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महाराज: मेरा बस चले तो मैं दिन भर गेंदबाज़ी करता रहूं

साउथ अफ़्रीका के इस स्पिनर ने कहा कि सीमित ओवर में भी वह टेस्ट मैच के बड़े स्पेल की तैयारी करते रहते हैं

केशव महाराज ने पोर्ट ऑफ़ स्पेन टेस्ट के तीसरे दिन लगातार 28 ओवर डाले और फिर अगले दिन 12 ओवर और फेंके  AFP/Getty Images

अगर आप केशव महाराज को आधी रात को नींद से उठाकर कहेंगे कि चलिए गेंद डालना है, तो वह ख़ुशी-ख़ुशी तैयार हो जाएंगे।

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"स्पिन गेंदबाज़ी मेरा जुनून है, मुझे इससे बहुत प्यार है। अगर मुझे आप रात के दो बजे उठाकर कहेंगे कि गेंदबाज़ी करना है, तो मैं करूंगा। ये वह चीज़ है जो मुझे प्रोत्साहित करती है और साथ ही टीम के लिए बेहतर करना मेरी चाहत भी है। मेरा बस चले तो मैं दिन भर गेंदबाज़ी करता रहूं।"

महाराज बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बोल रहे, उन्होंने वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ पोर्ट ऑफ़ स्पेन टेस्ट में क्वींस पार्क मीडिया सेंटर छोर से लगातार 40 ओवर डाले थे। जो 2001 के बाद किसी भी टेस्ट मैच में किसी गेंदबाज़ का सबसे लंबा स्पेल है। प्लेइंग-XI में दूसरा विशेषज्ञ स्पिनर न होने की वजह से महाराज को अपनी ज़िम्मेदारी अच्छे से पता थी।

टेस्ट मैच में नतीजा न आए तो स्वाभाविक तौर पर दुख होता है। हम जब भी टेस्ट खेलते हैं तो कोशिश यही रहती है कि अपना सर्वश्रेष्ठ दें। यहां तक कि ऐसा करने में अगर हमें हार भी मिलती है तो वह स्वीकार्य है। ड्रॉ की हमारे लिए कोई गिनती नहीं।केशव महाराज

महाराज ने कहा, "मुझे पता था कि इस पिच पर मुझे काफ़ी गेंदबाज़ी करनी होगी और मैं इसके लिए तैयार था। चाहे कोई भी फ़ॉर्मैट हो, मैं अपना वर्कलोड इस तरह संभालता हूं जिससे कि टेस्ट मैच की तैयारी कर सकूं। एक चीज़ जो आपको बदलनी होती है, वह है आपकी लेंथ और कभी-कभार लाइन। लेकिन अगर देखें तो मैं T20 हो या वनडे, लंबे स्पेल के लिए ख़ुद को हमेशा तैयार रखता हूं और मुझे इसका गर्व है।"

साउथ अफ़्रीका ने इस विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) में सिर्फ़ दो टेस्ट सीरीज़ ही खेली है। अब तक प्रोटियाज़ टीम ने इस WTC साइकल में पांच टेस्ट खेले हैं और उनके पास अब सिर्फ़ सात ही टेस्ट मैच बचे हैं। अगर उन्हें WTC फ़ाइनल में जगह बनाना है तो इन सभी सात टेस्ट में जीत हासिल करना होगा और दूसरी टीमों के नतीजों पर भी निर्भर रहना होगा।

केशव महाराज ने दोनों ही पारियों में चार विकेट झटके थे और वह साउथ अफ़्रीका के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ थे  AFP/Getty Images

"टेस्ट मैच में नतीजा न आए तो स्वाभाविक तौर पर दुख होता है। हम जब भी टेस्ट खेलते हैं तो कोशिश यही रहती है कि अपना सर्वश्रेष्ठ दें। यहां तक कि ऐसा करने में अगर हमें हार भी मिलती है तो वह स्वीकार्य है। ड्रॉ की हमारे लिए कोई गिनती नहीं। ज़ाहिर है हमारी नज़र WTC फ़ाइनल पर है लेकिन हम फ़िलहाल मैच दर मैच ही ध्यान दे रहे हैं।"

महाराज ने आगे कहा, "मैं कभी नहीं चाहता कि कप्तान टेस्ट में मेरे हाथ से गेंद ले लें, इसलिए मैं हमेशा अपनी हर गेंद सर्वश्रेष्ठ डालना चाहता हूं ताकि कप्तान का भरोसा जीत सकूं।"

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