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इंग्लैंड का टीम असंतुलन डेथ ओवरों में पड़ा भारी

चौथे तेज़ गेंदबाज़ की कमी ने न्यूज़ीलैंड को अंतिम ओवरों में हाथ खोलने का मौक़ा दिया

बल्‍लेबाजी में गहराई की रणनीति पर अभी तक रही है इंग्‍लैंड की टीम  AFP/Getty Images

रविवार की रात को जब स्कैन से यह पुष्टि हुई कि जेसन रॉय की पिंडली में चोट है और वह बचे हुए टूर्नामेंट से बाहर हो गए हैं, तो इसने इंग्लैंड के सामने विकल्प छोड़ दिए। या तो वे अपनी टीम की बल्लेबाज़ी को भारी रखें, जिससे वह अब तक टी20 विश्व कप में पांच में से चार ​मुक़ाबले जीते थे या फिर एक अतिरिक्त गेंदबाज़ी विकल्प के साथ जाएं।

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वे विशुद्ध बल्लेबाज़ सैम बिलिंग्स के साथ गए, जिन्होंने 20 ओवर डगआउट में बिताए। चार विकेट पर 166 रनों के स्कोर का बचाव करने के लिए ओएन मॉर्गन ने इसे अच्छा स्कोर बताया। उनके गेंदबाज़ों ने न्यूज़ीलैंड के सामने आख़िरी चार ओवर में 57 रनों का टास्क रखा। एक ऐसा आंकड़ा जो अब तक पुरुष टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में पाया नहीं गया था, लेकिन उन्होंने एक ओवर रहते ही इस मैच को जीत लिया।

क्या बिलिंग्स को चुनना गलत फ़ैसला था? यह जटिल सवाल है। मॉर्गन ने मैच के बाद अपने टीम चयन का बचाव करते हुए कहा, "मुझे लगता है कि यह हमारी टीम का सर्वश्रेष्ठ संतुलन था। हम इसी संतुलन के साथ पूरे टूर्नामेंट में खेले हैं और यह ऐसा संतुलन है, जिसके हम आदी हैं। हमारे पास 24 ओवर गेंदबाज़ी के विकल्प हैं और इसी गेंदबाज़ी क्रम ने अभी तक टूर्नामेंट में हमारे लिए अच्छा काम किया था।"

पिछले छह सालों से बल्लेबाज़ी में गहराई इंग्लैंड की सफ़ेद गेंद की रणनीति का अहम हिस्सा रही है। इसके पीछे तर्क साफ़ है, निचले क्रम में मौजूद बल्लेबाज़ शीर्ष क्रम को अपने हाथ खोलने का मौक़ा देता है, जिससे वह बिना अपने विकेट के बारे में सोचे आक्रामक शॉट लगा सकें। आदिल रशीद ने अपने 68 मैचों के टी20 करियर में अब तक 75 गेंदें ही खेली है, लेकिन नंबर 10 पर उनकी उपस्थिति इस बात का सबूत है कि इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों के पास आक्रमण का लाइसेंस रहता है।

यह बहस का विषय हो सकता है कि क्या बिलिंग्स की उपस्थिति ने इंग्लैंड के शीर्ष क्रम को इस ​पिच पर आक्रमण का हक़ दिया। मॉर्गन ने कहा, "ज़रूरी नहीं यह हमारी बल्लेबाज़ी के अनुकूल हो और मैच के पहले 36 ओवरों में केवल छह ही छक्के लग पाए थे। दो अन्य विकल्प डेविड विली और टॉम करन मौजूद थे। दोनों ही डेथ ओवरों में बड़े शॉट लगाने के काबिल थे। क्रिस वोक्स और क्रिस जॉर्डन का अभी तक बल्लेबाज़ के रूप में उपयोग नहीं हुआ है। इंग्लैंड ने अपने बल्लेबाज़ी साधनों का इस्तेमाल ही नहीं किया।

ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो की गेंद दर गेंद डाटा के अनुसार इंग्लैंड ने अबू धाबी में 52 आक्रामक शॉट लगाए। यह उनके इस साल खेले पांच मैचों में सबसे ज़्यादा था। इसके बाद उन्होंने जब ऐज़ेस बोल में श्रीलंका के ख़िलाफ़ 180 रन बनाए तब उन्होंने 37 आक्रामक शॉट लगाए थे। इसके बाद लीड्स में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 200 रन बनाते हुए उन्होंने 35 आक्रामक शॉट लगाए थे।

