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लंबे समय के बाद आए शतक के साथ शॉ 'सही रास्ते' पर लौटे

इस सलामी बल्लेबाज़ ने ऑफ़-सीज़न में अपनी फ़िटनेस पर काम किया है

फ़ाइल तस्वीर : पृथ्वी शॉ ने उत्तर-पूर्व क्षेत्र की टीम के विरुद्ध शतकीय पारी खेली  PTI

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) से पहले फ़िटनेस टेस्ट में ख़राब प्रदर्शन और फिर टूर्नामेंट के दौरान टाइफ़ाइड से परेशान होने के बाद भारतीय बल्लेबाज़ पृथ्वी शॉ ने फ़िटनेस को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है। वह अब सही रास्ते पर चल पड़े हैं।

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आईपीएल 2022 के बाद से शॉ ने केवल चार प्रतिस्पर्धी मैच खेले हैं और सबसे हालिया मैच में उन्होंने चेपॉक में दलीप ट्रॉफ़ी के पहले मुक़ाबले में पश्चिम क्षेत्र की ओर से खेलते हुए उत्तर-पूर्व क्षेत्र के विरुद्ध 121 गेंदों पर 113 रन बनाए। यशस्वी जायसवाल के साथ उनकी 206 रनों की सलामी साझेदारी ने पहली पारी में अपनी टीम के 590 के विशाल स्कोर की नींव रखी।

शॉ ने कहा, "यह (शतक) ख़ास है क्योंकि यह लंबे समय बाद आया है। प्रशिक्षण और ख़ुद को समय देने के बाद (मैं) सही राह पर वापसी कर रहा हूं और मुझे अच्छा लग रहा है। मैंने ऑफ़ सीज़न में ज़्यादा बल्लेबाज़ी नहीं की। मैं विवेक (रामाकृष्ण, दिल्ली कैपिटल्स के स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच) के साथ काम कर रहा था। हमने पहले दिल्ली और फिर मुंबई में अभ्यास किया। दलीप ट्रॉफ़ी से 12 दिन पहले मैंने लाल गेंद के ख़िलाफ़ लय में आने के लिए बल्लेबाज़ी करना शुरू किया। वरना मैं फ़िटनेस पर काम कर रहा था।"

उन्होंने आगे कहा, "सही रास्ते का मतलब यह नहीं है कि मैं ग़लत रास्ते पर जा रहा था। यह ऐसा है कि आप कहीं खो जाते हैं और फिर ख़ुद को जानने लगते हैं। व्यक्तिगत रूप से, मेरा मानना है कि जब आप महसूस करने लगते हैं कि आप सही दिशा में जा रहे हैं और जब आप रन बनाते हैं तो यह दर्शाता है कि आपने कुछ (सही) किया है। फिर चाहे वह मैदान पर हो या अभ्यास के दौरान। यह केवल कठिन प्रशिक्षण के बारे में भी नहीं था लेकिन हां मैंने काफ़ी वज़न घटाया है। आईपीएल में मैंने सात-आठ किलो घटाया था और अब मैं वहीं हूं। ऐसे हल्का होना अच्छा लगता है।"

शॉ का मानना है कि अगर वह फ़िट होते और उनका बल्ला चलता तो दिल्ली के लिए आईपीएल में चीज़ें बहुत अलग हो सकती थी। हालांकि उन्होंने असफलताओं को स्वीकार कर लिया है और अब भारतीय टीम के लिए दावेदारी पेश करने के लिए तैयार हैं।

इस धाकड़ बल्लेबाज़ ने कहा, "आईपीएल में मुझे टाइफ़ाइड हो गया। तब मैं अधिक मैच खेलकर अपनी टीम के लिए रन बना सकता था। चीज़ें बहुत अलग हो सकती थी। वह एक ग़लत चीज़ हुई और उसके बाद मुझे ड्रॉप किया गया। मैंने फिर अभ्यास किया। देखिए, एक क्रिकेटर के जीवन में गाड़ी केवल ऊपर नहीं जा सकती। उतार-चढ़ाव आते रहेंगे। बस मेरे लिए यह समय और यह साल कठिन रहा है। हालांकि मैं वह व्यक्ति हूं जो इसे चुनौती समझकर स्वीकार करूंगा और (इससे) बाहर आऊंगा।"

