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भारत के अंडर-19 सितारों के लिए आगे का रास्ता कैसा होगा?

आईपीएल करार, रणजी डेब्यू और एक दिन भारतीय टीम में प्रवेश - इस समय दुनिया उनके क़दमों में है

एक टीम के रूप में अभ्यास करने और खेलने के कम मौक़े होने के बावजूद भारत 2022 के अंडर-19 विश्व कप में अविजित रहने में सफल रहा  ICC/Getty Images

भारत को 2022 के अंडर-19 विश्व विजेता बने हुए दो हफ़्ते बीत चुके हैं। इन दो हफ़्तों में इस टीम के कई खिलाड़ियों को रणजी ट्रॉफ़ी में डेब्यू करने का मौक़ा मिला, पांच खिलाड़ियों को आईपीएल टीम मिल गई और बाक़ी खिलाड़ी प्रथम श्रेणी क्रिकेट से ज़्यादा दूर नहीं हैं। हालांकि छह महीने पहले कोई इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकता था। मैदान पर तो उनकी छह जीत बहुत आश्वासक अंदाज़ में आई थी, मैदान के बाहर वह अपनी अलग लड़ाई लड़ रहे थे।

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भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी आयु-वर्ग के टूर्नामेंट आयोजित करती है। छह से नौ महीनों तक भारतीय अंडर-19 टीम के साथ अन्य देशों का दौरा करने के लिए खिलाड़ियों का एक समूह चुनती है और फिर इस समूह में से विश्व कप की टीम का चयन होता है। हालांकि महामारी के कारण इस बार माहौल कुछ और ही था। 2020 और 2022 के विश्व कप के बीच भारतीय अंडर-19 टीम ने केवल अंडर-19 एशिया कप में हिस्सा लिया था।

जब नंवबर 2021 में पारस म्हांब्रे भारतीय पुरुष टीम के गेंदबाज़ी कोच बने, तब ऋषिकेश कानितकर को इस टीम का प्रमुख कोच बनाया गया। नए कोच को एक नई रणनीति भी बनानी थी।

कानितकर कहते हैं, "हम जानते थे कि हमारे पास कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी थे लेकिन बतौर कोच हमें उनमें से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन निकालना था। पिछली बार टीम ने इंग्लैंड और साउथ अफ़्रीका का दौरा किया था, एशिया कप में हिस्सा लिया था और अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ सीरीज़ खेली थी। लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं था। यह खिलाड़ी एशिया कप में पहली बार एक साथ खेले थे।"

"हमें तकनीक, मानसिकता जैसी छोटी-छोटी चीज़ों के अलावा उच्चतम स्तर पर खेलने के इच्छुक क्रिकेटरों के रूप में वे क्या कर रहे हैं - इन सब चीज़ों पर काम करना पड़ा। उन्हें सीखना था कि हम उनके भले के लिए हैं। दूसरी बात यह है कि इस समूह को ग़लतियां करने की अनुमति दी जानी थी क्योंकि इस तरह आप जल्दी सीखते हैं।"

यदि ग़लतियां हुईं भी तो उन्होंने मैदान पर परिणामों को प्रभावित नहीं किया - भारत ने एशिया कप में पांच में से चार और विश्व कप में सभी छह मैच जीते। बाहर से, यह सहज लग रहा था, लेकिन समूह के भीतर एक संकट था जो भारत के विश्व कप अभियान को पटरी से उतार सकता था।

विश्व कप में आयरलैंड के ख़िलाफ़ अपने दूसरे मैच से 15 मिनट पहले टीम को पता चला कि उसके कप्तान यश ढुल और उपकप्तान शेख़ रशीद सहित कुल छह खिलाड़ी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं।

विश्व कप ट्रॉफ़ी के साथ कप्तान यश ढुल और कोच ऋषिकेश कानितकर  ICC/Getty Images

कानितकर ने कहा, "उस समय 14 खिलाड़ी उपलब्ध थे और इन दोनों और आराध्य यादव के संक्रमित होने के बाद हमने जो उपलब्ध था उन सभी को खिलाया।"