यहां तक कि पिच पर सबसे ज़्यादा समय और सबसे ज़्यादा स्कोर बनाने वाले डाविड मलान और मोईन अली भी पारी के कई हिस्सों में पिच की दोहरी गति से संघर्ष करते दिखे। पिछले तीन सालों में इंग्लैंड का द्विपक्षीय सीरीज़ में परिणाम शानदार रहा है, लेकिन इससे उन्हें पहले बल्लेबाज़ी करने से लंबा अभ्यास मिला है।

गेंद के साथ, मोईन और लियम लिविंगस्टन का बचाव किया गया, जब मैच से पहले पहले मॉर्गन ने उन्हें वास्तविक ऑलराउंडर बताया। विश्व कप में दोनों को पांचवें गेंदबाज़ के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया गया। दोनों ने लगातार विकेट दिए और गेंद के बराबर ही रन दिए। टीम के स्पिनर सलाहकार कार्ल क्रॉ ने लैंकशर में लिविंगस्टन के लिए काम किया है। उन्होंने कहा वह ख़ुद को फ्रंटलाइन स्पिनर मानते हैं। उन्होंने अपने कौशल में सुधार किया है, जबकि मोईन पावरप्ले में डॉट गेंद करने से ज़्यादा आक्रमण पर ध्यान दे रहे हैं।

मुद्दा यह रहा है कि चौथे तेज़ गेंदबाज़ की कमी का बाकी गेंदबाज़ी आक्रमण पर असर पड़ा है और यह उनके एक विश्व स्तरीय तेज़ गेंदबाज़ जोफ़्रा आर्चर की चोट से लागू अनुपस्थिति से बढ़ गया है। इस विश्व कप में वोक्स से ज़्यादा पावरप्ले विकेट किसी ने नहीं लिए हैं, लेकिन छह में से तीन मैचों में इंग्लैंड ने अंतिम पांच ओवरों के लिए उनका एक ओवर रोका है। उन 18 गेंदों में से सात गेंदों पर छक्का लगाया गया है और बल्ले से 57 रन खर्च हुए हैं।

इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि विली या करन को चुनने का मतलब होगा कि इंग्लैंड ने अपने स्कोर का बचाव कर लिया। विली का नई गेंद के साथ एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है, लेकिन डेथ ओवरों में संघर्ष किया है, जबकि शुरुआत में करन को मुख्य टीम में जगह नहीं दी गई थी, लेकिन भाई सैम करन के चोटिल होने के बाद उन्हें रिज़र्व से मुख्य टीम में लाया गया, जो उनकी पिछले दो सालों में घटती प्रभावशीलता को दिखाता है।

लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि अतिरिक्त गेंदबाज़ को चुनना इंग्लैंड के बाकी आक्रमण को और अधिक प्रभावी बना सकता था। अतिरिक्त ओवर उपलब्ध होने से, इंग्लैंड कभी भी ऐसी स्थिति में नहीं पहुंच पाता जहां राशिद और वोक्स ओस में एक स्कोर का बचाव करते हुए 18वें और 19वें ओवर में गेंदबाज़ी कर रहे थे। मॉर्गन ने जोर देकर कहा कि वह अपने निर्णय लेने और उनके पास मौजूद गेंदबाज़ों की तैनाती पर "कुछ भी नहीं बदलेगा", लेकिन अतिरिक्त कवर से निश्चित रूप से मदद मिलती।

इंग्लैंड की हार दो शानदार पारियों की वजह से थी, न की टीम संतुलन की वजह से। उनके गेंदबाज़ों ने डेथ ओवरों में गीली गेंद से अपनी लंबाई को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष किया और जिमी नीशम और डैरिल मिचेल ने उनका फ़ायदा उठाया। वे प्रमुख ऑलराउंडरों की चोटों से जूझ रहे हैं और आने वाले दिनों में ऑस्ट्रेलिया में ऐसा नहीं होगा, लेकिन एक बार तनावपूर्ण सेमीफ़ाइनल की यादें धुंधली होंगी तो वे समझेंगे कि कहां गलतियां हुई थी।

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मैट रोलर ESPNcricinfo में असिस्‍टेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा हैं।