कठिन परिश्रम, त्याग और अनुशासन : कोहली के 500 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने का मूलमंत्र
कोच द्रविड़ ने कहा कि पूर्व भारतीय कप्तान से वह भी बहुत कुछ सीखते हैं

2023 का साल विराट कोहली के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस साल वह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपने 15 साल पूरे कर रहे हैं। इस साल विश्व कप भी होने वाला है और कोहली के पास इस ट्रॉफ़ी को दो बार जीतने का दुर्लभ मौक़ा होगा। इससे पहले वह 2011 विश्व कप विजेता दल का भी हिस्सा थे।
वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ दूसरे टेस्ट में वह जब उतरेंगे तो यह कोहली का 500वां अतर्राष्ट्रीय मैच होगा। कोच राहुल द्रविड़ ने कोहली की इस उपलब्धि की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा कि यह उनका अनुशासन है कि वह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में इतना लंबा चल पा रहे हैं।
पोर्ट ऑफ़ स्पेन टेस्ट से पहले उन्होंने कहा, "वह निश्चित रूप से कई खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। उनके आंकड़े उनकी महानता को बयां करते हैं। हालांकि मेरे लिए सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण उनकी वह मेहनत है, जो वह पर्दे के पीछे करते हैं, जब कोई नहीं देख रहा होता है। यही कारण है कि वह 500वां अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने जा रहे हैं।"
द्रविड़ ने आगे कहा, "12-13 साल के लंबे करियर और लगभग 500 मैच खेलने के बाद भी विराट अभी काफ़ी फ़िट हैं और उनका उत्साह देखने लायक है। यह वाकई में बेहतरीन है। यह सब आसानी से नहीं मिलता। ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि वह पर्दे के पीछे कठिन परिश्रम करते हैं। उन्होंने अपने करियर के दौरान कई सारे परित्याग किए हैं और वह आगे भी ऐसा करना चाहते हैं। एक कोच के रूप में ऐसे खिलाड़ियों का होना सुखद है। कई युवा खिलाड़ी उनसे प्रेरणा ले सकते हैं। "
कोहली के साथ द्रविड़ सबसे पहले आईपीएल 2008 के दौरान रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की टीम में खेले थे। एक साल बाद वे वनडे टीम में एक साथ आए। 2011 में वेस्टइंडीज़ दौरे पर दोनों ने साथ टेस्ट खेला। जिस मैच में कोहली ने अपना पहला शतक लगाया था, वह द्रविड़ का अंतिम टेस्ट था।
द्रविड़ ने कहा, "विराट की यात्रा को इतने क़रीब से देखना सुखद है। जब मैं खेल रहा था तो वह युवा थे। फिर एक ऐसा दौर भी आया, जब मैं टीम का किसी भी रूप में हिस्सा नहीं था, लेकिन विराट के उभार को दूर से देख और सराह रहा था। अब पिछले 18 महीनों में कोच बनने के दौरान मैं विराट को और बेहतर तरीक़े से जान पाया हूं। मैं उनसे बहुत कुछ सीखता भी हूं और उनके साथ का लुत्फ़ भी उठाता हूं।"
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