ढुल और रशीद टीम के दो मज़बूत बल्लेबाज़ होने के साथ-साथ वहीं दो खिलाड़ी थे जिन्होंने पहले भारतीय अंडर-19 का नेतृत्व किया था। इस कठिन स्थिति में 17 वर्षीय निशांत सिंधु के रूप में टीम को एक क़ाबिल कप्तान मिल गया।

कानितकर ने कहा, "ख़ासकर आयरलैंड के ख़िलाफ़ मैच में सिंधु ने कोई रणनीति नहीं बनाई थी। मैं जानता था कि उसने घरेलू क्रिकेट में हरियाणा अंडर-19 का नेतृत्व किया था तो उसके रूप में हमारे पास एक नेतृत्वकर्ता था। जिस तरह से लड़के खेले, लगा ही नहीं कि वे मानसिक रूप से प्रभावित थे या उन्हें (पॉज़िटिव खिलाड़ियों की) ख़बर मिली थी।"

भारत ने आयरलैंड और युगांडा को बड़ी आसानी से हराया लेकिन सबसे बड़ी चुनौती क्वांरटीन में रहे खिलाड़ियों की देखभाल करने की थी।

ऑलराउंडर राजवर्धन हंगारगेकर को चेन्नई सुपर किंग्स ने डेढ़ करोड़ रुपयों में ख़रीदा  Matthew Lewis / ICC/Getty Images

अंडर-19 विश्व कप को दुनियाभर में फ़ॉलो किया जाता है। खिलाड़ियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है अपनी घरेलू टीमों तथा आईपीएल टीमों के स्काउट्स का ध्यान आकर्षित करना। अपने कमरों में अकेले बैठे, ढुल और रशीद कल्पना कर सकते थे कि इन महत्वपूर्ण मैचों से चूकने से उनके भविष्य पर क्या असर पड़ेगा।

"यश और रशीद अच्छी लय में थे और दूसरे मैच से बाहर होना उनके लिए निराशाजनक था," कानितकर ने कहा। "वह दुखी थे और टॉस से पहले उन्हें टीम से अलग कर दिया गया था। हम जानते थे कि जब आप अकेले बैठे होते हैं, कोविड से प्रभावित होते हैं, तो आप सबसे बुरे परिदृश्य के बारे में सोचने लगते हैं: आगे क्या होने वाला है? क्या मेरा विश्व कप हाथ से चला गया है? यह मेरे भविष्य को कैसे प्रभावित करेगा?"

"इतने दिनों तक एक कमरे में बंद रहना और नकारात्मक विचारों का सामना करना आसान बात नहीं है। हमने उन्हें कहा कि नकारात्मक विचार आना स्वाभाविक हैं और बातों को बांटने से वह बेहतर महसूस करेंगे। उन्होंने हमपर विश्वास किया और हमारे लिए बात करना आसान हो गया।"

कानितकर इस बात से प्रसन्न थे कि क्वारंटीन ने खिलाड़ियों की मानसिक तैयारियों को प्रभावित नहीं किया था। उन्होंने कहा, "जब समय आया तो वह मैदान पर उतरने के लिए पूरी तरह से तैयार थे। हमने उनसे कमरे में बैठकर मैदान के माहौल, उत्साह, गेंदबाज़ को अपने तरफ़ दौड़ते हुए देखने की कल्पना करने को कहा। उन्होंने अपने कमरे में बहुत काम किया और यह स्पष्ट हुआ जब वह मैदान पर आए। ऐसा लग रहा था कि इस पूरे क्वारंटीन प्रकरण के दौरान वह अभ्यास कर रहे थे जबकि सच यह था कि क्वारंटीन पूरा करने के बाद से उन्होंने केवल एक अभ्यास सत्र में हिस्सा लिया था।"

टीम में वापसी करने के बाद ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ सेमीफ़ाइनल मैच में सलामी जोड़ी को जल्दी गंवाने के बाद ढुल और रशीद ने 204 रनों की नाबाद साझेदारी निभाई।

