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कैलिस के प्रशंसक अर्शिन कुलकर्णी में लंबी बल्‍लेबाज़ी करने की है क्षमता

अंडर-19 ऑलराउंडर दादी के क्रिकेट से प्‍यार की वजह से बने क्रिकेटर

अर्शिन के साथ उनके माता-पिता भी साउथ अफ़्रीका में मौजूद हैं  ICC/Getty Images

अर्शिन कुलकर्णी के क्रिकेट सफ़र में अब तक सबसे बड़ी उपलब्धि नेट्स में जसप्रीत बुमराह को खेलने का मौक़ा रही है। कुलकर्णी तब अंडर-19 टीम में चुने जाने के पदाभिलाषी थे तो वहीं बुमराह कमर की चोट की वजह से चल रहे रिहैब के अंतिम चरण पर थे। जब दोनों आमने-सामने आए तो गेंद को देखने और डिफ़ेंस के लिए लाइन में खड़े होने से उन्‍हें आत्मविश्वास मिला।

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कुलकर्णी को तब नहीं पता था कि अंडर-19 विश्व कप में जगह बनाना इस अप्रत्याशित सफ़र में एक और अध्याय होगा जो सोलापुर, महाराष्ट्र में तब शुरू हुआ जब वह छह साल के थे। उनकी दादी उनको घर के पास सलीम ख़ान क्रिकेट एकेडमी में लेकर गई, जिससे स्‍कूल के बाद खाली समय में वह बोर नहीं हों।

जब यह बच्‍चा बड़ा हुआ तो उनकी लंबाई भी बढ़ गई, तब कुलकर्णी को उनके कोचों ने लंबाई के कारण तेज़ गेंदबाज़ी चुनने को कहा। 2019 में उन्‍होंने अच्‍छी सफलता के बावजूद लेगस्पिन को त्‍याग दिया। इस एक फ़ैसले पर कुलकर्णी आज धन्‍यवाद करते हैं।

वह अपने दादा-दादी से मिले समर्थन के लिए भी उन्‍हें धन्‍यवाद करते हैं, ख़ासकर दादी। क्रिकेट की बड़ी प्रशंससक दादी ने कुलकर्णी के अंदर क्रिकेट को भरा। उनके माता-पिता बच्‍चों के चिकित्‍सक हैं और दोनों सोलापुर में एक अस्‍पताल चलाते हैं और काम में ही व्‍यस्‍त रहते हैं।

कुलकर्णी साउथ अफ़्रीका के ऑलराउंडर जैक्‍स कैलिस को देखते हुए बड़े हुए और उनकी तमन्‍ना कैलिस की तरह बल्‍लेबाज़ी और गेंदबाज़ी करने की थी। पिछले महीने कुलकर्णी बहुत खुश हुए थे जब उन्‍हें सेंचूरियन के सुपरस्‍पोर्ट पार्क में कैंप के दौरान कैलिस से मिलने का मौक़ा मिला था।

उनकी सहज प्रतिक्रिया कैलिस के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेने की थी। कुलकर्णी अपने साथ अपनी दादी द्वारा लिखा एक पत्र भी ले गए थे, जिसमें उन्होंने कैलिस और उनके पोते पर उनके प्रभाव के बारे में लिखा है।

कुलकर्णी ने कैलिस से कहा, "मेरे जन्‍मदिन पर मैं क़रीब आठ साल का रहा होऊंगा। मेरी दादी ने पूछा कि 'अपने जन्‍मदिन पर क्‍या चाहते हो?' मैंने कहा जैक्‍स कैलिस। इस वीडियो को प्र‍िटोरिया कैपिटल्‍स से सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी।

उन्होंने अब तक उस तरह की चरम फ़ॉर्म हासिल नहीं की है जिसके बारे में महाराष्ट्र के आयु-समूह सर्किट के लोग जानते हैं, लेकिन अंडर-19 विश्व कप में पांच पारियों में उनके 174 रन में अमेरिका के ख़‍िलाफ़ एक शानदार शतक शामिल है। कुलकर्णी ने अपनी गेंदबाज़ी से चार विकेट भी लिए हैं, जिससे वह एक भरोसेमंद गेंदबाज़ साबित हुए हैं जो टीम को काफ़ी लचीलापन देते हैं।

यह बड़ा पल उनके करियर में कुलकर्णी और उनके परिवार के कारण ही आया है, जिन्‍होंने कुलकर्णी को सात साल पहले सुविधा क्षेत्र से बाहर निकालने का फ़ैसला लिया। जब वह 12 साल के थे तो ट्रेन से पुणे पहुंच गए, जहां उन्‍होंने शहर की बड़ी एकेडमी कैडेंस क्रिकेट एकेडमी को ज्‍वाइन किया।

