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रोलर : थकी और हताश टीम इंडिया का विश्वकप सपना लगभग ख़त्म

चयन और रणनीति में चूक का ख़ामियाज़ा इस समय पूरी टीम को भुगतना पड़ा रहा है

मैच के बाद न्यूज़ीलैंड के कप्तान केन विलियमसन को जीत की बधाई देते हुए विराट कोहली  ICC via Getty

विश्व कप में एक सप्ताह और तीन घंटे के खेल में भारत ने 40 ओवर में छह छक्के लगाए हैं, केवल दो विकेट लिए हैं और अपने ग्रुप में अंक तालिका में नामीबिया से भी नीचे हैं। दुबई इंटरनैशनल स्टेडियम लगभग खाली हो चुका है और न्यूज़ीलैंड और भारत के स्कोर बराबर हैं। अभी भी 34 गेंदें शेष हैं लेकिन भारत ने सीमा रेखा पर तीन खिलाड़ी रखे हैं। मौक़े का फ़ायदा उठाते हुए केन विलियमसन आसानी से जीत सुनिश्चित करने के लिए रन चुरा लेते हैं।

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यह बारीक़ी एक छोटी बात है लेकिन इससे पता चलता है भारत ने इस विश्व कप में अब तक एक थकान और अस्पष्टता से भरपूर खेल खेला है। मैच के बाद विराट कोहली बोले, "टी20 क्रिकेट में आपको आशावादी और सकारात्मक होने की ज़रूरत होती है।" लेकिन उनकी नेतृत्व में भारत भयभीत, संशयशील और कमज़ोर नज़र आया है।

अंकों के आधार पर भारत की उम्मीदें अभी भी जीवित हैं लेकिन नेट रन रेट के मामले में न्यूज़ीलैंड और अफ़ग़ानिस्तान से आगे बढ़ना मुश्किल दिख रहा है। एक महीना यूएई में आईपीएल खेलने से परिस्थितियों से परिचित होना आसान होना चाहिए था। लेकिन भारतीय बल्लेबाज़ धीमी पिचों पर नहीं चले हैं और गेंदबाज़ों ने लगातार मैचों में ओस के चलते निराशाजनक गेंदबाज़ी की है।

यह भी सच है की दोनों मैच में टॉस भारत के विरुद्ध गया है। लेकिन भारत के बल्लेबाज़ी क्रम में ज़्यादा 'ऐंकर' रहने की वजह से पावरप्ले में भारत ने 36 पर तीन विकेट और दो विकेट के नुक़सान पर 35 बनाए हैं। इस गतिशीलता की कमी के चलते उनके स्कोर ऐसे रहे हैं जो दूसरी पारी में ओस की भरपाई नहीं कर पाए हैं।

और यह कोई नई बात नहीं। साढ़े पांच साल पहले खेले गए पिछले विश्व कप के बाद भारत ने स्कोर का पीछा करते हुए 32 में 23 मैच जीते हैं। लेकिन पहले बल्लेबाज़ी करते हुए उन्होंने 41 में सिर्फ़ 22 मैच को रनों के अंतर से जीता है (और दो और मैच सूपर ओवर के ज़रिए)। यह उनके रूढ़िवादी क्रिकेट का प्रतीक है।

इस टूर्नामेंट के दौरान टीम चयन के मामले में भी व्याकुलता साफ़ नज़र आई है। इस मैच में सूर्यकुमार यादव के अनुपलब्ध होने से यह सामने आ गया। मार्च में कोहली ने आरसीबी के लिए ओपन करते हुए कहा था कि वह विश्व कप में भी ऐसा करेंगे। दो हफ़्ते पहले अभ्यास मैचों के दौरान उन्होंने कहा कि केएल राहुल का ओपन करना तय है। पाकिस्तान से हारने के बाद उन्होंने एक पत्रकार का मज़ाक़ उड़ाया जब उन्होंने पूछा कि क्या इशान किशन रोहित शर्मा के आगे खेल सकते थे। और न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ किशन ओपन करने आए और रोहित और विराट ख़ुद तीन और चार पर खेलने आए।

फलस्वरूप आपको दिखी ऐसी बल्लेबाज़ी जिसमे आक्रमण और स्थिरता के बीच संतुलन ढूंढने की कोशिश में 20 ओवर निकल गए। पावरप्ले में दो विकेट खोने के बावजूद ज़रूरत थी ऐसे बल्लेबाज़ी की जो भारत को एक मज़बूत स्कोर तक पहुंचा सके।

