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विश्व कप टॉप 5 : वानखेड़े में टूटा दिल तो बेंगलुरु में कांटे की टक्कर, भारत में भारत-इंग्लैंड क्लासिक मैच

क्या 2023 विश्व कप में दोनों प्रतिद्वंद्वियों के बीच एक और रोमांचक मैच देखने को मिलेगा?

2002 में दोनों टीमों के बीच मुंबई में ज़बरदस्त मैच हुआ था  PA Photos/Getty Images

29 अक्तूबर को लखनऊ में 2023 विश्व कप में भारत और इंग्लैंड का मुक़ाबला खेला जाएगा। गत विजेता इंग्लैंड के लिए स्थिति ऐसी है कि अगर वह यहां से सारे मैच जीते, तो भी उनके लिए नॉकआउट पड़ाव में पहुंचना कठिन दिख रहा है। वहीं मेज़बान टीम भारत अपने 100 प्रतिशत रिकॉर्ड को बरक़रार रखना चाहेगा।

कुल मिलाकर भारत में यह दोनों प्रतिद्वंद्वी 51 वनडे मैच खेले हैं, जिनमें 33 बार भारत की जीत हुई है और इंग्लैंड पहले 10 मैचों से छह जीतने के बावजूद केवल 17 जीता (एक मैच में निर्णय नहीं निकला, लेकिन उसकी बात भी होगी)। आईए नज़र डालते हैं भारत-इंग्लैंड के बीच पांच सबसे यादगार मैचों पर।

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5. परिणाम के तौर पर मिला अजूबा1984)

डेविड गावर की कप्तानी में 1984-85 में भारत का दौरा इंग्लैंड के लिए काफ़ी यादगार रहा। हालांकि कटक में दूसरे वनडे में जब कृष्णमाचारी श्रीकांत 99 पर आउट हुए, तो उन्होंने और रवि शास्त्री ने पहले विकेट के लिए 188 रन जोड़ लिए थे। शास्त्री ने अपने शतक को पूरा करने का मौक़ा नहीं गंवाया और भारत ने 49 ओवर के खेल में पांच विकेट पर 252 रन बनाए (उन दिनों आपको समय सीमा के अंदर सारे ओवर डालने होते थे)।

जवाब में मनोज प्रभाकर और रॉजर बिन्नी ने शुरुआती विकेट निकाले लेकिन माइक गैटिंग (59) ने पारी को संभाला। लगातार विकेट गिरते हुए भी स्पिन ऑलराउंडर विक मार्क्स (गेंद के साथ 3/50 लेने के बाद 40 गेंदों पर 44 रन) और कीपर पॉल डाउनटन (41 गेंदों में 44 नाबाद) ने उम्मीदों को जीवित रखा। आख़िरकार जब इंग्लैंड 46 ओवरों में 241 के स्कोर पर था, तब ख़राब रोशनी के चलते मैच को ख़त्म करना पड़ा। इंग्लैंड तब आवश्यक रन रेट से 0.08 रन आगे थे, अतः उन्होंने एक रन से विजेता घोषित किया गया!

4. लॉर्ड ठाकुर और एक क्लासिक (2021)

शार्दुल ठाकुर ने 2021 में ग़ज़ब की गेंदबाज़ी की थी  BCCI

कोविड के दौरान खेले गए तीन मैचों के वनडे सीरीज़ में पुणे में आते हुए आख़िरी मुक़ाबले तक दोनों टीमों ने एक-एक मैच जीता था। पहले बल्लेबाज़ी करने को कहे जाने के बाद भारत ने ऋषभ पंत (78), शिखर धवन (67) और हार्दिक पंड्या (64) के अर्धशतकों के बदौलत 329 ऑल आउट का स्कोर बनाया।

जवाब में तेज़ी से रन बनते रहे लेकिन भुवनेश्वर कुमार (3/42) और शार्दुल ठाकुर (4/67) ने विकेट गिराते हुए टीम के छह विकेट 26वें ओवर में निकाल डाले। यहां से सैम करन ने 83 गेंदों पर 95 नाबाद बनाए। आख़िरी ओवर के लिए टी नटराजन को गेंद थमाई गई, जिन्होंने नौ ओवर में 67 दे दिए थे, तो वहीं इंग्लैंड को 14 रनों की ज़रूरत थी। अपने यॉर्कर पर भरोसा जताते हुए नट्टू ने केवल छह रन दिए और भारत को रोमांचक जीत दिलाई।

3. जब वानखेड़े का असर बाद में लॉर्ड्स में दिखा (2002)