लेकिन परिवार को एक समस्‍या का समाधान करना था कि कैसे एक छोटा बच्‍चा घर से दूर अकेला रहेगा। उनकी दादी ने कदम बढ़ाया और वह कुलकर्णी के साथ रोज आती-जाती थी। कभी-कभी राज्य के अंदरूनी हिस्सों में मैचों के लिए भी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जब भी उनके माता-पिता अपनी व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं के कारण अनुपलब्ध होते थे, तो उन्हें नैतिक समर्थन मिल सके।

कुलकर्णी को एक सप्‍ताह में तीन-चार दिन के लिए पुणे जाने के लिए स्‍कूल से इज़ाज़त भी मिल गई। वह बुधवार को स्‍कूल ख़त्‍म होने के बाद दोपहर को ट्रेन से पुणे पहुंचते और गुरुवार से रविवार तक ट्रेनिंग लेते थे। जब उनका कैलिस से मिलने का सपना पूरा हुआ तो यही सब यादें उनके दिमाग़ में चलने लगी।

कुलकर्णी ने सबसे पहले महाराष्‍ट्र में लोकल स्‍तर पर बनाया जब उन्‍होंने एक अंडर-16 आमंत्रित टूर्नामेंट में तिहरा शतक लगाया। जो लोग उनकी लंबे समय तक बल्लेबाज़ी करने की क्षमता के साथ-साथ ख़तरनाक गति से रन बनाने की क्षमता से प्रभावित थे, उनमें महाराष्ट्र के पूर्व बल्लेबाज़ निखिल पराडकर भी शामिल थे, जो कुछ साल बाद कुलकर्णी के कोच भी बने।

पराडकर ने ESPNcricinfo को बताया, "हमने कोविड के दौरान साथ में काम करने की शुरुआत की। वह लंबा था, पुष्‍ट था। जिस तरह से वह बल्लेबाज़ी करता था और लंबे शॉट मारता था, उससे आप देख सकते हैं कि उसमें कुछ विशिष्टता थी, वह उन तरीक़ों पर भरोसा करते हुए बल्लेबाज़ी कर सकता था। वह सीमाओं को आसानी से पार कर सकता था। 17 साल के बच्चे में ये गुण होना प्रभावशाली था। हमें केवल उसकी तक़नीक और चतुराई को बेहतर बनाने की ज़रूरत थी।"

पिछले साल कुलकर्णी ने महाराष्‍ट्र को अंडर-19 वीनू मांकड़ ट्रॉफ़ी जिताने में अहम रोल अदा किया। क्‍वार्टरफ़ाइनल में उन्‍होंने मुश्किल पिच पर 60 रन बनााए। फ़ाइनल में उन्‍होंने मुंबई के ख़‍िलाफ़ मैच जिताने वाला शतक लगाया।

पराडकर के मुताबिक, इस जीत के समय ही कुलकर्णी ने सात से आठ किलो वजन घटाया था। उन्‍होंने कहा, "वीनू मांकड़ में प्रदर्शन के बाद ही उन्‍हें सैयद मुश्‍ताक़ अली ट्रॉफ़ी में टी20 डेब्‍यू का मौक़ा मिला। इसमें बाद महाराष्‍ट्र प्रीमियर लीग में उन्‍होंने पहली पारी में ही शतक लगा दिया। उस पारी में उसे छक्‍के देखना किसी दावत से कम नहीं था।"

दिसंबर में उन्‍हें लखनऊ सुपर जायंट्स ने 20 लाख रूपये में ख़रीदा।

पराडकर ने कहा, "उसने बहुत बेहतरीन तरीक़ से अपनी फ़‍िटनेस में बदलाव किया है। वह प्रतिबद्धता, खाने की आदतों में अनुशासन जो उन्होंने अपने आहार में लाया है, उससे एक बड़ा बदलाव आया है। किसी के लिए अपने खेल को अगले स्तर पर ले जाने के लिए खु़द को बदलने की ज़रूरत की इस तरह की समझ होना उसकी परिपक्वता को दर्शाता है।"

क्रिकेट के अलावा कुलकर्णी को टेनिस खेलना और प्‍लेस्‍टेशन पर फ़ीफ़ा और यूएफ़सी खेलना पसंद हैं। वह बहुत अधिक सोशल मीडिया नहीं चलाते, उन्‍हें महंगे गैजेट पसंद नहीं हैं, हां अच्‍छे बल्‍ले जरूर हैं।"

अभी उनका फ़ोकस वर्तमान पर है, जो भारत को अंडर-19 विश्‍व कप जिताना है। कुलकर्णी के माता-पिता उनके साथ साउथ अफ़्रीका में ही हैं। सोलापुर में, उनकी दादी लाखों लोगों में से होंगी और कुलकर्णी और भारतीय टीम को आगे बढ़ती हुई देखेंगी और जीत की उम्मीद करेंगी।

Arshin KulkarniIndia Under-19s (Young Cricketers)IndiaICC Under-19 World Cup

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।