साई सुदर्शन : काउंटी क्रिकेट खेलने के बाद मेरा आत्मविश्वास और बढ़ा है
अपने रोल मॉडल वॉशिंगटन सुंदर के साथ खेलने को लेकर उत्साहित है तमिलनाडु का यह युवा बल्लेबाज़

भारतीय बल्लेबाज़ साई सुदर्शन ने पिछले दो साल में सभी फ़ॉर्मेट में शानदार प्रदर्शन किया है और इसका उन्हें ईनाम भी मिला, जब उन्हें साउथ अफ़्रीका दौरे पर भारतीय वनडे दल में जगह मिली। एक छोटे से करियर में सुदर्शन के नाम अभी से ही आईपीएल, काउंटी चैंपियनशिप, देवधर ट्रॉफ़ी, ईरानी ट्रॉफ़ी और तमिलनाडु प्रीमियर लीग (टीएनपीएल) का ख़िताब है। साउथ अफ़्रीका जाने से पहले 22 वर्षीय इस बल्लेबाज़ ने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो से विशेष बातचीत की।
जब टीम में आपका चयन हुआ तो आपकी सबसे पहली प्रतिक्रिया क्या थी?
मैं मुंबई में विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी मैच के लिए तमिलनाडु टीम के साथ था, जब मुझे यह ख़बर मिली। मैं ख़ुश था। सबसे पहले मैंने अपने माता-पिता को फ़ोन किया और उन्हें बताया कि चयनकर्ताओं ने मेरा नाम वनडे दल में रखा है। कुछ दिनों पहले मुझसे मेरा पासपोर्ट डिटेल मांगा गया था, तो मुझे लगा था कि मैं इंडिया ए टीम में तो ज़रूर शामिल हूं। इसके बाद मैंने अपने भाई साई राम को फ़ोन किया, जो ऑस्ट्रेलिया में पढ़ता है। इस क्रिकेट करियर को बनाने में उसने मेरी बहुत मदद की है और वह भी बहुत ख़ुश था।
आप पिछले दो सालों से लगातार सभी फ़ॉर्मेट में प्रदर्शन कर रहे हैं। क्या आपको इस बुलावे की उम्मीद थी?
सच बताऊं तो मैंने ऐसी उम्मीद नहीं की थी और मेरा पूरा ध्यान विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी पर था। हालांकि मैं बहुत ख़ुश हूं।
आप तमिलनाडु टीम में सबसे अच्छा स्पिन खेलते हो। आर अश्विन ने भी आपकी तारीफ़ की है। लेकिन साउथ अफ़्रीका में आप तेज़ गेंदबाज़ों से कैसे निपटोगे?
मुझे लगता है कि एक बल्लेबाज़ के रूप में मुझे अभी काफ़ी काम करना है। कई बार मैं विपरीत परिस्थितियों में तेज़ गेंदबाज़ी के ख़िलाफ़ एक्सपोज़ भी हुआ हूं। लेकिन मुझे लगता है कि अनुभव और एक्सपोज़र से मैं तेज़ गेंदबाज़ी के ख़िलाफ़ अपने खेल को और बेहतर कर सकूंगा। तीन साल पहले तक मुझे नेट्स में अधिक तेज़ गेंदबाज़ी नहीं मिलती थी। जब मैंने सैयद मुश्ताक़ अली और आईपीएल खेलना शुरू किया, तो मुझे अच्छे तेज़ गेंदबाज़ों को सामना करने को मिला। मैंने साइड आर्म थ्रो पर भी अभ्यास करना शुरू किया, जिससे एक बल्लेबाज़ के रूप में बेहतर होने में मुझे मदद मिली।
सरी के साथ अपने काउंटी अनुभव के बारे में थोड़ा बताइए?
टीम के डायरेक्टर ऐलेक स्टीवर्ट से मुझे काफ़ी मदद मिली। उन्होंने मुझे सरी के हर खिलाड़ी से मिलवाया और कुछ ऐसे ऐप बताए, जिससे वहां रोज़मर्रा का जीवन आसान हो सके। वहां पर परिस्थितियां गेंदबाज़ों के अधिक अनुकूल थीं और वह पूरा महीना मेरे लिए सीखने वाला था। मुझे लगता है कि सरी के लिए तीन काउंटी मैच खेलना मेरे अब तक के क्रिकेटिंग करियर का सबसे अहम पड़ाव था।
आपने वहां क्या-क्या सीखा?
सबसे बड़ी बात होती है कि आप परिस्थितियों के अनुकूल कैसे होते हैं और उसके अनुसार अपना गेम प्लान कैसा बनाते हैं। तकनीकी रूप से मैंने अपने खेल में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया, बस आपको अपने बल्लेबाज़ी अप्रोच में और अधिक अनुशासन लाना होता है। काउंटी क्रिकेट अनुशासन के बारे में ही है। हैपशायर के विरूद्ध तीसरे मैच में मुझे पिच पर समय बिताने का अधिक मौक़ा मिला, जिससे मुझे बहुत आत्मविश्वास मिला।
एक विदेशी खिलाड़ी के रूप में क्या आपके ऊपर अधिक दबाव भी था?