आंध्रा के रशीद फ़िलहाल अपने घरेलू टीम में जगह नहीं बना पाए हैं लेकिन कप्तान ढुल ने दिल्ली कैपिटल्स के साथ 50 लाख का करार प्राप्त करने के बाद रणजी ट्रॉफ़ी में शानदार डेब्यू किया।

विश्व कप में सभी की निगाहें इन दो खिलाड़ियों पर थी लेकिन कई ऐसे छुपे-रुस्तम थे जिन्होंने प्रतिभाशाली करियर की नींव रखी। बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ रवि कुमार ने घातक स्विंग गेंदबाज़ी करते हुए नॉकआउट में नौ विकेट झटके और बंगाल की रणजी टीम में जगह बनाई।

बाएं हाथ के स्पिनर विकी ओस्तवाल, जिन्होंने मध्य ओवरों में विपक्षी टीमों को परेशान किया, 20 लाख रुपयों में दिल्ली कैपिटल्स का हिस्सा बने और अपने अंडर-19 साथी कौशल तांबे के साथ महाराष्ट्र रणजी टीम में चुने गए। विकेटकीपर दिनेश बाना और निशांत सिंधु ने हरियाणा टीम में प्रवेश किया जबकि सलामी बल्लेबाज़ हरनूर सिंह और राज बावा चंडीगढ़ टीम का हिस्सा हैं।

कोरोना संक्रमित होने के कारण यश ढुल और शेख़ रशीद अंडर-19 विश्व कप के दो मैचों से बाहर हुए थे  ICC via Getty Images

बावा विश्व कप टीम के उन दो खिलाड़ियों में से एक हैं जो कई पुरस्कारों के हक़दार बने। चंडीगढ़ के क्रिकेट कोच सुखविंदर बावा के बेटे और भारतीय ओलंपिक हॉकी स्वर्ण पदक विजेता त्रिलोचन सिंह के पोते, बावा का कहना है कि वह ऐसे घर में पले-बढ़े हैं जहां अंडर-19 विश्व कप का बहुत सम्मान होता है। उनके जन्म से दो साल पहले, 2000 के टूर्नामेंट में, युवराज सिंह, जो बावा के पिता के शिष्य थे, प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे थे, और बावा के चचेरे भाई रीतिंदर सोढ़ी फ़ाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच थे।

एक घातक तेज़ गेंदबाज़ होने के साथ-साथ एक बढ़िया फ़िनिशर बन चुके राजवर्धन हंगारगेकर फ़िलहाल महाराष्ट्र की रणजी टीम में जगह नहीं बना पाए हैं लेकिन तीन टीमों के बीच जंग के बाद डेढ़ करोड़ की धन राशि लेकर वह चेन्नई सुपर किंग्स की जर्सी में नज़र आएंगे।

मध्य तेज़ गेंदबाज़ी करने वाले ऑलराउंडर बावा दोहरे पुरस्कार से वंचित रह गए। पांच विकेट लेकर वह फ़ाइनल में प्लेयर ऑफ़ द मैच बने लेकिन युगांडा के ख़िलाफ़ इस प्रतियोगिता का सर्वाधिक स्कोर बनाने के बावजूद वह प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट नहीं बन पाए। यह ख़िताब मिला साउथ अफ़्रीका के डेवाल्ड ब्रेविस को। हालांकि बावा ने आईपीएल टीमों को इतना प्रभावित किया कि तीन टीमें उन्हें अपने दल में शामिल करना चाहती थी। आख़िरकार 2 करोड़ की बोली लगाकर पंजाब किंग्स ने उन्हें ख़रीदा।

राज बावा ने युगांडा के ख़िलाफ़ विश्व कप का सर्वाधिक स्कोर (162) बनाया और फिर फ़ाइनल में पांच विकेट झटके  Matthew Lewis / ICC/Getty Images

