फ़ुटबॉल की तरह क्रिकेट में भी रेड कार्ड - सुनील नारायण को मिली पहली सज़ा
टीम की धीमी ओवर गति के कारण अंपायर ने दिखाया था रेड कार्ड

जस्ट इमेजिन! अंपायर अपने पॉकेट से एक रेड कार्ड निकालते हैं और खिलाड़ी को कहते हैं कि आपको मैदान से बाहर जाना पड़ेगा। ये एकदम फ़ुटबॉल या हॉकी वाली फ़ीलिंग है न। कितनी यादें जुड़ी हैं इस रेड कार्ड से। इस रेड कार्ड का तो अलग इतिहास ही है। हालांकि 27 अगस्त से पहले रेड कार्ड के इतिहास में कभी भी क्रिकेट के किसी खिलाड़ी नाम नहीं जुड़ा था।
ऐसा इसी कारण से था क्योंकि क्रिकेट में रेड कार्ड का प्रावधान ही नहीं था। हालांकि इस प्रावधान वाली बात को अब भूतकाल में भेजिए क्योंकि वर्तमान काल में कैरिबियन प्रीमियर लीग के दौरान सुनील नारायण को एक मैच के दौरान रेड कार्ड नियम के कारण मैदान से बाहर जाना पड़ा।
सेंट किट्स एंड नीविस पेट्रियट्स और ट्रिनबैगो नाइट राइडर्स के बीच 27 अगस्त को खेले गए एक मुक़ाबले के दौरान पहली पारी के 20वें ओवर में धीमी ओवर गति के कारण टीकेआर की टीम को रेड कार्ड दिखाया गया। जिसके बाद नारायण को मैदान से बाहर जाना पड़ा। अंपायर के इस फ़ैसले का कारण टीकेआर की टीम को सिर्फ़ 10 खिलाड़ियों के साथ खेलना पड़ा।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अंपायर साहब इतना गुस्से में इतना लाल क्यों हो गए कि उन्हें लाल कार्ड दिखाना पड़ा। इस सवाल के जवाब के लिए हमें सबसे पहले सीपीएल के नए नियमों को जानना होगा।
धीमी ओवर गति के लिए लगाए जाने वाले पेनाल्टी के नियम
- यदि 18वें ओवर की शुरुआत में गेंदबाज़ी करने वाली टीम आवश्यक ओवर रेट के पीछे रहती है तो एक अतिरिक्त खिलाड़ी को सर्कल में प्रवेश करना होगा। मतलब यह है कि सर्कल के अंदर कुल पांच खिलाड़ियों होंगे।
- यदि 19वें ओवर की शुरुआत में भी ओवर रेट ख़राब है तो दो अतिरिक्त क्षेत्ररक्षकों को सर्कल में प्रवेश करना होगा। ऐसे में कुल छह खिलाड़ी सर्कल के अंदर रहेंगे।
- यदि अंतिम ओवर की शुरुआत में भी ओवर रेट धीमी रहती है तो फ़ील्डिंग करने वाली टीम के एक खिलाड़ी को मैदान से बाहर जाना होगा। कौन सा खिलाड़ी बाहर जाएगा, यह फ़ील्डिंग करने वाली टीम के कप्तान बताएंगे।
- खेल को सही ओवर रेट के साथ आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी बल्लेबाज़ी करने वाली टीमों पर भी होगी। अंपायरों की पहली और अंतिम चेतावनी के बाद, समय बर्बाद करने की प्रत्येक घटना के लिए बल्लेबाज़ी करने वाली टीम पर पांच रन का जुर्माना लगाया जाएगा।
केआर को 27 अगस्त को खेले गए मुक़ाबले में धीमी ओवर रेट के तीन ग़लतियों का हर्ज़ाना भुगतना पड़ा। साथ ही मैच के पहली पारी के आख़िरी ओवर में जब टीकेआर को अपने एक खिलाड़ी को मैदान से बाहर भेजना था तो कप्तान कायरन पोलार्ड ने नारायण को मैदान छोड़ कर बाहर जाने को कहा।
परिणाम यह रहा कि जब सिर्फ़ दो ही खिलाड़ी सर्कल के बाहर थे तो बल्लेबाज़ों ने इसका पूरा फ़ायदा उठाते हुए अंतिम ओवर में ड्वेन ब्रावो के ख़िलाफ़ अंपायर ने 18 रन बटोरे। हालांकि टीकेआर ने निकोलस पूरन, कायरन पोलार्ड और आंद्रे रसल की आतिशी बल्लेबाज़ी के कारण आसानी से 180 रनों के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया।
मैच के बाद इस नियम के बारे में बात करते हुए पोलार्ड ने कहा "ईमानदारी से कहूं तो इस नियम के कारण मैच में हर किसी के द्वारा की गई कड़ी मेहनत बर्बाद हो जाएगी। हम प्यादों की तरह हैं और हम वही करेंगे जो हमसे कहा जाएगा। हम जितनी तेज़ी से खेल सकते हैं खेलेंगे। अगर आपको इस तरह के टूर्नामेंट में 30-45 सेकंड के लिए दंडित किया जाता है, तो यह बिल्कुल हास्यास्पद है।"
टी20 क्रिकेट के लिए प्रति पारी '85 मिनट के नियम' का उपयोग करते हुए, नियम यह है कि पारी का 17वां ओवर 72 मिनट और 15 सेकंड में, 18वां ओवर 76 मिनट और 30 सेकंड में और 19वां ओवर 80 मिनटऔर 45 सेकंड के भीतर पूरा हो जाना चाहिए।
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