2002 में द्विपक्षीय सीरीज़ मुंबई में आख़िरी मैच में जाते हुए सौरव गांगुली के भारतीय टीम के पक्ष में 3-2 के स्कोर पर था। मार्कस ट्रेसकॉथिक के 95 रनों की पारी और कप्तान नासिर हुसैन (41) और ऐंड्र्यू फ़्लिंटॉफ़ (40) की पारियों के चलते इंग्लैंड ने 255 रन बनाए।

जवाब में वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर के जल्दी आउट होने के बावजूद गांगुली (80) ने पारी को दिनेश मोंगिया (35) के साथ मज़बूती दिलाई। ऐसे में माइकल वॉन ने अपने पार्ट-टाइम ऑफ़ स्पिन के साथ दो विकेट निकाले और निचले क्रम पर फ़्लिंटॉफ़ की तेज़ गेंदबाज़ी भारी पड़ी। हेमांग बदानी एक छोर पर टिके रहे लेकिन फ़्लिंटॉफ़ के आख़िरी ओवर में अनिल कुंबले के रन आउट और जवागल श्रीनाथ के बोल्ड होने से इंग्लैंड ने पांच रन की रोमांचक जीत हासिल की। फ़्लिंटॉफ़ ने फ़ुटबॉल के अंदाज़ में अपना जर्सी उतारकर जश्न मनाया। इसका जवाब गांगुली ने कुछ महीने बाद लॉर्ड्स में नैटवेस्ट फ़ाइनल के बाद दिया।

2. जब गूच (और ऑस्ट्रेलिया) ने ड्रीम फ़ाइनल का सपना तोड़ा (1987)

1987 में ग्रैम गूच ने भारतीय स्पिनरों को पूरी तरह बेअसर करके छोड़ा था  Getty Images

1987 में विश्व कप पहली बार इंग्लैंड के बाहर आयोजित किया गया। सह-मेज़बान भारत और पाकिस्तान अलग ग्रुप में थे और दोनों के सेमीफ़ाइनल पहुंचने पर कोलकाता में एक ड्रीम फ़ाइनल की बातें हवा पकड़ने लगीं।

पहले मैच में तो ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को परास्त किया (इमरान ख़ान ने ख़फ़ा होकर खेल से संन्यास लेने का फ़ैसला सुनाया) और अगले दिन वानखेड़े स्टेडियम में ग्रैम गूच ने भारतीय स्पिनर्स शास्त्री और मनिंदर सिंह के ख़िलाफ़ स्वीप शॉट को हथियार बनाया। उनकी 115 रनों की पारी के चलते इंग्लैंड ने छह विकेट पर 254 बनाए।

जवाब में सुनील गावस्कर अपने अंतिम वनडे मैच में चार रन ही बना पाए लेकिन श्रीकांत (31) और मोहम्मद अज़हरउद्दीन (64) ने टीम को मैच में बनाए रखा। कप्तान कपिल देव 100 से अधिक के स्ट्राइक रेट से 30 तक पहुंचे और फिर एडी हेमिंग्स की गेंद पर बड़ा शॉट लगाते हुए आउट हो गए। अज़हर के आउट होने के साथ भारत ने अपने आख़िरी पांच विकेट केवल 15 रन पर खोए

इस 'हादसे' के बाद आयोजकों ने भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरे स्थान का मच सुझाया था, लेकिन कहा जाता है कि दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने इतना ज़्यादा मैच फ़ी मांगी कि यह मैच हो ना सका।

1. चिन्नास्वामी स्टेडियम का रोमांच (2011)

चलते हैं इन दोनों टीमों के बीच भारत में खेले गए इकलौते टाई की ओर। बेंगलुरु में तेंदुलकर (120) को गौतम गंभीर (51) और युवराज सिंह (58) का साथ तो मिला लेकिन टिम ब्रेस्नन के पांच विकेटों के चलते भारत 338 पर ऑल आउट हो गया।

2011 में दोनों टीमों के बीच मैच टाई रहा  Getty Images

रिप्लाई करते हुए ऐंड्र्यू स्ट्रॉस (158) और इयन बेल (69) ने तीसरे विकेट के लिए 170 रन जोड़े और टीम को जीत से 78 रन दूर पर पहुंचाया। भारत के लिए ज़हीर ख़ान ने तीन विकेट लिए और मुनाफ़ पटेल और पीयूष चावला के नाम दो-दो सफलताएं आई और आख़िर के ओवर में मुनाफ़ ने एक छक्का खाते हुए भी मैच को बराबरी पर फ़िनिश करवाया।

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देबायन सेन Espcricinfo हिंदी के सीनियर सहायक एडिटर और स्थानीय भाषा लीड हैं