नहीं, ऐसा नहीं है। सरी टीम प्रबंधन की तरफ़ से मेरे ऊपर कोई दबाव नहीं था। हां, एक टीम के रूप में ज़रूर हमारे ऊपर दबाव था क्योंकि हम ख़िताब जीतना चाहते थे। अंतिम कुछ मैच बहुत महत्वपूर्ण थे। उन्होंने मुझे पर्याप्त आज़ादी दी ताकि मैं टीम के लिए अच्छा कर सकूं। काउंटी ख़िताब जीतना भी मेरे लिए बहुत विशेष था। लेकिन इसके बाद मुझे तुरंत राजकोट आना पड़ा, जहां पर ईरानी कप में मैं रेस्ट ऑफ़ इंडिया का हिस्सा था। इस कारण मुझे सोने का अधिक मौक़ा नहीं मिला। हालांकि मैं ख़ुश हूं कि मैंने रेस्ट ऑफ़ इंडिया की जीत में भी अपना योगदान दिया।
क्या आप वहां पर गुजरात टाइटंस के क्रिकेट निदेशक विक्रम सोलंकी से भी मिले?
हां, उन्हीं के कारण तो मुझे यह काउंटी पारी मिली था। उन्होंने ही सबसे पहले मुझसे पूछा था कि क्या मेरी रूचि काउंटी खेलने में है? मैं तो 100% तैयार था, यह मेरे लिए एक बड़ा मौक़ा था। मैं सरी में कुछ दिन उनसे मिला और उनके साथ समय बिताया।
लगता है अब आप अपने शॉट में ताक़त का इस्तेमाल भी करने लगे हैं, ख़ासकर स्लॉग स्वीप में?
मैंने विशेष रूप से अपने पावर गेम पर कोई काम नहीं किया है, यह स्वाभावित प्रगति है। मुझे लगता है कि मेरे अंदर अब और आत्मविश्वास आ गया है, जिससे मैं अपने आपको और बेहतर तरीक से व्यक्त करता हूं और खुलकर शॉट खेलता हूं।
विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी में आपने मुश्किल पिचों पर भी रन बनाए हैं। साउथ अफ़्रीका दौरे की तैयारी कैसे कर रहे है?
विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी के दौरान मुंबई में पिच बहुत चुनौतीपूर्ण थे और तेज़ गेंदबाज़ों को अधिक मदद थी। इसके अलावा कुछ पिच स्पिन के भी मददग़ार थे। परिस्थितयां मुश्किल थी, लेकिन मेरा सारा लक्ष्य टीम के लिए अपना योगदान देने पर था। कुछ मैचों में मैं अपना योगदान नहीं दे सका, लेकिन कुछ मैचों में मैंने पावरप्ले का उपयोग कर अपनी टीम को अच्छी शुरुआत दिलाई। यह मेरे लिए एक अच्छा अनुभव था। साउथ अफ़्रीका में भी मैं जल्द से जल्द परिस्थितियों से तालमेल बिठाने की कोशिश करूंगा।
क्या आप अपने लेग स्पिन पर भी काम कर रहे हैं?
मैं तमिलनाडु टीम के साथ और टीएनपीएल के नेट्स में अपनी गेंदबाज़ी पर काम करता हूं। क्रिकेट में एक अतिरिक्त दूसरा कौशल होना हमेशा से बेहतर होता है। मैंने बचपन ख़ासकर स्कूल मैचों में बहुत गेंदबाज़ी की है। जब भी मुझे बल्लेबाज़ी से फ़ुरसत मिलती है, मैं अपने लेग स्पिन पर काम करता हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि मैं गेंदबाज़ के रूप में भी मैं अधिक बेहतर कर सकूं। (हंसते हुए)
आप वॉशिंगटन सुंदर को अपना आदर्श मानते हैं। आप दोनों एक साथ भारत के लिए साउथ अफ़्रीका में खेल सकते हैं। आप इस बात को लेकर कितना उत्साहित हैं?
जब मैंने पहली बार वनडे दल को देखा तो वाशी (सुंदर) के साथ अपना नाम देखकर बहुत ख़ुश हुआ। वह मेरे रोल मॉडल हैं और कम उम्र से ही देश के लिए अच्छा कर रहे हैं। मैं भी उनकी तरह युवा उम्र से ही भारत के लिए अपना योगदान देना चाहता हूं। एक बच्चे के रूप में आप हमेशा से भारत के लिए खेलना चाहते हैं, इसलिए यह मेरे लिए एक सुखद अनुभव है। पहले वनडे दौरे पर वाशी अन्ना भी मेरे साथ होंगे, यह मेरे लिए और भी सुखद बात है।
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