ऑस्ट्रेलिया टूर्नामेंट में तो बनी रही, अब उनसे सर्वश्रेष्ठ की ज़रूरत
इंग्लैंड से करारी हार के बाद टीम एक बार दोबारा बेहतरीन संतुलन के साथ उतरी

एक सप्ताह पहले इंग्लैंड से मिली करारी हार के बाद ऑस्ट्रेलिया का टी20 विश्व कप कैंपेन मुश्किलों में था। आख़िरी दो ग्रुप मैच जीतने से पहले तक उनका आगे का सफ़र तय नहीं था। हालांकि, वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ उनके पास मौक़ा था और टीम इसको भुनाने में क़ामयाब रही।
इंग्लैंड से मुक़ाबला अजीब था, परिणाम की वजह से नहीं। इंग्लैंड पसंदीदा तो थी, उनके पास विकल्पों की भरमार थी, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने चार विशुद्ध गेंदबाज़ों के संयोजन को बदलकर ग़लती कर दी, जिससे उन्होंने साउथ अफ़्रीका और श्रीलंका के ख़िलाफ़ जीत दर्ज की थी।
ऐश्टन एगार को मिचेल मार्श की जगह खिलाया गया। यह तर्क देते हुए कि इंग्लैंड के शीर्ष क्रम के ख़िलाफ़ वह अच्छे साबित हो सकते हैं। भले ही उन्होंने कुछ विकेट लिए लेकिन यह बदलाव सही साबित नहीं हुआ। 21 रनों पर चार विकेट खोने के बाद ही यह मैच पूरी तरह से ख़त्म हो गया।
इस मैच के बाद ऑस्ट्रेलिया के लिए एक चीज़ अच्छी हुई कि उन्हें चार दिन का ब्रेक मिला। इससे उन्हें इस परिणाम से बाहर निकलने में मदद मिली। खिलाड़ी कुछ दिन के लिए खेल से दूर हो गए और उन्हें बांग्लादेश से मुक़ाबले की तैयारी से पहले सही समय पर ब्रेक मिला।
वह दोबारा से सात-चार के संतुलन की ओर लौटे, जिससे टीम में मार्श की वापसी हुई। यह एगार के लिए दुर्भाग्यपूर्ण था, जो पिछले दो सालों से बेहतरीन रहे हैं, लेकिन बल्लेबाज़ी में गहराई और भी ज़्यादा आज़ादी देती है। एक अच्छा फ़ैक्टर यह भी था कि टीम ऐसी दो टीमों के ख़िलाफ़ खेलने जा रही थी जो पहले ही टूर्नामेंट से बाहर हो चुकी थी। टूर्नामेंट से बाहर होने का असर बांग्लादेश और वेस्टइंडीज़ के प्रदर्शन में भी झलका।
चार विशुद्ध तेज़ गेंदबाज़ों से एक अतिरिक्त बल्लेबाज़ को खिलाने का मौक़ा मिला और पांचवें गेंदबाज़ के तौर पर मार्श, ग्लेन मैक्सवेल और मार्कस स्टॉयनिस मौज़ूद थे। लेकिन यह बांग्लादेश के ख़िलाफ़ एक फ़ैक्टर नहीं बन पाया (हालांकि मैक्सवेल ने अपने पहले ओवर में मुशफ़िकुर रहीम का आसान विकेट हासिल किया) लेकिन मार्श ने टूर्नामेंट में पहली बार गेंदबाज़ी करते हुए वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तीन ओवर में केवल 16 रन। इसका मतलब यह था कि जब तीन तेज़ गेंदबाज अपने 12 ओवरों में 109 रन दे गए। स्टार्क की आख़िरी दो गेंद पर दो छक्के लगे और उनके आंकड़े ख़राब हो गए। जॉश हेज़लवुड के चार विकेट अहम रहे। और फिर ऐडम ज़ैम्पा हैं। वह अब तक ऑस्ट्रेलिया के प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट रहे हैं। 9.90 के औसत से 11 विकेट और सुपर 12 के संयुक्त रूप से सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़। उन्होंने बांग्लादेश के कमजोर मध्य और निचले क्रम के ख़िलाफ़ भले ही पांच विकेट लिए हों, लेकिन साउथ अफ़्रीका, श्रीलंका और वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ उन्होंने अच्छे इकॉनमी से गेंदबाज़ी की है।
ऑस्ट्रेलिया ने फिर जिस तरह से रन चेज किया, उससे कुछ और बॉक्स टिक हो गए हैं। डेविड वार्नर ने पिछले सीज़न में कमर की चोट से पहले जैसा खेला था, वह उसी तरह की लय में दिखे और मार्श ने वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ अपने रनों की संख्या में इज़ाफ़ा किया। उन्होंने साबित किया कि वह कुछ दिन पहले टीम से बाहर जाने के हकदार नहीं थे। एकमात्र सवाल यह है कि उनके पिछले दो मैचों में बल्लेबाज़ी ने मध्य क्रम को इंग्लैंड के ख़िलाफ़ किए संघर्ष के बाद क्रीज़ पर उतरने से रोक दिया है। मैक्सवेल की पिछली दो पारियां खास नहीं थी। ऑस्ट्रेलिया को सेमीफ़ाइनल में जगह बनाने के लिए दो बिल्कुल सही मैच अच्छी रणनीति के साथ खेलने थे और उन्होंने ऐसा कर दिखाया। एक गलत कदम उन्हें सेमीफ़ाइनल में जाने से रोक सकता था।
अब उनका सामना सेमीफ़ाइनल में पाकिस्तान से होना है। 11 साल पहले सेंट लूसिया में प्रसिद्ध मैच का रीमैच। इस टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया के लिए पास खास क्या है? नॉकआउट तक पहुंचना के अलग पड़ाव था, हालांकि वे साउथ अफ़्रीका की वजह से टूर्नामेंट से बाहर हो सकते थे। हालांकि यह इस टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया का रिकॉर्ड इतना खास नहीं रहा है। माइकल हसी ने 11 साल पहले सेमीफ़ाइनल में 24 गेंद में नाबाद 60 रन बनाकर उन्हें पहली और आख़िरी बार फ़ाइनल में पहुंचाया था।
अब जस्टिन लैंगर की टीम को पता है कि वह किसी तरह सेमीफ़ाइनल में पहुंच गए हैं, लेकिन अब उनके सामने चुनौती सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की है।
ऐंड्रयू मैक्ग्लैशन ESPNcricinfo में डिप्टी एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।
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