"बावा के बारे में जिस बात ने मुझे सबसे ज़्यादा प्रभावित किया, वह यह है कि कैसे कुछ भी उसे प्रभावित नहीं करता - अच्छा या बुरा," कानितकर कहते हैं। "साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़, उसे अपने पहले स्पेल में ख़ूब मार पड़ी थी लेकिन उसने कोई भावना नहीं दिखाई। दूसरे स्पेल में वापसी करते हुए विकेट चटकाने के बाद भी उसने जश्न नहीं मनाया।"

"फ़ाइनल मुक़ाबले में लगातार विकेट चटकाने के बाद जश्न मनाना स्वाभाविक हैं, लेकिन बावा शांत थे। यह उसकी ख़ासियत हैं - सभी प्रकार की परिस्थितियों में शांत रहना।"

आईपीएल में भाग लेने वाले पांच लड़कों को महेंद्र सिंह धोनी, ऋषभ पंत, शिखर धवन, डेविड वार्नर और विराट कोहली जैसे दिग्गजों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का मौक़ा मिलेगा, जबकि बाक़ी सब घरेलू क्रिकेट प्रणाली में वापस चले जाएंगे। कानितकर कहते हैं कि घरेलू क्रिकेट में ही इन खिलाड़ियों के पास अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को अपनी टीमों के साथ सफलतापूर्वक संतुलित करने का अवसर मिलेगा।

कानितकर कहते हैं, "यह खिलाड़ी एनसीए से दूर एक नए सेट-अप में जाएंगे जहां कोचिंग प्रणाली भी अलग होगी। हर टीम का अपना तरीक़ा होता है। आप अपना अभ्यास करते हुए टीम के खिलाड़ी के रूप में अपने कार्यों को कैसे जोड़ते हैं, यह एक चुनौती होगी। जिस तरह से हमने उन्हें संभाला, उस तरह अन्य कोच उन्हें नहीं संभालेंगे। स्वाभाविक रूप से उन सभी की अपनी एक अलग विचारधारा होगी।"

पिछले दो दशकों से, भारत के अंडर -19 सितारों को विश्व कप के माध्यम से उच्च स्तर के क्रिकेट में अपनी जगह बनाने का अवसर मिला है  Ashley Allen / ICC/Getty Images

फिर भी सीनियर क्रिकेट में प्रवेश कर रहे इन युवा खिलाड़ियों के लिए भविष्य उज्जवल हैं। पिछले हफ़्ते रणजी ट्रॉफ़ी के पहले ही मैच में ढुल ने डेब्यू पर दोनों पारियों में शतक बनाए और बावा ने चंडीगढ़ के लिए अपनी पहली ही गेंद पर विकेट चटकाई। इन किशोरों के लिए जीवन इतना अच्छा कभी नहीं रहा है, और भारतीय टीम में जगह बनाना अब सपना नहीं बल्कि एक यथार्थवादी लक्ष्य है।

यह भारत में अंडर-19 क्रिकेट की शक्ति का प्रतिबिंब है। कोहली, केएल राहुल, रवींद्र जाडेजा, मयंक अग्रवाल, शुभमन गिल, पृथ्वी शॉ, पंत, वॉशिंगटन सुंदर, इशान किशन और रवि बिश्नोई सभी सबसे पहले अपने अंडर-19 कारनामों से ही सुर्खियों में आए। उनमें से कुछ आईपीएल में सबसे महंगे खिलाड़ी बन गए हैं, वहीं अन्य आईपीएल में या भारत की कप्तानी कर रहे हैं।

भारत अंडर-19 के प्रत्येक अभियान ने कम से कम एक भविष्य के सितारे को जन्म दिया है। अब यह सवाल नहीं है कि कौन उच्च स्तर पर जगह बनाता है, बल्कि यह है कि कितने खिलाड़ी सबसे ऊंचे स्तर पर छलांग लगाने में सफल होते हैं।

Aneeshwar GautamHrishikesh KanitkarNishant SindhuRavi KumarVicky OstwalKaushal TambeDinesh BanaRaj BawaRajvardhan HangargekarEngland U19 vs IND Under-19ICC Under-19 World Cup

श्रेष्ठ शाह (@sreshthx) ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।