क्या परिपक्व चांदीमल आख़िर अपने प्रतिभा के साथ न्याय कर रहे हैं?
32 वर्षीय चांदीमल टेस्ट क्रिकेट साढ़े दस साल से खेल रहे हैं और उनका फ़ॉर्म इतना ज़बरदस्त कभी नहीं रहा

ऐसा लगता है जिस दिनेश चांदीमल की हमें तलाश थी वह आख़िर हमारे समक्ष प्रकट हो रहा है।
यह केवल वह चांदीमल नहीं जिसने 2015 में भारत के ख़िलाफ़ विकट परिस्थितियों में स्वीप और रिवर्स स्वीप करते हुए 162 नाबाद बनाकर श्रीलंका को हार के मूंह से निकालकर जीत दिलाई थी। ना ही वह चांदीमल जिन्होंने अबू धाबी में 372 गेंदों में 155 बनाए थे या कोलंबो में 356 गेंदों में 132 रन। और ना तो वह चांदीमल जो मैच का रुख़ बदलने वाले अर्धशतक लगाते थे और फिर मैच फ़िनिश करने को किसी और को मौक़ा मिलता था।
पिछले आठ हफ़्तों में चांदीमल के टेस्ट स्कोर रहे हैं 206 नाबाद, 69, 76 और 124। 32 वर्षीय चांदीमल टेस्ट क्रिकेट साढ़े दस साल से खेल रहे हैं और उनका फ़ॉर्म इतना ज़बरदस्त कभी नहीं रहा। उन्होंने एक बार साल में 1000 रन बनाए हैं और साउथ अफ़्रीका और न्यूज़ीलैंड छोड़ सभी विपक्षी टीम के विरुद्ध सैंकड़े बनाए हैं। लेकिन उन्होंने लगातार इतनी कारगर पारियां कभी नहीं खेली है।
उनको बल्लेबाज़ी करते देखना किसी नाटक से कम नहीं। वह एक ही पारी में वह प्रचुरता दर्शाते हैं जिसने सालों पहले श्रीलंका के फ़ैंस को आंदोलित कर छोड़ा था। अगले ही पल वह एक परिपक्व बल्लेबाज़ की तरह क्रीज़ में डटे रहने की क़ाबिलियत दिखाते हैं। एक हफ़्ते पहले उन्होंने मिचेल स्टार्क के विरुद्ध अपना अगला पैड निकाला था और एक सीधे स्लॉग के ज़रिए गेंद को मैदान के बाहर भेजा था जहां एक राहगीर गेंद को आते देख घबरा गया था।
उस पारी में उन्होंने पांच छक्के लगाए थे और आख़िरी तीन बल्लेबाज़ों के साथ 64 रन जोड़े थे। हालांकि उनके 206 रन में से पहले 70 संघर्षपूर्ण थे। जब उनका स्कोर 30 पर था तो गेंद ने उनके बल्ले के साथ संपर्क किया था लेकिन उनमें टिके रहने की ऐसी कशिश थी कि वह अपनी जगह से नहीं हिले।
लेकिन वह गॉल में पिछले सोमवार की बात थी। एक सप्ताह बाद कोई संघर्ष नहीं दिखा। चांदीमल एक अलग आयाम पर बल्लेबाज़ी कर रहे हैं और ऐसे में बल्लेबाज़ जितना स्वाभाविक खेल दिखाता है, वह ठीक वैसे ही खेले। उन्होंने पारी की शुरुआत में धैर्य का परिचय दिया लेकिन कभी भी अपनी बल्लेबाज़ी को अत्यधिक धीमा नहीं होने दिया।
धनंजय डीसिल्वा से प्रेरित होकर उन्होंने मोहम्मद नवाज़ की गेंद पर दो स्लॉग स्वीप पर छक्के लगाए लेकिन बाद में उन्होंने निरोशन दिकवेला और रमेश मेंडिस जैसे साथियों पर आक्रमण का भार सौंपकर स्ट्राइक रोटेशन पर ध्यान रखा। चांदीमल ने जैसा भी शॉट खेला या जिस रूप में बल्लेबाज़ी की, वह पूरी तरह नियंत्रण में दिखे। गेंद की मजाल जो वह उनके बल्ले का मध्यभाग छोड़ कर कहीं और जा टकराती।
बड़े शॉट के बीच उन्होंने गेंद को सम्मान दिया, बेहतरीन निर्णयन के साथ उसे छोड़ा और अधिक टर्न लेती पिच पर देर से खेलने के फ़ायदे को साफ़ दिखाया। इस चांदीमल को बांधना असंभव सा लगता है क्योंकि वह कभी भी स्वीप कर सकते हैं। और इस फ़ॉर्म में वह स्वीप मिस नहीं करते।
चांदीमल के करियर में कई उतार चढ़ाव आए हैं। टेस्ट और टी20 प्रारूप में कप्तानी उन्हें कभी रास नहीं आई। कोचों के साथ उनके रिश्ते भी हमेशा सहज नहीं रहे हैं। हालांकि 32 साल की उम्र में अब वह इस टीम के सीनियर खिलाड़ी हैं। उन्होंने कभी वैसी बल्लेबाज़ी नहीं की है जैसी वह वर्त्तमान में कर रहे हैं। क्या यह वह सीज़न होगा जिसके सहारे वह अपनी प्रतिभा के साथ न्याय करने की राह पर चल पड़ेंगे? उनके करियर की एक सीख यही है कि चांदीमल से उम्मीद रखना अमुमन निराशा का द्वार बन जाता है।
फ़िलहाल आप इसी बात से संतुष्ट रहिए कि चांदीमल ऐसे खेल रहे हैं जैसे उनके सारे अच्छे रूपांतर एक हो चुके हैं, उनकी ग़लतियां अब अतीत में बसती हैं, और श्रीलंका में ऐसा कोई बल्लेबाज़ नहीं है जो हर परिस्थिति में अपने खेल को ख़ूबसूरती से ढाल लेता है।
ऐंड्रयू फ़िडेल फ़र्नांडो ESPNcricinfo में श्रीलंका के संवाददाता हैं। अनुवाद ESPNcricinfo में स्थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है।
Read in App
Elevate your reading experience on ESPNcricinfo App.