'कुल-चा' के पास पुराने जादू को फिर से बिखेरने का सुनहरा मौक़ा
दोनों वापस उसी मैदान पर आ गए हैं जहां से उन्होंने एक जोड़ी के रूप में अपना सफ़र शुरू किया था

पिछली बार जब भारत ने द्विपक्षीय वनडे सीरीज़ के लिए श्रीलंका का दौरा किया था, तो उन्होंने आने वाले दो वर्षों के लिए इस प्रारूप में अपनी एक अहम रणनीति की स्थापना की थी। मैदान था कोलंबो का आर प्रेमदासा स्टेडियम, 5-0 से जीती हुई सीरीज़ का वह आख़िरी मैच था, जहां कुलदीप यादव और युज़वेंद्र चहल ने पहली बार एक साथ गेंदबाज़ी की थी।
2017 चैंपियंस ट्रॉफ़ी में भारत को मध्य ओवरों में विकेट चटकाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा था जिसके बाद से इस जोड़ी को टीम में शामिल किया गया था। कलाई के स्पिनरों की इस साझेदारी ने इस मुद्दे को हल करने की राह में एक लंबा सफ़र तय किया। उस टूर्नामेंट से लेकर 2019 के विश्व कप तक दूसरे पावरप्ले में (ओवर 11-40 के बीच) भारत 32.98 रन प्रति विकेट की औसत से गेंदबाज़ी कर रहा था। और तो और इस दौरान केवल अफ़गानिस्तान ही इकलौती ऐसी पूर्ण सदस्य टीम थी जिसकी औसत भारतीय टीम से बेहतर थी।
इन दो आईसीसी टूर्नामेंटों के बीच (21.74 की औसत से 87 विकेट लेकर) कुलदीप और (25.68 की औसत से 66 विकेट लेकर) चहल वनडे क्रिकेट में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले दो खिलाड़ी थे। दोनों ने 2019 विश्व कप के पहले छह मैचों में एक साथ गेंदबाज़ी की लेकिन उस छठे मैच में इस रणनीति में पड़ रही दरार साफ़ नज़र आईं।
ऐजबेस्टन की वह पिच सपाट थी और एक तरफ की बाउंड्री काफ़ी छोटी थी। इन परिस्थितियों में इंग्लैंड के शीर्ष क्रम ने स्पिन जोड़ी पर जमकर आक्रमण किया। दोनों ने कुल मिलाकर अपने 20 ओवरों में 160 रन दिए और केवल एक विकेट अपने नाम किया। 338 रनों के विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की गाड़ी सही मायनों में चल ही नहीं पाईं और निचले क्रम की बल्लेबाज़ी की कमी के कारण शीर्ष क्रम को जोखिम न लेते हुए नेट रन-रेट के लिए खेलने पर मजबूर होना पड़ा।
यह आख़िरी मौका था जब भारत ने यादव और चहल दोनों को एक साथ वनडे एकादश में चुना था। तब से, उन्होंने किसी एक को बेंच पर छोड़ा है और दूसरे को स्पिन-गेंदबाजी ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा के साथ टीम में खिलाया है। इस नई विश्व व्यवस्था में, दोनों स्पिनरों ने पहले की तरह अपनी फ़िरकी का जादू बिखेरने में संघर्ष किया है। विश्व कप के बाद से 12 वनडे में यादव की औसत 58.41 की और पांच वनडे में चहल की औसत 37.12 की रही है। दोनों की इकॉनमी भी 6 रन प्रति ओवर से ज़्यादा की है। इस वजह से दोनों को केंद्रिय अनुबंधों की सूची में ग्रेड सी में भेज दिया गया था।
अपने करियर के इस मोड़ पर यादव और चहल कोलंबो के आर प्रेमदासा स्टेडियम में लौट रहे हैं, वह स्थान जहां कुल-चा की इस साझेदारी की शुरुआत हुई थी। नियमित सदस्यों की गैरमौजूदगी में दोनों टीम के वरिष्ठ सदस्यों के तौर पर यहां लौटे हैं। हालांकि इस समय शुरुआती एकादश में दोनों का स्थान निश्चित नहीं है।
जब आख़िरी बार भारत ने पुणे में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ वनडे मैच खेला था तब दोनों शुरुआती ग्यारह का हिस्सा नहीं थे। चहल को पूरी सीरीज़ के लिए बेंच पर बैठना पड़ा था और दूसरे मैच में आठ छक्के खाने के बाद कुलदीप को निर्णायक मैच के लिए बाहर किया गया था। इस मैच में भारत ने चार तेज़ गेंदबाज़ों के साथ हरफ़नमौला क्रुणाल पंड्या को इकलौते स्पिनर के रूप में टीम में चुना था।
इस श्रीलंका दौरे पर, यादव और चहल के अलावा टीम में लेग-स्पिनर राहुल चाहर, ऑफ़ स्पिनर के गौतम, बाएं हाथ के स्पिनर पंड्या और मिस्ट्री स्पिनर वरुण चक्रवर्ती (जो शायद केवल टी20 सीरीज़ में खेलते नज़र आएंगे) भी शामिल है। इस में से, पंड्या और गौतम ऑलराउंडर की भूमिका भी निभाते हैं।
कोलंबो में स्पिन गेंदबाज़ी के लिहाज़ से टीम जो भी संयोजन चुने, वह मध्य ओवरों में अपने खराब प्रदर्शन को बेहतर करने की कोशिश करेगी। विश्व कप के बाद से इस चरण में टीम का सामूहिक गेंदबाज़ी औसत 43.75 का रहा है।
...... और उनका इकॉनमी रेट चिंताजनक 6.05 का। जबकि कोविड-19 के कारण इस काल में कम क्रिकेट खेला गया है, सभी टीमों ने भारत से बेहतर प्रदर्शन किया है।
इसके कई कारण हैं। भारत के कार्यक्रम ने उन्हें विश्व कप के बाद से दुनिया की सर्वश्रेष्ठ हिटिंग टीमों के ख़िलाफ़ खड़ा कर दिया था। इस अवधि में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया (छह मैच), इंग्लैंड (तीन), न्यूज़ीलैंड (तीन) और वेस्टइंडीज़ (छह) का सामना किया है। भारत के पहली पसंद के गेंदबाज़ अक्सर अनुपलब्ध रहे या चोट से वापसी कर रहे थे।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत के नए गेंद के गेंदबाज़ों ने वनडे के पहले दस ओवरों में 150.42 के औसत के साथ संघर्ष किया है। इसका मध्य ओवरों के गेंदबाज़ों पर स्पष्ट असर पड़ा है, जिन्हें अक्सर बेहद सपाट पिचों पर सेट बल्लेबाज़ों के ख़िलाफ़ अपना स्पेल शुरू करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, यादव के आख़िरी वनडे मैच में, बेन स्टोक्स ने दिखाया कि टर्न के ख़िलाफ़ गेंद को ऑफ़ स्टंप के बाहर से खींचने के बाद भी वह स्लॉग-स्वीप लगाने में सक्षम थे।
यह सब देखते हुए, श्रीलंका के ख़िलाफ़ मैदान के अंदर और बाहर की मुश्किलों से लैस यह सीरीज़ कोलंबो की उन पिचों पर खेली जाएगी जो स्पिनरों को मदद करेगी। उसी मैदान पर फिर एक बार अपनी फ़िरकी के जादू से सबको मंत्रमुग्ध करने का कुल-चा के पास एक सुनहरा मौक़ा है। बस उस मौके को भुनाने की देरी है।
कार्तिक कृष्णस्वामी ESPNcricinfo में सीनियर सब-एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब-एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।
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