शॉ ने जुलाई 2021 में आख़िरी बार भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया था जब वह श्रीलंकाई दौरे पर दूसरे दर्जे की भारतीय टीम का हिस्सा थे। इसके बाद वह टीम से बाहर हुए और अब तो वह कर्नाटका में न्यूज़ीलैंड ए के विरुद्ध चल रही अनौपचारिक टेस्ट सीरीज़ में इंडिया ए टीम तक में नहीं चुने गए। क्या शॉ आगामी घरेलू सीज़न को अपने लिए करो-या-मरो वाले सीज़न की तरह देख रहे हैं?

जवाब में उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि यहां से हर एक मैच मेरे लिए महत्वपूर्ण है। मैं टीम के लिए सोचने वाला व्यक्ति हूं लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मुझे लगता है कि हर मैच मेरे लिए महत्वपूर्ण है। मुझे जो भी मौक़े मिलेंगे, मैं उन्हें स्वीकार करूंगा। मैं अभ्यास करूंगा, कड़ी मेहनत करूंगा और रन बनाऊंगा। बाक़ी सब मैं चयनकर्ताओं पर छोड़ दूंगा। मैं बस अपना काम करता रहूंगा।"

शॉ का यह शतक उस उत्तर-पूर्व टीम के विरुद्ध आया जो पहली बार दलीप ट्रॉफ़ी में खेल रही है। इसके बावजूद वह पहले और दूसरे दिन चेन्नई में तेज़ गेंदबाज़ी के लिए अनुकूल परिस्थितियों में नई कूकाबुरा गेंद का सामना करने के अपने अंदाज़ से प्रसन्न थे। शॉ की पारी 80 के स्कोर पर समाप्त हो जाती अगर विकेटकीपर आशीष थापा एक आसान कैच लपक लेते। इसके बाद तीसरे दिन उत्तर-पूर्व क्षेत्र की टीम ने दृढ़ता दिखाई और पश्चिम क्षेत्र के गेंदबाज़ों को मेहनत करवाई। थापा ने 103 गेंदों पर 43 जबकि आठवें नंबर पर उतरे अंकुर मलिक ने 95 गेंदों पर 81 रन बनाए।

शॉ ने कहा, "सच कहूं तो अगर वह (उत्तर-पूर्व टीम) इस स्तर पर खेल रही है, तो उन्होंने कुछ तो (सही) किया है। जो भी खिलाड़ी हैं, यह एक खेल है। अब बस प्रतिभा के दम पर किसी गेंदबाज़ या बल्लेबाज़ का आकलन नहीं कर सकते। उनमें प्रतिभा है और इसलिए वह यहां पर खेल रहे हैं। वह बढ़िया गेंदबाज़ी कर रहे थे। पहले 20-25 ओवरों में उन्होंने अच्छी गेंदबाज़ी की। हम उनके ख़िलाफ़ अपने शॉट को लेकर आश्वस्त थे जो हमारे काम आया।"

22 वर्षीय बल्लेबाज़ ने आगे कहा, "यशस्वी (जायसवाल) और अज्जू भाई (अजिंक्य रहाणे) के दोहरे शतकों के साथ मैं थोड़ा और लंबा खेल सकता था। बात गेंदबाज़ी क्रम के मज़बूत या कमज़ोर होने की नहीं है, आपको आउट करने के लिए एक गेंद काफ़ी है। हमारा ध्यान सही जगह पर केंद्रित था जिसके कारण हमने यह रन बनाए।"

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देवरायण मुथु ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।