन परिस्थितियों से लड़ना है। मुझे लगता है कि यह हमारे युवा खिलाड़ियों के लिए एक अच्छी सीख है।"
धवन के अलावा, भारत के लिए अन्य चार बल्लेबाज़ ऋतुराज गायकवाड़, देवदत्त पडिक्कल, संजू सैमसन और नितीश राणा थे। उनमें से केवल सैमसन को श्रीलंका दौरे से पहले 7 टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने का अनुभव था।
द्रविड़ ने बल्लेबाज़ी के प्रदर्शन के बारे में कहा, "मैं निराश नहीं हूं। वे युवा बल्लेबाज हैं। उन्हें सुधार करते रहना होगा और बेहतर होना होगा। हमें समझना होगा कि श्रीलंकाई टीम का गेंदबाज़ी आक्रमण उनका सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय गेंदबाज़ी आक्रमण है। यह एक उच्च गुणवत्ता वाली गेंदबाज़ी टीम थी। इसलिए इन प्रदर्शनों पर विचार करने, इन स्थितियों पर चिंतन करने और शायद कुछ बेहतर रणनीतियों के साथ आने का यह एक शानदार अवसर था।"
"निष्पक्ष होकर कहा जाए तो आपको टी20 क्रिकेट में इस तरह की स्थितियां बहुत बार नहीं मिलती हैं, लेकिन जब आप ऐसा प्रदर्शन करते हैं तो मुझे लगता है कि आपको इसके लिए प्रतिक्रिया की आवश्यकता पड़ती है। आपको थोड़ा बेहतर खेलने में सक्षम होने की आवश्यकता है। वे सभी युवा हैं, हमें बस उनके साथ धैर्य रखने की ज़रूरत है, उन्हें और अवसर देने की ज़रूरत है ताकि वे और विकसित हो सकें।"
अंतिम दो मुक़ाबले लगातार दो दिनों में खेले गए थे, लेकिन भारतीय टीम को मैदान से बाहर बहुत अधिक समय बिताना पड़ा। श्रीलंका रवाना होने से पहले भारतीय टीम को मुंबई में क्वारंटीन होना पड़ा था। इसके बाद वनडे श्रृंखला भी 5 दिनों की देरी से शुरू हुई। तक़रीबन 45 दिनों के इस टूर के दौरान भारतीय टीम सिर्फ़ 6 दिन मैच खेलने के लिए मैदान पर थी।
द्रविड़ ने कहा, "मैं मानता हूं कि यह आसान नहीं था। हमें लगभग 45 दिन हो गए हैं और उन 45 दिनों में कई कारणों से हमने केवल छह मैच खेले। बायो-बबल में रहते हुए हमने सिर्फ़ होटल और ग्राउंड चक्कर लगाया या फिर कहा जा सकता है कि हमने होटल के भी कुछ चुनिंदा हिस्सों को देखा था। हम होटल में भी हर जगह घूम-फिर नहीं सकते थे। सभी खिलाड़ियों ने खेल के प्रति उत्साह दिखाया और कड़ी मेहनत की। मैं किसी भी लड़के को दोष नहीं दे सकता। उनका प्रयास काफी प्रशंसनीय था।
"जिस तरह से शिखर और भुवनेश्वर कुमार ने टीम में सकारात्मक माहौल बनाया वह भी शानदार था। यह हमारे लिए उतना ही कठिन था और हम आसान स्थिति में नहीं थे। हम भाग्यशाली हैं कि हमें क्रिकेट खेलने का मौका मिला। पिछले डेढ़ साल से हमने कई लोगों को बहुत सारे कष्टों से गुज़रते हुए देखा है। कुछ मायनों में, हम जो कर सकते हैं और जो हम करते हैं उसे करने में सक्षम होने के लिए हम अपने आप को धन्य महसूस करते हैं। लड़कों ने 45 दिनों में जिस तरह से खुद को संभाला, उस पर मुझे काफी गर्व है," यह कहकर द्रविड़ ने अपनी बात का अंत किया।
सौरभ सोमानी ESPNcricinfo के अस्सिटेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।
Read in App
Elevate your reading experience on ESPNcricinfo App.