सूर्यकुमार यादव: टी20 अंतर्राष्ट्रीय में बल्लेबाज़ी के शहंशाह
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के सबसे छोटे फ़ॉर्मैट में किसी अन्य बल्लेबाज़ ने सूर्यकुमार की तरह निरंतरता और आक्रामकता का समागम नहीं दिखाया है

सूर्यकुमार यादव ने टी20 अंतर्राष्ट्रीय फ़ॉर्मैट में वह सब कर दिखाया है, जो इनसे पहले किसी बल्लेबाज़ ने नहीं किया था। जहां 43 पारियों में सूर्यकुमार के तेरह अर्धशतक और तीन शतक प्रभावशाली हैं, वहीं 180.3 के स्ट्राइकरेट से रन बनाते हुए उनकी 46.4 की औसत अविश्वसनीय है।
निरंतरता को देखते हुए सूर्या का स्ट्राइक रेट काफ़ी ऊपर है। टी20 बल्लेबाज़ या तो आक्रामक होते हैं या फिर निरंतरता के साथ बल्लेबाज़ी करते हैं। दोनों एक साथ करने वाले बल्लेबाज़ बहुत कम ही होते हैं। अगर हैं भी तो वे उतने लंबे समय तक नहीं कर पाए हैं, जितने लंबे समय तक सूर्यकुमार सफल रहे हैं।
आइए आंकड़ों के माध्यम से जानते हैं। आंद्रे रसल ने 2014 से 2021 के बीच 43 पारियों में 168.1 के स्ट्राइक रेट से 627 रन बनाए। पारी के लिहाज़ से सूर्यकुमार से पहले एक बल्लेबाज़ द्वारा हासिल की गई यह उच्चतम स्ट्राइक रेट थी। लेकिन रसल का औसत सिर्फ़ 21.6 का रहा।
सूर्यकुमार को अपने पदार्पण के दो साल के भीतर ज़्यादा टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने से फ़ायदा हुआ है। बेहतरीन फ़ॉर्म में रहते हुए सूर्या ने ये मैच खेले। अन्य बल्लेबाज़ों का टी20 अंतर्राष्ट्रीय करियर लंबे समय तक रहा है। लिहाज़ा समय की अनियमितताओं ने रसल जैसे बल्लेबाज़ों के फ़ॉर्म को प्रभावित किया होगा।
उनका जॉस बटलर से तुलना करना बेहतर होगा। अपनी पिछली 43 पारियों में 151.5 के स्ट्राइक रेट से रन बटोरते हुए बटलर की औसत 45.1 की रही है। टी20 अंतर्राष्ट्रीय में 43 पारियों में 45 से ज़्यादा की औसत रखने वाले बल्लेबाज़ों में यह सूर्यकुमार के अलावा किसी भी बल्लेबाज़ का उच्चतम स्ट्राइक रेट है। इस समय सीमा में सूर्यकुमार का स्ट्राइक रेट बटलर से लगभग 19% बेहतर है। यह दिखाता है कि लंबी अवधि में 180+ के स्ट्राइक रेट और 45+ की औसत से रन बनाना कितना दुर्लभ है।
महत्वपूर्ण रूप से ये रन आसान मौक़ों पर नहीं आए हैं। सूर्यकुमार ने कुछ मौक़ों पर भारतीय बल्लेबाज़ी को संकट से उबारा है, मुश्किल हालातों में रन बनाए हैं और उन आक्रमणों के सामने रन बनाए हैं, जिसके ख़िलाफ़ अन्य भारतीय बल्लेबाज़ों ने संघर्ष किया है।
साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ 2022 टी20 विश्व कप मैच को ही लिया जाए। पर्थ की तेज और उछालभरी पिच पर दुनिया के सबसे अधिक गति वाले गेंदबाज़ों में शुमार आक्रमण के ख़िलाफ़ सूर्यकुमार ने 40 गेंदों में 68 रन बनाए। अन्य भारतीय बल्लेबाज़ों ने 80 गेंदों पर सिर्फ़ 57 रन बनाए। सूर्यकुमार ने 170 के स्ट्राइक रेट रन बनाए, जबकि भारत के अन्य बल्लेबाज़ों का संयुक्त स्ट्राइक रेट सिर्फ़ 71.25 का था।
2018 के बाद से पूर्ण सदस्य टीमों के बल्लेबाज़ों की औसत 23.5 से थोड़ी अधिक है और उन्होंने 128.7 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं। इन नंबरों के आधार पर हम 25 की औसत और 130 के स्ट्राइक रेट को पिछले पांच वर्षों में टी20 अंतर्राष्ट्रीय में अच्छा मान सकते हैं।
सूर्यकुमार के पदार्पण के बाद से ऐसे सात मौक़े आए हैं जब टी20 अंतर्राष्ट्रीय में भारत की बल्लेबाज़ी ( उन्हें छोड़कर) ने औसत और स्ट्राइक रेट के मामले में ख़राब प्रदर्शन किया है (औसत 25 से नीचे और 130 से नीचे के स्ट्राइक रेट से रन बनाए)। उन्होंने इन मैचों में 88.2 की औसत और 196 के स्ट्राइक रेट से 441 रन बनाए हैं। इन्हीं मैचों में सूर्यकुमार के तीन शतकों में से दो शतक आए। इन मैचों में भारत के कुल योग (केवल बल्ले से रन) में उनका योगदान 40.5% का रहा है।
15 मैचों में जब भारत के शीर्ष क्रम ने केवल औसत के मामले में ख़राब प्रदर्शन किया है, सूर्यकुमार ने 64.2 की औसत और 184.2 के स्ट्राइक रेट से 770 रन बनाए हैं। उनका योगदान 31.9% रहा है। 15 मैचों में जब भारत के शीर्ष क्रम ने केवल स्ट्राइक रेट के मामले में ख़राब प्रदर्शन किया है, उन्होंने 77.5 की औसत और 186.4 के स्ट्राइक रेट से 852 रन बनाए हैं। इन मैचों में उनका योगदान 36.7% रहा है।
