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नई टीम के साथ पुराने जलवे को बरक़रार रखने के लिए तैयार हैं ऐरन

झारखंड के 32 वर्षीय तेज़ गेंदबाज़ इस साल बड़ौदा से क्रिकेट खेलेंगे

भारत के लिए नौ टेस्ट और नौ वनडे मैच खेल चुके हैं वरुण ऐरन  Associated Press

32 साल की उम्र में भारत के तेज़ गेंदबाज़ वरुण ऐरन झारखंड के साथ अपने पुराने रिश्ते को छोड़कर इस सीज़न घरेलू क्रिकेट में बड़ौदा के साथ खेलते दिखेंगे। इसके पीछे के कारण को लेकर कुछ बातें हुईं हैं लेकिन ऐरन का मानना है कि यह फ़ैसला उन्होंने अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए लिया है।

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ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो से एक विशेष बातचीत में उन्होंने कहा, "देखिए अगर मैं उपलब्ध होता तो मैं टीम में चयनित होता। टीम में चयन होने के बारे में कोई सवाल ही नहीं था। मेरा प्रदर्शन पिछले दो वर्षों में किसी भी खिलाड़ी से बेहतर था। मैं इस समय आईपीएल खेल रहा हूं। मैं फ़िट हूं। इसलिए हमारे संघ या किसी और से इस बारे में कोई संवाद नहीं हुआ था कि मैं किसी फ़ॉर्मेट में खेलूं या ना खेलूं। जब मैं राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में था, तब झारखंड क्रिकेट संघ के वर्तमान सचिव ने प्रशिक्षण में मेरी मदद करने के लिए एनसीए को ख़ुद मेल किया था। यह मेरा एक निजी फ़ैसला है कि मैं अब बड़ौदा के साथ खेलने वाला हूं।"

उन्होंने आगे कहा, "यह एक कठिन निर्णय था लेकिन आगे बढ़ना भी बहुत महत्वपूर्ण है। झारखंड की टीम एक बहुत ही परिवर्तनकारी दौर से गुज़र रहा है, जहां कई वरिष्ठ क्रिकेटर बाहर जा रहे हैं और युवा खिलाड़ी टीम में आ रहे हैं। भविष्य को देखते हुए मुझे लगता है कि मेरे लिए यह महत्वपूर्ण है कि मैं आगे बढ़ूं और अलग वातावरण में क्रिकेट खेलूं और खु़द को चुनौती दूं। किसी भी राज्य के लिए एक मुख्य गेंदबाज़ के तौर पर खेलने के लिए सिर्फ़ बढ़िया प्रदर्शन की आवश्यकता होती है।"

ऐरन का झारखंड क्रिकेट के साथ बहुत पुराना नाता है। दरअसल 2002 में बीसीसीआई ने टैलेंट रिसर्च डेवलेपमेंट ऑफ़िसर नियुक्त किया था, जिन्हें 2004 में युवा गेंदबाज़ों को ट्रायल के लिए चुनने का काम मिला था। जो भी गेंदबाज़ इस ट्रायल में पास होते, उन्हें चेन्नई में स्थित एमआरएफ़ पेस फ़ाउंडेशन में डेनिस लिली जैसे तेज़ गेंदबाज़ों की देख-रेख में ट्रेनिंग दिए जाने का फ़ैसला लिया गया था।

फ़ाइल तस्वीर : इस साल घरेलू क्रिकेट में बड़ौदा का प्रतिनिधित्व करेंगे ऐरन  Getty Images

झारखंड से दो तेज़ गेंदबाज़ों का ट्रायल के लिए चयन हुआ, जिनमें एक थे ऐरन। उस समय वह झारखंड की अंडर-15 टीम का हिस्सा थे। इसके बाद देश भर से चुने गए खिलाड़ियों का ट्रायल हुआ और पूरे देश से तीन या चार गेंदबाज़ों का चयन हुआ। यहां ऐरन ने दो से तीन साल तक प्रशिक्षण लिया और फिर वह झारखंड की घरेलू टीम के लिए खेलने लगे। ऐरन झारखंड के सबसे सफल तेज़ गेंदबाज़ों में से एक हैं। उन्होंने अपने प्रथम श्रेणी करियर में अब तक कुल 167 विकेट लिए हैं। उनके जाने के बाद झारखंड के तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण को एक नए नेतृत्वकर्ता की आवश्यकता होगी।

झारखंड के साथ खेलते हुए ऐरन 2010-11 में घरेलू क्रिकेट की 50-ओवर की प्रतियोगिता विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी जीतने में क़ामयाब भी हुए। इसे वह अपने घरेलू करियर का सबसे यादगार पल बताते हुए कहते हैं, "हमने कई बार क़रीबी मैच जीते हैं। जहां किसी ने नहीं सोचा था कि हम जीतेंगे, हम वहां भी जीते हैं। हमने मुंबई को हराया, हमने सभी बेहतरीन टीमों को हराया। लेकिन निश्चित रूप से विजय हज़ारे [ट्रॉफ़ी] को जीतना सबसे ज़्यादा स्पेशल था। हालांकि रणजी [ट्रॉफ़ी] में कई बार काफ़ी बढ़िया प्रदर्शन करने के बाद भी ट्रॉफ़ी तक नहीं पहुंच पाने का मलाल हमेशा रहेगा।"

ऐरन भारतीय क्रिकेट में 145 किमी से अधिक गति के साथ निरंतर गेंदबाज़ी करने वाले दुर्लभ गेंदबाज़ रहें हैं और यही वजह है कि 2011 से 2015 के बीच उन्हें भारत ने नौ टेस्ट मैच और नौ वनडे मैचों में मौक़ा दिया। अपनी एक्शन के चलते उन्हें कई बार चोटग्रस्त भी रहना पड़ा है लेकिन भारतीय टीम में वापसी करने की प्रेरणा वह दिनेश कार्तिक से लेते हैं, जिन्होंने हाल ही में टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में दिखाया है कि 37 साल की उम्र में भी भारत के लिए एक अहम खिलाड़ी बनकर उभरना संभव है।

ऐरन ने कहा, "उम्र कोई बड़ा फ़ैक्टर नहीं है। ऐसा नहीं है कि मैं 27 या 28 साल की उम्र में जिस तरह की गेंदबाज़ी करता था, अब नहीं कर पाऊंगा। यदि आप हमेशा एक तेज़ गेंदबाज के रूप में अपना 100 प्रतिशत देने का प्रयास करते हैं तो ऐसी संभावनाएं हैं कि कई बार चोटिल भी होंगे। मुझे तेज़ गेंदबाज़ी करने में मज़ा आता है। आठ स्ट्रेस फ़्रैक्चर के बाद भी मैंने अपनी गति को कम नहीं होने दिया। आगे भी मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन मैं उनसे निपटने के लिए तैयार हूं।"

"एक बात तय है कि मैं अपनी गति को कम नहीं करूंगा।"

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राजन राज ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।