जसप्रीत बुमराह ने मैच के बाद कहा, "जब आप टॉस हार जाते है तो दूसरी पारी में हमने देखा है विकेट बदल जाती है। हम गेंदबाज़ों को कुछ अधिक रन देना चाहते थे और इसीलिए हमने ज़्यादा आक्रामक खेल खेला। लेकिन आज हम ऐसा करने में विफल रहे।" ऐसे रणनीति के साथ आप विराट की पारी को कैसे समझ सकते हैं जहां उन्होंने 16 गेंदों पर नौ रन बनाकर इश सोढ़ी को स्लॉग स्वीप करते हुए कैच आउट हुए? उनके विकेट के दौरान भारत ने सिर्फ़ तीसरी बार टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैच में पावरप्ले के अंत और 16वें ओवर तक एक भी बाउंड्री नहीं लगाई।

ऋषभ पंत एक प्राकृतिक हिटर हैं लेकिन जबसे वह क्रिकेट में आए हैं उनसे ज़िम्मेदाराना बल्लेबाज़ी की उम्मीद जताई जाती रही है। परिणाम? 19 गेंदों पर 12 रन। इस बीच वह स्ट्राइक बदलने की कोशिश में सही टाइमिंग खोजते रहे और ऐडम मिल्न की गेंद पर बड़ा शॉट लगाने की कोशिश में 10 से ज़्यादा गेंदों पर अपनी सबसे धीमी पारी खेलते हुए आउट हुए।

ईश सोढ़ी की गेंद पर आउट होने के बाद पवेलियन लौटते हुए विराट कोहली  ICC via Getty

कोहली ने कहा, "जब भी हमने कोई जोखिम उठाए तब हमने विकेट गंवाया। ऐसा टी20 क्रिकेट में होता है ख़ास कर तब जब आप दुविधा के साथ बल्लेबाज़ी कर रहे हों।" एक साल से अधिक समय तक बायोबबल में कठोर समय बिताने से ऐसी अनिश्चितता आपके गेम में आ सकती है लेकिन यही बाक़ी टीमों का भी हाल रहा है। जो खिलाड़ी हर फ़ॉर्मैट खेलते हैं वह तो जून में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप से ही ऐसा जीवन व्यतीत कर रहे हैं। और न्यूज़ीलैंड की टीम को देख कर तो यह खिलाड़ी और परेशान हो चुके होंगे - क्रिकेट के इस निरंतर ट्रेडमिल में कीवी खिलाड़ियों से उनका सामना अपने आख़िरी सूपर 12 मुक़ाबले के ठीक नौ दिन बाद एक टी20 सीरीज़ में होगा।

गेंद के साथ बुमराह और वरुण चक्रवर्ती की शुरुआत सधी हुई थी लेकिन लंबाई के मामले में अधिकतर गेंदबाज़ों ने निराश किया और न्यूज़ीलैंड का काम आसान कर दिया। रवींद्र जाडेजा और शार्दुल ठाकुर का चयन उनके बल्लेबाज़ी की क्षमता के आधार पर हुआ था लेकिन भारत की मिडिल ओवर्स में धीमी बल्लेबाज़ी और हार्दिक पंड्या का बतौर गेंदबाज़ उपयोग दिखाता है कि टीम को इन दोनों के हरफ़नमौला खेल पर संपूर्ण विश्वास नहीं है। टी20 का फ़ॉर्मैट ऐसा है जहां जोखिम लेने पर आपको इनाम मिलती है लेकिन भारतीय टीम सुरक्षित विकल्प ढूंढती रहती है।

भारत शायद अभी भी सेमीफ़ाइनल तक पहुंच जाए लेकिन इससे टीम का कोई लाभ नहीं होगा। 2016 में वेस्टइंडीज़ से हार में पता चला था कि विकेट हाथ में रखते हुए तेज़ी से दो रन चुराते हुए आप एक पावर हिटर से लैस टीम को नहीं हरा सकते। उस हार से भारत की टी20 रणनीति में बदलाव आनी चाहिए थी पर ऐसा हुआ नहीं। शायद विराट कोहली की कप्तानी में आख़िरी टूर्नामेंट में ऐसी शिकस्त उन्हें यह सोचने पर मजबूर कर दे।

हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि दो ड्रॉप के अलावा न्यूज़ीलैंड की टीम शानदार खेल दिखा गई। शायद यह सांकेतिक था कि आईपीएल के सबसे बड़े किरदारों को धराशाई करने में दो ऐसे खिलाड़ी थे जो उस लीग में नहीं खेलते - डैरिल मिचेल अपने देश के बाहर केवल मिडलसेक्स में टी20 खेले हैं और सोढ़ी तो अब राजस्थान रॉयल्स में सपोर्ट स्टाफ़ का हिस्सा हैं। न्यूज़ीलैंड टीम में हर खिलाड़ी को जोड़ने से इकाई और मज़बूत होती है, इस भारतीय टीम के ठीक विपरीत।

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मैट रोलर (@mroller98) ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं, अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सीनियर असिस्टेंट एडिटर और स्थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है।