सूर्यकुमार के आधे से ज़्यादा रन उन मैचों में आए हैं, जहां भारत के अन्य बल्लेबाज़ों ने 130 से कम के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं। ग़ौरतलब है कि इन मैचों में सूर्यकुमार ने ऐसे स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं जो भारत के अन्य बल्लेबाज़ों के संयुक्त स्ट्राइक रेट से 67.2% अधिक है।
2018 के बाद से कम से कम 15 ऐसी पारियां खेलने वाले बल्लेबाज़ सूर्यकुमार के आसपास भी नहीं हैं।
जब प्रतिशत योगदान की बात आती है तो दूसरे सर्वश्रेष्ठ बटलर हैं: उन्होंने ऐसे 21 मैचों में इंग्लैंड के 29.1% रन बनाए हैं। स्ट्राइक रेट के मामले में अपनी टीम के साथियों को पीछे छोड़ने के मामले में दूसरे सबसे अच्छे मोईन अली हैं, जो ऐसे 15 मैचों में इंग्लैंड के अन्य बल्लेबाज़ों के स्ट्राइक रेट से 42% बेहतर करते हैं। लेकिन समीकरण के दूसरे भाग को देखने पर सूर्यकुमार के 67.2% की तुलना में बटलर ने अपने साथियों की तुलना में 22.6% तेज़ी से रन बनाए, जबकि मोईन ने इंग्लैंड के कुल योग में 20.6% का योगदान दिया, वहीं सूर्यकुमार का 36.7% योगदान है।
कुल मिलाकर जब सूर्यकुमार टी20 अंतर्राष्ट्रीय में क्रीज़ पर होते हैं, तब दूसरे छोर से भारतीय बल्लेबाज़ों ने 27.3 की औसत और 136.7 की स्ट्राइक रेट से 1066 रन बनाए हैं। मैदान में मौजूद अपने साथी की तुलना में सूर्यकुमार का औसतन 20.5 रन प्रति गेंदबाज़ अधिक होता है और वह प्रति 100 गेंदों पर 44 रन अधिक बनाते हैं। कम से कम 1000 रन (पिछले पांच वर्षों में) के कट-ऑफ़ वाला कोई भी बल्लेबाज़ अपने साथियों को पछाड़ने में सूर्यकुमार के क़रीब भी नहीं है।
सूर्यकुमार को 360 डिग्री का बल्लेबाज़ ऐसे ही नहीं कहा जाता है, आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं। उन्होंने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो द्वारा क्लासीफ़ाइड फ़ील्ड के आठ क्षेत्रों में से प्रत्येक में 150+ की स्ट्राइक रेट से कम से कम 100 रन बनाए हैं। 2018 के बाद से टी20 अंतर्राष्ट्रीय में किसी भी अन्य बल्लेबाज़ ने इनमें से पांच से अधिक क्षेत्रों में 150 से अधिक की स्ट्राइक रेट से कम से कम 100 रन नहीं बनाए हैं। सूर्यकुमार का मैदान के आठ क्षेत्रों में से सात में कम से कम 30 का औसत है। डीप थर्ड ही एकमात्र क्षेत्र है, जहां उनका औसत 24 का है। इसके अलावा 2018 के बाद से टी20 अंतर्राष्ट्रीय में वह 150 से अधिक के स्ट्राइक रेट से स्पिन और तेज़ गेंदबाज़ी दोनों के ख़िलाफ़ कम से कम 500 रन बनाने वाले एकमात्र बल्लेबाज़ हैं।
इस तरह के कौशल होने से शायद वह इस फ़ॉर्मैट में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ भी रन बटोरने के लिए तैयार रहते हैं। 2021 के बाद से आईसीसी रैंकिंग के अनुसार शीर्ष 20 टी20 अंतर्राष्ट्रीय गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ किसी भी बल्लेबाज़ ने उनसे अधिक रन नहीं बनाए हैं। इन गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ कम से कम 200 रन बनाने वाले बल्लेबाज़ों में सूर्यकुमार का स्ट्राइक रेट भी सबसे ज़्यादा है। इन गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ 38.2 की औसत और 162.8 के स्ट्राइक रेट से वह निरंतरता और बल्लेबाज़ी आक्रामकता का बेहतरीन संयोजन प्रदान करते हैं।
सूर्यकुमार टी20 बल्लेबाज़ी को उस स्तर तक ले गए हैं जो पहले अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में नहीं देखा गया था। हर खिलाड़ी की तरह सूर्यकुमार का भी यह पर्पल पैच अंतत: समाप्त हो जाएगा। लेकिन उनके अब तक के आंकड़े ने पहले ही दिखा दिया है कि निरंतरता और आक्रामकता परस्पर अलग नहीं होनी चाहिए।
ग्राफ़िक्स अश्विनी अडोले ने बनाए हैं
शिवा जयरामन ESPNcricinfo में सीनियर स्टैट्स एनालिस्ट हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के एडिटोरियल फ़्रीलांसर कुणाल किशोर ने किया है।
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